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उत्तर प्रारूप
भूमिका (20-30 शब्द)
प्राचीन भारतीय इतिहास में मौर्योत्तर कालीन शिल्प एवं व्यापार में वृद्धि, सिक्कों के प्रचलन तथा विदेशी व्यापार का उल्लेख करते हुए संक्षिप्त भूमिका लिखें।
मुख्य भाग (90-10 शब्द)
- मौर्योत्तर कालीन विकसित उद्योगों यथा- वस्त्र उद्योग, लोहा एवं इस्पात उद्योग, हाथी-दाँत शिल्प उद्योग आदि की चर्चा करें।
- इस काल में आंतरिक और बाह्य व्यापार जैसे- मानसूनी हवाओं की खोज तथा रेशम मार्ग पर नियंत्रण से वैदेशिक व्यापार में होने वाली वृद्धि एवं पेरिप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी तथा प्लिनी के अनुसार मौर्योत्तर कालीन व्यापार संतुलन का भारतीय पक्ष में होना इत्यादि की चर्चा करें।
निष्कर्ष (20-30 शब्द)
मौर्योत्तर-कालीन अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट करते हुए संतुलित निष्कर्ष लिखें।