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Sanskriti Mains Mission: GS Paper - 4

स्वार्थपरता (selfishness) नैतिकता का विनाश करती है जबकि निःस्वार्थता (selflessness) नैतिकता के साथ-साथ व्यक्तित्व के सभी पक्षों का विकास करती है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)

01-Jul-2021 | GS Paper - 4

Solutions:

उत्तर प्रारूप

भूमिका (20-25 शब्द)

निःस्वार्थता को संक्षेप में परिभाषित करें। 

मुख्य भाग (90-100 शब्द)

  • स्वार्थपरता के नकारात्मक प्रभावों जैसे- मानवीय मूल्यों का नष्ट होना, व्यक्तित्व के तार्किक पक्षों का लोप होना इत्यादि की चर्चा करें। साथ ही, इस संदर्भ में मनोवैज्ञानिक स्वार्थवाद के समर्थक जैसे- हॉब्स और एन रैंड इत्यादि के तर्कों का उदाहरण के तौर पर उल्लेख करें।
  • विभिन्न दार्शनिकों जैसे- अरस्तू, कांट, गांधी इत्यादि के साथ- साथ गीता में निहित विचारों के माध्यम से मानवीय आचरण के प्रदर्शन में निःस्वार्थता की महत्ता एवं इसके सकारात्मक परिणामों की चर्चा करें।

निष्कर्ष (20-25 शब्द)

समाज के शांतिपूर्ण एवं मूल्यपरक संचालन में निःस्वार्थता की महत्ता का उल्लेख करते हुए संतुलित निष्कर्ष लिखें।

 

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