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Sanskriti Mains Mission: GS Paper - 1

केरल में आयोजित होने वाले त्रिशूर पूरम उत्सव की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व की व्याख्या कीजिए। (शब्द सीमा 250)

21-Jan-2024 | GS Paper - 1

Solutions:

 उत्तर प्रारूप 

भूमिका 

  • केरल में आयोजित होने वाले त्रिशूर पूरम उत्सव को सभी पूरमों की जननी माना जाता है। इस उत्सव के दौरान भगवन वडक्कुनाथन (शिव) की पूजा अर्चना की जाती है, की चर्चा करते हुए संक्षिप्त में भूमिका लिखें।

मुख्य भाग

  • यह केरल के सबसे पुराने मंदिर त्योहारों में से एक है।
  • इस उत्सव में केरल की धार्मिक एवं सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और परंपराओं का।
  • एक अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिलाता है, जिसमें सजे हुए हाथी, रंगीन छतरियां और ताल संगीत आदि शामिल होते हैं।
  • यह त्योहार केरल की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत मिश्रण है। 
  • इस त्योहार का मुख्य आकर्षण, 'वेदिककेट्टू' यानी आतिशबाजी का प्रदर्शन है।
  • यह उत्सव प्रत्येक वर्ष मलयालम महीने मेडम (अप्रैल-मई) या पूरम दिवस पर केरल के त्रिशूर के थेक्किंकडु मैदानम में स्थित वडक्कुनाथन मंदिर में आयोजित किया जाता है।
  • इस त्योहार को भारत के सभी पूरमों में से सबसे बड़ा और प्रसिद्ध माना जाता है। 
  • इस उत्सव का आयोजन कोचीन के महाराजा शक्तिन सक्थन थंपुरन या राम वर्मा IX के द्वारा 10 मंदिरों की भागीदारी के साथ किया गया था, आदि का उल्लेख करें।  

निष्कर्ष 

  • केरल में आयोजित होने वाले त्रिशूर पूरम उत्सव की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषता को बताते हुए संक्षिप्त में निष्कर्ष लिखें। 
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