शॉर्ट न्यूज़: 02 जुलाई, 2022
यूएन-हैबिटेट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट-2022
भारत और अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी के बीच रणनीतिक साझेदारी समझौता
यूएन-हैबिटेट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट-2022
चर्चा में क्यों
हाल ही में जारी ‘यूएन-हैबिटेट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट 2022’ के अनुसार वर्ष 2035 में भारत की शहरी आबादी 675 मिलियन होने का अनुमान है जो कि 2035 में चीन की शहरी आबादी 1.05 अरब के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी होगी।
रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु
- 2035 तक भारत में शहरी क्षेत्र में रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत 43.2% होगा।
- वैश्विक शहरी आबादी 2050 तक 2.2 अरब और लोगों की वृद्धि की राह पर है।
- पिछले दो दशकों में चीन और भारत ने तेजी से आर्थिक विकास और शहरीकरण का अनुभव किया, जिसके कारण गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी आई है।
- शहरी क्षेत्रों में वायरस की अधिक घटनाओं और महामारी से उत्पन्न आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, शहर एक बार फिर लोगों के लिए रोजगार, शिक्षा और प्रशिक्षण की तलाश में या संघर्ष से शरण लेने के अवसर के रूप में काम कर रहे हैं।
- जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाओं के जोखिमों और प्रभावों के कारण शहर अस्तित्व के खतरों का सामना करते हैं। जैसे दिल्ली में बढ़ी हुई गर्मी और जकार्ता और डरबन में व्यापक बाढ़।
- दुनिया भर में कई सरकारों ने लॉकडाउन और गतिशीलता प्रतिबंध लगाए, जिसके परिणामस्वरूप हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
- भारत जैसे कुछ देशों में, COVID-19 के बाद से कार निर्भरता बढ़ी है तथा सार्वजनिक परिवहन में रुचि रखने वाले लोग निजी कारों की ओर स्थानांतरित हो गए।
- सुरक्षित, सस्ती और विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के अभाव में, शहरी गतिशीलता के भविष्य में निजी मोटर चालित वाहनों का वर्चस्व बना रह सकता है।
भारत और अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी के बीच रणनीतिक साझेदारी समझौता
चर्चा में क्यों
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) तथा अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) के बीच रणनीतिक साझेदारी समझौते को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस समझौते का उद्देश्य भारत में अक्षय ऊर्जा पर आधारित हरित ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी परिवर्तन, नेतृत्व और ज्ञान को बढ़ावा देना है।
- यह समझौता भारत को ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन हेतु सहायता करेगा और विश्व को जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद करेगा।
- यह समझौता वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट विद्युत क्षमता के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत की सहायता करेगा।
- इस समझौते के अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग शामिल है-
- भारत में अक्षय ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिये ज्ञान को साझा करना।
- दीर्घकालिक ऊर्जा योजना पर भारत के प्रयासों का समर्थन करना।
- भारत में नवाचार के माहौल को मजबूत करने के लिये सहयोग करना।
- हरित हाइड्रोजन के विकास की संभावना और इसके प्रयोग को बढ़ावा देकर किफायती विकार्बनीकरण की ओर बढ़ना।