शॉर्ट न्यूज़: 06 जनवरी, 2021
सागरमाला सीप्लेन सेवा
रामतीर्थम
भारत द्वारा वियतनाम को चावल का निर्यात
दीपोर बील (Deepor Beel)
सागरमाला सीप्लेन सेवा
संदर्भ
बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय एक महत्वाकांक्षी ‘सागरमाला सीप्लेन सेवा’ का संचालन शुरू करने जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- यह सेवा चुनिंदा मार्गों पर विशेष उद्देश्य वाले वाहन (SPV) संरचना के अंतर्गत संभावित एयर लाइन परिचालकों के साथ प्रारंभ की जाएगी।
- इस परियोजना का निष्पादन और कार्यान्वयन सागरमाला विकास कंपनी लिमिटेड (SDCL) के माध्यम से किया जाएगा। यह कंपनी मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- इसके तहत ‘हब एंड स्पोक मॉडल’ (Hub and Spoke Model) के तहत प्रस्तावित उद्गम और गंतव्य स्थलों में अंडमान व निकोबार तथा लक्षद्वीप समूह, असम में गुवाहाटी रिवरफ्रंट व उमरांसों जलाशय, दिल्ली में यमुना रिवरफ्रंट से अयोध्या तथा उत्तराखंड से टेहरी एवं श्रीनगर शामिल हैं।
- विदित है कि हब एंड स्पोक मॉडल एक वितरण पद्धति को संदर्भित करती है, जिसमें एक केंद्रीयकृत हब होता है। इस मॉडल का प्रयोग ऐसी स्थिति में किया जाता है जब एक केंद्रीयकृत लोकेशन (हब) के साथ कई अन्य लोकेशंस (स्पोक) जुड़े होते हैं। हब लोकेशन ग्राहकों के संपर्क के लिये एकल बिंदु या स्थान प्रदान करता है।
- साथ ही, चंडीगढ़ तथा पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कई पर्यटन स्थल, महाराष्ट्र के कई स्थल, जिनमें मुंबई के निकटतम कई स्थल भी शामिल हैं और गुजरात से सूरत, द्वारका, मांडवी व कांडला तथा अन्य सुझाए जाने वाले हब व स्पोक शामिल हैं।
- विदित है कि ऐसी ही एक सीप्लेन सेवा अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट और केवडि़या के बीच पहले से ही संचालित हो रही है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने 31 अक्टूबर, 2020 को किया था।
लाभ
- यह सीप्लेन सेवा देश में तेज़ी से और बिना किसी रुकावट के आवागमन की सुविधा प्रदान करेगी। बहुत से दूरस्थ/धार्मिक/पर्यटक स्थलों को हवाई मार्ग से जोड़ने के अलावा यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन अवसरों को बढ़ाएगी।
- दूरदराज के क्षेत्रों को संपर्क और आसान पहुँच मुहैया कराने के उद्देश्य से सीप्लेन सेवा के जरिये देश की विस्तृत तटीय रेखा तथा विभिन्न जलधाराओं व नदियों के प्रयोग की योजना बनाई जा रही है।
- सीप्लेन नजदीकी जलधाराओं व नदियों का प्रयोग उड़ान भरने एवं उतरने के लिये करेगा, जिससे इन स्थानों को आपस में बहुत कम कीमत पर जोड़ा जा सकेगा। साथ ही, सीप्लेन परिचालन के लिये पारंपरिक रनवे तथा टर्मिनल इमारतों जैसी अवसंरचना की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- इससे समय की बचत होगी और यह स्थानीय स्तर पर कम दूरी की यात्रा की प्रवृति को बढ़ावा देगी, जिसमें विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में और नदियों व झीलों के आर-पार रहने वाले लोग शामिल हैं।
- परिचालन स्थलों पर अवसंरचना में वृद्धि करने के साथ-साथ यह न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि इससे व्यावसायिक गतिविधियों में भी वृद्धि होगी।
रामतीर्थम
संदर्भ
हाल ही में, भगवान श्री राम की एक मूर्ती के क्षतिग्रस्त होने के मुद्दे पर 16 वीं शताब्दी का रामतीर्थम मंदिर (कोदंडाराम स्वामी मंदिर) विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- आंध्र प्रदेश के विजयनगरम (Vizianagaram) ज़िले से 12 किमी. दूर स्थित ऐतिहासिक रामतीर्थम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति को हाल ही में क्षतिग्रस्त कर दिया गया था, जिसका एक हिस्सा कुछ दिनों बाद एक तालाब में पाया गया था।
- रामतीर्थम, विजयनगरम ज़िले के नेल्लीमारला मंडल में एक ग्राम पंचायत हैतथा तीसरी शताब्दी ई.पू. का एक ऐतिहासिक स्थल है।
- भगवान श्री रामचंद्र स्वामी का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर भी यहीं स्थित है।इस मंदिर में चांदी के कवच में भगवान रामचंद्र स्वामी, सीता और लक्ष्मण की सुंदर मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।
- यहाँ बोधिकोंडा की ग्रेनाइट की पहाड़ियों में जैन एवं बौद्ध दोनों धर्मों से जुड़े संरचना अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
- इसके अलावा, गुरुबक्ताकोंडा (गुरुभक्तकुलकोंडा) और गनी कोंडा (जिसे दुर्गा कोंडा के नाम से भी जाना जाता है) के नाम से दो अन्य पहाड़ियाँ भी यहाँ हैं, जहाँ तीसरी शताब्दी ई.पू. के बौद्ध मठ अवशेष तथा दीवारों पर जैन तीर्थंकरों के चित्रों के साथ शैलकर्तित गुफाएँ (Rock Cut Caves) अवस्थित हैं।
भारत द्वारा वियतनाम को चावल का निर्यात
संदर्भ
हाल ही में, विश्व के तीसरे सबसे बड़े चावल निर्यातक देश वियतनाम ने भारत से चावल की खरीद शुरू की है। अपने स्थानीय बाज़ारों में चावल की कीमतें अत्यधिक बढ़ जाने के कारण वियतनाम ने अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धी देश भारत से चावल की यह खरीद शुरू की है।
प्रमुख बिंदु
- वियतनाम द्वारा यह खरीद एशिया में चावल आपूर्ति को प्रभावित कर सकती है तथा इससे न सिर्फ चावल की कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है बल्कि स्थानीय देशों द्वारा थाईलैंड और वियतनाम के स्थान पर अब भारत से चावल की खरीद को वरीयता दी जा सकती है।
- भारतीय निर्यातकों ने 100% टूटे चावलों (Broken Rice) की 77 हज़ार टन की खेप का निर्यात करने का अनुबंध किया है तथा वियतनाम को पहली बार इस तरह का कोई निर्यात किया जा रहा है।
- ध्यातव्य है कि, भारत सरकार द्वारा हाल ही में चावल निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिये चावल निर्यात संवर्धन मंच (Rice Export Promotion Forum - REPF) की स्थापना की गई है।
- कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात संवर्धन विकास प्राधिकरण(Agricultural and Processed Foods Export Promotion Development Authority-एपीडा) के तत्त्वावधान में इस मंच की स्थापना की गई है।
- यह मंच वैश्विक बाज़ार में चावल के निर्यात को बढ़ाने के लिये निर्यात की संपूर्ण उत्पादन/आपूर्ति शृंखला से जुड़े हितधारकों की पहचान करने, दस्तावेज़ पहुँचाने और सहयोग स्थापित करने के लिये आवश्यक कदम उठाएगा।
- इसके अलावा, यह उत्पादन और निर्यात से संबंधित घटनाक्रमों की उचित निगरानी, पहचान और पूर्वानुमान के साथ-साथ अन्य ज़रुरी नीतिगत उपायों को भी आगे बढ़ाएगा।
- आर.ई.पी.एफ. मेंसामान्यतः चावल उद्योग के प्रतिनिधि, एपीडा, निर्यातक, वाणिज्य मंत्रालय, कृषि मंत्रालय तथा प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, पंजाब, तेलंगाना, हरियाणा, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश के अधिकारी शामिल होंगे।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में भारत ने रिकॉर्ड 14 मिलियन टन चावल का निर्यात किया।
दीपोर बील (Deepor Beel)
संदर्भ
असम के कामरूप ज़िला प्रशासन ने दीपोर बील (आर्द्रभूमि) और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सामुदायिक रूप से मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दीपोर बील : संबंधित तथ्य
- दीपोर बील असम के कामरूप ज़िले में गुवाहाटी शहर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह ब्रह्मपुत्र नदी के पूर्व चैनल में, मुख्य नदी के दक्षिण में स्थित एक स्थाई मीठे पानी की झील है।
- निचले असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में स्थित यह सबसे बड़े बील (तालाब के सामान) में से एक है। इसे बर्मा मानसून वन जीव विज्ञान क्षेत्र के तहत एक आर्द्रभूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- दीपोर बील के जैविक एवं पर्यावरणीय महत्त्व को देखते हुए इसके संरक्षण के लिये इसे वर्ष 2002 में रामसर साइट घोषित किया गया था।
- इसके अतिरिक्त, यह एक महत्त्वपूर्ण पक्षी अभयारण्य भी है, यहाँ पक्षियों की लगभग 200 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। साथ ही, यह कई प्रवासी प्रजातियों का वास-स्थान भी है।
- इसका क्षेत्रफल 1980 के दशक के अंत में लगभग 6,000 हेक्टेयर था। वर्ष 1991 से अब तक इसके क्षेत्र में लगभग 35% की कमी आई है।
- दीपोर बील के पास ही रानी और गरभंगा आरक्षित वन क्षेत्र भी है, जहाँ एशियाई हाथियों की घनी आबादी पाई जाती है और यह स्थानिक प्रजाति ‘व्हाइट हेडेड गिब्बन’ का आवास स्थल भी है। साथ ही, यहाँ तितलियों की दुर्लभ प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
- विदित है कि वर्ष 2018 में राष्ट्र स्तरीय विश्व आर्द्रभूमि दिवस (2 फरवरी) का आयोजन दीपोर बील में ही किया गया था।
- वर्तमान में यह आर्द्रभूमि संकट का सामना कर रही है, क्योंकि मोरा भरालू चैनल (गुवाहाटी) के माध्यम से प्रवाहित होने वाली कलमोनी, खोंजन तथा बसिस्ता जैसी छोटी नदियों के साथ इसका संपर्क टूट रहा है।