शॉर्ट न्यूज़: 09 जुलाई, 2022
एशिया-प्रशांत सततता सूचकांक-2021
अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का पर्यावरण एजेंसी पर निर्णय
एशिया-प्रशांत सततता सूचकांक-2021
चर्चा में क्यों
हाल ही में, एशिया-प्रशांत सततता सूचकांक-2021 में चार भारतीय शहरों-बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई ने शीर्ष 20 सतत शहरों की सूची में जगह बनाई है।
प्रमुख बिंदु
- इस सूचकांक में बेंगलुरु ने 14वां स्थान प्राप्त किया है। 'गोल्ड' मानक श्रेणी प्राप्त करने वाला यह एकमात्र भारतीय शहर है।
- भारतीय शहरों में दिल्ली का स्थान दूसरा है, जिसने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 17वां स्थान प्राप्त किया है। इसके पश्चात् हैदराबाद ने 18वां और मुंबई ने 20वां स्थान प्राप्त किया है। गौरतलब है कि इन तीनों शहरों ने रजत मानक श्रेणी हासिल की है।
- रिपोर्ट के अनुसार भारत में ग्रीन बॉन्ड जारी करने में 523% की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2020 के 1.1 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021 में 6.8 बिलियन डॉलर हो गया है।
- वर्ष 2021 में जारी किये गए हरित बॉन्ड की कुल राशि के अनुसार भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में छठा सबसे बड़ा देश है।
- रिपोर्ट के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में वाणिज्यिक रियल एस्टेट (Commercial Real Estate) में सिंगापुर, सिडनी, वेलिंगटन, पर्थ और मेलबर्न शीर्ष पांच ग्रीन-रेटेड शहर हैं।
- इस सूचकांक में शहरीकरण के दबाव, जलवायु जोखिम, कार्बन उत्सर्जन और सरकारी पहलों के आधार पर 36 शहरों को शामिल किया गया है।
- इस सूचकांक का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रियल एस्टेट बाजार के प्रदर्शन को प्रस्तुत करना है।
अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का पर्यावरण एजेंसी पर निर्णय
चर्चा में क्यों
हाल ही में, अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने हरितगृह गैसों के उत्सर्जन को विनियमित करने के लिये पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) की क्षमताओं पर अंकुश लगा दिया है।
हालिया निर्णय
- अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने स्वच्छ वायु अधिनियम के तहत कोयले और गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों से हरितगृह गैस उत्सर्जन को विनियमित करने के लिये ई.पी.ए. के मौजूदा अधिकार को वापस ले लिया है।
- वेस्ट वर्जीनिया बनाम पर्यावरण संरक्षण एजेंसी मामले में तर्क दिया गया कि संघीय एजेंसी के रूप में ई.पी.ए. के गैर-निर्वाचित नौकरशाहों को ऐसे नियम पारित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये जो अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं। गौरतलब है कि वेस्ट वर्जीनिया अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है।
स्वच्छ वायु अधिनियम, 1963
- इस कानून का उद्देश्य गतिशील एवं स्थिर स्रोतों से वायु प्रदूषण को सीमित करके सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ाना है। इसके द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य, लोक कल्याण की सुरक्षा और खतरनाक वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन को विनियमित करने तथा राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों को स्थापित करने के लिये ई.पी.ए. को अधिकृत किया गया है।
- अमेरिका में प्रदूषण तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये इस कानून को एक महत्त्वपूर्ण उपकरण माना जाता है, जो अपने उद्देश्य में काफी हद तक सफल रहा है।
- हरितगृह गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले अन्य कानून के निर्माण में विफल रहने और ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों की ओर संक्रमण के लिये भी आगे चलकर ई.पी.ए. को अधिकृत किया गया।
- हालाँकि, इसके कारण राजस्व, रोजगार और आर्थिक स्थिरता के लिये कोयला खनन पर निर्भर रहने वाले राज्यों (जैसे वेस्ट वर्जीनिया) को भारी कीमत चुकाने के लिये मजबूर होना पड़ा।
चुनौतियाँ
- इस फैसले को जलवायु संकट का सामना करने और स्वच्छ ईंधन की ओर संक्रमण के अमेरिकी प्रयासों के विरुद्ध झटका माना जा रहा है ।
- इससे जीवाश्म ईंधन में कटौती और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के अभियान में संघीय एजेंसियों की सहायता लेना मुश्किल हो सकता है।
- यह निर्णय न केवल जलवायु कार्रवाई से निपटने के उपायों को ही प्रभावित करता है बल्कि सरकार के कार्य करने के तरीके को भी बदलने का प्रयास करता है।
- इससे जलवायु परिवर्तन से निपटने के भारत सहित वैश्विक प्रयासों पर भी असर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका एक बड़ा हरितगृह गैस उत्सर्जक देश है।