शॉर्ट न्यूज़: 10 दिसंबर, 2020
माउंट एवेरस्ट की ऊँचाई में वृद्धि
नया संसद भवन
महाकाली संधि
नई स्कूल बैग नीति
माउंट एवेरस्ट की ऊँचाई में वृद्धि
प्रमुख बिंदु
- हाल ही में, नेपाल और चीन के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त रूप से माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई को समुद्र तल से 8,848.86 मीटर की ऊँचाई पर प्रमाणित किया।
- नई ऊँचाई वर्ष 1954 में मान्यता प्राप्त ऊँचाई की तुलना में 86 सेमी. अधिक है। इस प्रकार नई ऊँचाई नेपाल के पिछले दावे से लगभग 3 फीट अधिक है।
पूर्व में मापन
- वर्ष 1954 में इसकी ऊँचाई भारतीय सर्वेक्षण द्वारा निर्धारित की गई थी, जिसमें थियोडोलाइट्स और चेन जैसे उपकरणों का उपयोग किया गया था।
- विदित है कि थियोडोलाइट क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर तलों में निर्दिष्ट दृश्य बिंदुओं के बीच कोणों को मापने के लिये एक सटीक ऑप्टिकल उपकरण है।
- चीन को छोड़कर विश्व में सभी संदर्भों में माउंट एवरेस्ट की 8,848 मीटर की ऊंचाई को स्वीकार किया गया। ध्यातव्य है कि माउंट एवरेस्ट नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है।
वर्तमान में मापन की आवश्यकता
- अप्रैल 2015 के विनाशकारी भूकम्प ने वैज्ञानिकों के बीच पहाड़ की ऊँचाई प्रभावित होने को लेकर बहस छेड़ दी है।
- साथ ही, कई वर्षों से इस बात पर भी बहस हुई है कि क्या केवल चट्टान की ऊँचाई की गणना होनी चाहिये या बर्फ के आवरण को भी इसमें शामिल किया जाए।
- बाद में नेपाल सरकार ने घोषणा की कि वह वर्ष 1954 के निष्कर्षों को मानने की बजाय स्वयं इस पहाड़ का मापन करेगी।
नया संसद भवन
चर्चा में क्यों?
10 दिसम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘लोकतंत्र के मंदिर’ के प्रतीक के रूप में नए संसद भवन का शिलान्यास किया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इस चार मंजिला इमारत को टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा मौजूदा इमारत के समीप बनाया जाएगा। भूकम्प से सुरक्षा के लिये आधुनिक उपकरणों से लैस इसके लोकसभा और राज्यसभा सदनों में क्रमशः 888 और 384 सांसदों को समायोजित किया जा सकेगा, जबकि संयुक्त सत्र के दौरान लोकसभा कक्ष 1,224 सांसदों को समायोजित करने की क्षमता से युक्त होगा।
- वर्ष 1971 की जनगणना के आधार पर किये गए परिसीमन के अनुसार, लोकसभा सीटों की संख्या 552 है, जिसके 2026 के बाद बढ़ाए जाने की सम्भावना है। सांसदों की संख्या बढ़ने पर संसद की पुरानी इमारत अतिरिक्त सीटों को समायोजित करने में सक्षम नहीं है।
- मौजूदा इमारत मध्यप्रदेश में स्थित एकतासरो महादेव मंदिर, जिसे चौसठ योगिनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, से प्रेरित है। यह मंदिर वर्ष 1927 में ब्रिटिश साम्राज्य के तहत अपनी शाही विधान परिषद् के लिये बनाया गया था।
- सेंट्रल विस्टा परियोजना में परिवर्तन के लिये एक प्रस्ताव के तहत कई प्रशासनिक भवनों का पुनर्निर्माण या उन्हें किसी दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाना शामिल है। मूल संसद भवन को वर्ष 1912-1913 में ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
- गौरतलब है कि उच्चतम न्यायलय की एक पीठ ने इस सम्बंध में सुनवाई करते हुए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माणाधीन स्थल पर पेड़ काटने पर प्रतिबंध का आदेश देने के साथ-साथ केंद्र सरकार के निर्माण कार्य के तरीकों पर भी आपत्ति जाहिर की है। इसलिये सर्वोच्च न्यायलय के अंतिम निर्णय तक निर्माणकार्य या इमारतों को गिराने की अनुमति नहीं दी जाएगी, यद्यपि परियोजना से सम्बंधित आवश्यक कागजी कार्यवाही तथा नींव रखने के समारोह का आयोजन किया जा सकता है।
महाकाली संधि
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, उत्तराखंड के चम्पावत ज़िले में बनबसा स्थित 94.2 मेगावाट क्षमता वाले टनकपुर पावर स्टेशन के बैराज पर ‘भारत-नेपाल सम्पर्क नहर’ के निर्माण कार्य की आधारशिला रखी गई है।
- ध्यातव्य है कि 1.2 कि.मी. लम्बी भारत-नेपाल सम्पर्क नहर का निर्माण 'महाकाली संधि' के तहत किया जा रहा है।
महाकाली संधि
- महाकाली संधि भारत और नेपाल के मध्य फरवरी, 1996 में हुई थी।
- इस संधि में दोनों देशों के आपसी सहयोग से जल संसाधनों का प्रबंधन करके बैराज, बांधों और जल विद्युत के एकीकृत विकास से सम्बंधित प्रावधान हैं।
- यह संधि महाकाली नदी को दोनों देशों के बीच एक सीमा के रूप में भी मान्यता प्रदान करती है।
- इस संधि के तहत महाकाली अथवा शारदा नदी के जल उपयोग की सीमा निर्धारित की गई है। संधि के दायरे में शारदा बैराज, टनकपुरा बैराज एवं प्रस्तावित पंचेश्वर परियोजना भी शामिल हैं।
महाकाली नदी
- महाकाली नदी को काली नदी, कालीगंगा या शारदा के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत के उत्तराखण्ड तथा उत्तर प्रदेश राज्यों में बहने वाली इस नदी का उद्गम वृहद् हिमालय में 3,600 मीटर की ऊँचाई पर कालापानी नामक स्थान से होता है, जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित है।
- इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा, जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लेख दर्रे के निकट भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। यह नदी नेपाल के साथ भारत की पूर्वी सीमा बनाती है, जहाँ इसे महाकाली कहा जाता है। उत्तराखण्ड तथा उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में पहुँचने पर यह शारदा नदी के नाम से जानी जाती है।
नई स्कूल बैग नीति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, शिक्षा मंत्रालय ने नई स्कूल बैग नीति जारी की है। मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नए शैक्षणिक सत्र से इस नीति का अनिवार्य रूप से पालन करने का निर्देश दिया है।
मुख्य प्रावधान :
बैग का भार
- नई स्कूल बैग नीति के अनुसार, कक्षा 1 से 10वीं तक के छात्रों के स्कूल बैग का भार उनके शरीर के वजन के 10% से अधिक नहीं होना चाहिये।
- सभी स्कूली छात्रों के बैग में पुस्तकों का वजन 500 ग्राम से 3.5 किलोग्राम के बीच होगा, जबकि कॉपियों का वजन 200 ग्राम से 2.5 किलोग्राम तक रहेगा। इसमें लंच बॉक्स और पानी की बोतल का वजन भी शामिल होगा।
- पहली कक्षा के छात्रों के लिये कुल 1,078 ग्राम वजन तक की अधिकतम 3 किताबें होंगी तथा 12वीं के छात्रों के लिये कुल 4,182 ग्राम वजन तक अधिकतम 6 किताबें होंगी।
- साथ ही, प्रकाशकों को किताबों पर उनका वजन प्रति वर्ग मीटर (GSM) के साथ छापना होगा।
- बच्चों के बस्ते का वजन चेक करने के लिये सभी स्कूलों में डिजिटल तौल मशीन होनी चाहिये तथा नियमित आधार पर स्कूल बैग के वजन की निगरानी भी करनी होगी। साथ ही, स्कूलों में लॉकर तथा पीने योग्य पानी की सुविधा भी उपलब्ध होनी चाहिये।
गृहकार्य की सीमा
- इसी तरह कक्षा वार होमवर्क (गृहकार्य) की समय सीमा भी तय की गई है। नई नीति के तहत दूसरी कक्षा तक के विद्यार्थियों को होमवर्क नहीं दिया जाएगा।
- कक्षा 3 से 6 के लिये सप्ताह में केवल 2 घंटे का होमवर्क, कक्षा 7 और 8 के लिये प्रतिदिन 1 घंटे का होमवर्क तथा कक्षा 9 से 12 के लिये प्रतिदिन अधिकतम 2 घंटे का होमवर्क दिया जा सकता है।
अन्य तथ्य
- इस नीति के अंतर्गत पहिये वाले बैग्स (Trolley-Bags) को प्रतिबंधित किया गया है क्योंकि सीढ़ियाँ चढ़ते समय ये बच्चों को चोट पहुँचा सकते हैं।
- ध्यातव्य है कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह नीति एन.सी.ई.आर.टी. के सर्वक्षणों तथा उच्च स्तरीय समिति के अध्ययनों के आधार पर लाई गई है।