शॉर्ट न्यूज़: 12 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)
कृष्णा राजा सागर व इडुक्की बांध
बादल फटना
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिपोर्ट
वन संरक्षण नियम 2022
आईएनएस विक्रांत (IAC-1)
कृष्णा राजा सागर व इडुक्की बांध
चर्चा में क्यों ?
- कावेरी बेसिन में प्रमुख बांध तेजी से पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) के करीब पहुंच रहे हैं और अपनी संचयी सकल भंडारण क्षमता का 89 फीसदी हासिल कर चुके हैं।
- कावेरी, कृष्णा, तुंगभद्रा नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदियों में प्रवाह अधिक बना हुआ है।
कृष्णा राजा सागर बांध के बारे में
- कृष्णा राजा सागर (KRS), एक झील है और झील बनाने वाला एक बांध है।
- प्रकार: यह एक प्रकार का ग्रेविटी बांध है।
- स्थान: कर्नाटक के मांड्या जिले में अपनी सहायक नदियों हेमावती और लक्ष्मण तीर्थ के साथ कावेरी नदी के संगम के नीचे स्थित है।
- बृंदावन गार्डन, एक सजावटी उद्यान, बांध से जुड़ा हुआ है।
- इतिहास: इस परियोजना की परिकल्पना भारत रत्न से सम्मानित, मैसूर के मुख्य अभियंता एम. विश्वेश्वरैया ने की थी। निर्माण 1911 में शुरू हुआ और 1938 में इसका संचालन शुरू हुआ।
- उपयोग: बांध के पानी का उपयोग मैसूर और मांड्या में सिंचाई के लिए किया जाता है, और मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु शहर के लिए पीने के पानी का मुख्य स्रोत है।
- इस बांध से छोड़ा गया पानी तमिलनाडु राज्य में बहता है और सलेम जिले के मेट्टूर बांध में जमा हो जाता है।
इडुक्की बांध के बारे में
- केरल में मॉनसून में उच्च बारिश के परिणाम स्वरूप जलाशय में जल स्तर बढ़ रहा है।
- केरल में इडुक्की बांध केरल की सबसे लंबी नदी पेरियार नदी पर बनाया गया है।
- यह महाद्वीप के सबसे ऊंचे मेहराबदार बांधों में से एक है, जिसकी ऊंचाई 550 फीट है।
- इसे कनाडा से वित्तीय सहायता के साथ वर्ष 1973 में कमीशन किया गया था।
- यह दो ग्रेनाइट पहाड़ियों जैसे कुरवनमाला और कुरवाथिमाला के बीच बनाया गया है।
- इसका स्वामित्व केरल राज्य विद्युत बोर्ड के पास है।
Question of Day
प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये :
बांध |
संबंधित राज्य |
1. हीराकुंड |
ओडिसा |
2. तुंगभद्रा |
आंध्रप्रदेश |
3. कृष्णराजा सागर |
कर्नाटक |
4. इडुक्की बांध |
केरल |
उपर्युक्त युग्मों में से कितने सही सुमेलित हैं-
(a) केवल एक युग्म
(b) केवल दो युग्म
(c) केवल तीन युग्म
(d) सभी चार युग्म
उत्तर : (c)
Source: Indian Express
बादल फटना
- मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जब एक जगह पर अचानक एकसाथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, यह लगभग 20-30 वर्ग किमी. के भौगोलिक क्षेत्र में 100 मिमी./घंटा से अधिक अप्रत्याशित वर्षा के साथ एक मौसमी घटना है।
- तापमान बढ़ने की दर के हिसाब से हिमालय के इलाके में बादल फटने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। बादल फटने की बढ़ती घटनाओं के चलते अचानकर बाढ़ आना, पहाड़ दरकना, मिट्टी का कटान और जमीन धंसने के मामले भी बढ़ते जाएंगे।
- इसके परिणामस्वरूप पहाड़ी क्षेत्रों तथा शहरों में अचानक बाढ़ आ जाती है।
- वर्ष 2017 में किये गए अध्ययन के अनुसार, भारतीय हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने की अधिकतर घटनाएँ जुलाई तथा अगस्त माह में हुई हैं।
अचानक क्यों फट जाते हैं बादल?
- कहीं भी बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं। वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है। फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है। बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार बारिश हो सकती है।
पहाड़ों पर अक्सर क्यों फटते हैं बादल?
- पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों फंस जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते।
- पहाड़ों पर अमूमन 15 किमी की ऊंचाई पर बादल फटते हैं। पहाड़ों पर बादल फटने से इतनी तेज बारिश होती है जो सैलाब बन जाती है।
- पहाड़ों पर पानी रूकता नहीं इसलिए तेजी से पानी नीचे आता है। नीचे आने वाला पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थरों के टुकड़े ले आता है।
- बारिश या तेज बारिश का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, लेकिन बादल फटने का नहीं।
बादल फटना: जलवायु परिवर्तन से संबंध
- डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जुलाई 2021 तक हिमालयी क्षेत्र में कम से कम 26 बार बादल फटने की घटना हुई है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते वैश्विक समुद्री तापमान के कारण महासागर तेजी से गर्म हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप नमी युक्त हवा हिमालयी क्षेत्र में पहुंच रही है, जिसकी वजह से बादल फट रहे हैं।
Question of Day
प्रश्न. बादल फटने के परिणामस्वरूप होने वाली घटनाओं में शामिल है :
- लैंड कैविंग
- मडफ्लो
- भूस्खलन
- फ्लैश बाढ़
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 2 और 4
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (d)
Source: Indian Express
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिपोर्ट
- अध्ययन के अनुसार, जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए वैश्विक संक्रमणभारत और रूस, ब्राजील और चीन जैसे प्रमुख विकासशील देशों के लिए वित्तीय चुनौतियों का कारण बन सकता है, क्योंकि इन देशो की जीवाश्म ईंधन से राजस्व पर उच्च निर्भरता है।
- रिपोर्ट ब्राजील, रूस, भारत, इंडोनेशिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) में जीवाश्म ईंधन राजस्व पर भारी निर्भरता को उजागर करती है।
- जीवाश्म ईंधन उत्पादन और खपत से सार्वजनिक राजस्व वर्तमान में रूस में सामान्य सरकारी राजस्व का 34%, भारत में 18%, इंडोनेशिया में 16% और चीन में 5% है।
- भारत पेट्रोलियम उत्पादों का शुद्ध आयातक है, लेकिन यह पेट्रोल, डीजल और तेल की खपत से उपकरों और करों के माध्यम से पर्याप्त राजस्व अर्जित करता है।
- इसके अतिरिक्त रिपोर्ट बताती है कि जीवाश्म ईंधन राजस्व में भी बड़ी कटौती करने के बावजूद, अन्य आर्थिक क्षेत्रों को तेजी से विकसित करके बनाए रखा जा सकता है, जैसे: इंडोनेशिया में, सरकार का तेल और गैस राजस्व 2001 में कुल राजस्व का 35% से गिरकर 2019 में 16% हो गया, जबकि देश की जीडीपी वृद्धि और बजट घाटा काफी हद तक अपरिवर्तित रहा।
- ऊर्जा की बढ़ती कीमतों और मांग से जीवाश्म ईंधन उत्पादन और खपत से भारी राजस्व उत्पन्न हो रहा है। इन अस्थायी, अल्पकालिक अप्रत्याशित मुनाफे पर ऊर्जा संक्रमण को फंडिंग देने के लिए कर लगाया जाना चाहिए, जो बदले में, ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ावा देगा, हरित रोजगार पैदा करेगा, आर्थिक विकास में योगदान देगा, और अंततः, सरकारी राजस्व में वृद्धि करेगा।
सतत विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (IISD)
- IISD एक पुरस्कार विजेतास्वतंत्र थिंक टैंक है जो स्थिर जलवायु, टिकाऊ संसाधन प्रबंधन और निष्पक्ष अर्थव्यवस्थाओं के समाधान में तेजी लाने के लिए काम कर रहा है।
- यह एक गैर-लाभकारी संगठन है।
- 1990 में स्थापित और विन्निपेग, कनाडा में स्थित, IISD को फाउंडेशनों, सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र के स्रोतों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
Question of Day
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- सतत विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के अनुसार भारत जीवाश्म ईंधन उत्पादन और खपत से सार्वजनिक राजस्व प्राप्त करने वाला दूसरा देश है।
- वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिये प्रतिबद्ध भारत अपनी 70% ऊर्जा आवश्यकताओं के लिये जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर : (c)
Source: The Hindu
वन संरक्षण नियम 2022
चर्चा में क्यों ?
- केंद्र सरकार के वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन संरक्षण नियम 2022 को नोटिफाई किया।
- नियम में यह संशोधन, अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम या वन अधिकार अधिनियम 2006 से असंगत है।
- इस कानून में सरकारों के लिए जंगलों में रहने वालों की पारंपरिक जमीन पर किसी भी परियोजना को मंजूरी देने से पहले, उन्हें विस्तृत जानकारी देना और पूर्णतया रजामंदी लेना जरूरी था।
- लेकिन अब, सरकार वन्य भूमि का हस्तांतरण और उसकी एवज में वनरोपण की रकम निजी डेवलपर से पहले ही ले सकती है भले ही राज्य सरकार ने वनवासियों के अधिकार सुनश्चित करके उनकी रजामंदी न ली हो।
- नए नियमों के आने से पहले, यह वन मंत्रालय की जिम्मेदारी थी कि वह वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत जंगल को काटने के लिए आकलन और मंजूरी दे।
वनाधिकार क़ानून 2006 (Forest Rights Act 2006)
- यह वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासी जो पीढ़ियों से ऐसे जंगलों में निवास कर रहे हैं, को वन भूमि पर उनके वन अधिकारों को मान्यता देता है।
- इसका आधिकारिक नाम "अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006"है।
- ग्राम सभा को व्यक्तिगत वन अधिकार या सामुदायिक वन अधिकार या दोनों की प्रकृति एवं सीमा निर्धारित करने हेतु प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार है।
इस क़ानून के ज़रिये कौन-कौन से अधिकार दिए गए हैं?
- मालिकाना हक़ - कानून के मुताबिक आदिवासियों या वनवासियों को उस ज़मीन का पट्टा दे दिया जाएगा जिस पर वो खेती कर रहे हैं या लगभग तीन पीढ़ियों या 75 साल से रह रहे हैं।
- वन उत्पादों के इस्तेमाल का अधिकार - लघु वन उपज, चारागाह, और आने जाने के रास्ते के उपयोग का हक़ होगा।
- राहत और विकास से संबंधित अधिकार: वन संरक्षण के लिये प्रतिबंधों के अधीन अवैध बेदखली या जबरन विस्थापन और बुनियादी सुविधाओं के मामले में पुनर्वास का अधिकार शामिल है।
- वन प्रबंधन अधिकार: इसमें किसी भी सामुदायिक वन संसाधन की रक्षा, पुनः उत्थान या संरक्षण या प्रबंधन का अधिकार शामिल है, जिसे वन निवासियों द्वारा स्थायी उपयोग के लिये पारंपरिक रूप से संरक्षित एवं सुरक्षित किया जाता है।
- संवैधानिक प्रावधान का विस्तार:यह संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूचियों के जनादेश का विस्तार करता है जो भूमि या जंगलों जिनमें वे स्वदेशी समुदाय निवास करते हैं, पर उनके दावों को संरक्षण प्रदान करता है।
Question of Day
प्रश्न. वनाधिकार क़ानून 2006 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- इस अधिनियम में केवल सामुदायिक अधिकार जैसे चराई, मछली पकड़ना, और पीवीटीजी के लिए आवास अधिकार, खानाबदोश और देहाती समुदायों के लिए पारंपरिक मौसमी संसाधन पहुंच आदि शामिल हैं।
- अधिनियम के तहत, 5 सदस्य ग्राम समिति एक उच्च अधिकार प्राप्त निकाय है।
- यह वन में रहने वाली अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासियों को बिना किसी सीमा के खेती की गई भूमि पर अधिकार की अनुमति देता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर : (d)
Source: Indian Express
आईएनएस विक्रांत (IAC-1)
चर्चा में क्यों ?
- स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत के समुद्री परीक्षण का चौथा चरण सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। इस दौरान विक्रांत के सभी उपकरणों और प्रणालियों का परीक्षण किया गया।
- INS विक्रांत, अगस्त 2022 तक देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के सम्मान के तौर आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में कमीशन किया जाएगा।
एक विमानवाहक पोत क्या है?
- कैम्ब्रिज डिक्शनरी के अनुसार, "विमानवाहक पोत, एक बड़ा जहाज है जिसकी लंबी, सपाट सतह होती है, जो सैन्य विमानों को ले जाता है और जहां वे उड़ान भरते हैं और उतरते हैं।"
- ब्रिटानिका के अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध के शुरुआती चरणों के दौरान पहली बार युद्ध में वाहक का इस्तेमाल किया गया था।
भारत: एयरक्राफ्ट कैरियर यात्रा
- भारत में एयरक्राफ्ट कैरियर यात्राशुरुआत आईएनएस विक्रांत के साथहुई , जिसने 1961 से 1997 तक भारत की सेवा की और उसके बाद सेंटौर-श्रेणी के वाहक एचएमएस हर्मीस, जिसे आईएनएस विराट के रूप में जाना जाता है, जिसके द्वारा 1987 से 2016 तक भारतीय नौसेना में सेवा प्रदान की गई।
- वर्तमान में, 45,000 टन का आईएनएस विक्रमादित्य जो 2014 में शामिल हुआ था, देश का अकेला विमानवाहक पोत है।
आईएनएस विक्रांत
- INS विक्रांत, जिसे स्वदेशी विमान वाहक (IAC-1)के तौर पर भी जाना जाता है, विमान वाहक पोत कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि, केरल में बनाया जा रहा है।
- लगभग 23,000 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित पोत को नौसेना ने ऐतिहासिक बताया है, क्योंकि इसने भारत को अत्याधुनिक विमान वाहक बनाने की क्षमता वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल कर दिया है।
- इस स्वदेशी विमानवाहक में 30 विमानों का एक वायु घटक होगा, जिसमें स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों के अलावा मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर और जल्द ही नौसेना में शामिल होने वाले MH-60R मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर होंगे।
- इसकी अधिकतम गति तकरीबन 30 समुद्री मील (लगभग 55 किमी. प्रति घंटा) होगी और इसे चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित किया जाएगा। स्वदेशी विमानवाहक एक बार में 18 समुद्री मील (32 किमी. प्रति घंटे) की गति से 7,500 समुद्री मील की दूरी तय करने में सक्षम होगा।
- पोत में ‘शक्ति’नाम का इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट भी मौजूद है।
Question of Day
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- आईएनएस विक्रांत के साथ भारत विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता वाले देशों की लीग में शामिल हो गया है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन शामिल है।
- भारत वर्तमान में दो विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विराट संचालित करता है।
- विक्रांत भारतीय नौसेना द्वारा संचालित होने वाला पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत होगा जिसमे 76% से अधिक सामग्री और उपकरण स्वदेशी हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
Source: The Hindu