शॉर्ट न्यूज़ : 13 अप्रैल , 2024
बजरनी बेनेडिक्टसन - आइसलैंड के नए प्रधान मंत्री
बैशाखी
सुशील शर्मा सतलुज जल विद्युत निगम (SJVN) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त
QS वर्ल्ड युनिवर्सिटी रैंकिंग
विश्व का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क
हिग्स बोसॉन
इक्ष्वाकु युगीन सिक्के
मर्सिनरी स्पाइवेयर
सीडीपी-सुरक्षा
सुल्तान बाथेरी
बजरनी बेनेडिक्टसन - आइसलैंड के नए प्रधान मंत्री
- हाल ही में बजरनी बेनेडिक्टसन को आइसलैंड के नए प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया
- ये इंडिपेंडेंस पार्टी के नेता हैं।
- ये इससे पहले वर्ष 2017 में भी आइसलैंड के प्रधान मंत्री रह चुके हैं
आइसलैंड
- यह उत्तर पश्चिमी यूरोप में एक नार्डिक द्वीपीय देश है।
- यह यूरोप में ब्रिटेन के बाद दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है।
- राजधानी: रेक्याविक (Reykjavík)
- मुद्रा: आइसलैंडिक क्रोना
बैशाखी
- वर्ष 2024 में बैसाखी त्योहार 13 अप्रैल को मनाया जायेगा
- पारम्परिक रूप से यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है।
- सिखों द्वारा इसे खालसा पंथ की स्थापना की याद में मनाया जाता है
- बैसाखी के दिन ही वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई थी
- जलियाँवाला बाग हत्याकांड भी बैसाखी के दिन ही हुआ था
- यह त्यौहार देश के कुछ हिस्सों में फसल कटाई के उत्सव का प्रतीक है।
- यह वैशाख सौर मास का प्रथम दिन होता है।
- यह हिंदू सौर नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है
- देश के विभिन्न हिस्सों में इस त्यौहार को नव वर्ष के त्यौहार के रूप में शीतल, पोहेला बोशाख, बोहाग बिहू, विशु, पुथण्डु आदि के रूप में मनाया जाता है।
सुशील शर्मा सतलुज जल विद्युत निगम (SJVN) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त
- हाल ही में सुशील शर्मा को सतलुज जल विद्युत निगम का अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया
सतलुज जल विद्युत निगम (SJVN)
- यह विद्युत मंत्रालय के नियंत्रण में मिनी रत्न श्रेणी-। सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
- स्थापना - 24 मई, 1988 को भारत सरकार तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम के रूप में
- यह हिमाचल प्रदेश में भारत के सबसे बड़े 1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन (NJHPS) को संचालित कर रहा है।
QS वर्ल्ड युनिवर्सिटी रैंकिंग
- हाल ही में QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024 जारी की गई
- इसे क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) संस्था द्वारा जारी किया जाता है
- यह दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन और गुणवत्ता का मूल्यांकन करती है।
- इसमें 1,559 संस्थानों को शामिल किया गया है।
- मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इस रैंकिंग में पहले स्थान पर है।
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय भारत का सर्वोच्च रैंक वाला विश्वविद्यालय है।
- विकास अध्ययन में यह वैश्विक स्तर पर 20वें स्थान पर है।
- चेन्नई के सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज ने दंत चिकित्सा अध्ययन के लिए वैश्विक स्तर पर 24वां स्थान प्राप्त किया।
- चीन, 101 विश्वविद्यालय के साथ इस रैंकिंग में एशिया का सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश है।
- भारत, चीन के बाद एशिया में दूसरे नंबर पर है
- 69 भारतीय विश्वविद्याल इस रैंकिंग में शामिल हैं
विश्व का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क
- यह पार्क गुजरात के कच्छ जिले के खावड़ा में बनाया जा रहा है।
- इसका निर्माण अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
- यह विश्व का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क है।
- यह 538 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
- यह पार्क फ्रांस की राजधानी पेरिस से लगभग पांच गुना बड़ा है।
- यह एक हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा क्लस्टर है-
- यहाँ सुबह के समय सौर ऊर्जा उत्पन्न की जाएगी
- शाम के समय पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा
- इसकी कुल क्षमता 30 गीगावाट होगी।
- इसमें सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 26 गीगावाट और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी 4 गीगावाट होगी
- यह पार्क दिसंबर 2026 तक पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा
- पूरी तरह से तैयार होने पर इस पार्क से 81 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन होगा
- इस परियोजना से भारत में वार्षिक रूप से लगभग 58 मिलियन टन CO2 के उत्सर्जन में कमी आएगी।
प्रश्न - विश्व के सबसे बड़े रिन्यूएबल एनर्जी पार्क की स्थापना किस राज्य में की जा रही है ?
(a) गुजरात
(b) उत्तर प्रदेश
(c) राजस्थान
(d) मध्य प्रदेश
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हिग्स बोसॉन
वर्ष 2013 के नोबेल पुरस्कार विजेता ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी पीटर हिग्स का निधन हो गया है। इन्होंने हिग्स बोसॉन या गॉड पार्टिकल की खोज की थी।
हिग्स बोसॉन (गॉड पार्टिकल)
- वर्ष 1964 में पीटर हिग्स ने हिग्स बोसॉन के अस्तित्व का सिद्धांत दिया, जोकि हिग्स क्षेत्र से जुड़ा एक मौलिक बल-वाहक कण है। हिग्स क्षेत्र एक क्वांटम क्षेत्र है जो कणों को द्रव्यमान प्रदान करता है और पूरे ब्रह्मांड में मौजूद है।
- इस कण की खोज 4 जुलाई, 2012 को लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) के शोधकर्ताओं ने की, जोकि दुनिया का सबसे शक्तिशाली कण त्वरक है। यह यूरोपीय कण भौतिकी प्रयोगशाला सी.ई.आर.एन. (CERN), स्विट्जरलैंड में स्थित है।
- हिग्स बोसॉन उन 17 मौलिक कणों में से एक है, जो भौतिकी के मानक मॉडल का निर्माण करते है तथा ब्रह्मांड के निर्माण की भौतिकी का वर्णन करते है।
- हिग्स बोसॉन के गुणों को विस्तार से मापना कण भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान में कई रहस्यों की खोज के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें प्राथमिक कणों के द्रव्यमान की भिन्नता से लेकर ब्रह्मांड के भविष्य तक शामिल हैं।
- हिग्स क्षेत्र में हिग्स बोसॉन एक तरंग के रूप में कार्य करता है और अपने कंपन (दोलन) के संदर्भ में अन्य मूलभूत कणों को द्रव्यमान प्रदान करने में मदद करता है।
- CERN के अनुसार, इस कण का द्रव्यमान 125 बिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट है, जो इसे एक प्रोटॉन से 130 गुना बड़ा बनाता है।
- बोसॉन के नाम से जाने जाने वाले उप-परमाण्विक कणों का नाम भारतीय भौतिक विज्ञानी सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर रखा गया है।
इक्ष्वाकु युगीन सिक्के
- हाल ही में, तेलंगाना के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग को सूर्यापेट जिले के फणीगिरी बौद्ध स्थल से सिक्कों का भंडार प्राप्त हुआ है।
- उत्खनन के दौरान मिट्टी के घड़े में मिले ये सिक्के इक्ष्वाकु काल संबंधित हैं और संभवत: तीसरी से चौथी सदी के मध्य के हैं।
- सीसे के इन सिक्कों के अग्र भाग पर हाथी का चिह्न और पृष्ठ भाग पर उज्जैन का चिह्न अंकित है।
- इसके अतिरिक्त उत्खनन स्थल से पत्थर के मोती, कांच के मोती, शंख की चूड़ियों के टुकड़े, प्लास्टर की आकृतियाँ, चूना पत्थर की विकृत मूर्तियाँ, खिलौना गाड़ी का एक पहिया, लोहे की कीलें एवं मृदभांड भी मिले हैं।
फणीगिरी बौद्ध स्थल के बारे में
- फणीगिरी का नाम वहाँ स्थित पहाड़ी के आकार के कारण पड़ा, जो सांप के फन जैसी प्रतीत होती है। संस्कृत में फणी शब्द का अर्थ है ‘सर्प’ और गिरि का अर्थ है ‘पहाड़ी’।
- ऐसा माना जाता है कि फणीगिरि दक्कन के पश्चिम एवं पूर्वी तट को जोड़ने वाले प्राचीन व्यापार मार्ग (दक्षिणापथ) में पहाड़ी की चोटी पर रणनीतिक रूप से स्थित महत्वपूर्ण बौद्ध मठों में से एक है।
- अनुमानत: 1000 ईसा पूर्व से 18वीं सदी ईस्वी तक गांव में जीवंत जीवन था।
अन्य खोज
- पुरातत्व विभाग के अनुसार, पहले की खुदाई के विभिन्न चरणों में यहां महास्तूप, अर्धवृत्ताकार चैत्यगृह, मन्नत स्तूप, स्तंभयुक्त मण्डली हॉल, विहार, विभिन्न स्तरों पर सीढ़ियों वाले मंच, अष्टकोणीय स्तूप चैत्य, 24-स्तंभ वाले मंडपम, गोलाकार चैत्य एवं सांस्कृतिक सामग्रियां जैसे टेराकोटा मोती, अर्ध-कीमती मोती, लोहे की वस्तुएं, ब्राह्मी लेबल शिलालेख व पवित्र अवशेष कास्केट मिली हैं।
- सभी सांस्कृतिक सामग्री पहली शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी सदी ईस्वी तक की बताई जाती हैं।
मर्सिनरी स्पाइवेयर
- IT कंपनी एप्पल ने भारत सहित 92 देशों में ‘मर्सिनरी स्पाइवेयर’ (Mercenary Spyware) के संभावित खतरों के प्रति अपने ग्राहकों को सचेत किया है।
- मर्सिनरी स्पाइवेयर को उपयोगकर्ताओं की जानकारी या सहमति के बिना स्मार्टफोन और अन्य उपकरणों में दूर से प्रवेश करने तथा सिस्टम की सुरक्षा से समझौता करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इन उपकरणों का उपयोग गतिविधियों और संचार की निगरानी करने, निजी डाटा चुराने आदि के लिए किया जाता है।
- कुछ मामलों में सरकारों, ख़ुफ़िया एजेंसियों एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने भी कथित तौर पर मर्सिनरी स्पाइवेयर खरीदा या विकसित किया है, जिससे प्राय: राजनीतिक विरोधियों व कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाता है।
- हैकर्स विभिन्न तकनीकों सहित एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट्स (APT) से मर्सिनरी स्पाइवेयर को सिस्टम में प्रवेश कराते हैं।
- सिस्टम तक पहुंच प्राप्त करने के अन्य तरीकों में ‘जीरो-डे वल्नरेबिलिटी’ (Zero-Day Vulnerability) या ‘जीरो-क्लिक अटैक’ (Zero-click Attack) भी शामिल है।
- यह सिस्टम के सॉफ़्टवेयर में मौजूद कमजोरियों का फायदा उठाकर उपकरणों तक पहुंच प्राप्त करने की प्रक्रिया है जिसे ‘जीरो-डे एक्सप्लॉइटेशन’ कहा जाता है।
- मर्सिनरी स्पाइवेयर निर्माता कंपनियों में NSO ग्रुप (पेगासस स्पाइवेयर), फिनफिशर (फिनस्पाई) एवं हैकिंग टीम (गैलीलियो या रिमोट कंट्रोल सिस्टम) शामिल हैं।
एडवांस्ड परसिस्टेंट थ्रेट (APT)
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APT एक गुप्त साइबर हमला है जिसमें हैकर्स (व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से) किसी नेटवर्क तक अनधिकृत पहुंच प्राप्त करता है और लंबे समय तक अज्ञात रहता है। यह अत्यधिक संवेदनशील डाटा को माइन करने के लिए नेटवर्क पर अवैध तरीके से दीर्घकाल तक रहता है। इस शब्द की परिभाषा पारंपरिक रूप से राष्ट्र-राज्य प्रायोजन से जुड़ी थी किंतु विगत कुछ वर्षों में गैर-राष्ट्र राज्य समूहों के विशिष्ट लक्ष्यों के लिए बड़े पैमाने पर लक्षित घुसपैठ के कई उदाहरण देखे जा सकते हैं।
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मैलवेयर बनाम स्पाइवेयर
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मैलवेयर
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स्पाइवेयर
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- मेलिशियस सॉफ़्टवेयर का संक्षिप्त रूप ‘मैलवेयर’ है।
- इसमें हानिकारक प्रोग्रामों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है जिसमें वायरस, वॉर्म, रैंसमवेयर और बहुत कुछ शामिल हो सकते हैं।
- प्राय: मैलवेयर का लक्ष्य किसी कंप्यूटर सिस्टम या नेटवर्क को बाधित करना, क्षति पहुंचाना या अनधिकृत पहुंच हासिल करना होता है।
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- स्पाइवेयर एक प्रकार का मैलवेयर है जो दूर से ही किसी कंप्यूटर के उपयोग की निगरानी या नियंत्रण कर सकता है।
- इसका उपयोग उपभोक्ताओं को पॉप-अप विज्ञापन भेजने, उनके कंप्यूटर को अवांछित वेबसाइटों पर रीडायरेक्ट करने, उनके इंटरनेट सर्फिंग की निगरानी करने या उनके कीस्ट्रोक्स को रिकॉर्ड करने के लिए किया जा सकता है।
- इनका लक्ष्य अक्सर विज्ञापन उद्देश्यों को पूरा करने या पहचान की चोरी करने के लिए डेटा इकट्ठा करना होता है।
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सीडीपी-सुरक्षा
हाल ही में, सरकार ने क्लस्टर विकास कार्यक्रम (CDP) के तहत बागवानी किसानों को सब्सिडी देने के लिए एक नए डिजिटल प्लेटफॉर्म की घोषणा की। इस प्लेटफॉर्म का नाम ‘सीडीपी-सुरक्षा’ (CDP-SURAKSHA) है।
सीडीपी-सुरक्षा के बार में
- क्या है : मूलतः एक डिजिटल प्लेटफॉर्म
- पूर्ण नाम : क्लस्टर विकास कार्यक्रम : एकीकृत संसाधन आवंटन, ज्ञान एवं सुरक्षित बागवानी सहायता के लिए प्रणाली (Cluster Development Programme : System for Unified Resource Allocation, Knowledge, and Secure Horticulture Assistance)
- कार्य : नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से ई-रूपी (e-RUPI) वाउचर का उपयोग करके किसानों को उनके बैंक खाते में तुरंत सब्सिडी प्रदान करना
- उद्देश्य : भारत के बागवानी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना
- बागवानी कृषि सकल मूल्यवर्धन (GVA) में लगभग एक-तिहाई योगदान देती है।
- कुल बागवानी उत्पादन वर्ष 2010-11 में 240.53 मिलियन टन से वर्ष 2020-21 में 334.60 मिलियन टन हो गया है।
विशेषताएँ
- पीएम-किसान के साथ डाटाबेस का एकीकरण करना
- एन.आई.सी. (NIC) से क्लाउड-आधारित सर्वर स्पेस
- यू.आई.डी.ए.आई. (UIDAI) सत्यापन
- ई- रूपी एकीकरण
- स्थानीय सरकार निर्देशिका (LGD)
- सामग्री प्रबंधन प्रणाली
- जियोटैगिंग एवं जियो-फेंसिंग
सुल्तान बाथेरी
- केरल के वायनाड में स्थित ‘सुल्तान बाथेरी’ का नाम परिवर्तित कर गणपतिवट्टम करने की मांग की हैं।
- सुल्तान बाथेरी पत्थर से निर्मित एक मंदिर है जिसे गणपतिवट्टम के नाम से जाना जाता था।
- विजयनगर राजवंश की प्रचलित स्थापत्य शैली में निर्मित इस मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में वर्तमान तमिलनाडु एवं कर्नाटक के क्षेत्रों से वायनाड में आए जैनियों ने कराया था।
- 18वीं सदी के उत्तरार्ध में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के आक्रमण के दौरान मंदिर आंशिक रूप से नष्ट हो गया था।
- टीपू सुल्तान ने इसे हथियारों के भंडारगृह के रूप में उपयोग किया था।
- लगभग 150 वर्षों तक परित्यक्त रहने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे अपने अधिकार में लेकर राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है।
- समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सुल्तान बाथरी में पूरे वर्ष समशीतोष्ण जलवायु रहती है।