शॉर्ट न्यूज़: 14 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)
आई 2 यू 2 शिखर सम्मेलन:
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना
मध्यस्थता बिल, 2021
जेम्स वेब टेलीस्कोप (James Webb Telescope)
न्यायिक समीक्षा
आई 2 यू 2 शिखर सम्मेलन:
चर्चा में क्यों ?
- भारत, इजराइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात आई2यू2 शिखर सम्मेलन में पहली बार शामिल होने जा रहे हैं। यह सम्मेलन 14 जुलाई को वर्चुअली तरीके से आयोजित किया जाएगा।
- अमेरिका के अनुसार, आई2यू2 से तात्पर्य 'इंटरेक्शन इन अंडरस्टैंडिंग द यूनिवर्स' है।
- इस समूह में 'आई 2' इंडिया और इजरायल के लिए, वहीं 'यू 2' यूएस और यूएई के लिए है।
आई2यू2 को क्यों कहा जा रहा पश्चिम एशिया क्वाड :
- जब अक्टूबर 2021 में आई2यू2 की पहली बैठक हुई थी, तब इसे इंटरनेशनल फोरम फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन का नाम दिया गया था।
- विश्लेषकों द्वारा इसे पश्चिम एशिया क्वाड का नाम दे दिया गया था। इसकी वजह बैठक में शामिल मुद्दे थे। उस दौरान भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई ने समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचा विकास, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और परिवहन से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा की थी।
उद्देश्य :
- जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे छह क्षेत्रों में संयुक्त निवेश को बढावा देना है।
- आई टू यू टू, बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने में निजी क्षेत्र की पूंजी और विशेषज्ञता का इस्तेमाल करने, उद्योगों के लिए कम कार्बन उत्सर्जन के उपाय ढूंढने, जन-स्वास्थ्य में सुधार और उभरती महत्वपूर्ण हरित तकनीक के विकास को बढावा देगा।
Question of the Day
प्रश्न. आई2यू2 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- इस समूह का उद्देश्य सभी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये संयुक्त निवेश को बढावा देना है।
- इस समूह में भारत, इज़राइल, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा यू. के. शामिल हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर : (c)
Source: Indian Express
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना
चर्चा में क्यों ?
- केंद्र के पास देश में बाल श्रम पर कोई डेटा नहीं है और इसका एक कारण राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के लिए बजटीय प्रावधानों का कम होना है।
- श्रम मंत्रालय ने श्रम संबंधी संसद की स्थायी समिति को बताया कि चूंकि 2016 में NCLP को समग्र शिक्षा अभियान में मिला दिया गया था, इसलिए मंत्रालय के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है।
- वर्तमान में उपलब्ध डेटा 2011 की जनगणना का है, जिसके अनुसार देश में दस लाख से अधिक बाल मजदूर हैं।
- यह पहली बार है कि कोई संसदीय पैनल बाल श्रम पर राष्ट्रीय नीति की विस्तृत जांच कर रहा है।
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के बारे में :
- NCLP, 1988 में बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए शुरू की गई थी।
- बाल श्रम उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना कार्यक्रम के तहत 1.50 लाख बच्चों को शामिल करने हेतु 76 बाल श्रम परियोजनाएं स्वीकृत की गयी हैं।
- 57 खतरनाक उद्योगों, ढाबा और घरों में काम करनेवाले बच्चों (9-14 साल की उम्र के) को इस परियोजना के तहत लाया जायेगा।
- इस योजना के तहत जिला स्तर पर कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में 'जिला परियोजना समितियां' स्थापित की जाती हैं, जो परियोजना के कार्यान्वयन की देखरेख करती हैं।
- इस योजना के तहत 9-14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को बाल श्रम से हटाकर NCLP के विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में रखा जाता है, जहां उन्हें औपचारिक शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में लाने से पहले ब्रिज शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, मध्याह्न भोजन, वजीफा, स्वास्थ्य देखभाल आदि प्रदान किया जाता है।
- 5-8 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान के साथ निकट समन्वय के माध्यम से औपचारिक शिक्षा प्रणाली से सीधे जोड़ा जाता है।
- बेहतर निगरानी और कार्यान्वयन के माध्यम से NCLP को सफल बनाने के लिए एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल 'पेंसिल' (Platform for Effective Enforcement for No Child Labour-PENCiL) विकसित किया गया है।
Question of the Day
प्रश्न . राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके कार्यान्वयन के लिये स्थापित जिला परियोजना समितियों को केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा 60:40 के अनुपात वित्तपोषण प्रदान किया जाता है।
- इसके तहत 9-14 आयुवर्ग के बच्चों को विशेष प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर : (b)
Source: The Hindu
मध्यस्थता बिल, 2021
- भारत में, मध्यस्थता के लिए कुछ विशिष्ट कानूनों जैसे कि नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996, कंपनी अधिनियम, 2013, वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 है, किन्तु अभी तक कोई स्टैंडअलोन कानून नहीं है।
मध्यस्थता बिल, 2021: मुख्य विशेषताएं-
- बिल को कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्टैंडिंग कमिटी को भेजा गया है।
- बिल व्यक्तियों से यह अपेक्षा करता है कि वे अदालत या ट्रिब्यूनल के पास जाने से पहले मध्यस्थता के जरिए सिविल या कमर्शियल विवादों को निपटाने का प्रयास करें।
- मध्यस्थता के दो सत्रों के बाद कोई पक्ष मध्यस्थता से हट सकता है।
- मध्यस्थता की प्रक्रिया 180 दिनों के अंदर खत्म हो जानी चाहिए जिसे पक्षों द्वारा 180 दिनों के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
- बिल ऐसे विवादों को सूचीबद्ध करता है जो मध्यस्थता के लिए उपयुक्त नहीं हैं (जैसे क्रिमिनल अपराध के प्रॉसीक्यूशन से जुड़े हुए या तीसरे पक्ष के अधिकारों को प्रभावित करने वाले)।
- केंद्र सरकार इस सूची में संशोधन कर सकती है।
- अगर पक्ष सहमत हैं तो वे मध्यस्थ के रूप में किसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं। अगर ऐसा नहीं है तो वे मध्यस्थता सेवा प्रदाता को आवेदन कर सकते हैं कि वे मध्यस्थों के अपने पैनल से किसी व्यक्ति को नियुक्त करे।
- मध्यस्थता के परिणामस्वरूप होने वाले समझौते बाध्यकारी होंगे और अदालती फैसलों की तरह लागू होंगे।
- बिल अंतररष्ट्रीय मध्यस्थता पर तभी लागू होगा, जब यह भारत में संचालित की जाए। यह भारत से बाहर की गई अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थताओं के परिणामस्वरूप होने वाले समझौतों को लागू करने का प्रावधान नहीं करता।
एप्लिकेबिलिटी: बिल भारत में मध्यस्थता की कार्यवाहियों पर लागू होगा, जहां
- सिर्फ घरेलू पक्ष हैं
- ( कम से कम एक पक्ष विदेशी पार्टी है और वह कमर्शियल विवाद से संबंधित है (यानी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता)
- अगर मध्यस्थता के समझौते में कहा जाता है कि मध्यस्थता इस बिल के अनुसार होगी।
- अगर केंद्र या राज्य सरकार एक पक्ष है, तो बिल निम्नलिखित मामलों में लागू होगा:
(क) कमर्शियल विवाद ।
(ख) सरकार द्वारा अधिसूचित कोई अन्य विवाद।
भारतीय मध्यस्थता परिषद:
- केंद्र सरकार भारतीय मध्यस्थता परिषद की स्थापना करेगी।
- परिषद में एक चेयरपर्सन, दो पूर्णकालिक सदस्य (मध्यस्थता या एडीआर के अनुभव वाले), तीन पदेन सदस्य (विधि सचिव और व्यय सचिव), और एक अल्पकालिक सदस्य (इंडस्ट्री बॉडी से जुड़ा हुआ) होंगे।
- परिषद के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) मध्यस्थों का पंजीकरण ।
(ii) मध्यस्थता सेवा प्रदाताओं और मध्यस्थता संस्थाओं (जो मध्यस्थों को प्रशिक्षित करती और उन्हें सर्टिफिकेट देती है) को मान्यता देना।
मध्यस्थता समझौता करार:
- मध्यस्थता के परिणामस्वरूप समझौते (सामुदायिक मध्यस्थता को छोड़कर) अंतिम, बाध्यकारी होंगे और अदालती फैसलों की तरह लागू होंगे।
- उन्हें निम्नलिखित आधार पर चुनौती दी जा सकती है:
- धोखाधड़ी
- भ्रष्टाचार
- प्रतिरूपण (इनपर्सोनेशन)
- मध्यस्थता के लिए अनुपयुक्त विवादों से संबंधित।
Question of the Day
प्रश्न. मध्यस्थता विधेयक, 2021 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- विधेयक प्री-लिटिगेशन मध्यस्थता में भागीदारी को अनिवार्य बनाता है।
- तीसरे पक्ष के अधिकारों को प्रभावित करने वाले विवाद मध्यस्थता के लिए उपयुक्त नहीं हैं
- मध्यस्थता के परिणामस्वरूप होने वाले समझौते बाध्यकारी होंगे जिन्हें न्यायालयी निर्णयों के समान लागू किया जाएगा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
Source: The Hindu
जेम्स वेब टेलीस्कोप (James Webb Telescope)
चर्चा में क्यों ?
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने ब्रह्मांड की अब तक की 'सबसे साफ' और रंगीन तस्वीर जारी की है।
- NASA की तरफ से जारी की गईं अंतरिक्ष की ये अद्भूत तस्वीरें जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से ली गई हैं।
जेम्स वेब टेलीस्कोप के बारे में :
- इसे नासा, कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था। इसे एरियन रॉकेट से लॉन्च किया गया था।
- 13.7 अरब साल पहले बनी आकाशगंगाओं और तारों को स्कैन करने के लिए इस टेलीस्कोप लॉन्च किया गया है। इस टेलीस्कोप की कीमत 10 अरब डॉलर है।
- यह एक विशाल इन्फ्रारेड टेलीस्कोप है, जो ब्रह्मांड के इतिहास के प्रत्येक चरण का अध्ययन करेगा, जिसमें बिग-बैंग व सौर प्रणालियों का निर्माण आदि शामिल है। इस टेलीस्कोप में लगे एक विशाल दर्पण से अंतरिक्ष में देखना संभव होगा।
- टेलीस्कोप का प्राथमिक दर्पण 18 हेक्सागोनल आकार के दर्पण खंडों से बना हुआ है, जो मधुमक्खी के छत्ते के पैटर्न में एक साथ जुड़े हुए हैं।
वैक्यूम वाष्प निक्षेप तकनीक:
- दर्पण के अवरक्त प्रकाश के प्रतिबिंब को बेहतर बनाने में स्वर्ण मददगार होता है।
- इस दर्पण पर ‘वैक्यूम वाष्प निक्षेप’ (Vacuum Vapour Deposition) नामक तकनीक का प्रयोग करके सोने की परत लेपित की गयी है। इस तकनीक में दर्पणों को एक निर्वात कक्ष में रखकर अल्प मात्रा में सोने के वाष्प को दर्पण पर निक्षेपित किया जाता है।
उद्देश्य:
- यह टेलीस्कोप हबल की दूरबीन से भी आगे देखने में सक्षम होगा। इसके दर्पण IR (इन्फ्रारेड) से जुड़े होते हैं।
- जेम्स वेब टेलीस्कोप पृथ्वी के समान वायुमंडल की खोज करेगा। साथ ही टेलीस्कोप ग्रहों के रासायनिक और भौतिक गुणों को भी मापेगा।
स्थान :
- टेलीस्कोप को एक ऐसी कक्षा में स्थापित किया गया है जो पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। इसे दूसरा लैग्रेंज प्वाइंट L2 कहा जाता है। इसे पृथ्वी की कक्षा में स्थापित नहीं किया गया है।
Question of the Day
प्रश्न. हबल स्पेस टेलीस्कोप के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- यह नासा के ग्रेट ऑब्ज़र्वेटरीज़ प्रोग्राम का हिस्सा है।
- इसे दूसरे लैग्रेंज प्वाइंट L2 के रूप में ज्ञात पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी. दूर एक कक्षा में स्थापित किया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर : (a)
Source: The Hindu
न्यायिक समीक्षा
- न्यायिक समीक्षा की व्यापक शक्ति के कारण भारत के सर्वोच्च न्यायालय को दुनिया का सबसे शक्तिशाली शीर्ष न्यायालय माना जाता है।
- भारतीय संविधान ने अमेरिकी संविधान की तर्ज पर न्यायिक समीक्षा को अपनाया।
- न्यायिक समीक्षा को उस सिद्धांत के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके तहत न्यायपालिका द्वारा कार्यकारी और विधायी कार्यों की समीक्षा की जाती है।
- न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायिका के कार्यों की समीक्षा करने की शक्ति प्राप्त है।
- न्यायिक समीक्षा को संविधान का एक बुनियादी ढांचा माना जाता है (इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण मामला)।
- कानून बनाने की विधायिका की शक्ति पूर्ण नहीं है और ऐसे कानूनों की वैधता और संवैधानिकता अदालतों द्वारा समीक्षा के अधीन है।
- न्यायिक समीक्षा को भारतीय न्यायपालिका की व्याख्यात्मक और पर्यवेक्षक भूमिकाएं भी कहा जाता है।
न्यायिक समीक्षा और संविधान
- अनुच्छेद 13(2) के अनुसार, संघ या राज्य ऐसा कोई कानून नहीं बनाएंगे जो किसी भी मौलिक अधिकारों को छीनता या कम करता है, और उपरोक्त जनादेश के उल्लंघन में बनाया गया कोई भी कानून, उल्लंघन की सीमा तक, शून्य होगा।
- अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने का अधिकार है।
- अनुच्छेद 131 के तहत इसका मूल अधिकार क्षेत्र भी है। अनुच्छेद 132, 133, 134 और 136 के तहत व्यापक अपीलीय शक्ति भी है।
- अनुच्छेद 142 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के पास "ऐसा आदेश देने की शक्ति है जो इसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक है"।
न्यायिक समीक्षा वर्गीकरण
- विधायी कार्यों की समीक्षा: इस समीक्षा का तात्पर्य यह सुनिश्चित करने की शक्ति है कि विधायिका द्वारा पारित कानून संविधान के प्रावधानों के अनुपालन में हैं।
- प्रशासनिक कार्यों की समीक्षा: यह प्रशासनिक एजेंसियों पर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए संवैधानिक अनुशासन लागू करने का एक उपकरण है।
- न्यायिक निर्णयों की समीक्षा: यह गोलकनाथ मामले, बैंक राष्ट्रीयकरण मामले, मिनर्वा मिल्स मामले, प्रिवी पर्स उन्मूलन मामले आदि में देखा जा सकता है।
Question of the Day
प्रश्न. न्यायिक समीक्षा के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- यह सिद्धांत प्रत्येक व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को संरक्षित करने के लिये उचित और न्यायपूर्ण कानून की वैद्यता सुनिश्चित करता है।
- इसे केशवानंद भारती मामले में पहली बार संविधान के बुनियादी ढाँचे के रूप में मान्यता प्रदान की गई।
- भारतीय संविधान में यह प्रावधान दक्षिण अफ़्रीका से लिया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
Source: The Hindu