शॉर्ट न्यूज़: 15 दिसंबर, 2020
नैरोबैंड-इंटरनेट ऑफ थिंग्स
अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली
पॉज़िटिव पे सिस्टम (Positive Pay System)
नैरोबैंड-इंटरनेट ऑफ थिंग्स
संदर्भ
हाल ही में, बी.एस.एन.एल. ने देश भर में लाखों असम्बद्ध मशीनों, सेंसर और औद्योगिक आई.ओ.टी. (IoT) उपकरणों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये दुनिया का पहला सबसे बड़ा उपग्रह-आधारित नैरोबैंड-इंटरनेट ऑफ थिंग्स (NB-IoT) लॉन्च किया है।
नैरोबैंड-आई.ओ.टी. (NB-IoT) : प्रमुख बिंदु
- यह एक लो पावर वाइड एरिया (LPWA) तकनीक है, जो वस्तुतः कहीं भी कार्य करने में सक्षम है तथा उपकरणों की विद्युत खपत, स्पेक्ट्रम दक्षता और सिस्टम की क्षमता में भी सुधार करती है।
- नैरोबैंड- आई.ओ.टी. के लिये एक प्रकार का वायरलेस संचार मानक है। यह उन सभी उपकरणों को जोड़ने में सक्षम है, जिन्हें कम मात्रा में डेटा, कम बैंडविड्थ और लम्बी बैटरी लाइफ की आवश्यकता होती है।
- स्काईलोटेक कम्पनी द्वारा विकसित यह तकनीकी समाधान बी.एस.एन.एल. के सैटेलाइट-ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ेगा और भारतीय समुद्रों सहित अखिल भारतीय कवरेज प्रदान करेगा। यह कई अन्य उपकरणों को इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जोड़कर नए अनुप्रयोगों को वास्तविकता प्रदान करेगा।
- चूँकि यह लाइसेंस प्राप्त स्पेक्ट्रम में संचालित होता है इसलिये यह सेवा की गुणवत्ता की गारंटी प्रदान करने के लिये सुरक्षित और विश्वसनीय है। पहले से स्थापित मोबाइल नेटवर्क पर यह अधिक सरलता एवं कुशलता से उपकरणों को जोड़ता है तथा सुरक्षित रूप से डेटा का आदान-प्रदान करता है ।
- यह समाधान बी.एस.एन.एल. के विज़न के अनुरूप है, जो ग्राहकों को सस्ती और नवीन दूरसंचार सेवाएँ और उत्पाद प्रदान करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग कर लाभ उठाता है।
- बी.एस.एन.एल. द्वारा यह सेवा मछुआरों एवं किसानों तथा विनिर्माण, खनन व लॉजिस्टिक क्षेत्र की कम्पनियों के साथ की शुरू की जाएगी।
पॉज़िटिव पे सिस्टम (Positive Pay System)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, आर.बी.आई. ने बैंक धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिये एक नई प्रणाली ‘पॉज़िटिव पे सिस्टम’ (Positive Pay System) को लागू करने का फैसला किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह प्रणाली 01 जनवरी, 2021 से पूरे देश में लागू हो जाएगी। पॉज़िटिव पे सिस्टम बड़े भुगतान वाले चेक के विवरणों को फिर से जांचने की प्रक्रिया है। इसे नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- इस नई प्रणाली को लागू करने का उद्देश्य चेक के दुरुपयोग को रोकना है, जिससे फर्जी चेक के ज़रिये होने वाली धोखाधड़ी को कम किया जा सके।
- नई प्रणाली के तहत चेक जारी करने वाला व्यक्ति चेक की जानकारी एस.एम.एस., मोबाइल ऐप, इंटरनेट बैंकिंग और ए.टी.एम. के माध्यम से बैंक को दे सकता है। चेक के भुगातन से पहले इन जानकारियों की दोबारा जाँच व पुष्टि की जाएगी।
- चेक से 50,000 रुपए और इससे अधिक के सभी भुगतान के मामलों में बैंक खाताधारकों के लिये इस नए नियम को लागू करेंगे। हालाँकि इस सुविधा का लाभ लेने का अंतिम निर्णय खाताधारक का होगा। बैंक 5 लाख रुपये और इससे अधिक राशि के चेक के मामले में इसे अनिवार्य कर सकते हैं।