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शॉर्ट न्यूज़: 16 दिसंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 16 दिसंबर, 2020


शेख मुजीबुर रहमान पर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

भारतीय गौर (Indian bison)

प्रोजेक्ट 17A

हिमालयन सीरो


शेख मुजीबुर रहमान पर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

संदर्भ

हाल ही में, यूनेस्को (UNESCO) ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नाम पर एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्रारम्भ करने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • नवम्बर 2021 से शुरू होने वाला यह पुरस्कार ’रचनात्मक अर्थव्यवस्था’ के क्षेत्र में प्रदान किया जाएगा
  • इसके अंतर्गत युवाओं को उनकी वैश्विक आर्थिक पहलों के लिये द्विवार्षिक आधार पर 50 हजार डॉलर का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

उद्देश्य

  • यूनेस्को के अनुसार यह पुरस्कार रचनात्मक उद्यमिता के विकास में सर्वोत्तम अभ्यास को अधिकृत करेगा और उन पर संवाद के द्वारा एक ज्ञान-साझाकरण तंत्र का निर्माण करेगा।
  • साथ ही, यह पुरस्कार विश्व में बंगबंधु की विचारधारा के प्रसार के साथ-साथ रचनात्मक अर्थव्यवस्था के विकास को भी प्रेरित करेगा।

अन्य तथ्य

  • यूनेस्को ने वर्ष 2021 को 'सतत् विकास के लिये रचनात्मक अर्थव्यवस्था का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष' घोषित किया है।
  • विदित है कि वर्तमान में 23 यूनेस्को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों और संगठनों के नाम पर हैं।

भारतीय गौर (Indian bison)

संदर्भ

हाल ही में, पुणे में मानव-पशु संघर्ष के दौरान एक गौर की मृत्यु हो गई।

भारतीय गौर: वास स्थान

  • भारतीय गौर दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के जंगलों की पहाड़ियों और घास वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये मुख्य रूप से भारत, चीन, थाईलैंड, मलेशिया, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल में मिलते हैं।
  • भारत में गौर मुख्य रूप से पश्चिमी घाट, मध्य भारत और उत्तर-पूर्व के जंगलों में पाए जाते हैं। पश्चिमी घाट के वायनाड, नागरहोल, मुदुमलाई, बांदीपुर आदि क्षेत्र गौर के वास स्थान के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
  • महाराष्ट्र में गौर मुख्य रूप से सह्याद्री पर्वतमाला और मध्य प्रदेश से सटे वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

वर्तमान स्थितिindian-bison

  • यह अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में वर्ष 1986 के बाद से 'सुभेद्य' (Vulnerable) श्रेणी में सूचीबद्ध है।
  • भारत सरकार ने इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में शामिल किया है।
  • यह ‘वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय’ (CITES ) की परिशिष्ट-I में सूचीबद्ध है।

अन्य तथ्य

  • भारतीय गौर को इंडियन बाइसन भी कहा जाता है, इसका वैज्ञानिक नाम बोस गौरस (Bos Gaurus) है।
  • गौर स्वभाव से शर्मीले होते हैं। पालतू गौर को 'गायल' या 'मिथुन' कहा जाता है। विदित है कि गौर गोवा और बिहार का राज्य पशु है।

प्रोजेक्ट 17A

संदर्भ

हाल ही में, नौसेना के प्रोजेक्ट 17A के तहत कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा बनाए जा रहे तीन स्टील्थ युद्धपोतों में से पहले युद्धपोत, हिमगिरी का जलावतरण हुआ।

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प्रोजेक्ट 17 A : प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2015 में सरकार द्वारा प्रतिष्ठित 'प्रोजेक्ट 17 A' को मंज़ूरी दी गई थी।
  • इस प्रोजेक्ट में 50,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के सात स्टील्थ युद्धपोतों का निर्माण शामिल है।
  • इन सात युद्धपोतों में से, तीन का अनुबंध जी.आर.एस.ई. को प्रदान किया गया था, जबकि अन्य चार युद्धपोतों का अनुबंध सरकार के स्वामित्व वाली मझगांव डॉक्स लिमिटेड (MDL) को दिया गया था, जो मुम्बई में स्थित है।
  • ये युद्धपोत अत्याधुनिक सेंसरों से लैस होंगे और इनमें सबसे उन्नत स्टील्थ फीचर्स होंगे।
  • ये युद्धपोत इस दशक के भारतीय नौसेना के सबसे उन्नत युद्धपोतों में से हैं, ये ब्रह्मोस मिसाइल, टॉरपीडो और रॉकेटों आदि से भी लैस होंगे।

हिमालयन सीरो

संदर्भ

हाल ही में, हिमाचल प्रदेश की स्पीति वैली में हिमालयन सीरो को देखा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि यह ‘रूपी भाभा वन्यजीव अभयारण्य’ से यहाँ आया है।

himalayan-seaहिमालयन सीरो

  • हिमालयन सीरो बकरी, गधा, गाय और सुअर की प्रजाति का मिला जुला रूप है। ये सामान्यतः 2,000 से 4,000 मीटर की ऊँचाई पर पूर्वी, मध्य और पश्चिमी हिमालय में पाए जाते हैं। लेकिन ये ट्रांस हिमालयन क्षेत्र में नहीं पाए जाते।
  • ये मध्यम आकार के स्तनपायी हैं, जिनकी मोटी गर्दन, लम्बे खच्चर जैसे कान और सम्पूर्ण शरीर पर काले बाल होते हैं।
  • ये शाकाहारी होते हैं, ध्यातव्य है कि सेरो की कई प्रजातियाँ हैं और ये सभी एशिया में ही पाई जाती हैं।

संरक्षण स्थिति

  • आई.यू.सी.एन. के अनुसार, पिछले एक दशक में हिमालयन सीरो की जनसंख्या में कमी आने के साथ ही उनके निवास स्थानों का भी क्षरण हुआ है।
  • शुरुआत में हिमालयन सीरो को आई.यू.सी.एन. की रेड लिस्ट में ‘संकटापन्न’ (Near Threatened) प्रजाति की श्रेणी में रखा गया था, लेकिन अब यह ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) श्रेणी में वर्गीकृत है।
  • यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध है, जो इसे पूर्ण सुरक्षा (Absolute Protection) प्रदान करता है।

रूपी भाभा वन्यजीव अभयारण्य

  • रूपी भाभा वन्यजीव अभयारण्य हिमालय की धौलाधार श्रेणी के श्रीखंड पहाड़ों में स्थित है। इस अभयारण्य का नाम हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले में स्थित रूपी और भाभा घाटियों के नाम पर रखा गया है।
  • यह अभयारण्य स्थानीय रूप से व्यापक अल्पाइन चरागाहों के साथ-साथ कई ट्रेक, पगडंडी और दर्रों के लिये जाना जाता है, जो इसे निकटवर्ती स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और पिन वैली नेशनल पार्क से जोड़ते हैं।
  • इस अभयारण्य में हिम तेंदुआ, हिमालयन ब्राउन बियर, हिमालयन सीरो, हिमालयन ब्लैक बियर, हिमालयन मस्क डियर, ताहर, हिमालयन वेअसेल और ब्लू शीप पाए जाते हैं।

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