शॉर्ट न्यूज़: 16 जुलाई, 2022
राष्ट्रीय महत्व के स्मारक
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को पैनल
आर्यभट्ट-1
राष्ट्रीय महत्व के स्मारक
चर्चा में क्यों
हाल ही में, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय से भारतीय संविधान के जनक एवं महान समाज सुधारक डॉ. आम्बेडकर से जुड़े दो स्थलों एवं राजस्थान में मानगढ़ पहाड़ी को ‘राष्ट्रीय महत्व का स्मारक’ घोषित करने की सिफारिश की है।
आम्बेडकर से जुड़े दो स्थल
- प्राधिकरण ने वडोदरा (गुजरात) स्थित संकल्प भूमि बरगद के पेड़ परिसर को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किये जाने की सिफारिश की है। इसी स्थान पर डॉ. आम्बेडकर ने 23 सितंबर, 1917 को अस्पृश्यता उन्मूलन का संकल्प लिया था। यह स्थान सौ वर्ष से भी अधिक पुराना है, जो डॉ. आम्बेडकर द्वारा शुरू की गई सामाजिक सम्मान क्रांति का गवाह रहा है।
- इसके अतिरिक्त, सतारा (महाराष्ट्र) स्थित प्रताप राव भोसले हाई स्कूल को भी राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किये जाने की सिफारिश की है। इसी स्कूल में आम्बेडकर ने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी।
- ये स्थल सामाजिक सद्भाव और समानता के क्षेत्र में एक बहुमूल्य विरासत है, जिन्हें राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में घोषित व संरक्षित किया जाना चाहिये।
मानगढ़ पहाड़ी
- राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले में स्थित मानगढ़ पहाड़ी वह स्थान है, जहाँ 17 नवंबर 1913 को ब्रिटिश सेना ने 1500 भील आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों पर गोलियां चलाकर मार दिया था।
- इस समय ये आदिवासी विरोध में एक शांतिपूर्ण सभा कर रहे थे, जिसका नेतृत्व गोविंद गुरु द्वारा किया जा रहा था। विदित है कि इस स्थान को आदिवासी जलियांवाला के नाम से भी जाना जाता है।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को पैनल
चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारत को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हेतु वर्ष 2022-2026 तक के लिये यूनेस्को के वर्ष 2003 कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति का सदस्य चुना गया है।
यूनेस्को की 2003 कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति
- 2003 कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति में 24 सदस्य शामिल हैं, जिन्हें चार साल की अवधि के लिये चुना जाता है।
- इस समिति के प्रमुख कार्यों में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के उपायों पर सुझाव देना, अमूर्त विरासत को शामिल करने के लिये राष्ट्रों के अनुरोधों तथा कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं की जाँच करना शामिल है।
- भारत पूर्व में भी इस समिति के सदस्य के रूप में दो कार्यकाल (वर्ष 2006-10 और 2014-2018) पूर्ण कर चुका है। इसके अतिरिक्त, भारत वर्ष 2021-2025 के दौरान यूनेस्को की विश्व विरासत समिति का भी सदस्य नामित है।
- विदित है कि मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में भारत के 14 धरोहरों को शामिल किया गया है। वर्ष 2021 में ‘दुर्गा पूजा’ को इसमें शामिल किया गया था। इसके पश्चात् भारत ने वर्ष 2023 में विचार किये जाने के लिये गुजरात के ‘गरबा’ का नामांकन प्रस्तुत किया है।
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में भारत
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1.
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कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर
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8.
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लद्दाख का बौद्ध जप: ट्रांस-हिमालयी लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ
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2.
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वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा
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9.
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मणिपुर का संकीर्तन, अनुष्ठान गायन, ढोल और नृत्य
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3.
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रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन
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10.
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जंडियाला गुरु (पंजाब) के ठठेरों द्वारा पारंपरिक पीतल और तांबे से बर्तन बनाने का शिल्प
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4.
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रमण, धार्मिक त्योहार और गढ़वाल हिमालय, भारत का अनुष्ठान थियेटर
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11.
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नवरोज़
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5.
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छऊ नृत्य
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12.
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योग
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6.
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राजस्थान के कालबेलिया लोक गीत और नृत्य
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13.
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कुंभ मेला
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7.
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मुदियेट्टू, केरल का अनुष्ठान थिएटर और नृत्य नाटक
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14.
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कोलकाता में दुर्गा पूजा
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आर्यभट्ट-1
चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने अगली पीढ़ी के एनालॉग कंप्यूटिंग चिपसेट बनाने के लिये एक डिज़ाइन फ्रेमवर्क (प्रोटोटाइप) विकसित किया है। इसे आर्यभट-1 नाम दिया गया है।
क्या है आर्यभट्ट-1
![aryabhatta-1](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//aryabhatta-1.jpg)
- आर्यभट-1 से आशय है- एनालॉग रिकॉन्फिगरेबल टेक्नोलॉजी एंड बायस-स्केलेबल हार्डवेयर फॉर ए.आई. टास्क (Analog Reconfigurable Technology And Bias-scalable Hardware for AI Tasks)।
- यह अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में पाए जाने वाले डिजिटल चिप्स की तुलना में तीव्र और विद्युत दक्ष होती है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित एप्लीकेशन में सहायक
- इस प्रकार का चिपसेट अग्रलिखित अनुप्रयोगों में विशेष सहायक हो सकता है-
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित एप्लिकेशन, जैसे- ऑब्जेक्ट या स्पीच रिकग्निशन थिंक एलेक्सा या सिरी (Alexa or Siri),
- या उनके लिये जिन्हें उच्च गति पर बड़े पैमाने पर समानांतर कंप्यूटिंग संचालन की आवश्यकता होती है।
- कंप्यूटिंग सहित अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में डिजिटल चिप्स का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इसकी डिजाइन प्रक्रिया सरल और मापनीय है।
चुनौतियाँ
- डिजिटल कंप्यूटिंग की तुलना में एनालॉग कंप्यूटिंग में बेहतर क्षमता प्रदर्शित होती है, क्योंकि एनालॉग कंप्यूटिंग अधिक ऊर्जा दक्ष है।
- हालाँकि, डिजिटल चिप्स से भिन्न एनालॉग प्रोसेसर का परीक्षण व सह-डिजाइन करना कठिन है।
- चूंकि एनालॉग चिप्स को अगली पीढ़ी की तकनीक या नए एप्लिकेशन में ट्रांजिशन करते समय उन्हें एक-एक करके अनुकूलित करने की आवश्यकता होती है, अत: उनका डिज़ाइन महँगा होता है।
- एनालॉग डिजाइन में शक्ति और क्षेत्र के साथ सटीकता और गति की अदला-बदली करना आसान नहीं होता है।
- डिजिटल डिजाइन में केवल एक ही चिप में लॉजिक यूनिट जैसे अधिक घटकों को जोड़ने से सटीकता बढ़ सकती है। साथ ही, डिवाइस के प्रदर्शन को प्रभावित किये बिना शक्ति (Power) को समायोजित किया जा सकता है।
नवीन ढाँचा
- इन चुनौतियों को दूर करने के लिये आई.आई.एस.सी. की टीम ने एक नया ढाँचा तैयार किया है, जो डिजिटल प्रोसेसर के समान ही बड़े पैमाने पर कार्य कर सकता है।
- इसके चिपसेट को रिकॉन्फ़िगर और प्रोग्राम किया जा सकता है ताकि एक ही एनालॉग मॉड्यूल को विभिन्न पीढ़ियों के डिजाइन व अनुप्रयोगों में प्रयोग किया जा सके।
मशीन लर्निंग आर्किटेक्चर
- शोधकर्ताओं के अनुसार, विभिन्न मशीन लर्निंग आर्किटेक्चर को आर्यभट्ट पर प्रोग्राम किया जा सकता है। यह डिजिटल प्रोसेसर के समान ही विभिन्न प्रकार के तापमान में मजबूती से कार्य कर सकता है।
- वोल्टेज आदि में बदलाव करने पर भी इसका प्रदर्शन पूर्व के समान ही रहता है। इसका अर्थ है कि एक ही चिपसेट को अत्यधिक ऊर्जा दक्ष इंटरनेट ऑफ थिंग्स अनुप्रयोगों के लिये या ऑब्जेक्ट डिटेक्शन जैसे उच्च गति वाले कार्यों के लिये कॉन्फ़िगर किया जा सकता है।