शॉर्ट न्यूज़: 17 नवंबर, 2020
वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व
स्वदेशी इमरजेंसी रिट्रीवल सिस्टम (ई.आर.एस.)
यू.ए.ई. का गोल्डन वीज़ा प्रोग्राम
वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ‘वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व’ (Scientific Social Responsibility: SSR) सम्बंधी नीति को अगले कुछ महीनों में लागू करने की तैयारी कर रही है।
प्रमुख बिंदु
- विश्व विज्ञान दिवस के अवसर पर शांति और विकास के लिये विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी.) तथा यूनेस्को द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वेबिनार में वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व पर व्यापक स्तर पर ज़ोर दिया गया।
- उल्लेखनीय है कि विश्व विज्ञान दिवस हर वर्ष 10 नवम्बर को मनाया जाता है। इस वर्ष विज्ञान दिवस का विषय. ‘विज्ञान, समाज के लिये और समाज के साथ’ (Science For and With Society) है।
- विज्ञान और समाज के बीच नया जुड़ाव विकसित करने हेतु वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व महत्त्वपूर्ण है।
लाभ
- विज्ञान को लोगों तक अधिकाधिक पहुँचाने की आवश्यकता है, जिससे इसका प्रयोग शांति व विकास के लिये एक प्रमुख उपकरण के रूप में किया जा सके। इस प्रकार विज्ञान को समाज से जोड़ने पर विज्ञान व प्रौद्योगिकी दोनों ही शांति तथा विकास के सबसे मज़बूत स्तम्भों में से एक बन सकते हैं।
- समाज के लिये व्यापक पैमाने पर विज्ञान का संचार एक बड़ी चुनौती है, जिसको वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व के माध्यम से दूर किया जा सकेगा। साथ ही, विज्ञान तथा समाज के बीच एक नया इंटरफेस विकसित किया जा सकेगा।
- टीकाकरण, निगरानी व स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ व्यापार व ऑनलाइन कक्षाओं के लिये भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार महत्त्वपूर्ण माध्यम बन गए हैं। अत: समाज और विज्ञान के बीच अंतराल को कम किये जाने की आवश्यकता है, जिसे वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व के माध्यम से किया जा सकेगा।
- वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व के माध्यम से विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी।
- उल्लेखनीय है कि डी.एस.टी. द्वारा ‘किरण कार्यक्रम’ (Knowledge Involvement in Research Advancement through Nurturing) का संचालन किया जाता है, जो महिला वैज्ञानिक कार्यक्रम के माध्यम से विज्ञान में महिलाओं को सशक्त बनाने में उनकी मदद करता है।
स्वदेशी इमरजेंसी रिट्रीवल सिस्टम (ई.आर.एस.)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर.) की चेन्नई स्थित घटक प्रयोगशाला स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर ने ट्रांसमिशन लाइन टॉवरों की विफलता की स्थिति में विद्युत संचरण की त्वरित पुनर्प्राप्ति के लिये एक स्वदेशी तकनीक, इमरजेंसी रिट्रीवल सिस्टम विकसित की है।
क्या है इमरजेंसी रिट्रीवल सिस्टम (ई.आर.एस.)?
- ई.आर.एस. संरचनात्मक रूप से बेहद स्थिर बॉक्स वर्गों से बना एक हल्का मॉड्यूलर सिस्टम है जिसका इस्तेमाल चक्रवात या भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं या मानव जनित व्यवधानों के दौरान ट्रांसमिशन लाइन टॉवरों के गिरने के तुरंत बाद विद्युत आपूर्ति बहाल करने हेतु अस्थाई संरचना के रूप में किया जाता है।
- इस प्रणाली का पुनरुपयोग किया जा सकता है तथा इस सिस्टम को कठोर संरचनात्मक परीक्षणों से सत्यापित किया जाता है। आपदा स्थल पर ई.आर.एस. को असेंबल करने और स्थापित करने के लिये बुनियादी ज्ञान और उपकरण सम्भव है।
प्रणाली का महत्त्व
- वर्तमान में भारत ई.आर.एस. सिस्टम आयात करता है। विश्व में इसके निर्माता सीमित ही हैं, जबकि लागत अपेक्षाकृत अधिक है। यह तकनीकी विकास भारत में पहली बार इस प्रकार के विनिर्माण को सक्षम करेगा जिससे आयात का एक वैकल्पिक मार्ग सुनिश्चित होगा। ई.आर.एस. की भारत के साथ-साथ सार्क और अफ्रीकी देशों के बाज़ार में भी बड़ी माँग है। इसलिये, इस तकनीक का विकास आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की दिशा में एक बड़ी पहल है।
- आपदा स्थल पर 2-3 दिनों में बिजली की अस्थाई बहाली हेतु ई.आर.एस. को तीव्रता से असेंबल किया जा सकता है, जबकि स्थाई बहाली में कई सप्ताह लग जाते हैं। इस प्रणाली का तकनीकी विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि ट्रांसमिशन लाइनों की विफलता लोगों के सामान्य जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित करती है और बिजली कम्पनियों के लिये भारी आर्थिक नुकसान का कारण बनती है।
- इस प्रणाली में ट्रांसमिशन लाइन सिस्टम के विभिन्न वोल्टेज-क्लास के लिये उपयुक्त कॉन्फ़िगरेशन सम्भव हैं। इसे 33 से 800 के.वी. वर्ग की विद्युत लाइनों के लिये स्केलेबल सिस्टम के रूप में डिज़ाइन किया गया है जो आपदा को झेलने के लिहाज से एक सशक्त समाज के निर्माण में सहायता करेगा।
यू.ए.ई. का गोल्डन वीज़ा प्रोग्राम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, संयुक्त अरब अमीरात ने अपनी "गोल्डन" वीज़ा प्रणाली में विस्तार करने की बात कही है। इसमें कुछ पेशेवरों, विशिष्ट डिग्री धारकों और अन्य लोगों के लिये 10 वर्ष तक के निवास का प्रावधान शामिल करना प्रमुख है। ध्यातव्य है कि विगत कुछ समय से संयुक्त अरब अमीरात निवास से जुड़े विभिन्न प्रावधानों में वृहत स्तर पर सुधार कर रहा है और यू.ए.ई. में निवास की सुगमता पर ध्यान दे रहा है।
गोल्डन वीज़ा कार्यक्रम
- यू.ए.ई. द्वारा "गोल्डन वीज़ा" कार्यक्रम मुख्यतः निवेशकों, डॉक्टरों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, छात्रों और कलाकारों जैसी "असाधारण प्रतिभाओं" के लिये शुरू किया गया था।
- वीज़ा की प्रमुख श्रेणियाँ निम्नलिखित हैं :
1) सामान्य निवेशक जिन्हें 10 साल का वीज़ा दिया जाएगा।
2) रियल एस्टेट निवेशक, जो 5 साल के लिये वीज़ा प्राप्त कर सकते हैं।
3) उद्यमी और प्रतिभाशाली पेशेवर, जैसे डॉक्टर, शोधकर्ता आदि 10 वर्ष के लिये वीज़ा प्राप्त कर सकते हैं।
4) उत्कृष्ट छात्रों को भी 5 वर्षों के लिये रेजिडेंसी वीज़ा की अनुमति दी जाएगी।
- वीज़ा अवधि की समाप्ति पर सभी श्रेणियों का नवीनीकरण किया जा सकता है।
भारत के लिये लाभ
- भारतीय प्रवासी समुदाय, यू.ए.ई. में किसी देश का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है, जो यू.ए.ई. की जनसंख्या का लगभग 30% (90 लाख के आसपास) है।
- यू.ए.ई. में रहने वाले अधिकांश भारतीय कार्यरत पेशेवर हैं, लेकिन भारतीय दूतावास के अनुसार, इनमें से लगभग 10% लोग कार्यरत लोगों पर निर्भर परिवार के सदस्य हैं।