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शॉर्ट न्यूज़: 18 नवंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 18 नवंबर, 2020


आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना

परिसम्पत्तियों के मौद्रीकरण पर सलाहकारी सेवा समझौता


आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, सरकार द्वारा रोज़गार प्रोत्साहन हेतु आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना की शुरुआत की गई है।

आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना

  • इस योजना के तहत कोरोना काल में नौकरी गंवाने वाले (15,000 रुपए से कम मासिक वेतन पाने वाले) कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा। योजना की शुरुआत 01 अक्टूबर 2020 से मानी जाएगी।
  • साथ ही इसके अंतर्गत रोज़गार पाने वाले नए लोगों को भी कवर किया जाएगा जो पहले से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत कवर नहीं थे।
  • योजना का उद्देश्य नए रोज़गारों को प्रोत्साहन देने के साथ ही नयी भर्तियाँ करने वाली एजेंसियों या प्रतिष्ठानों को सब्सिडी प्रदान करना है।
  • 1,000 कर्मचारियों के साथ कार्यरत संस्था को केंद्र सरकार द्वारा रिटायरमेंट फण्ड में आगामी 2 वर्षों तक कर्मचारी और नियोक्ता के योगदान का 12% हिस्सा सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा जबकि 1000 से अधिक कर्मचारियों वाली संस्थाओं में केंद्र केवल कर्मचारी के हिस्से का 12% देगा।


परिसम्पत्तियों के मौद्रीकरण पर सलाहकारी सेवा समझौता

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में, निवेश और लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से सम्बंधित सलाहकारी सेवाओं के लिये विश्व बैंक के साथ समझौता किया है।
  • वित्त मंत्रालय द्वारा विश्व बैंक के इस सलाहकारी प्रोजेक्ट को स्वीकृत प्रदान की गई है।

उद्देश्य

  • इसका उद्देश्य भारत में मौजूद सार्वजनिक परिसम्पत्तियों का मूल्यांकन करना है।
  • साथ ही उनके लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर दिशा-निर्देश तैयार करना है। यह दिशा-निर्देश संस्थाओं और विभिन्न बिजनेस मॉडलों के लिये मानक के रूप में कार्य करेंगे, जिससे कि संस्थाओं की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी हो सके।
  • इस प्रोजेक्ट के ज़रिये केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों की गैर-ज़रूरी परिसम्पत्तियों की विनिवेश प्रक्रियाओं को प्रारम्भ कर उसमें तेज़ी लाना है, जिससे कि परिसम्पत्तियों का बेहतर मूल्यांकन हो सके। साथ ही विनिवेश के तहत मिलने वाली पूँजी का नए निवेश और विकास के लिये प्रयोग किया जा सके।

डी.आई.पी.ए.एम. (दीपम)

  • डी.आई.पी.ए.एम, रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया के तहत भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों के नॉन कोर एसेट (गैर जरूरी परिसम्पत्तियों) और शत्रु सम्पत्तियों के (100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की मूल्य वाली) मौद्रीकरण की सुविधा और बिक्री की ज़िम्मेदारी सम्भालता है।
  • इसके लिये यह अपने फ्रेमवर्क के आधार पर विनिवेश प्रक्रिया को पूरा करता है।

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