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शॉर्ट न्यूज़: 19 अप्रैल, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 19 अप्रैल, 2022


पदोन्नति में आरक्षण के नए मानदंड

दूरसंचार क्षेत्र में आई.पी.आर. को बढ़ावा 

रक्षा सहयोग पर भारत-फ्रांस वार्ता


पदोन्नति में आरक्षण के नए मानदंड

चर्चा में क्यों

हाल ही में, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने केंद्र सरकार के सभी विभागों को सरकारी कार्यालयों में पदोन्नति में आरक्षण की नीति लागू करने से पहले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व का डाटा एकत्र करने के निर्देश दिये है।

प्रमुख बिंदु

  • इससे केंद्रीय सचिवालय सेवा (CSS) के अधिकारियों को लाभ होने की संभावना है, जिन्हें पिछले छह वर्षों से पदोन्नत नहीं किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि सी.एस.एस. में केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में मध्य से लेकर वरिष्ठ प्रबंधन रैंक के अधिकारी शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने प्रतिनिधत्व संबंधी वास्तविक आँकड़ें एकत्रित किये बिना अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिये पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के मानदंड में किसी प्रकार की छूट देने से इनकार कर दिया था।
  • साथ भी, इसके लिये कोई भी मानदंड निर्धारित करने से इनकार करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का निर्धारण राज्य का विवेक है।  

पदोन्नति में आरक्षण की प्रक्रिया 

हाल ही में, डी.ओ.पी.टी. ने केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों में भेजे ज्ञापन में पदोन्नति के मामले में आरक्षण लागू करने से पहले अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित की है, जो इस प्रकार है- 

  • अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के संबंध में मात्रात्मक डाटा का संग्रह।
  • प्रत्येक संवर्ग (Cadre) के लिये अलग से इस डाटा का अनुप्रयोग।
  • यदि कोई रोस्टर मौजूद है, तो रोस्टर के संचालन की इकाई संवर्ग होनी चाहिये या रोस्टर में रिक्तियों को भरने के संबंध में मात्रात्मक डाटा एकत्र और लागू किया जाना चाहिये।

दूरसंचार क्षेत्र में आई.पी.आर. को बढ़ावा 

चर्चा में क्यों

हाल ही में जारी ‘राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति मसौदे (DNDCP)’ में दूरसंचार उद्योग में सार्वभौमिक रूप से बदलाव लाने की बात कही गई है। यह बौद्धिक संपदा अधिकार को बढ़ावा देने के लिये एक रणनीतिक रोडमैप की बात करता है।

प्रमुख बिंदु

  • इस मसौदे में भारत के दूरसंचार उद्योग से संबंधित बुनियादी ढाँचा, सेवा और सुरक्षा के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर प्रभाव जैसे व्यापक दृष्टिकोण को शामिल किया गया है
  • सैटेलाइट संचार को विनियंत्रित करने, वाई-फाई की क्षमता का अधिकतम प्रयोग करने आदि के संदर्भ में डी.एन.डी.सी.पी. वस्तुत: 'सभी के लिये ब्रॉडबैंड' जैसी पहल के लिये एक प्रभावी कदम हो सकता है।
  • इस मसौदे में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), 5G और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे भविष्य के नवाचारों को अपनाने पर जोर दिया गया है।

बौद्धिक संपदा अधिकार और रोडमैप

  • विदित है कि भारत सरकार ने वर्ष 2016 में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (NIPRP) जारी की, जो आई.पी.आर. (IPR) कानूनों को सख्त करने और उसे लागू करने पर केंद्रित थी। 
  • आई.पी.आर. का संरक्षण और व्यावसायीकरण भारत सरकार की विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आई.पी.आर. की सुरक्षा के संबंध में भारत की छवि बहुत अच्छी नहीं रही है और यह इंडोनेशिया, नाइजीरिया, यूक्रेन और वियतनाम जैसे देशों से भी पीछे रहा है।
  • वर्तमान मसौदे में दूरसंचार उद्योग में अनुसंधान एवं विकास रणनीति खंड के तहत आई.पी.आर. को कवर किया गया है। विशेष रूप से इसमें एन.आई.पी.आर.पी. में डिजिटल संचार से संबंधित कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क से संबंधित कानूनी व्यवस्था की समीक्षा का भी उल्लेख है।

रक्षा सहयोग पर भारत-फ्रांस वार्ता

चर्चा में क्यों

भारत-फ्रांस संयुक्त अधिकारी वार्ता का 20वां संस्करण 12-13 अप्रैल, 2022 को फ्रांस के पेरिस में आयोजित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • इस दो दिवसीय वार्ता में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में नई पहलों और रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • उल्लेखनीय है कि भारत-फ्रांस संयुक्त अधिकारी वार्ता बैठक रणनीतिक और परिचालन स्तरों पर नियमित चर्चा के माध्यम से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिये स्थापित किया गया एक मंच है।

नीली अर्थव्यवस्था के लिये रोडमैप

  • यह वार्ता दोनों देशों के मध्य नीली अर्थव्यवस्था पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिये फ़रवरी में हस्ताक्षरित रोडमैप के बाद संपन्न हुई है। 
  • इस रोडमैप का उद्देश्य कानून के आधार पर महासागरीय शासन की एक सामान्य दृष्टि विकसित करने के साथ-साथ टिकाऊ तथा लचीले तटीय व जलमार्ग बुनियादी ढांचे पर सहयोग करना है।
  • रोडमैप के दायरे में समुद्री व्यापार, नौसेना उद्योग, मत्स्य पालन, समुद्री प्रौद्योगिकी एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ महासागरीय अवलोकन, समुद्री जैव विविधता, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र आधारित प्रबंधन व एकीकृत तटीय प्रबंधन शामिल है। 
  • साथ ही, इसमें समुद्री पारिस्थितिकी पर्यटन, अंतर्देशीय जलमार्ग, नागरिक समुद्री मुद्दों पर सक्षम प्रशासनों के बीच सहयोग के अतिरिक्त समुद्री स्थानिक योजना और समुद्र के अंतर्राष्ट्रीय कानून व संबंधित बहुपक्षीय वार्ता शामिल है।

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