शॉर्ट न्यूज़: 19 जुलाई, 2022
काई चटनी : एक सुपरफूड
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर
चेट्टीकुलम प्याज
काई चटनी : एक सुपरफूड
चर्चा में क्यों
ओडिशा के मयूरभंज ज़िले की ‘काई चटनी’ को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) देने की माँग की जा रही है। यह चटनी लाल बुनकर चींटियों से बनी होती है।
प्रमुख बिंदु
![kai-chutney](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//kai-chutney.jpg)
- लाल बुनकर चींटियों (Red Weaver Ants) का वैज्ञानिक नाम ‘ओकोफिला स्मार्गडीना’ (Oecophylla Smaragdina) है। मयूरभंज ज़िले में बहुतायत से पाई जाने वाली ये चींटियाँ पेड़ों की पत्तियों से घोंसला बनाती हैं।
- बुनकर चींटियाँ ओडिशा के मयूरभंज जिले में अधिकांश जनजातियों के बीच लोकप्रिय हैं, जो ‘काई चटनी’ के रूप में इनका उपयोग करते हैं।
- इस चटनी को मसालों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है और आदिवासियों द्वारा इसे स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है। इसे जी.आई. टैग मिलने से इसके मूल्य में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय लोगों को आजीविका में मदद मिलेगी।
औषधीय गुण
- यह चटनी प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी-12, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, कॉपर, फाइबर तथा 18 अमीनो अम्ल से भरपूर होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को मज़बूत करती है।
- काई चटनी का प्रयोग खाने के अलावा औषधीय रूपों में भी किया जाता है। इसका उपयोग पीलिया, सामान्य जुखाम, जोड़ों के दर्द और काली खाँसी के उपचार तथा भूख बढ़ाने, स्वस्थ मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास आदि के लिये किया जाता है।
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर
चर्चा में क्यों
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (Large Hadron Collider) ने 5 जुलाई, 2022 से अभी तक के ज्ञात सबसे छोटे कण प्रोटॉन को तोड़ने का कार्य प्रारंभ कर दिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी सहायता से भौतिकी के मूलभूत सवालों के जवाब मिल सकते हैं।
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर
- लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) एक विशाल एवं जटिल मशीन है। इसे भौतिकी के मौलिक कणों या सबसे छोटे ज्ञात निर्माण ब्लॉक कणों का अध्ययन करने के लिये बनाया गया है।
- संरचनात्मक रूप से यह 27 किमी. लंबी ट्यूब के समान है, जो स्विट्ज़रलैंड और फ्रांस की सीमा पर 100 मीटर की गहराई पर स्थित है।
- यह विश्व का सबसे शक्तिशाली पार्टिकल कोलाइडर है।
पृष्ठभूमि
- 4 जुलाई, 2012 को सर्न (CERN) के वैज्ञानिकों ने एल.एच.सी. के पहले चरण के दौरान हिग्स बोसोन या 'गॉड पार्टिकल' की खोज की घोषणा की थी।
- इसके कारण पीटर हिग्स और उनके सहयोगी फ्रांस्वा एंगलर्ट को वर्ष 2013 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। माना जाता है कि हिग्स बोसोन और इससे संबंधित ऊर्जा क्षेत्र ने ब्रह्मांड के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- एल.एच.सी. के वर्तमान चरण (तीसरा चरण) में ब्रह्मांड के सबसे प्राथमिक निर्माण खंडों और उनके बीच के संबंधों का अध्ययन करने तथा ‘डार्क मैटर’ को समझने में सहायता मिलेगी।
- डाटा के विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिक 'नई भौतिकी' या कण भौतिकी के मानक मॉडल के अतिरिक्त नए साक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं। इसके निष्कर्ष यह समझाने में सहायक होंगे कि किस प्रकार चार मूलभूत बलों की सहायता से निर्मित पदार्थ के बुनियादी निर्माण खंड आपस में अभिक्रिया करते हैं।
हिग्स बोसोन
- हिग्स बोसोन, हिग्स क्षेत्र से जुड़ा मूलभूत कण है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो अन्य मूलभूत कणों,जैसे- इलेक्ट्रॉनों और क्वार्कों को द्रव्यमान प्रदान करता है।
- हिग्स बोसॉन का प्रस्ताव वर्ष 1964 में पीटर हिग्स, फ्रांकोइस एंगलर्ट और चार अन्य वैज्ञानिकों ने दिया और यह स्पष्ट किया कि निश्चित कणों में द्रव्यमान क्यों होता है। वैज्ञानिकों ने वर्ष 2012 में एल.एच.सी. की सहायता से इसकी पुष्टि की थी।
- विदित है कि सभी मूलभूत कणों में द्रव्यमान नहीं होता है। उदाहरण के लिये विद्युत चुम्बकीय बल का वहन करने वाले फोटॉन कण का कोई द्रव्यमान नहीं होता है।
चेट्टीकुलम प्याज
चर्चा में क्यों
तमिलनाडु में ‘चेट्टीकुलम छोटे प्याज’ के लिये भौगोलिक संकेतक (GI tag) देने की माँग की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- इस प्याज की खेती पेरम्बलूर जिले के चेट्टीकुलम गाँव में की जाती है। यहाँ प्रतिवर्ष 12,500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 70,000 टन छोटे प्याज का उत्पादन होता है।
- इस क्षेत्र में उच्च सल्फर की उपस्थिति के कारण प्याज का स्वाद अत्यधिक तीखा होता है।
- इस प्याज की भंडारण एवं उपयोग की अवधि आठ से नौ माह होती है।
- वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की पूर्ति के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा 'मिशन प्याज कार्यक्रम' पर कार्य किया जा रहा है।