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शॉर्ट न्यूज़: 2 मार्च , 2021

शॉर्ट न्यूज़: 2 मार्च , 2021


पोंपेई में रथ की खोज

स्टॉकहोम +50

न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड का प्रथम मिशन


पोंपेई में रथ की खोज

संदर्भ

हाल ही में, पोंपेई (इटली) में पुरातत्वविदों को खुदाई के दौरान एक विशाल रथ प्राप्त हुआ है। चार पहियों वाले इस रथ में लोहे के पुर्जे, कांस्य व टिन की सजावट तथा लकड़ी के अवशेष प्राप्त हुए हैं। साथ ही,कार्बनिक पदार्थों के निशान भी रथ पर पाए गए हैं। 

प्रमुख बिंदु

  • ऐसा अनुमान है किरोमन कुलीन वर्ग द्वारा विभिन्न समारोहों के दौरान रथ को वाहन के रूप में प्रयोग किया जाता था।
  • उत्कृष्ट स्थिति में प्राप्त किये गए इस रथ को असाधारण खोज माना जा रहा है क्योंकि इससे पूर्व इस तरह की कोई भी खोज इटली में नहीं हुई थी।
  • यह रथ इस वजह से भी विशिष्ट है क्योंकि यह कृषि उत्पादों या दैनिक जीवन की गतिविधियों के लिये प्रयोग किया जाने वाला रथ नहीं है। 

पोंपेई शहर

  • पोंपेई, दक्षिणी इटली के कैम्पानिया क्षेत्र में नेपल्स की खाड़ी पर स्थित एक रोमन शहर था। छठी - सातवीं शताब्दी ई.पू. में इस शहर की स्थापना की गई थी।
  • चौथी शताब्दी ई.पू. में यह रोम के प्रभुत्व में आया और 80 ई.पू. मे यह एक रोमन उपनिवेश बन गया।
  • लगभग 2,000 वर्ष पूर्व 79 ई. में माउंट विसुवियस के विस्फोट के बाद यह शहर ज्वालामुखीय राख से दब कर पूरी तरह से नष्ट हो गया था। यह माउंट विसुवियस से मात्र 8 किमी. की दूरी पर अवस्थित है।
  • वर्ष 1599 के करीब इस शहर को पुनः स्थापित किया गया तथा वर्तमान में यह इटली का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
  • इस शहर को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। 

पोंपेई में अन्य खोजें

  • इससे पूर्व, शोधकर्ताओं ने पोंपेई मेंगर्म पेय और फास्टफूड काउंटर, थर्मोपोलियम का पता लगाया था।काउंटर, पक्षियों के चमकीले रंग के भित्तिचित्र और समुद्र के निचले भाग की तस्वीर से सज़ा हुआ था। इसके अतिरिक्त,लाल शिखा और भूरे पंख वाली एक मुर्गी भी काउंटर पर चित्रित थी।
  • नवंबर 2020 में, इतालवी संस्कृति मंत्रालय ने दो पुरुषों के अवशेषों की खोज भी की थी, जो ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान मारे गए थे।

स्टॉकहोम +50

‘स्टॉकहोम +50’एक उच्च-स्तरीय बैठक है,जिसका आयोजन‘ मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन (स्टॉकहोम सम्मेलन, 1972) की 50 वीं वर्षगांठ पर स्वीडन सरकार द्वारा किया जाएगा।

स्टॉकहोम सम्मेलन, 1972

  • मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, जिसे स्टॉकहोम सम्मेलन भी कहा जाता है, पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र का पहला सम्मेलन था। इसे स्टॉकहोम में 5 से 16 जून 1972 के बीच आयोजित किया गया था।
  • बैठक के परिणामी दस्तावेज (स्टॉकहोम घोषणा) में कई ऐसे सिद्धांत शामिल थे जो पर्यावरण प्रबंधन के लिये अभी भी महत्त्वपूर्ण हैं।
  • बैठक के कुछ प्रमुख परिणाम, 1) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यू.एन.ई.पी.) की स्थापना तथा 2) हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस आयोजित करना, थे।
  • उस वक़्तचिंताएँ मुख्यतः स्थानीय पर्यावरण से जुड़ी हुई थीं; जलवायु परिवर्तन या ओज़ोन परत के क्षरण से जुड़ी कोई बात नहीं की गई थी।
  • सम्मेलन में मुख्यतः, पर्यावरण में फ़ैल रही विषाक्तता (जल एवं वायु प्रदूषण) पर चर्चा की गई थी।
  • पर्यावरण प्रदूषण अभी भी चिंता का विषय है, क्योंकि देशों ने स्थानीय स्तर पर स्वच्छता की दिशा में तो कार्य किया लेकिन वैश्विक वातावरण को वृहत रूप से प्रदूषित कर दिया।

स्टॉकहोम + 50 से उम्मीदें

  • स्टॉकहोम +50 का उद्देश्य पर्यावरण संतुलन की दिशा में एक ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करना है।
  • इसका उद्देश्य जलवायु-तटस्थ, लचीली और समावेशी अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के लिये उत्पादन पैटर्न और प्रकृति-आधारित समाधानों को लक्षित करना है।
  • इच्छुक सरकारों और अन्य साझेदारों के साथ इन लक्ष्यों पर कार्य किया जाएगा।

न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड का प्रथम मिशन

संदर्भ

हाल ही में, इसरो ने वर्ष 2021 के पहले प्रक्षेपण में ब्राजील के ‘प्रकाशीय पृथ्वी अवलोकन उपग्रह : अमेज़ोनिया-1’ के साथ-साथ 18 अन्य उपग्रहों को लांच किया, जिसमें से 5 भारत के और 13 अमेरिका के हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इन उपग्रहों को श्रीहरिकोटा से पी.एस.एल.वी.- सी.51 रॉकेट से लाँच किया गया, जो पी.एस.एल.वी. का 53वाँ मिशन है। गौरतलब है कि ‘अमेज़ोनिया-1’ अमेज़न क्षेत्र में निर्वनीकरण की निगरानी करेगा।
  • भारत सरकार द्वारा घोषित नए संसथान ‘न्यू स्पेस इंडिया लि.’ का यह पहला समर्पित मिशन है। ध्यातव्य है कि इसरो की पूर्व विपणन कंपनी ‘एंट्रिक्स’ देवास सौदे में विवादों का सामना कर रही है।
  • उल्लेखनीय है कि इसरो ने अब तक 34 देशों के 342 विदेशी उपग्रहों को लाँच किया है। साथ ही, इसरो ने इस वर्ष 14 अन्य मिशनों की भी योजना बनाई है, जिसमें भारत का पहला मानव रहित मिशन भी शामिल है।

भारतीय उपग्रह

  • पाँच भारतीय उपग्रहों में स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा निर्मित एक नैनो-उपग्रह शामिल है। इसका उद्देश्य विकिरण स्तर और अंतरिक्षीय मौसम के अध्ययन के साथ-साथ लंबी दूरी की संचार प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है।
  • आत्मनिर्भर पहल तथा अंतरिक्ष निजीकरण के लिये एकजुटता दिखाने के लिये स्पेस किड्ज़ इंडिया द्वारा विकसित उपग्रह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर उत्कीर्ण की गई है।
  • इसके अतिरिक्त, रेडियो रिले सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से ‘यूनिटीसैट’ (UNITYsat) को लाँच किया गया है, जो तीन उपग्रहों का एक संयोजन है। पाँचवाँ उपग्रह डी.आर.ड़ी.ओ. से संबंधित है।

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