शॉर्ट न्यूज़: 21 फ़रवरी, 2022
गोबर-धन संयंत्र से आसन होती स्वच्छ उर्जा की राह
नई जैव-प्रौद्योगिकी नीति
गोबर-धन संयंत्र से आसन होती स्वच्छ उर्जा की राह
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, प्रधानमंत्री ने इंदौर में ठोस अपशिष्ट आधारित ‘गोबर-धन (बायो-सी.एन.जी.) संयंत्र’ का उद्घाटन किया।
स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 और गोबर-धन संयंत्र
- अक्तूबर 2021 में ‘कचरा मुक्त शहर’ बनाने के समग्र दृष्टिकोण के साथ स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 का शुभारंभ किया गया। इसे ‘वेस्ट टू वेल्थ’ (Waste to Wealth) और ‘वृत्तीय अर्थव्यस्था’ (Circular Economy) के सिद्धांतों के अंतर्गत लागू किया जा रहा है ताकि अपशिष्ट से संपदा तथा संसाधनों की अधिकतम पुन: प्राप्ति की जा सके।
- विदित है कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में अधिकांश भारतीय शहरों को जल समृद्ध (वाटर प्लस) बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
- इंदौर के बायो-सी.एन.जी. संयंत्र में इन दोनों सिद्धांतों का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें प्रतिदिन 550 टन अलग किये हुए गीले जैविक कचरे को संसाधित करने की क्षमता है। साथ ही, इससे प्रतिदिन लगभग 17,000 किग्रा. सी.एन.जी. और प्रतिदिन 100 टन जैविक खाद का उत्पादन होने की उम्मीद है।
- आने वाले दो वर्षों में 75 बड़े नगर निकायों में गोबर-धन (बायो-सी.एन.जी.) संयंत्र स्थापित किए जाएँगे।
- वर्ष 2014 से देश की कचरा निपटान क्षमता में 4 गुना वृद्धि हुई है।
ज़ीरो लैंडफिल मॉडल
- ये संयंत्र ‘ज़ीरो लैंडफिल मॉडल’ पर आधारित है, अर्थात् इसमें कोई रद्दी (रिजेक्ट्स) पैदा नहीं होगी। साथ ही, इस परियोजना से कई पर्यावरण संबंधी लाभ होने की उम्मीद है, जैसे- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी होने के साथ-साथ उर्वरक के रूप में जैविक खाद और हरित ऊर्जा प्राप्त होगी।
- इस परियोजना को लागू करने के लिये इंदौर क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नामक एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) बनाया गया है। इसे निजी-सार्वजनिक भागीदारी मॉडल के तहत इंदौर नगर निगम और इंडो-एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस लिमिटेड ने स्थापित किया है।
- इंदौर नगर निगम इस संयंत्र द्वारा उत्पादित सी.एन.जी. का न्यूनतम 50% खरीदेगा और उसका प्रयोग 400 सी.एन.जी. आधारित सिटी बस चलाने में करेगा। जैविक खाद का प्रयोग कृषि और बागवानी जैसे उद्देश्यों के लिये रासायनिक उर्वरकों की जगह किया जाएगा।
नई जैव-प्रौद्योगिकी नीति
चर्चा में क्यों
हाल ही में, गुजरात सरकार ने नई ‘जैव-प्रौद्योगिकी नीति’ (New Biotech Policy) की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- इस नीति की परिचालन अवधि वर्ष 2022 से 2027 तक है। इस नीति के अनुसार कुल पूंजीगत व्यय का 25% (अधिकतम 200 करोड़ रुपए) तक और कुल परिचालन लागत का 15% (अधिकतम 25 करोड़ रुपए) तक सहायता प्रदान की जाएगी।
- नीति के अनुसार 200 करोड़ रुपए से कम की पूंजी निवेश वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को 40 करोड़ रुपए की अधिकतम सहायता दी जाएगी। उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिये नीति में बिजली शुल्क पर 100% प्रतिपूर्ति का भी प्रावधान है।
उद्देश्य
- इस नीति का उद्देश्य 1.20 लाख रोजगार के अवसर पैदा करना तथा गुजरात को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त ‘जैव प्रौद्योगिकी हब’ बनाना है।
- नई नीति विभिन्न हितधारकों, जैसे- गैर सरकारी संगठनों, वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों और उद्योगों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देगी। नीति का उद्देश्य विशेष परियोजनाओं को पूंजीगत व्यय और संचालन व्यय सहायता प्रदान करना है।
- इसमें उद्योग की अग्रणी प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है। साथ ही, इससे आगामी वर्षों में इस क्षेत्र में 20,000 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश आकर्षित हो सकता है।