शॉर्ट न्यूज़: 21 नवंबर, 2020
चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस कॉर्नर
राष्ट्रीय नवजात सप्ताह 2020
माइक्रो इरीगेशन फंड
भूटान में रुपे कार्ड के दूसरे चरण का शुभारम्भ
चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस कॉर्नर
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से तमिलनाडु के त्रिची/तिरुचिरापल्ली में, पुलिस विभाग ने पहले चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस कॉर्नर की शुरुआत की है। यह भारत में अपने तरह का पहला प्रयास है। तिरुचिरापल्ली क्षेत्र में क़रीब 10 जगहों पर इस तरह के पुलिस विंग की शुरुआत की गई है।
मुख्य बिंदु
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाओं की जाँच करने और अपराध में शामिल बच्चों के पुनर्वास के लिये बनाया गया था।
- अधिनियम के अनुसार किशोर अपराधी को थाने नहीं लाया जाना चाहिये और पुलिस की वर्दी में किशोर से पूछताछ नहीं होनी चाहिये। किसी भी क़ीमत पर बच्चों को गिरफ़्तार या क़ैद नहीं किया जाना चाहिये। इन नियमों का पालन कराने और शिकायत दर्ज कराने वालों को अनुकूल वातावरण देने के लिये बाल मित्र पुलिस कॉर्नर यानी चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस कॉर्नर बनाया गया है।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि पुलिस कॉर्नर में आते वक़्त बच्चे डरें नहीं, दीवारों को चित्रों और रंगों से सजाया गया है। किशोरों से जुड़ी सभी शिकायतों को सम्बंधित पुलिस थाने के कानून व्यवस्था निरीक्षक (लॉ एंड ऑर्डर इंस्पेक्टर) के नेतृत्व में महिला पुलिस अधिकारियों द्वारा देखा जाएगा।
- ध्यातव्य है कि कई महिलाएँ जब क़ानून व्यवस्था विंग के पास शिकायत दर्ज कराने के लिये आती हैं तो उनके साथ उनके बच्चे भी होते हैं। ऐसे में उन्हें बेहतर वातावरण देने के लिये ब्रेस्टफ़ीडिंग रूम की भी व्यवस्था की गई है। चाइल्ड फ्रेंडली कॉर्नर की शिकायतों को क़ानून व्यवस्था विंग की शिकायतों की तरह ही निपटाया जाएगा लेकिन चाइल्ड फ्रेंडली विंग में महिला अधिकारी होंगी।
- तमिलनाडु देश में बच्चों के ख़िलाफ़ सबसे अधिक शिकायतों वाले राज्यों की सूची में सातवें स्थान पर है। अतः बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा को कम करने और शिकायत के पंजीकरण को आसान बनाने के लिये आयोग के सहयोग से त्रिची पुलिस सर्कल में बाल मित्र पुलिस कॉर्नर की स्थापना की गई है।
राष्ट्रीय नवजात सप्ताह 2020
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का आयोजन 15 से 21 नवम्बर 2020 तक किया गया।
- इस वर्ष राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का विषय- ‘प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र और प्रत्येक स्थान पर प्रत्येक नवजात शिशु के लिये गुणवत्ता, समानता, गरिमा’ है।
उद्देश्य
- इसका उद्देश्य स्वास्थ्य परिदृश्य में प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में नवजात शिशु स्वास्थ्य के महत्त्व को सुदृढ़ करने के साथ-साथ प्रत्येक बच्चे को जीवित रखने, पनपने और उसकी पूरी क्षमता तक पहुंचने का मौका देना है।
- साथ ही नवजात शिशु के विकास व जन्म को बाधित करने तथा नवजात शिशु के खराब स्वास्थ्य और मौत का कारण बनने वाली छोटी-छोटी चीज़ों को लेकर भी जागरूकता पैदा करना है।
- वर्ष 2017 के लिये की नवजात मृत्यु दर (NMR) का लक्ष्य 24 निर्धारित किया गया था, जिसको प्राप्त कर लिया गया है।
अन्य तथ्य
- वर्ष 2014 में भारत नवजात कार्य योजना (आई.एन.ए.पी.) शुरू करने वाला पहला देश बना था। यह कार्य योजना रोके जा सकने वाली नवजातों की मौत और स्टिलबर्थ (जन्म के समय मृत पाए जाने की समस्या) को खत्म करने को लेकर वैश्विक नवजात कार्य योजना के अनुरूप है।
- नवजात शिशुओं के जीवित रहने और विकास को सुनिश्चित करने के लिये कई कार्यक्रम शुरू किये गए हैं, जिनमें पोषण अभियान की छत्र योजना के तहत आने वाले पोषण सम्बंधी पहलू भी शामिल हैं।
- इससे सम्बंधित शिकायतों के निवारण के लिये एन.एन.एम. पोर्टल (National Nutrition Mission: NNM Portal), सुमन (Surakshit Matritva Aashwasan: SUMAN) की शुरुआत जैसे विभिन्न कदम सभी नवजात मौतों को रोकने की दिशा में अभिनव प्रयास हैं।
- वर्तमान में प्रतिदर्श पंजीकरण प्रणाली (SRS) 2018 और बाल मृत्यु दर आकलन के लिये संयुक्त राष्ट्र की अंतर-एजेंसी समूह के अनुसार प्रति 1000 जीवित जन्मों पर नवजात मृत्यु दर 23 हैं।
माइक्रो इरीगेशन फंड
प्रमुख बिंदु
- हाल ही में, माइक्रो इरीगेशन फंड से अनुदान ऋण ब्याज जारी किया गया। एम.आई.एफ. की संचालन समिति ने गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड राज्यों के लिये 3900 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के लिये परियोजनाओं को मंज़ूरी प्रदान की है।
- उल्लेखनीय हैं कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अंतर्गत वर्ष 2019-20 में 5000 करोड़ रुपए का माइक्रो इरीगेशन फंड (एम.आई.एफ. कोष) बनाया गया था।
- इस कोष का उद्देश्य राज्यों को विशेष और नवीन परियोजनाओं को आगे बढ़ाते हुए सूक्ष्म सिंचाई के कवरेज विस्तार हेतु ब्याज रहित ऋण का लाभ उठाने की सुविधा प्रदान करना है।
- साथ ही इसका उद्देश्य ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- प्रति बूंद, अधिक फसल’ के प्रावधानों से परे भी सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करना है।
भूटान में रुपे कार्ड के दूसरे चरण का शुभारम्भ
प्रमुख बिंदु
- प्रधानमंत्री श्री मोदी और भूटान के प्रधानमंत्री डॉ. लोटे शेरिंग द्वारा संयुक्त रूप से भूटान में रुपे कार्ड के दूसरे चरण का शुभारम्भ 20 नवम्बर, 2020 को किया गया।
- अगस्त 2019 में प्रधानमंत्री की भूटान यात्रा के दौरान भारत और भूटान के प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से इस परियोजना के पहले चरण का शुभारम्भ किया था।
- भूटान में रुपे कार्ड के पहले चरण के कार्यान्वयन ने पूरे भूटान में ए.टी.एम. और प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) तक भारतीय आगंतुकों की पहुँच को सुगम बनाया है। इसका दूसरा चरण भूटानी कार्डधारकों को भारत में रुपे नेटवर्क का उपयोग करने में समर्थ बनाएगा।
रुपे कार्ड (RuPay card)
- रूपे कार्ड, NPCL का एक उत्पाद है। NPCL देश में खुदरा भुगतानों को संचालित करने वाली एक अम्ब्रेला संस्था है। इस कार्ड का शुभारम मार्च, 2012 में किया गया था
- रूपे कार्ड पूरे भारत में ए.टी.एम, पी.ओ.एस. उपकरणों और ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर व्यापक स्वीकृति के साथ भारत का अपनी तरह का पहला वैश्विक कार्ड भुगतान नेटवर्क है।
- भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधान भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) तथा भारतीय बैंक संघ (IBA) को भारत में एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान व निपटान प्रणाली के सृजन की शक्ति प्रदान करता है।
- वर्तमान में, रूपे कार्ड 1,100 से अधिक बैंकों द्वारा जारी किये जाते हैं जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण और सहकारी बैंक शामिल हैं।