शॉर्ट न्यूज़: 22 फ़रवरी, 2022
न्यू ‘बेंट-टोड गेको’ को आर्मी टैग
फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह
इंडियन होमरूल सोसाइटी
न्यू ‘बेंट-टोड गेको’ को आर्मी टैग
चर्चा में क्यों
सरीसृप विज्ञानवेत्ताओं ने मेघालय के उमरोई मिलिट्री स्टेशन के जंगली क्षेत्र से ‘बेंट-टोड गेको’ (Bent-Toed Gecko) की एक नई प्रजाति की उपस्थिति को रिकॉर्ड किया है।
प्रमुख बिंदु
- न्यू ‘बेंट-टोड गेको’ छिपकली की एक प्रजाति है, जिसका वैज्ञानिक नाम ‘क्रायटोडैक्टाइलस एक्सर्सिटस’ (Crytodactylus Exercitus) है। लैटिन भाषा में एक्सर्सिटस का अर्थ सेना होता है। यह नाम सेना के सम्मान में दिया गया है।
- इस नई प्रजाति का अंग्रेजी नाम ‘इंडियन आर्मी बेंट-टोड गेको’ (Indian Army’s Bent-Toed Gecko) है। इससे संबंधित अध्ययन ‘यूरोपियन जर्नल ऑफ टैक्सोनॉमी’ में प्रकाशित हुआ था।
अन्य प्रमुख ‘बेंट-टोड गेको’
- साथ ही, एक अन्य नए ‘बेंट-टोड गेको’ को मिज़ोरम के सियाहा ज़िले के आधार पर ‘क्रायटोडैक्टाइलस सियाहेन्सिस’ (Cyrtodactylus Siahaensis) नाम दिया गया है।
- उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व मिजोरम के लंगलेई शहर में पाई गई ‘बेंट-टोड गेको’ की एक प्रजाति को ‘क्रायटोडैक्टाइलस लंगलेनेसिस’ (Cyrtodactylus Lungleiensis) नाम दिया गया था।
- क्रायटोडैक्टाइलस की भारत में लगभग 40 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिसमें से 16 प्रजातियाँ उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
- सरीसृप एवं उभयचर के अध्ययन में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्ति को ‘हर्पेटोलॉजिस्ट’ (Herpetologists) या सरीसृप विज्ञानवेत्ता कहते हैं।
फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह
चर्चा में क्यों
हाल ही में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि चीन, फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह पर अर्जेंटीना की संप्रभुता की मांग को अपना समर्थन प्रदान करता है, जिसके पश्चात् यूनाइटेड किंगडम और अर्जेंटीना के बीच इस द्वीप को लेकर विवाद पुनः चर्चा का विषय बन गया है।
प्रमुख बिंदु
![Malvinas-Islands](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//Malvinas-Islands.jpg)
- यह द्वीपसमूह दक्षिण अटलांटिक महासागर में अर्जेंटीना के तट के निकट स्थित है।
- इसे माल्विनास द्वीपसमूह (Malvinas Islands) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी 'स्टेनली' है, जो पूर्वी फ़ॉकलैंड द्वीप पर स्थित है।
- ब्रिटेन ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस द्वीप पर दक्षिण अटलांटिक महासागर में एक सैन्य अड्डे के रूप में इसका उपयोग किया था।
- ब्रिटेन और अर्जेंटीना के मध्य इस द्वीपसमूह को लेकर विवाद द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भी जारी रहा। इसे ध्यान में रखते हुए वर्ष 1965 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प 2065 को अपनाया गया, जो एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव में दोनों देशों से विवाद का शांतिपूर्ण समाधान खोजने का आग्रह किया गया।
- विदित है कि ब्रिटेन ने वर्ष 1833 में फ़ॉकलैंड को अवैध रूप से अर्जेंटीना से हासिल किया, जिसे लेकर वर्ष 1982 में दोनों देशों के मध्य एक युद्ध भी हुआ। इसे फ़ॉकलैंड युद्ध के रूप में जाना गया, जो तीन महीने से अधिक समय तक चला और यूनाइटेड किंगडम की जीत के साथ समाप्त हुआ।
इंडियन होमरूल सोसाइटी
चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारत सरकार ने ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम के तहत ‘इंडियन होम रूल सोसाइटी’ (आई.एच.आर.एस) के संदर्भ में परिचर्चा आयोजित की।
इंडिया हाउस (इंडियन होमरूल सोसाइटी)
- इंडियन होमरूल सोसाइटी की स्थापना 18 फरवरी, 1905 को लंदन में हुई थी। यह विक्टोरियन सार्वजनिक संस्थानों के अनुरूप एक महानगरीय संगठन था, जो भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की ब्रिटिश समिति के प्रतिद्वंद्वी संगठन के रूप में स्थापित हुआ था।
- इसका एक लिखित संविधान था, जिसका उद्देश्य भारत के लिये स्व-शासन को सुनिश्चत करना तथा भारतीय हितों को बढ़ावा देना था।
- इसकी स्थापना श्यामजी कृष्ण वर्मा ने की थी। इन्हें ब्रिटेन में भीकाजी कामा, दादाभाई नौरोजी और सरदारसिंहजी रावजी राणा (एस.आर.राणा) सहित कई प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादियों का समर्थन प्राप्त हुआ था।
- केवल भारतीय ही इस संगठन के सदस्य बन सकते थे। इसे भारतीय छात्रों और ब्रिटेन में अन्य भारतीय आबादी के बीच महत्त्वपूर्ण समर्थन प्राप्त था। इसने युवा भारतीय कार्यकर्ताओं को संगठन में शामिल करते हुए भारत में क्रांतिकारी आंदोलनों के साथ निकट संपर्क बनाए रखा।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को स्विट्जरलैंड से भारत वापस लाया गया था।