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शॉर्ट न्यूज़: 25 दिसंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 25 दिसंबर, 2020


अनुसूचित जाति : पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना

फिल्म मीडिया इकाइयों का विलय


अनुसूचित जाति : पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना

संदर्भ

हाल ही में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अनुसूचित जाति  के छात्रों के लिये पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में नए सुधारात्मक बदलावों को मंज़ूरी दी है। नए बदलावों के अनुसार केंद्र और राज्यों के बीच 60-40 का फंडिंग पैटर्न निर्धारित किया गया है। 

प्रमुख बिंदु

  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है तथा इसे राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन के द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
  • इस योजना के तहत, सरकार मैट्रिक और उससे ऊपर की कक्षाओं में अध्ययनरत अनुसूचित जाति के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • इसका लाभ वे छात्र उठा सकते हैं, जिनकी पारिवारिक सालाना आय 5 लाख रुपये से कम है।

नए बदलाव

  • नए बदलावों के तहत, सभी राज्य छात्रवृत्ति के लिये अर्ह्य छात्रों की पात्रता एवं उनकी जाति का सत्यापन करेंगे और छात्रों के आधार एवं  बैंक खातों के विवरण एकत्र करेंगे।
  • योजना के तहत छात्रों को वित्तीय सहायता, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के द्वारा प्रदान की जाएगी और इसके लिये ‘आधार सक्षम भुगतान प्रणाली’ का उपयोग किया जा सकता है।
  • वर्ष 2021-22 के लिये प्रस्तावित इस योजना के केंद्रीय शेयर (60%) को डी.बी.टी. के द्वारा छात्रों के बैंक खातों में निर्धारित समय सीमा के अन्दर हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
  • प्रस्तावित नए परिवर्तनों का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में चार करोड़ छात्रों के लिये उच्च शिक्षा के द्वार खोलना है।
  • ध्यातव्य है कि अभी तक चल रहे "प्रतिबद्ध देयता" के फॉर्मूले से अलग इस नए नए फंडिंग पैटर्न से योजना में केंद्र सरकार की भागीदारी बढ़ेगी।
  • यहाँ यह बात ध्यान ध्यान रखने योग्य है कि संविधान में निहित समानता, गणितीय समानता नहीं है और इसका मतलब यह नहीं है कि सभी नागरिकों को बिना किसी भेद के समान माना जाएगा। इसके लिये, संविधान में दो प्रमुख पहलुओं को रेखांकित किया गया है, जो समानता के कानून का सार बनाते हैं:

1) समान समूह के बीच कोई भेदभाव नहीं, और
2) असमान समूहों को बराबरी पर लाने के लिये सकारात्मक कार्रवाई

 


फिल्म मीडिया इकाइयों का विलय

संदर्भ

हाल ही में, मंत्रिमंडल ने बुनियादी ढाँचे, जनशक्ति और अन्य संसाधनों के युक्तिकरण के माध्यम से पाँच फ़िल्म मीडिया इकाइयों के विलय को मंजूरी दी।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NDFC) लिमिटेड का विस्तार करके मेमोरेंडम ऑफ आर्टिकल्‍स ऑफ एसोसिएशन ऑफ एन.एफ.डी.सी. के तहत चार मीडिया इकाइयों- फिल्‍म डिवीजन, फिल्‍म समारोह निदेशालयभारतीय राष्‍ट्रीय फिल्‍म अभिलेखागार और बाल फिल्‍म सोसायटी के विलय को मंजूरी प्रदान की है।
  • इनके द्वारा अब तक किये जा रहे सभी कार्यों को मेमोरेंडम ऑफ आर्टिकल्‍स ऑफ एसोसिएशन ऑफ एन.एफ.डी.सी. करेगा। फिल्‍म मीडिया इकाइयों के एक निगम के अंतर्गत विलय से कार्यों और साधनों में एकरूपता आएगी तथा बेहतर समन्‍वय स्‍थापित होगा।
  • नई संस्‍था की परिकल्‍पना फिल्‍मों/ओ.टी.टी. मंचों की विषयवस्‍तु, बच्‍चों से संबंधित विषयवस्‍तुएनीमेशनलघु फिल्‍मों और वृत्तचित्रों सहित अपनी सभी शैलियों की फीचर फिल्‍मों में भारतीय सिनेमा का संतुलित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करना है।

भारत का फिल्म क्षेत्र और संबंधित सँस्थाएँ

  • एक वर्ष में 3,000 से अधिक फिल्‍में बनाने के साथ भारत विश्व का सबसे बड़ा फिल्‍म निर्माता है जहाँ इस उद्योग का नेतृत्‍व निजी क्षेत्र करता है।
  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन फिल्‍म डिवीजन की स्‍थापना वर्ष 1948 में मुख्‍य रूप से सरकारी कार्यक्रमों और भारतीय इतिहास के चलचित्र संबंधी रिकॉर्ड के प्रचार के लिये की गई थी।
  • भारतीय बाल फिल्‍म सोसायटी की स्‍थापना सोसायटी कानून के अंतर्गत वर्ष 1955 में की गई थी। यह एक स्‍वायत्तशासी संगठन है, जिसका विशेष उद्देश्‍य फिल्‍मों के माध्‍यम से बच्‍चों तथा युवाओं को मूल्‍य आधारित मनोरंजन प्रदान करना है।
  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन भारतीय राष्‍ट्रीय फिल्‍म अभिलेखागार की स्‍थापना वर्ष 1964 में मीडिया इकाई के रूप में की गई थी। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य भारतीय सिनेमा से जुड़ी धरोहर को संरक्षित करना है।
  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय के रूप में फिल्‍म समारोह निदेशालय की स्‍थापना भारतीय फिल्‍मों के साथ-साथ सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के के उद्देश्य से वर्ष 1973 में की गई थी।
  • एन.एफ.डी.सी. एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। इसे मुख्‍य रूप से भारतीय फिल्‍म उद्योग के संगठित, दक्ष और समन्वित विकास की योजना बनाने तथा उसे बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1975 में निगमित किया गया था।

 


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