शॉर्ट न्यूज़: 25 जनवरी, 2021
हरित बॉन्ड
भारत का आर्कटिक नीति मसौदा
सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व के पक्षी
हरित बॉन्ड
संदर्भ
हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह जानकारी दी है कि हरित बॉन्डों को जारी करने संबंधी लागत अन्य बॉन्डों की तुलना में अधिक है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2015 के बाद जारी किये गए 5 से 10 वर्षों के मध्य परिपक्वता अवधि वाले हरित बॉन्डों के लिये औसत कूपन दर सामान्यतः कॉर्पोरेट और सरकारीबॉन्डों की तुलना में अधिक है।
- हालाँकि अमेरिकी डॉलर के लिये10 वर्ष या उससे अधिक अवधि वाले हरित बॉन्डों की कूपन दर, कॉर्पोरेट बॉन्डों से कम थी।
- विदित है कि भारत में अधिकांश हरित बॉन्ड सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों या बेहतर वित्तीय स्थिति वाले कॉर्पोरेट द्वारा ही जारी किये जाते हैं।
- निजी क्षेत्र के हरित बॉन्ड जारीकर्ताओं ने, इसके गैर-जारीकर्ताओं की तुलना में ऋण-संपत्ति अनुपात से संबंधित कम सूचनाएँ प्रदान की।
- मार्च 2018 तक, भारत में जारी किये गए कुलबॉन्डोंमें हरितबॉन्ड केवल 0.7% थे, जबकि वर्ष 2020 के आँकड़ों के अनुसार गैर-पारंपरिक ऊर्जा के लिये दिया गया बैंक ऋण, ऊर्जा क्षेत्र पर बैंक बकाए का 9% है।
- इसमें उच्च उधारलागत सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौती रही है और ऐसा मुख्यतः असममित जानकारी के कारण हुआ।
- इस संदर्भ में देश मेंएक बेहतर सूचना प्रबंधन प्रणाली विकसित किये जाने की आवश्यकता है, जिससेपरिपक्वता अवधि के बेमेल तथालागत उधार को कम करने में और इस क्षेत्र में कुशल संसाधन आवंटनमें मदद मिलेगी।
हरित बॉन्ड
- हरित बॉन्ड, अन्य बॉन्डों की ही तरह होते हैं लेकिन इनके माध्यम से केवल हरित अर्थात् पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं में ही निवेश किया जा सकता है।
- इनमें अक्षय ऊर्जा, कम कार्बन उत्सर्जन, स्वच्छ परिवहन तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन जैसी परियोजनाएँ शामिल होती हैं।
- विश्व बैंक तथा यूरोपीय निवेश बैंक द्वारा पहली बार वर्ष 2007 में यहबॉन्ड लाए गए थे।
- भारत में सबसे पहले हरित बॉन्ड येस बैंक ने वर्ष 2015 में जारी किये थे।
भारत का आर्कटिक नीति मसौदा
संदर्भ
हाल ही में, भारत सरकार ने आर्कटिक नीति मसौदा जारी किया है।
आर्कटिक नीति मसौदा
- इसमें आर्कटिक क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान, स्थाई पर्यटन और खनिज तेल व गैस की खोज के विस्तार हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
- इस नीति में आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और भारत के मानसून के साथ इसके संबंधों को समझना आदिको शामिल किया गया है।
- नीति में आर्कटिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का जिम्मेदारीपूर्वक अन्वेषण व खनन, बंदरगाहों, रेलवे एवं हवाई अड्डों में निवेश के अवसरों को पहचानने की आवश्यकता जाहिर की गई है।
- यह नीति पांच स्तंभों पर आधारित है:
- विज्ञान और अनुसंधान गतिविधियाँ
- आर्थिक और मानव विकास सहयोग
- परिवहन और कनेक्टिविटी
- शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- राष्ट्रीय क्षमता निर्माण।
- गोवा स्थित ‘नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च’ वैज्ञानिक अनुसंधान का नेतृत्व करेगा और एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।
- यह घरेलू वैज्ञानिक अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय विश्विद्यालयों में पृथ्वी विज्ञान, जैविक विज्ञान औरजलवायु परिवर्तन के विषयों के पाठ्यक्रम मेंआर्कटिक अनिवार्यताओं को शामिल करने के लियेविभिन्न एजेंसियों के मध्य समन्वय स्थापित करेगा।
- आर्कटिक अनुसंधान, भारत के वैज्ञानिक समुदाय को तीसरे ध्रुव - हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की दर का अध्ययन करने में मदद करेगा, जो कि भौगोलिक ध्रुवों से बाहर ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है।
आर्कटिक क्षेत्र
- आर्कटिक क्षेत्र के अंतर्गत आठ देश ; डेनमार्क, कनाडा,अमेरिका, नॉर्वे, रूस स्वीडन, फिनलैंड, तथा आइसलैंड आते हैं।ये देश अंतर-सरकारी फोरम ‘आर्कटिक परिषद’ के सदस्य हैं।
- इस क्षेत्र में लगभग चालीस लाख लोग रहते हैं, जिसमें से लगभग 10% लोग स्थानीय या मूल निवासी हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
- भारत ने वर्ष 2007 में आर्कटिक के लिये अपना पहला वैज्ञानिक अभियान शुरू किया और वर्ष 2008 में नॉर्वे के स्वालबार्ड में अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक अनुसंधान स्टेशन'हिमाद्री' की स्थापना की।
- भारत वर्ष 2013 और 2019 में आर्कटिक परिषद का पर्यवेक्षक चुना गया था।
सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व के पक्षी
संदर्भ
हाल ही में प्रकाशित जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) स्टेट्सके अनुसार, भारतीय सुंदरबन, जो विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वन का हिस्सा है, पक्षियों की 428 प्रजातियों का आवास स्थल है।
प्रमुख बिंदु
- जे.एस.ई. द्वारा प्रकाशित "बर्ड्स ऑफ द सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व"न केवल सुंदरबन में पाए जाने वाले सभी पक्षियों से संबंधित दस्तावेज है, बल्कि यह क्षेत्र की सभी प्रजातियों के विस्तृत वितरण और स्थानीयता डेटा के साथ व्यापक ‘फोटोग्राफिक फील्ड गाइड’ के रूप में भी कार्य करता है। इसका उद्देश्य पक्षियों से संबंधित जानकारी को लोगों तक पहुँचाना है।
- सर्वे के अनुसार सुंदरबन में पक्षियों की कुल428प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसमें से कुछ प्रजातियाँ, जैसे कि ‘मास्कड फिनफुट’ और ‘बफी फिश आउल’केवल सुंदरबन में ही रिकॉर्ड किये गए हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले पक्षियों में ऑस्प्रे, ब्राह्मिनी चील, श्वेत पेट वाली समुद्री बाज वार्बलर्स और किंगफिशरप्रमुख पक्षी हैं।
- यह क्षेत्र देश में पाए जाने वाले किंगफिशर की 12 में से 9 प्रजातियों का आवास स्थल है, जैसे- गोलियत बगुला और स्पून- बिल्ड सैंडपाइपर।
- भारत में पक्षियों की लगभग 1,300 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिसमें से लगभग 428 प्रजातियाँ सुंदरबन की हैं, इसका आशय है कि देश के लगभग एक तिहाई पक्षी सुंदरबन में पाए जाते हैं।
- ज्वारीय गतिविधियों के दौरान यहाँ जमा होने वाले मडफ्लैट्स (सूक्ष्मजीवों से समृद्ध) प्रवासी पक्षियों के लिये आदर्श भोजन हैं।
- सुंदरबन में पक्षियों की स्थिति से संबंधित यह प्रकाशन सुंदरवन के पारिस्थितिकी पहलू को उजागर करता हैऔर इस क्षेत्र का विस्तृत विवरण भी प्रदान करता है।
सुंदरबन
- सुंदरबन, भारत और बांग्लादेश दोनों देशों में 4,200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ एक दलदलीय वन क्षेत्र है। इसे सुंदरबन नाम इस क्षेत्र में पाए जाने वाले सुंदरी वनों के कारण मिला है।
- भारत में यह पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना ज़िले के लगभग 19 विकासखंडों में फैला हुआ है।
- देश के सभी मैंग्रोव वनों का 60%हिस्सा केवल सुंदरबन में पाया जाता है जो कि सर्वाधिक विविधता युक्त प्राकृतिक भूदृश्य है।
- भारतीय सुंदरबन यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल का हिस्सा हैं और यह रामसर स्थल के रूप में भी नामित हैं।
- इसका 2,585 वर्ग किमी क्षेत्र सुंदरबन टाइगर रिज़र्व के अंतर्गत आता है, जिसमें लगभग 96 रॉयल बंगाल टाइगर (2020 में अंतिम जनगणना के अनुसार) पाए जाते हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले रॉयल बंगाल टाइगरयहाँ के जलीय परिस्थियों के अनुकूल हो गए हैं और ये टाइगर तैर भी सकते हैं।