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शॉर्ट न्यूज़: 15 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)

शॉर्ट न्यूज़: 15 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)


भारतीय राष्ट्रपति

राजनीतिक दल और चुनाव चिह्न

विंडफॉल टैक्स 

क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (qHPV)

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स


भारतीय राष्ट्रपति

चर्चा में क्यों ?

  • भारत के वर्तमान राष्ट्रपति का कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होने वाला है, इसके साथ ही उसके उत्तराधिकारी का चुनाव करने के लिये देश में 16वें राष्ट्रपति चुनाव आयोजित किये जाएंगे।

भारतीय राष्ट्रपति के बारे में :

  • भारत के राष्ट्रपति भारत राज्य के नाममात्र  के प्रमुख होते हैं। 
  • भारत के राष्ट्रपति को भारतीय राज्य का  प्रथम नागरिक भी माना जाता है।
  • भारत के राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद एवं भारत के महान्यायवादी के साथ-साथ संघ की कार्यकारिणी का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं।

राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

  • चुनाव का आयोजन भारतीय चुनाव आयोग (EC) द्वारा किया जाता है।
  • भारतीय राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल प्रणाली के माध्यम से किया जाता है।
  • निर्वाचक मंडल संसद के उच्च एवं निम्न सदन (राज्यसभा और लोकसभा सांसदों) के सभी निर्वाचित सदस्यों एवं राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं (विधायकों) के निर्वाचित सदस्यों से बना होता है।
  • चुनाव में सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता नहीं घोषित किया जाता है बल्कि विजेता वह होता है जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा वोट प्राप्त कर लेता है

note: 

  • इलेक्टोरल कॉलेज 
    • निर्वाचक मंडल में  सभी के वोटों का मूल्य या वेटेज अलग-अलग होता है। लोकसभा और राज्यसभा के वोटों का वेटेज एक होता है जबकि विधानसभा के सदस्यों का अलग वेटेज होता है। दो राज्यों के विधायकों का वेटेज भी अलग-अलग होता है। इसे अनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं। 

    राष्ट्रपति की शक्तियाँ :

    • भारत एक गणराज्य है, गणराज्य (रिपब्लिक) का आशय होता है कि राष्ट्र का मुखिया निर्वाचित होगा, जिसको राष्ट्रपति कहा जाता है।
    • राष्ट्रपति को कार्यपालिका शक्तियाँ, आपातकालीन शक्तियाँ, विधायी शक्तियाँ , न्यायिक शक्तियाँ , वित्तीय शक्तियाँ , सैन्य शक्तियाँ , राजनयिक शक्तियाँ दी जाती है।
    • अनुच्छेद 53 : संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी। वह इसका उपयोग संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा। 
    • अनुच्छेद 72 द्वारा प्राप्त क्षमादान की शक्ति के तहत राष्ट्रपति, किसी अपराध के लिये दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, निलंबन, लघुकरण और परिहार कर सकता है। मृत्युदंड पाए अपराधी की सज़ा पर भी फैसला लेने का उसको अधिकार है।
    • अनुच्छेद 80  के तहत प्राप्त शक्तियों के आधार पर राष्ट्रपति, साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले 12 व्यक्तियों को राज्य सभा के लिये मनोनीत कर सकता है।
    • अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति, युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
    • अनुच्छेद 356  के तहत राष्ट्रपति द्वारा किसी राज्य के संवैधानिक तंत्र के विफल होने की दशा में राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर वहाँ राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
    • वहीं अनुच्छेद 360 के तहत भारत या उसके राज्य क्षेत्र के किसी भाग में वित्तीय संकट की दशा में वित्तीय आपात की घोषणा का अधिकार राष्ट्रपति को है।
    • राष्ट्रपति कई अन्य महत्त्वपूर्ण शक्तियों का भी निर्वहन करता है, जो अनुच्छेद 74 के अधीन करने के लिए वह बाध्य नहीं है। वह संसद के दोनों सदनों द्वारा पास किये गए बिल को अपनी सहमति देने से पहले 'रोक' सकता है। वह किसी बिल (धन विधेयक को छोड़कर) को पुनर्विचार के लिये सदन के पास दोबारा भेज सकता है।
    • अनुच्छेद 75 के मुताबिक, 'प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। चुनाव में किसी भी दल या गठबंधन को जब स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए ही सरकार बनाने के लिये लोगों को आमंत्रित करता है। ऐसे मौकों पर उसकी भूमिका निर्णायक होती है।

    Question of the Day

    प्रश्न. भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए -

    1. प्रत्येक एम.एल.ए. के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है।
    2. लोक सभा के सदस्यों के वोट का मूल्य राज्य सभा के सदस्यों के वोट के मूल्य से अधिक होता है।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल 1

    (c) 1 और 2 दोनों

    (b) केवल 2

    (d) न तो 1 न ही 2

    उत्तर : (a)

    Source: The Hindu


    राजनीतिक दल और चुनाव चिह्न

    चर्चा में क्यों ?

    • उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भारत के चुनाव आयोग से संपर्क किया, जिसमें अनुरोध किया गया कि वह पार्टी के चुनाव चिह्न धनुष-बाण के दावों पर निर्णय लेने से पहले सभी का पक्ष सुनें। 
    • हालाँकि महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी के दो-तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन के आधार पर "मूल" शिवसेना होने का दावा करने वाले शिंदे ने अभी तक आधिकारिक तौर पर चुनाव आयोग को पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा करने के लिए नहीं लिखा है

    चुनाव चिन्ह के बारे में :

    चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को मान्यता देने और चुनाव चिह्न आवंटित करने का अधिकार देता है।

    चुनाव चिन्ह किसी राजनीतिक दल को निर्वाचन आयोग द्वारा आवंटित एक मानकीकृत प्रतीक है। इनका उपयोग पार्टियों द्वारा अपने प्रचार अभियान के दौरान किया जाता है। इसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVMs) पर दर्शाया जाता है, जिससे मतदाता चिन्ह का चुनाव कर संबंधित पार्टी के लिये मतदान कर सकते हैं। इसे वस्तुतः निरक्षर लोगों को मतदान की सुविधा के लिये प्रस्तुत किया गया था।

    निर्वाचन आयोग, चुनाव के उद्देश्य से राजनीतिक दलों को पंजीकृत करता है और उनके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय या राज्य पार्टियों के रूप में मान्यता देता है। अन्य पार्टियों को केवल पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों के रूप में घोषित किया जाता है।

    राष्ट्रीय या राज्य पार्टियों के रूप में मान्यता कुछ विशेषाधिकारों को पार्टियों के  अधिकार के रूप में निर्धारित करती है जैसे- पार्टी प्रतीकों का आवंटन, टेलीविज़न और रेडियो स्टेशनों पर राजनीतिक प्रसारण के लिये समय का प्रावधान तथा मतदाता सूची तक पहुँच।

    चुनाव चिह्नों के प्रकार:

    • निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) (संशोधन) आदेश, 2017  के अनुसार, राजनीतिक दलों के प्रतीक चिह्न निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:
    • आरक्षित: देश भर में आठ राष्ट्रीय दलों और 64 राज्य दलों को ‘आरक्षित’ प्रतीक चिह्न प्रदान किये गए हैं।
    • स्वतंत्र: निर्वाचन आयोग के पास लगभग 200 ‘स्वतंत्र’ प्रतीक चिह्नों का एक कोष है, जिन्हें चुनावों से पहले अचानक नजर आने वाले हजारों गैर-मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों को आवंटित किया जाता है।

    किस समूह को बहुमत प्राप्त है यह कैसे निर्धारित करता है चुनाव आयोग?

    • विधायिका के बाहर किसी राजनीतिक दल का विभाजन होने पर, ‘निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) आदेश’, 1968 के पैरा 15 में कहा गया है:
    • “निर्वाचन आयोग जब इस बात इस संतुष्ट हो जाता है, कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल में दो या अधिक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह हो गए हैं और प्रत्येक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह, उस ‘राजनीतिक दल’पर दावा करता है, तो ऐसी स्थिति में, निर्वाचन आयोग को, इनमे से किसी एक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह को ‘राजनीतिक दल’के रूप में मान्यता देने, अथवा इनमे से किसी को भी मान्यता नहीं देने संबंधी निर्णय लेने की शक्ति होगी, और आयोग का निर्णय इन सभी प्रतिद्वंद्वी वर्गों या समूहों के लिए बाध्यकारी होगा”।
    • बहुतायत समर्थन प्राप्त समूह को मान्यता पाप्त दल की ज़िम्मेदारी सौंप सकता है और दूसरे समूह को एक नए दल के तौर पर पंजीकरण का सलाह दे सकता है।
    • यदि किसी भी दल को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा हो तो ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग मान्यता प्राप्त दल का चुनाव चिन्ह जब्त कर सकता है और दोनों दलों को भिन्न-भिन्न चुनाव चिन्ह आवंटित कर सकता है।

    • चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, का  पैरा 15:
    •  यह धारा केवल चुनाव आयोग को ही दलों के विलय और अन्य विवादों से संबंधित मुद्दों पर सुनवाई का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने 1971 में सादिक अली बनाम भारतीय चुनाव आयोग के फैसले में इस अनुच्छेद की वैधता को बरकरार रखा।
    • यह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों के विवादों पर लागू होता है।
    • पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में विभाजन के मामलों में चुनाव आयोग आमतौर पर विवाद में शामिल गुटों को अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से हल करने या अदालत जाने की सलाह देता है।

    Question of the Day

    प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा कथन किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दिये जाने की अहर्ता के संबंध में सही है :

    (a) यदि वह लोकसभा अथवा विधानसभा के आम चुनावों में चार अथवा अधिक राज्यों में वैध मतों के 4% मत प्राप्त करता है और किसी राज्य या राज्यों से लोकसभा में 4 सीट प्राप्त करता है।

    (b) यदि वह लोकसभा में 2% स्थान जीतता है तथा वे सदस्य तीन विभिन्न राज्यों से चुने जाते हैं।

    (c) यदि उस दल को न्यूनतम 6 राज्यों में राज्यस्तरीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो।

    (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

    उत्तर : (b)

    Source: Indian Express


    विंडफॉल टैक्स 

    चर्चा में क्यों ?

    • सरकार ने 1 जुलाई को रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी फर्म द्वारा विदेशों में भेजे गए पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन (Aviation Turbine Fuel) पर निर्यात कर लगाया और ओएनजीसी और वेदांत जैसी कंपनियों द्वारा स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल कर लगाया।
    • कर लगाते समय वित्त मंत्रालय ने कहा था कि हर 15 दिन पर इस टैक्स की समीक्षा की जाएगी।
    • पिछले दो हफ्तों में डीजल, गैसोलीन (पेट्रोल) और विमानन ईंधन (एटीएफ) के रिफाइनिंग मार्जिन में भारी गिरावट देखी गई है। ऐसे में लगभग दो सप्ताह पहले लगाए गए विंडफॉल टैक्स को जारी रखने की आवश्यकता पर सवाल उठ रहे है।

    क्या होता है Windfall Tax?

    • विंडफॉल टैक्स सरकारों द्वारा उन व्यवसायों या आर्थिक क्षेत्रों पर लगाया गया एक अतिरिक्त कर है, जिन्हें आर्थिक विस्तार से लाभ हुआ है। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक सामाजिक भलाई के लिए एक क्षेत्र में अतिरिक्त लाभ का पुनर्वितरण करना है।
    • विंडफॉल टैक्स कुछ उद्योगों के ऊपर सरकारों द्वारा लगाया जाने वाला कर है, जब आर्थिक स्थिति उन उद्योगों को औसत से अधिक लाभ का अनुभव करने की अनुमति देती है। यह उन लक्षित उद्योग पर लगाया जाता है, जिन्हें आर्थिक अप्रत्याशित लाभ हुआ है।
    • कुछ व्यक्तिगत कर, जैसे विरासत कर या लॉटरी या गेम शो जीत पर कर, भी विंडफॉल कर के रूप में माना जा सकता है।

    Question of the Day

    प्रश्न. विंडफॉल टैक्स के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

    1. इसे सरकारों द्वारा उन व्यवसायों या आर्थिक क्षेत्रों पर सेस के रूप में लगाया जाता है, जिन्हें आर्थिक विस्तार से लाभ हुआ है। 
    2. इसके अंतर्गत विरासत कर, लॉटरी या गेम शो जीत पर कर को शामिल किया जा सकता है।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल 1 

    (b) केवल 2 

    (c) 1 और 2 दोनों 

    (d) न तो 1, न ही 

    उत्तर : (c)

    Source: The Hindu


    क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (qHPV)

    चर्चा में क्यों ? 

    • सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ भारत के पहले क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (qHPV) को मार्केट ऑथराइजेशन के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की मंजूरी मिल गई है।
    • इस वैक्सीन (Cervavac) का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा किया जा रहा है।
    • साथ ही एक्सपर्ट्स द्वारा आशा व्यक्त की जा रही है कि इसे राष्ट्रीय एचपीवी टीकाकरण रणनीतियों में लागू किया जाएगा और मौजूदा वैक्सीन की तुलना में यह कम कीमत पर उपलब्ध 

    वर्तमान में वैक्सीन स्थिति 

    • वर्तमान में भारत में विश्व स्तर पर लाइसेंस प्राप्त दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन (quadrivalent vaccine)और बाइवेलेंट वैक्सीन (bivalent vaccine)। क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन की कीमत 2,800 रुपए प्रति खुराक है। और बाइवेलेंट वैक्सीन की कीमत 3,299 रुपए प्रति खुराक है।
    • नई वैक्सीन हेपेटाइटिस बी वैक्सीन के समान वीएलपी (Virus-like particles) पर आधारित है। यह एचपीवी वायरस के एल 1 प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी उत्पन्न करके सुरक्षा प्रदान करता है।

    ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के बारे में :

    • एचपीवी दुनिया भर में सबसे आम सेक्सुअली-ट्रांसमिटेड  संक्रमण है जो इसके स्ट्रेन (उपभेद) के आधार पर शरीर के विभिन्न हिस्सों में छालो का कारण बनता है। इस संक्रमण का कोई इलाज नहीं है, और छाले अक्सर अपने आप चले जाते हैं।
    • एचपीवी से संक्रमित बहुत से लोगों में कोई लक्षण विकसित नहीं होते हैं, हालांकि, महिलाओं के मामले में एचपीवी सर्विकल कैंसर का कारण भी बन सकता है।
    • अध्ययनों से पता चलता है कि सर्विकल कैंसर से होने वाली 85 प्रतिशत मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं, जहां नियमित रूप से होने वाले स्त्री रोग संबंधी जांच काफी कम अथवा एकदम से नदारद होती है।

    भारत में स्थिति :

    • दुनिया भर में सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर) दूसरा सबसे कॉमन कैंसर है। यह 15 से 44 वर्ष की महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे कॉमन कारण है। 
    • वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC-WHO) के मुताबिक भारत में सर्वाइकल कैंसर के 1.23 लाख मामले प्रति वर्ष आते हैं। इसमें लगभग 67,000 महिलाओं की मौत हो जाती है।
    • सर्वाइकल कैंसर के मामलों में भारत का पांचवां स्थान है।
    • नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामले और इससे होने वाली मौतों के आंकड़े साल दर साल बढ़ते ही जा रहे  रहे हैं। 
    • 2020 में सर्वाइकल कैंसर से उत्तर प्रदेश में 4420, महाराष्ट्र में 2952, पश्चिम बंगाल में 2499, बिहार में 2232 और कर्नाटक में 1996 मौतें हुई थीं।

    Question of the Day

    प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

    1. सर्ववैक वैक्सीन (Cervavac) हेपेटाइटिस बी वैक्सीन के समान वीएलपी (कणों की तरह वायरस) पर आधारित है तथा एचपीवी वायरस के एल 1 प्रोटीन के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करती है।
    2. एच.पी.वी. टीकाकरण को वर्ष 2012 में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया था।
    3. अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा अनुमोदित गार्डासिल 9 एक एच.पी.वी. टीका है जिसका उपयोग लड़कियों व लड़कों दोनों के लिये किया जा सकता है।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

    (a) केवल 1 और 3

    (b) केवल 2 और 3

    (c) केवल 1 और 2

    (d) 1, 2 और 3 

    उत्तर : (a)

    Source: Indian Express


    ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स

    चर्चा में क्यों ?

    • हाल ही में, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) द्वारा वर्ष 2022 के लिए ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स जारी किया गया। 
    • इस सूचकांक में भारत कुल 146 देशों में 135वें स्थान पर है जबकि वर्ष  2021 में भारत की रैंक 156 देशों में 140वीं थी।
    • इस वर्ष भारत का स्कोर 0.629 है, जो पिछले 16 वर्षों में इसका सातवाँ उच्चतम स्कोर है।
    • भारत अपने पड़ोसियों बांग्लादेश (71), नेपाल (96), श्रीलंका (110), मालदीव (117) और भूटान (126) से भी पीछे है। 
    • जबकि दक्षिण एशिया में केवल ईरान (143), पाकिस्तान (145) और अफगानिस्तान (146) का प्रदर्शन ही भारत से खराब है।
    • सूचकांक में आइसलैंड शीर्ष स्थान पर, जबकि फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड एवं स्वीडन क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे व पाँचवें स्थान पर हैं। a

    ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के बारे में :

    • इस सूचकांक में 0-1 के मध्य स्कोर प्रदान किया जाता है, जहाँ 1 पूर्ण लिंग समानता जबकि 0 पूर्ण असमानता को दर्शाता है। 
      • सूचकांक को चार प्रमुख आयामों के आधार पर तैयार किया जाता है -
      • राजनीतिक सशक्तिकरण- इसमें संसद में महिलाओं का प्रतिशत, मंत्री पदों पर महिलाओं का प्रतिशत आदि जैसे मानक शामिल हैं। इसमें भारत 48वें स्थान पर है।
      • आर्थिक भागीदारी और अवसर- इसमें कुल श्रम शक्ति महिलाओं का प्रतिशत, समान कार्य के लिए समान वेतन, अर्जित आय आदि शामिल हैं। इसमें भारत 143वें स्थान पर है तथा केवल ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही भारत से पीछे हैं।
      • शिक्षा प्राप्ति- इसमें साक्षरता दर और नामांकन दर जैसे मानक शामिल हैं तथा भारत 107वें स्थान पर है।
      • स्वास्थ्य और उत्तरजीविता- इसके अंतर्गत जन्म के समय लिंगानुपात और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा को शामिल किया जाता हैं। इस उप-सूचकांक में भारत अंतिम स्थान (146वें) पर रहा।

    लैंगिक समानता को हासिल करने में अभी लम्बा समय 

    • इंडेक्स के साथ ही जारी ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2022 के अनुसार लैंगिक समानता की स्थिति में अभी भी काफी बदतर है और वैश्विक स्तर पर इस खाई को पाटने में अभी 132 साल और लगेंगें। 
    • यदि दक्षिण एशिया की बात करें तो वहां लैंगिक समानता को हासिल करने में 197 वर्ष और लगेंगें। 
    • वहीं पूर्वी एशियाई देशों और पैसिफिक में इस अंतर को पाटने में 168 साल और सेंट्रल एशिया को 152 साल लगेंगें।

    Question of the Day

    प्रश्न. वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक जारी किया जाता है :

    (a) वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम

    (b) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम 

    (c) विश्व आर्थिक फोरम

    (d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

    उत्तर : (a)

    Source: The Hindu


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