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शॉर्ट न्यूज़: 26 दिसंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 26 दिसंबर, 2020


नया व्हेल संगीत (New Whale Music)

त्सो कर आर्द्रभूमि परिसर

ज़ोमी जनजातीय समूह


नया व्हेल संगीत (New Whale Music)

  • हाल ही में, शोधकर्ताओं ने उत्तरी अरब सागर में ओमान के तटीय हिस्से से दक्षिण में मेडागास्कर के चागोस द्वीपसमूह तक संगीत के द्वारा संवाद करने वाली अनोखी ब्लू व्हेल प्रजाति के मिलने की पुष्टि की है । वैज्ञानिकों के अनुसार ये अत्यंत धीमी आवाज़ में संवाद करती हैं, जो संगीत के समान प्रतीत होता है।
  • पश्चिमी अरब सागर में रिकॉर्ड किया गया यह पहला ब्लू व्हेल संगीत है, इसलिये शोधकर्ताओं ने इसे "नॉर्थवेस्ट हिंद महासागर" नाम दिया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह ब्लू व्हेल या ब्रायडज़ प्रजाति की व्हेल है क्योंकि इन दोनों प्रजातियों को पहले ओमान में प्रलेखित (Documented) किया जा चुका है।
  • अब तक इस व्हेल को श्रीलंका के निकट मिली प्रजाति का ही हिस्सा माना जा रहा था लेकिन नए क्षेत्रों में रिकॉर्ड हुए ब्लू व्हेल के संगीत के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि इस प्रजाति का विस्तार दक्षिण-मध्य हिंद महासागर तक ही है।
  • ब्लू व्हेल, विश्व की सबसे विशाल समुद्री स्तनपाई जीव है, 20वीं सदी के आरंभ तक लगभग सभी महासागरों में ब्लू व्हेल काफी संख्या में पाई जाती थी, जिसके बाद इनकी संख्या में कमी देखी गई। ध्यातव्य है कि सभी व्हेल नहीं गाती हैं, केवल कुछ व्हेल जैसे बेलीन व्हेल (Baleen Whale) को गीत गाते हुए देखा गया है।
  • व्हेल ,संवाद, विलाप, खर्राटे, खुशी और रोने आदि के लिये गीतों का उपयोग करती हैं। व्हेल के गीत आम तौर पर 4 kHz आवृत्ति से कम होते हैं, जबकि मनुष्य की श्रवण सीमा 20 हर्ट्ज से 20 kHz आवृत्ति के बीच होती है, इस प्रकार सामन्यता मनुष्य इसे सुनने में अशक्त होते हैं।

त्सो कर आर्द्रभूमि परिसर

संदर्भ

हाल ही में,  भारत ने लद्दाख के त्सो कार आर्द्रभूमि क्षेत्र को 42वें रामसर स्थल के रूप में शामिल किया है। रामसर स्थल के रूप में नामित संघ शासित प्रदेश लद्दाख का यह दूसरा स्थल है। लद्दाख का त्सो कार आर्द्रभूमि परिसर अब अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि है। विदित है कि कुछ समय पूर्व महाराष्ट्र की लोनार झील और आगरा की सूर सरोवर (केथम झील) आर्द्रभूमि को रामसर स्थलों की सूची में जोड़ा गया था।

त्सो कार घाटी

  • त्सो कार घाटी/बेसिन एक अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित एक आर्द्रभूमि परिसर है, जिसमें दो प्रमुख जलप्रपात/जल निकाय हैं। दक्षिण में मीठे पानी की झील ‘स्टारत्सपुक त्सो’ (Startsapuk Tso) और उत्तर में खारे पानी की झील ‘त्सो कार’ (Tso Kar) स्थित है। यह लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में अवस्थित है।
  • ‘त्सो कार’ का अर्थ सफेद नमक या सफ़ेद झील होता है। इस क्षेत्र में मौजूद अत्यधिक खारे पानी के वाष्पीकारण के कारण किनारे पर सफेद नमक की पपड़ी पाई जाती है।
  • बर्ड लाइफ इंटरनेशनल के अनुसार त्सो कार घाटी A1 श्रेणी का एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) होने के साथ-साथ मध्य एशियाई उड़ान मार्ग का एक महत्त्वपूर्ण स्थल है।
  • साथ ही, यह स्थान भारत में काले गर्दन वाली सारस पक्षी (ग्रस नाइग्रीकोलिस : Grus nigricollis) का एक महत्त्वपूर्ण प्रजनन क्षेत्र है। इसके अतिरिक्त, यह आई.बी.ए. ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीबे, बार-हेडेड गीज या कलहंस, रूडी शेलडक या बतख, ब्राउन-हेडेड गल, लेसर सैंड-प्लोवर और कई अन्य प्रजातियों के लिये एक प्रमुख प्रजनन क्षेत्र है।
  • उल्लेखनीय है कि लद्दाख के चांगथांग पठार पर अवस्थित त्सो मोरीरी झील या ‘माउंटेन लेक’ को वर्ष 2002 में रामसर आर्द्रभूमि स्थल के रूप में अधिसूचित किया गया था।

रामसर सूची का उद्देश्य

  • रामसर सूची का उद्देश्य आर्द्रभूमि के एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का विकास एवं रखरखाव करना है।
  • यह वैश्विक जैव विविधता के संरक्षण एवं उनके पारिस्थितिक तंत्र के घटकों, प्रक्रियाओं तथा लाभों के रखरखाव के जरिये मानव जीवन को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

आर्द्रभूमि क्षेत्र

  • आर्द्रभूमि क्षेत्र भोजन, पानी, फाइबर, भूजल पुनर्भरण, जल शोधन के साथ-साथ बाढ़ नियंत्रण, कटाव नियंत्रण और जलवायु विनियमन जैसे महत्त्वपूर्ण संसाधन एवं पारिस्थितिकी सेवाएँ प्रदान करता है।
  • वास्तव में आर्द्रभूमि जल का एक मुख्य स्रोत होती है और मीठे पानी के आपूर्ति में सहायक होती है। आर्द्रभूमि वर्षा जल को सोखने और भूजल पुनर्भरण में मदद करती है।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस क्षेत्र का उपयोग सुनिश्चित करने के लिये केंद्र शासित प्रदेश आर्द्रभूमि प्राधिकारण के साथ मिलकार कार्य करेगा।

ज़ोमी जनजातीय समूह

संदर्भ

हाल ही में, ज़ोमी जातीय समूह ने असम के बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) की तर्ज पर एक स्व-प्रशासित क्षेत्र की माँग की है।

ज़ोमी जनजातीय समूह

  • ज़ोमी मणिपुर का एक मुख्य जनजातीय समूह है। ज़ोमी परिषद नौ ज़ोमी जनजातियों का प्रतिनिधित्त्व करती है। इसमें गंगटे, कोम, मेट, पेइती, सिमटे, टेडिम चिन, थांगखल, ज़ो और वैपी शामिल हैं।
  • ज़ोमी स्वयं को ज़ो (Zo) का वंशज मानते हैं। ज़ो तिब्बती-बर्मन लोग है, जो चिन-कूकी भाषा समूह बोलते हैं। ये नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर और असम में बिखरे हुए हैं।

ज़ोलैंड प्रादेशिक परिषद (ZTC)

  • यह समूह संविधान की 6ठीं अनुसूची के तहत ज़ोलैंड प्रादेशिक परिषद (ZTC) की माँग कर रहा है, जिसकी परिकल्पना बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) की तर्ज पर की गई है।
  • मणिपुर की यह जनजाति पूर्वोत्तर भारत की एकमात्र ऐसी जनजाति है जिसे 6ठीं अनुसूची के प्रावधानों का लाभ नहीं मिलता हैं।
  • वर्तमान में केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी-ज़ोमी समूहों से संबंधित 25 चरमपंथी समूहों के बीच त्रिपक्षीय संचालन का निलंबन (Suspension Of Operations) लागू है।
  • संचालन का निलंबन समझौते को पहली बार वर्ष 2005 में ज़ोमी क्रांतिकारी सेना (ZRA) द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था, जिसमें अन्य समूह बाद में शामिल हुए। इस समझौते का उद्देश्य चरमपंथी समूहों द्वारा की गई माँगों पर चर्चा करना और मणिपुर में शांति स्थापित करना है।

अन्य तथ्य

  • प्रत्येक वर्ष9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस या ‘विश्व के देशज़ लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस की थीम कोविड-19 और स्वदेशी लोगों का लचीलापन है।
  • संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2019 के माध्यम से परिवारा (Parivara) और तलवारा (Talawara) समुदायों को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल किया गया है।

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