शॉर्ट न्यूज़: 27 जुलाई, 2022
पीने के पानी में नोनीलफेनॉल
राष्ट्रव्यापी एंटी-रेबीज वैक्सीन अभियान
पीने के पानी में नोनीलफेनॉल
चर्चा में क्यों
हाल ही में जारी एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि पूरे देश में पीने के पानी में उच्च स्तर का जहरीला रासायन नोनीलफेनॉल (Nonylphenol) की उपस्थिति पाई गई है।
प्रमुख बिंदु
- ‘टॉक्सिक केमिकल नोनीलफेनॉल: ए बैरियर टू सेफ ड्रिंकिंग वॉटर’ नामक शीर्षक से जारी किये गए अध्ययन में यह पाया गया कि पीने के पानी में जहरीले रसायन नोनीलफेनॉल की उपस्थिति अनुमेय सीमा (Permissible Limit) से 29 से 81 गुना अधिक है।
- अध्ययन के लिये देश के विभिन्न हिस्सों से पीने के पानी के नमूने एकत्र किये गए, जिसमें से बठिंडा (पंजाब) के एक बोरवेल के पानी के नमूने (80.5 भाग प्रति बिलियन) में नोनीलफेनॉल की उच्चतम सांद्रता पाई गई है।
नोनीलफेनॉल
- ‘नोनीलफेनॉल’ एक जहरीला रसायन है, जो मानव शरीर में अंतःस्रावी व्यवधान (Endocrine Disruptor) डालता है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने भी नोनीलफेनॉल को वैश्विक चिंता के रसायन के रूप में नामित किया है।
नोनीलफेनॉल का उपयोग
इसका उपयोग आमतौर पर नोनीलफेनॉल एथोक्सिलेट्स (एन.पी.ई.) के उत्पादन में किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, इसका उपयोग दिन-प्रतिदिन के उपभोक्ता उत्पादों जैसे डिटर्जेंट एवं डिस्पर्सेंट के रूप में भी किया जाता है।
भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस.) के दिशानिर्देश
भारतीय मानक ब्यूरो ने फेनोलिक यौगिकों के लिये मानक निर्धारित किये हैं, जो पीने के पानी में 1 भाग प्रति बिलियन (पीपीबी) और सतही जल में 5 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम) निर्धारित किया गया है। लेकिन वर्तमान में, भारत में पीने के पानी और सतही जल में विशेष रूप से नोनीलफेनॉल के लिये कोई मानक निर्धारित नहीं हैं।
राष्ट्रव्यापी एंटी-रेबीज वैक्सीन अभियान
चर्चा में क्यों
हाल ही में, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) ने 6 जुलाई को जूनोटिक रोगों से लड़ने के लिये एक राष्ट्रव्यापी मुफ्त टीकाकरण शिविर का आयोजन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस शिविर के दौरान आई.आई.एल. ने ‘वन हेल्थ’ विजन को साकार करने के लिये ‘रक्षारब’ (Raksharab) और ‘स्टारवैक आर’ (Starvac R) नामक एंटी-रेबीज टीकें की 1 लाख खुराकें मुफ्त में दीं है।
- जूनोटिक बीमारी के खिलाफ पहले टीकाकरण के उपलक्ष्य में प्रति वर्ष 6 जुलाई को विश्व जूनोसिस दिवस मनाया जाता है। विदित है कि जानवरों से मनुष्यों में संचारित होने वाले रोगों को जूनोटिक रोग कहा जाता है।
जूनोटिक रोगों की स्थिति
- विश्व के वनों की स्थिति रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत को जूनोटिक वायरल रोगों के संभावित हॉटस्पॉट के रूप में देखा जा रहा है।
- रेबीज, स्वाइन फ्लू, निपाह, ब्रुसेलोसिस (Brucellosis), लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis), पोर्सिन सिस्टीसर्कोसिस (Porcine Cysticercosis) और जीका जैसी सभी उभरती हुई बीमारियों में से लगभग 70% प्रकृति में जूनोटिक बीमारियाँ हैं।