शॉर्ट न्यूज़ : 28 जनवरी , 2023
मुगल गार्डन अब अमृत उद्यान
पश्मीना शॉल
मुगल गार्डन अब अमृत उद्यान
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के खूबसूरत मुगल गार्डन का नाम बदल दिया गया है। अब इसे अमृत गार्डन के नाम से जाना जाएगा।
अमृत उद्यान
- रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन के अंदर 15 एकड़ में अमृत उद्यान है, जिसमें 10 से अधिक गार्डन हैं।
- उद्यान में गुलाब, विभिन्न फूल, सेंट्रल लॉन एंड लॉग, सर्कुलर, स्पिरिचवल, औषधीय पौधों के अलावा करीब 160 वेरायटी के पांच हजार से अधिक पेड़ भी शामिल हैं।
![Amrit-Udyan](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//Amrit-Udyan.jpg)
इतिहास
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद ने इसको खुलवाया।
- नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के पीछे स्थित मुगल गार्डन अपने किस्म का अकेला ऐसा उद्यान है, जहां विश्वभर के रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखने को मिलती है।
- इसकी अभिकल्पना ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने लेडी हार्डिग के आदेश पर की थी।
- इसका निर्माण 1917 में हुआ था।
खास आकर्षण
- गार्डन में इस बार 12 किस्म की ट्यूलिप्स देखने को मिलेगी।
- फूलों के सामने QR कोड लगे होंगे, जिसको स्कैन करके आपको फूलो के बारे में जानकरी मिलेगी।
- गार्डन में सेल्फी पॉइंट्स भी बनाये गए है।
- इस दौरान 12 छात्र जो संबंधित विषय पर पीएचडी कर रहे है, वो भी मौजूद रहेंगे।
- गार्डन में स्पेशल कैटेगरी के लिए भी अलग से दिन निर्धारित किए गए हैं।
- स्पेशल कैटेगरी के लिए 28 मार्च से 31 मार्च तक का दिन निर्धारित किया गया है।
- इस कैटेगरी में किसान, दिव्यांग, महिलाओं समेत अन्य शामिल हैं।
नए नियम
- इस बार अमृत गार्डन दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक खुलेगा।
- गार्डन को देखने के लिए ऑनलाइन ही बुकिंग हो सकेगी।
- पहली बार वॉक इन विजिटर्स को भी गार्डन घूमने दिया जायेगा।
- इस बार उद्यान सबसे ज्यादा अवधि 31 जनवरी से 26 मार्च तक 2 महीने के लिए खुलेगा।
- इस साल मानसून सीजन में भी गार्डन खुलेगा। इस तरह अमृत उद्यान अब साल में दो बार खुलेगा।
पश्मीना शॉल
![pashmina-shawl](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//pashmina-shawl.jpg)
- पश्मीना शब्द फारसी शब्द 'पश्म' से आया है जिसका अर्थ है मुलायम सोना।
- यह विशिष्ट डाई अवशोषक गुण के अलावा अपनी गर्मी, हल्के वजन और कोमलता के लिए जाना जाता है।
- पश्मीना शॉल को मुगल साम्राज्य के दिनों में रैंक और कुलीनता की वस्तुओं के रूप में प्रसिद्धि मिली।
- पश्मीना चांगथांगी बकरी से प्राप्त होता है।
- चांगथांगी जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के ऊंचाई में स्वदेशी बकरी की एक विशेष नस्ल है।
- इन बकरियों को चांगपा खानाबदोशों द्वारा पाला जाता है।
- इन बकरियों को अल्ट्रा-फाइन कश्मीरी ऊन के लिए पाला जाता है, जिसे एक बार बुने के बाद पश्मीना के रूप में जाना जाता है।
- चांगथांगी बकरियों में एक मोटा अंडरकोट होता है जो पश्मीना ऊन का स्रोत है
- चांगथांगी बकरियां सर्दियों के दौरान अपने शरीर से ऊन की ऊपरी परत खुद त्याग देती हैं, इन्हें अलग से काटना नहीं पड़ता है।
- पश्मीना को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया का सबसे महंगा कपड़ा होने की मान्यता दी गई है।
- पश्मीना शॉल को भौगोलिक संकेतक भी प्राप्त है।
- भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा पश्मीना उत्पादों की शुद्धता को प्रमाणित करने के लिये भारतीय मानक प्रमाणन भी निर्धारित किये गए हैं।