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शॉर्ट न्यूज़: 29 अप्रैल, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 29 अप्रैल, 2022


कार्बन की सामाजिक लागत (कार्बन कर)

प्रधानमंत्री संग्रहालय


कार्बन की सामाजिक लागत (कार्बन कर)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, अमेरिका ने कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिये कार्बन की सामाजिक लागत के रूप में ‘कार्बन कर’ का प्रस्ताव रखा है। यह प्रतिवर्ष प्रतिटन कार्बन उत्सर्जन पर आधारित है।

प्रमुख बिंदु

  • ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से बाढ़, सूखा और अन्य आपदाओं में वृद्धि हुई है। इसलिये, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये कई देश और स्थानीय सरकारें ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन पर एक मूल्य कर लगा रही हैं।
  • वर्तमान स्थिति को देखते हुए अमेरिका ने कार्बन मूल्य निर्धारण नीति का प्रस्ताव रखा है। अमेरिकी सरकार ने कार्बन उत्सर्जन की सामाजिक लागत लगभग 51 डॉलर निर्धारित की है, जिसका तात्पर्य यह है कि विद्युत संयंत्र या टेल पाइप से निकलने वाले प्रत्येक टन कार्बन डाइऑक्साइड को आगामी वर्षों में आर्थिक नुकसान के रूप में 51 डॉलर का योगदान करना होगा।
  • उल्लेखनीय है कि पेंसिल्वेनिया कार्बन मूल्य निर्धारण नीति अपनाने वाला अमेरिका का पहला प्रमुख जीवाश्म ईंधन उत्पादक राज्य बन गया है। यह अमेरिका के उन 11 राज्यों में शामिल है जहाँ कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस विद्युत संयंत्रों को उनके द्वारा उत्सर्जित प्रत्येक टन कार्बन डाइऑक्साइड के लिये क्रेडिट खरीदने की आवश्यकता है।

कार्बन मूल्य निर्धारण (Carbon Pricing) 

  • कार्बन मूल्य निर्धारण, कार्बन उत्सर्जन पर एक मूल्य निर्धारित कर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिये एक बाज़ार आधारित रणनीति है। यह दर्शाता है कि नीलामी में प्रस्तुत किये जाने वाले उत्सर्जन क्रेडिट की सीमित मात्रा के लिये कंपनियाँ कितना भुगतान करने को तैयार हैं।
  • यह आर्थिक संकेतक है जिसके आधार पर प्रदूषक स्वयं निर्धारित करते हैं कि क्या अपनी प्रदूषणकारी गतिविधियों को बंद करना है, उत्सर्जन को कम करना है या प्रदूषण को जारी रख कर इसके लिये भुगतान करना है।

कार्बन कर (Carbon Tax)

कार्बन कर, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर कर की दर को परिभाषित करके कार्बन (विशेषकर जीवाश्म ईंधन की कार्बन सामग्री) पर एक मूल्य निर्धारित करता है। 


प्रधानमंत्री संग्रहालय

चर्चा में क्यों

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ का उद्घाटन किया। 

प्रमुख बिंदु

  • यह संग्रहालय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निवास ‘तीन मूर्ति परिसर’ में स्थापित किया गया है। विदित है कि इस परिसर को पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद ‘नेहरू मेमोरियल संग्रहालय एवं पुस्तकालय’ (NMML) में परिवर्तित कर दिया गया था।
  • गौरतलब है कि प्रधानमंत्री संग्रहालय को स्थापित करने के उद्देश्य से सरकार ने इस परियोजना की घोषणा वर्ष 2018 में की थी। 
  • ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत स्थापित यह संग्रहालय युवाओं के लिये प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इससे वे पूर्व प्रधानमंत्रियों के ज्ञान, अनुभव तथा भारत के विकास क्रम में उनके योगदान को समझने में सक्षम होंगे।

Sculptures

  • यह संग्रहालय प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • संग्रहालय के प्रतीक चिह्न (Logo) में ‘धर्म चक्र पकड़े हाथ’ को दर्शाया गया है। यह धर्म चक्र राष्ट्र और लोकतंत्र का प्रतीक है।
  • संग्रहालय के डिज़ाइन में टिकाऊ और ऊर्जा संरक्षण प्रथाओं को शामिल किया गया है इस परियोजना में पर्यावरण को किसी भी प्रकार से क्षति नहीं पहुँचाई गई।
  • संग्रहालय में पूर्व प्रधानमंत्रियों के जीवन और कार्यकाल के साथ-साथ एक ध्वनि और प्रकाश शो पर 43 दीर्घाएँ (Galleries) शामिल हैं।
  • स्वतंत्रता संग्राम से लेकर संविधान के निर्माण तक, संग्रहालय में प्रदर्शनी होंगी जो प्रदर्शित करेंगी कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों ने देश के विकास को एक नई दिशा प्रदान की।
  • संग्रहालय में प्रत्येक प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत वस्तुएँ, उपहार और यादगार वस्तुएँ, जैसे- पदक, स्मारक टिकट, उनके भाषण और विचारधाराओं के वास्तविक चित्रण संग्रहालय में प्रदर्शित होंगे। 
  • संग्रहालय में नेहरू संग्रहालय भी शामिल होगा। प्रधानमंत्री नेहरू के जीवन और उनके योगदान को प्रदर्शित करने के लिये इसे तकनीकी रूप से उन्नत डिस्प्ले के साथ अपग्रेड किया गया है। 
  • संग्रहालय प्रदर्शनी सामग्री को परस्पर संवादात्मक बनाने के लिये होलोग्राम, आभासी वास्तविकता, संवर्धित वास्तविकता, मल्टी-टच, मल्टीमीडिया, इंटरेक्टिव कियोस्क, कम्प्यूटरीकृत गतिज मूर्तियां (Computerised Kinetic Sculptures), स्मार्टफोन एप्लिकेशन, इंटरैक्टिव स्क्रीन, अनुभवात्मक स्थापना (Experiential Installations) आदि का उपयोग किया गया है।
  • संग्रहालय में प्रदर्शित सामग्री प्रसार भारती, दूरदर्शन, फिल्म प्रभाग, संसद टीवी, रक्षा मंत्रालय और भारतीय और विदेशी मीडिया समूहों से एकत्र की गई जानकारी से संवर्धित है।

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