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शॉर्ट न्यूज़: 30 दिसंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 30 दिसंबर, 2020


हाइपोथर्मिया ( Hypothermia )

प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी (Proxima Centauri)

डिजिटल ओशन


हाइपोथर्मिया ( Hypothermia )

संदर्भ

हाल ही में, भारत मौसम विभाग (IMD) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर भारत के कई अन्य हिस्सों में गंभीर शीत लहर का पूर्वानुमान लगाते हुए इन क्षेत्रों के लोगों को शराब के सेवन न करने और ठण्ड से बचने के साथ ही हाइपोथर्मिया की स्थिति से बचने की सलाह भी दी है। 

प्रमुख बिंदु 

  • आई.एम.डी. के विशेषज्ञों के अनुसार शराब हमारे शरीर के तापमान को कम करके हमें गर्म होने का एहसास देती है लेकिन इसके कारण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो सकती है और हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ सकता है।
  • अल्कोहल मुख्यतः एक वैसोडिलेटर (vasodilator) होता है, अर्थात् यह रक्त वाहिकाओं को शिथिल कर देता है। इसलिए शराब का सेवन करने के बाद, त्वचा की सतह पर रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर गर्मी महसूस करता है।
  • आई.एम.डी. ने शीतदंश (frostbite) की चेतावनी भी दी है, फ्रॉस्टबाइट की स्थिति में त्वचा पीली, कठोर और सुन्न हो जाती है और अत्यधिक ठंड की स्थिति में शरीर पर काले फफोले भी पड़ जाते हैं।
  • आई.एम.डी. ने शीतलहर की स्थिति में लोगों से बाहरी गतिविधियों को सीमित करने, तेल या क्रीम के साथ नियमित रूप से अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करने, विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियाँ खाने और शरीर की प्रतिरक्षा को बनाए रखने के लिये लगातार गर्म तरल पदार्थ पीते रहने  का भी आग्रह किया है।

 हाइपोथर्मिया

  • हाइपोथर्मिया एक गंभीर शारीरिक स्थिति है, जिसमें शरीर ऊष्मा/गर्मी उत्पन्न करने से पहले ही इसे खो देता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर का तापमान रूप से कम हो जाता है।
  • सामान्य शरीर का तापमान लगभग 37℃ होता है, हाइपोथर्मिया से पीड़ित व्यक्ति के शरीर का तापमान 35 ℃ से भी नीचे चला जाता है।
  • सामान्य लक्षणों में कंपकंपी, सांस लेने की धीमी दर, स्पष्ट बोलने में दिक्कत, ठंडी त्वचा और थकान आदि शामिल हैं। विशेष परिस्थितियों में हाइपोथर्मिया के कारण सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
  • नवजात तथा वृद्ध लोगों को यह अधिक प्रभावित करता है, क्योंकि इनकी सामान्य शारीरिक तापमान को बनाए रखने की क्षमता कम होती है।
  • अमूमन मानव मष्तिष्क में हाइपोथैलेमस के प्रभावित होने के कारण हाइपोथर्मिया की स्थिति उत्पन्न होती है क्योंकि हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान नियंत्रक के रूप में कार्य करता है।
  • हाइपोथर्मिया के 68% मामलों में मुख्य कारक शराब को माना गया है।

 


प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी (Proxima Centauri)

संदर्भ

  • महान भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग द्वारा शुरू किये गए $ 100 मिलियन ब्रेकथ्रू लिसन प्रोजेक्ट (BKL) के अंतर्गत हाल ही में, खगोलविदों को प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी तारे की ओर से उत्सर्जित एक रहस्यमयी रेडियोतरंग के संकेत मिले हैं।
  • इस संकेत के मिलने से वैज्ञानिक एक बार पुनः पृथ्वी से बाहर जीवन की तलाश तथा एलियंस होने की संभावना को तलाश रहे हैं।

प्रॉक्सिमा सेंक्चुरीproxima-centauri

  • प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी सूर्य से 4.2 प्रकाश वर्ष दूर स्थित इसका सबसे करीबी तारा है, इसका द्रव्यमान सूर्य के आठवें हिस्से के बराबर है। यह पृथ्वी से खुली आँखों से देखने पर धुंधला दिखाई देता है।
  • प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी एक लाल बौना तारा है तथा इसकी सतह का तापमान केवल 3 हजार डिग्री केल्विन है। इसकी तुलना में सूर्य की सतह का तापमान अधिक (6 हजार डिग्री केल्विन) है। अपेक्षाकृत कम तापमान के कारण प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी के आस-पास का वातावरण जल की मौजूदगी के लिये अनुकूल है।
  • प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी के 2 ग्रह हैं; प्रॉक्सिमा B तथा प्रॉक्सिमा C. प्रॉक्सिमा B, जीवन की संभावना के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण है। यह पृथ्वी से 1.2 गुना बड़ा है तथा यह प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी का एक चक्कर 11 दिनों में पूरा करता है। प्रॉक्सिमा C अपने तारे से बहुत दूर स्थित नेप्चून जैसा ग्रह है।
  • प्रॉक्सिमा B, प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी के गोल्डीलॉक्स ज़ोन में स्थित है, जिसका अर्थ है कि इसके आस-पास का वातावरण न ही तो बहुत गर्म है और न ही बहुत ठंडा। विदित है कि पृथ्वी, सूर्य के गोल्डीलॉक्स ज़ोन में स्थित है।
  • हालाँकि, प्रॉक्सिमा B पर अभी तक जल की मौजदूगी का कोई प्रमाण नहीं मिला है। एक संभावना के अनुसार अगर प्रॉक्सिमा सेंक्चुरी पर सौर ज्वाला न पहुँचे तो यह जीवन के लिये घातक सिद्ध होगा।

डिजिटल ओशन

संदर्भ

हाल ही में, डॉ. हर्षवर्धन ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) द्वारा विकसित डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘डिजिटल ओशन’ का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • डिजिटल ओशन, महासागरीय आँकड़ों के प्रबंधन (ओशन डेटा मैनेजमेंट) के लिये अपनी तरह का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
  • ‘डिजिटल ओशन’ महासागर से संबंधित आँकड़ों को अनुसंधान व परिचालन संबंधी संस्थाओं, सामरिक उपयोगकर्ताओं, शैक्षणिक समुदायों, समुद्री उद्योग और नीति निर्माताओं सहित उपयोगकर्ताओं के एक विस्तृत समूह के साथ साझा करने में मदद करता है।
  • डिजिटल ओशन आम जनता और सामान्य लोगों को सूचना तक निशुल्क पहुँच उपलब्ध कराता है। डिजिटल ओशन को हिंद महासागर के किनारे बसे सभी देशों में ओशन डाटा मैनेजमेंट में क्षमता निर्माण के लिये एक मंच के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।

लाभ

  • डिजिटल ओशन, डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह महासागरों के टिकाऊ प्रबंधन और ‘ब्लू इकोनॉमी’ (सागर आधारित अर्थव्यवस्था) को विस्तार देने व आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
  • यह गहरे महासागरीय अभियान, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर शोध, सागरीय खनिज संपदा तथा खाद्य स्रोतों से संबंधित आँकड़े उपलब्ध कराएगा। इन आँकड़ों को साझा करना अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
  • डिजिटल ओशन उपयोगकर्ताओं की एक विस्तृत श्रेणी के लिये के सभी आँकड़ों हेतु वन स्टॉप-सॉल्यूशन के रूप में कार्य करेगा।

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)

  • भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय है।
  • इसकी परामर्श सेवाओं में मछली पकड़ने के संभावित क्षेत्रों के संबंध में सलाह, महासागरीय स्थिति का पूर्वानुमान, ऊँची लहरों तथा सुनामी की प्रारंभिक चेतावनी, चक्रवात के विकास और तेल-रिसाव की सलाह इत्यादि शामिल हैं।
  • यह संस्थान राष्ट्रीय एग्रो डाटा केंद्र और अंतर्राष्ट्रीय एग्रो कार्यक्रम के क्षेत्रीय एग्रो डाटा सेंटर के रूप में सेवा प्रदान कर रहा है।

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