शॉर्ट न्यूज़: 5 दिसंबर, 2020
द्वितीय कैंसर जीनोम एटलस, 2020 सम्मलेन
पैसेज अभ्यास (पासेक्स)
चीन ने शुरू किया कृत्रिम सूर्य का संचालन
एरेसीबो रेडियो टेलीस्कोप (Arecibo Radio Telescope)
लॉटरी, जुआ व सट्टेबाजी : जी.एस.टी. के तहत कर योग्य
द्वितीय कैंसर जीनोम एटलस, 2020 सम्मलेन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने नई दिल्ली में द्वितीय कैंसर जीनोम एटलस, 2020 सम्मेलन का उद्घाटन किया।
भारत ने इस सम्मेलन में भारतीय जनसंख्या में प्रचलित कैंसर के सभी प्रकारों के आणविक प्रोफाइल के स्वदेशीकरण, खुले स्रोत और व्यापक डाटाबेस के निर्माण पर बल दिया।
कैंसर जीनोम एटलस
- द कैंसर जीनोम एटलस (TCGA) अमेरिका स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI) और राष्ट्रीय मानव जीनोम अनुसंधान संस्थान (NHGRI) द्वारा वर्ष 2006 में शुरू की गई एक महत्त्वपूर्ण परियोजना है।
- यह विचार कैंसर के कारण होने वाले अनुवांशिक उत्परिवर्तन (Genetic Mutations) की एक सुव्यवस्थित सूची बनाने से प्रेरित है, जिसके तहत जीन अनुक्रमण तथा जैव सूचना विज्ञान के माध्यम से रोगी के ट्यूमर और रक्त के नमूनों को एकत्रित तथा संसाधित किया जाता है।
- ध्यातव्य है कि यह डाटा दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिये उपलब्ध है और इसका उपयोग कैंसर के निदान, उपचार और रोकथाम के लिये नए समाधान विकसित करने के लिये किया जाता है।
इंडियन कैंसर जीनोम एटलस (ICGA)
- भारत में सी.एस.आई.आर, सरकार की प्रमुख सरकारी एजेंसियों, कैंसर अस्पतालों, प्रमुख हितधारकों के संघ, शैक्षणिक संस्थानों और निजी कम्पनियों के साझेदारों के नेतृत्व में आई.सी.जी.ए. की शुरुआत की गई है।
- आई.सी.जी.ए. का उद्देश्य कैंसर तथा अन्य क्रोनिक बीमारियों के नैदानिक परिणामों में सुधार लाना है।
अन्य तथ्य
- डब्ल्यू.एच.ओ. की विश्व कैंसर रिपोर्ट के अनुसार, 10 भारतीयों में से एक भारतीय अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में कैंसर से ग्रसित होता है तथा कैंसर रोग के 15 मरीजों में से एक की मृत्यु हो जाती है।
पैसेज अभ्यास (पासेक्स)
प्रमुख बिंदु
- भारतीय नौसेना 4-5 दिसम्बर, 2020 को पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में रूसी फेडरेशन नेवी के साथ पैसेज अभ्यास (Passage Exercise : PASSEX) कर रही है। उल्लेखनीय है कि 4 दिसम्बर को ‘भारतीय नौसेना दिवस’ मनाया जाता है।
- पासेक्स का आयोजन नियमित रूप से भारतीय नौसेना द्वारा अपने मित्र देशों की नौसेनाओं के साथ किया जाता है। इसमें वे एक-दूसरे के बंदरगाहों पर जाकर या समुद्र में किसी निश्चित स्थान पर इसका अभ्यास करते हैं।
- इस अभ्यास में भारतीय नौसेना की ओर से स्वदेश निर्मित दिशानिर्देशित मिसाइल युद्धपोत ‘शिवालिक’ और पनडुब्बी रोधी टोही युद्धपोत ‘कदमत्त’ अपने अभिन्न हेलिकॉप्टरों के साथ भाग ले रहे हैं।
- साथ ही, रूसी फेडरेशन नेवी की ओर से दिशानिर्देशित मिसाइल क्रूज़र ‘वर्याग’ (Varyag), पनडुब्बी रोधी जहाज़ ‘एडमिरल पेंटेलेयेव’ (Admiral Panteleyev) और मध्यम दूरी का महासागरीय टैंकर ‘पचेंगा’ (Pechenga) हिस्सा ले रहे हैं।
उद्देश्य
- इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता में वृद्धि करना, तालमेल को बेहतर करना और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना है। पासेक्स भारत-रूस रक्षा सम्बंधों की मज़बूती की ओर बढ़ाया गया एक और कदम है।
- इस अभ्यास का आयोजन पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में किया जा रहा है, जो दोनों देशों के बीच मज़बूत दीर्घकालिक रणनीतिक सम्बंधों, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में रक्षा सहयोग को दर्शाता है।
- दोनों नौसेनाओं ने ‘इंद्र नेवी’ (Indra Navy) जैसे नियमित द्वि-वार्षिक अभ्यास के जरिये भी सम्बंधों को मज़बूत करने का प्रयास किया है। विदित है कि ‘इंद्र नेवी’ का पिछला संस्करण उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में सितम्बर 2020 में आयोजित किया गया था।
चीन ने शुरू किया कृत्रिम सूर्य का संचालन
चीन ने शुरू किया कृत्रिम सूर्य का संचालन
- हाल ही में, चीन ने पहली बार परमाणु संलयन रिएक्टर HL-2M टोकामक रिएक्टर संचालित किया है, जो परमाणु ऊर्जा क्षमताओं की दिशा में में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- यह चीन का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत परमाणु संलयन प्रायोगिक अनुसंधान उपकरण है, जो भविष्य में एक शक्तिशाली स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत बन सकता है।
- यह रिएक्टर हाइड्रोजन और ड्यूटेरियम गैसों का उपयोग ईंधन के रूप में करके सूर्य में होने वाली प्राकृतिक प्रतिक्रियाओं की प्रतिकृति बनाता है।
- इस रिएक्टर में प्लाज़्मा के संलयन के लिये एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है। यह सूर्य की कोर की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक तापमान के स्तर तक पहुँच सकता है।
- यह रिएक्टर चीन के सिचुआन प्रांत में स्थित है, जिसका निर्माण पिछले वर्ष के अंत में पूरा हुआ था। रिएक्टर को असाधारण ऊष्मा उत्पन्न करने और उससे पैदा होने वाली ऊर्जा के कारण "कृत्रिम सूर्य" कहा जाता है।
- ध्यातव्य है कि चीन ने इस परियोजना पर वर्ष 2006 में कार्य करना शुरू किया था।
एरेसीबो रेडियो टेलीस्कोप (Arecibo Radio Telescope)
हाल ही में, प्यूर्टो रिको की एरेसीबो/आरसीबो वेधशाला का विशाल रेडियो दूरदर्शी/टेलिस्कोप (विश्व के सबसे बड़े दूरदर्शियों में से एक) 57 वर्षों तक खगोलीय खोजों में योगदान देने के बाद अंततः नष्ट हो गया।
एरेसीबो टेलिस्कोप
- एरेसीबो वेधशाला, जिसे नेशनल एस्ट्रोनॉमी और आयनोस्फीयर सेंटर (NAIC) के रूप में भी जाना जाता है। यह यू.एस. नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) के स्वामित्व वाली प्योर्टो रिको की एक वेधशाला थी।
- यह दुनिया के सबसे बड़े सिंगल-एपर्चर दूरदर्शियों में से एक था, जो जुलाई 2016 में चीन के पांच सौ मीटर एपर्चर गोलाकार टेलीस्कोप (Five-hundred-meter Aperture Spherical Telescope - FAST) के निर्माण से पहले विश्व का सबसे बड़ा टेलिस्कोप था।
- वर्ष 1963 में इसका निर्माण हुआ था और उसके बाद से इसने तमाम तूफानों और चक्रवातों का सामना किया लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में प्रासंगिक बना रहा।
इसका योगदान
- सबसे शक्तिशाली रडार होने के नाते, वैज्ञानिकों ने एरेसीबो को ग्रहों, क्षुद्रग्रहों और आयनमंडल का निरीक्षण करने के लिये स्थापित किया था।
- इसके द्वारा कई बड़ी खोजें की गईं, जिसमें दूर स्थित आकाशगंगाओं में प्रीबायोटिक अणु (Prebiotic Molecules) की खोज, पहले एक्सोप्लैनेट की खोज और पहले मिलीसेकंड पल्सर की खोज शामिल है।
- वर्ष 1967 में, एरेसीबो द्वारा यह पता लगाया गया था कि बुध ग्रह 59 दिनों में अपनी परिक्रमा करता है, न कि 88 दिनों में जैसा कि उसके पहले ज्ञात था।
लॉटरी, जुआ व सट्टेबाजी : जी.एस.टी. के तहत कर योग्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) अधिनियम के तहत लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी कर योग्य हैं।
न्यायालय का निर्णय
- न्यायालय ने कहा कि लॉटरी, सट्टेबाजी व जुआ ‘कार्रवाई योग्य दावे’ हैं अर्थात् इन पर कर लगाया जा सकता है और ये केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 2 (52) के तहत ‘वस्तु’ की परिभाषा में आते हैं।
- साथ ही, लॉटरी पर जी.एस.टी. लगाना द्वेषपूर्ण भेदभाव (Hostile Discrimination) के अंतर्गत नहीं आता है और यह संविधान के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है।
सम्बंधित मामला
- न्यायालय ने यह निर्णय ‘स्किल लोट्टो सॉल्यूशंस और अन्य लॉटरी एजेंटों’ द्वारा लॉटरी को ‘वस्तु न मानने’ और ‘उस पर जी.एस.टी. को अवैध बताने’ के संदर्भ में दिया है।
- अदालत ने सरकार के इस रुख को स्वीकार किया कि संसद को संविधान के अनुच्छेद 246A के तहत लॉटरी पर जी.एस.टी. लगाने की सामर्थ्यता है। वस्तु और सेवा कर के सम्बंध में अनुच्छेद 246A एक विशेष प्रावधान है।
- हाल ही में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए कहा है कि ऑनलाइन जुआ या ऑनलाइन सट्टेबाजी के सभी रूपों पर तब तक प्रतिबंध लगाया जाए जब तक कि राज्य इन ऑनलाइन गतिविधियों को विनियमित करने के लिये किसी तंत्र का निर्माण नहीं कर लेते हैं।