शॉर्ट न्यूज़: 7 जनवरी, 2022
भारतीय उपमहाद्वीप : पक्षियों के लिये सबसे बड़ा शीतकालीन आवास
गिटहब प्लेटफ़ॉर्म
पैक्सलोविड टैबलेट
व्युत्क्रम कर संरचना
भारतीय उपमहाद्वीप : पक्षियों के लिये सबसे बड़ा शीतकालीन आवास
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, चिल्का में किये गए ‘जल पक्षी स्थिति सर्वेक्षण- 2022’ को जारी किया गया।
सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु
- इस सर्वेक्षण के अनुसार, पूरे लैगून क्षेत्र में 107 जलीय पक्षी प्रजातियों और आर्द्रभूमि पर आश्रित 76 पक्षी प्रजातियों की गणना की गयी। इनकी कुल संख्या पिछले वर्ष की अपेक्षा कम हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में चिल्का को पक्षियों का सबसे बड़ा शीतकालीन आवास माना जाता है।
- गणना के दौरान दुर्लभ मंगोलियाई गल को भी देखा गया। चिल्का झील में स्थित ‘नलबाना पक्षी अभयारण्य’ में ग्रेटर फ्लेमिंगो (राजहंस) की संख्या में हुई वृद्धि नलबाना की पुनर्बहाली को प्रदर्शित करता है।
चिल्का झील
![](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//CONTINENT.jpg)
- चिल्का, भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून झील है। इसका विस्तार ओडिशा के पुरी, खुर्दा और गंजाम जिलों में है। इस लैगून में कई द्वीप मौजूद हैं, जिनमें कृष्णप्रसाद, नलबाना, कालीजाई, सोमोलो और पक्षी द्वीप समूह महत्त्वपूर्ण है। चिल्का झील को 'रामसर आर्द्रभूमि ' भी नामित किया गया है।
- चिल्का झील में कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर, मंगोलिया के किर्गिज़ स्टेप्स, मध्य एवं दक्षिण पूर्व एशिया, लद्दाख और हिमालय से प्रवासी पक्षी आते है।
पैक्सलोविड टैबलेट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने कोविड- 19 के उपचार के लिये फाइजर की एंटीवायरल दवा (टैबलेट) पैक्सलोविड (Paxlovid) के इस्तेमाल को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- यह दवा निर्माट्रेलविर और रिटोनविर (Nirmatrelvir and Ritonavir) के संयोजन से बनी है।
- इसे 12 वर्ष से अधिक आयु वाले कोविड मरीजों को इलाज़ में प्रयोग किया जा सकता है।
- यह ऐसी पहली दवा है जिसका इस्तेमाल संक्रमित मरीज घर पर रहकर ही कर सकते हैं।
- पैक्सलोविड टैबलेट प्रोटिएज एंजाइम की गतिविधियों को रोक देता है। विदित है कि यह एंजाइम वायरस के गुणन (Replicate) करने में मदद करता है।
क्रियाविधि
- इस दवा की क्रियाविधि एंटीबॉडीज और वैक्सीन से कुछ अलग है, इसलिये ये ओमिक्रोन के साथ-साथ कोरोना के किसी भी वैरिएंट के खिलाफ कारगर हो सकती है।
- अब तक इसे अमेरिका, यू.के. और कुछ अन्य देशों ने आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी है।
- ओमिक्रोन के बढ़ते प्रसार को देखते हुए भारत व अन्य आर्थिक रूप से कमजोर देशों को दिया जाएगा ताकि सभी लोगों को कोरोना की सस्ती दवा उपलब्ध हो सके।
बेक्सोविड
- बांग्लादेश की दवा निर्माता कंपनी बेक्सिमको फार्मा ने पैक्सलोविड के जेनेरिक संस्करण को लॉन्च करने वाली पहली कंपनी बन गई है। इस उत्पाद को ‘बेक्सोविड’ (Bexovid) ब्रांड नाम दिया गया है।
- पैक्सलोविड दवा पेटेंट कानून के तहत संरक्षित है किंतु बांग्लादेश जैसे देश जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने अल्प-विकसित देशों के रूप में वर्गीकृत किया है, ऐसे पेटेंटों की उपेक्षा कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि अल्प-विकसित देशों के लिये ट्रिप्स (TRIPS) संक्रमण जुलाई 2034 तक बढ़ा दी गई है।
व्युत्क्रम कर संरचना
चर्चा में क्यों?
वस्तु एवं सेवा कर परिषद् ने कपड़ा उद्योग के लिये जी.एस.टी. दर में वृद्धि को प्रभावी होने से पूर्व अस्थायी रूप से वापस ले लिया है।
प्रमुख बिंदु
- जी.एस.टी. परिषद् ने ‘व्युत्क्रम कर संरचना’ (Inverted Duty Structure) में सुधार के लिये फुटवियर और वस्त्रों पर कर की दर में संशोधन की सिफारिश की थी। वर्तमान में मानव निर्मित रेशे, सूत और वस्त्रों पर कर की दर क्रमश: 18, 12 और 5 प्रतिशत है।
- परिषद् ने कपड़ा क्षेत्र के लिये कर की दर को 5 से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का फैसला लिया था, जिसे 1 जनवरी से लागू किया जाना था। हालाँकि, गुजरात, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों की मांग के बाद इस निर्णय को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।
व्युत्क्रम कर संरचना
- ‘व्युत्क्रम कर संरचना’ से तात्पर्य ऐसी शुल्क संरचना से है जब उत्पादन या अंतिम उत्पाद पर लगाए गए कर की दर आगतों (इनपुट) पर लगाए गए दर से कम हो। इसका इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) संचयन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इसे ज़्यादातर मामलों में वापस करना पड़ता है।
- इससे सरकारी राजस्व के बहिर्वाह में वृद्धि हुई है, जिससे सरकार कर संरचना पर पुन: विचार करने के लिये प्रेरित हुई है। उदाहरणस्वरुप सरकार को फुटवियर क्षेत्र में एक वर्ष में लगभग 2,000 करोड़ रुपए वापस करना पड़ता है।
- वस्त्रों पर जी.एस.टी. दर को 12 प्रतिशत करने का निर्णय कपड़ा उद्योग को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मांग में गिरावट तथा मंदी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
जी.एस.टी. परिषद्
जी.एस.टी. परिषद् भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279A के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। यह वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित मुद्दों पर केंद्र व राज्य सरकार को सिफारिशें करता है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की जाती है।