शॉर्ट न्यूज़ : 29 अप्रैल , 2024
डंपिंग सिंड्रोम
परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के लिए दिशानिर्देश
मतदान प्रक्रिया बाधित होने पर चुनाव आयोग की शक्तियाँ
भारतीय रूपये की विनिमय दर तुलना
भारत में बढ़ता मृत्युदंड की स्थिति
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के सबसे पुराने साक्ष्य वाली चट्टानें
वोट फ्रॉम होम सुविधा
नरसिंह यादव - भारतीय कुश्ती महासंघ के एथलीट आयोग के अध्यक्ष
NABARD और RBI इनोवेशन हब
लघु वित्त बैंक के लिए ऑन टैप लाइसेंसिंग
ICC T20 विश्व कप 2024 के ब्रांड एंबेसडर
विझिंजम पोर्ट - भारत का पहला ट्रांसशिपमेंट हब
भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्रोजेक्ट
डंपिंग सिंड्रोम
डंपिंग सिंड्रोम एक चिकित्सीय स्थिति है जो भोजन विशेष रूप से चीनी के पेट से छोटी आंत में तीव्र गति से जाने के कारण उत्पन्न होती है।
प्रमुख बिंदु
- प्रभावित वर्ग
- यह विशेस रूप से उन लोगों को प्रभावित करती है जिन्होंने गैस्ट्रेक्टोमी या बेरिएट्रिक सर्जरी करवाई है।
- प्रतिक्रिया के रूप में
- भोजन के तीव्र पारगमन से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और वासोमोटर प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला उत्पन्न होती है।
- शरीर छोटी आंत में तरल पदार्थ को स्थानांतरित करके सामग्री को पतला करने के लिए प्रतिक्रिया करता है, जिससे संभावित रूप से पेट में असुविधा और अन्य लक्षण उत्पन्न होते हैं।
- लक्षण
- अल्पकालिक : पेट दर्द, मतली, उल्टी, दस्त, सूजन, तेज़ हृदय गति आदि।
- दीर्घकालिक : इंसुलिन के स्तर में वृद्धि, हाइपोग्लाइसीमिया, कमजोरी, पसीना, बेहोशी, चक्कर आना, थकान आदि।
- उपचार
- कम मात्रा में अधिक बार भोजन करना
- उच्च चीनी वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करना
- प्रोटीन और फाइबर का अधिक सेवन
- उच्च-ग्लाइसेमिक-इंडेक्स कार्बोहाइड्रेट को सीमित करना
- चिकित्सीय विकल्प
- ऑक्टेरोटाइड
- एकरबोस
- सर्जिकल विकल्प
परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के लिए दिशानिर्देश
चर्चा में क्यों
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARCs) को मास्टर दिशानिर्देश जारी किया है, जो तनावग्रस्त वित्तीय परिसंपत्तियों के समाधान और वित्तीय प्रणाली में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
भारतीय रिजर्व बैंक (परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियां) दिशानिर्देश, 2024
- उद्देश्य :
- ARCs के कार्य को विनियमित करना
- बैंकिंग क्षेत्र और समग्र वित्तीय प्रणाली में स्थिरता लाना
- RBI ने इन निर्देशों को वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (SARFAESI/ सरफेसी) अधिनियम, 2002 के तहत दी गई अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए जारी किया है।
- मुख्य प्रावधान :
- परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARC) का न्यूनतम शुद्ध स्वामित्व वाली निधि (NOF) को 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
- वित्तीय मजबूती सुनिश्चित करने के लिए ARC की कुल जोखिम-भारित परिसंपत्तियों (Risk-weighted Assets) का न्यूनतम 15% पूंजी पर्याप्तता अनुपात के रूप में बनाए रखना अनिवार्य किया गया है।
- ARCs किसी भी प्रकार की जमा राशि जनता से स्वीकार नहीं कर सकती हैं। इससे निवेशक हितों की सुरक्षा होगी।
- ARCs को भूमि या भवन में सीधे निवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि, वे अपने स्वामित्व वाले फंड के अधिकतम 10% तक अपने उपयोग हेतु निवेश कर सकते हैं।
- प्रतिभूतिकरण या परिसंपत्ति पुनर्निर्माण का व्यवसाय शुरू करने से पहले, एक एआरसी को पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा और आरबीआई से पंजीकरण प्रमाण-पत्र (COR) प्राप्त करना होगा।
- RBI के निर्देशों में ARC के शासन (Governance), जोखिम प्रबंधन (Risk Management), आंतरिक नियंत्रण (Internal Controls) आदि से संबंधित दिशा-निर्देश भी शामिल हैं।
- नेतृत्व पदों के संबंध में, एमडी/सीईओ या डब्ल्यूटीडी की आयु 70 वर्ष से अधिक नहीं और कार्यकाल एक बार में पांच साल से अधिक नहीं होगा, अधिकतम कार्यकाल लगातार पंद्रह साल का होगा।
क्या हैं परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियां (ARCs)
- ARCs विशेष वित्तीय संस्थान हैं, जो सरफेसी अधिनियम 2002 (SARFAESI Act, 2002) के तहत कार्य करते हैं और RBI के द्वारा पंजीकृत होते हैं।
- परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ (ARC) एक वित्तीय संस्थान है जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों से गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA) या खराब संपत्ति खरीदती है, ताकि बैंकों का वित्तीय बोझ कम हो सकें।
- केंद्रीय बजट 2021-22 में ARCs की स्थापना की घोषणा की गई थी।
ARCs कैसे काम करती हैं
- ARCs मूल रूप से बैंकों से उनकी खराब परिसंपत्तियों को मामूली छूट (Discount) पर खरीद लेती हैं और फिर इन परिसंपत्तियों की रिकवरी करके मुनाफा कमाती हैं। यह रिकवरी कई तरीकों से की जा सकती है :
- परिसंपत्ति का पुनर्गठन करना
- ऋण की बिक्री करना
- परिसंपत्ति की बिक्री करना
ARCs का भारतीय वित्तीय प्रणाली में महत्व
- दबावग्रस्त परिसंपत्तियों का त्वरित समाधान
- NPA समस्या का समाधान
- अशोध्य परिसंपत्तियों की बिक्री से बैंक की तरलता (Liquidity) में वृद्धि
- बैंकों की ऋण क्षमता में वृद्धि
- वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता में योगदान
निष्कर्ष
- RBI द्वारा जारी मास्टर निर्देश ARCs को सुदृढ़ करते हुए निवेशक हितों की रक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
- ये निर्देश ARC को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगे, जिससे समग्र वित्तीय प्रणाली मजबूत होगी।
मतदान प्रक्रिया बाधित होने पर चुनाव आयोग की शक्तियाँ
संदर्भ
चुनाव आयोग द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RPA) की धारा 58 (2) और 58 ए (2) के तहत मणिपुर के 11 मतदान केंद्रों पर मतदान को शून्य घोषित कर दिया है ओर अरुणाचल प्रदेश के 8 मतदान केंद्रों पर 22 अप्रैल और 24 अप्रैल को पुनर्मतदान करावाया गया गया है ।
सामान्य मतदान प्रक्रिया को बाधित करने वाली परिस्थितियां
- जानबूझकर ईवीएम नष्ट करना या चोरी करना : जन प्रतिनिधि कानून की धारा 58 ('मतपेटियों के नष्ट हो जाने आदि की स्थिति में पुनः मतदान') के अंतर्गत, चुनाव आयोग किसी मतदान केंद्र पर मतदान को निरस्त घोषित कर सकता है, यदि:
- किसी अनाधिकृत व्यक्ति ने कोई ईवीएम अवैध रूप से ले ली हो।
- किसी ईवीएम को गलती से या जानबूझकर नष्ट कर दिया गया हो या खो दिया गया हो।
- क्षतिग्रस्त कर दिया गया हो या उसके साथ छेड़छाड़ की गई हो।
- वोटों की रिकॉर्डिंग के दौरान किसी भी ईवीएम में यांत्रिक खराबी आ जाती है।
- बूथ कैप्चरिंग : जन प्रतिनिधि कानून की धारा 135A में परिभाषित बूथ कैप्चरिंग में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा की जाने वाली निम्नलिखित सभी या कोई भी गतिविधियाँ शामिल हैं:
- मतदान केन्द्र पर कब्ज़ा करना, जिससे चुनाव का संचालन प्रभावित हो
- मतदान केन्द्र पर कब्ज़ा करना, तथा केवल अपने या अपने समर्थकों को ही मतदान करने देना।
- किसी भी मतदाता को डराना या धमकाना तथा उसे मतदान केन्द्र पर जाने से रोकना
- मतगणना स्थल पर कब्ज़ा करना जिससे मतगणना प्रभावित हो।
- उपरोक्त किसी भी गतिविधि में सरकारी सेवा में किसी भी व्यक्ति की भागीदारी।
- प्राकृतिक आपदाएँ, मतदान में अन्य व्यवधान -किसी मतदान केंद्र का पीठासीन अधिकारी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 57(1) के अंतर्गत मतदान केंद्र पर मतदान स्थगित कर सकता है, यदि:
- बाढ़, भयंकर तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा उत्पन्न होना ।
- ईवीएम, मतदाता सूची आदि जैसी आवश्यक मतदान सामग्री की प्राप्ति न होना, उसका खो जाना या क्षति होना ।
- किसी दंगे या खुली हिंसा के कारण व्यवधान या बाधा ।
- बाधा या किसी अन्य गंभीर कठिनाई के कारण मतदान दल का न पहुंचना; याईवीएम में खराबी या किसी अन्य कारण से निर्धारित समय से दो घंटे के भीतर मतदान शुरू न होना।
किसी उम्मीदवार की मृत्यु
- 1996 में संशोधित जन प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 52 के अनुसार, चुनाव केवल मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (राष्ट्रीय दल या संबंधित राज्य में राज्य स्तरीय दल के उम्मीदवार) की मृत्यु की स्थिति में स्थगित किया जाएगा।
- उपरोक्त प्रावधान तब लागू होता है, जब वैध नामांकन वाले उम्मीदवार की नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि को सुबह 11 बजे के बाद मतदान शुरू होने तक किसी भी समय मृत्यु हो जाती है।
भारत के चुनाव कानून ऐसी परिस्थितियों से निपटने के नियम
- ईवीएम को नुकसान पहुँचने के मामलों में, रिटर्निंग ऑफिसर (RO) तत्काल चुनाव आयोग और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को प्रासंगिक तथ्यों और भौतिक परिस्थितियों के बारे में सूचित करता है, जिन पर विचार करने के बाद, चुनाव आयोग मतदान को रद्द घोषित कर सकता है और औपचारिक रूप से नए मतदान की तारीख और समय तय कर सकता है।
- बूथ कैप्चरिंग के लिए कम से कम एक वर्ष की सजा हो सकती है, जिसे आम लोगों के लिए तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए पांच साल तक बढ़ सकती है।
- बूथ कैप्चरिंग मतदान केन्द्र पर मतदान को निरस्त घोषित कर सकता है तथा नई तिथि पर पुनः मतदान कराने का निर्देश दे सकता है
- यदि बड़ी संख्या में मतदान केन्द्रों पर बूथ कैप्चरिंग हुई हो या इससे मतगणना प्रभावित हुई हो तो निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव रद्द किया जा सकता है।
- धारा 58ए ('बूथ कैप्चरिंग के आधार पर मतदान स्थगित करना या चुनाव रद्द करना') के तहत यदि किसी मतदान केंद्र पर बूथ कैप्चरिंग हुई है, तो मतदान केंद्र का पीठासीन अधिकारी तुरंत ईवीएम की नियंत्रण इकाई को बंद कर देता है और निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 49एक्स के तहत नियंत्रण इकाई से मतपत्र इकाई को अलग कर देता है।
- किसी उम्मीदवार की मृत्यु की स्थिति में चुनाव आयोग संबंधित राजनीतिक दल से मृतक उम्मीदवार के स्थान पर उक्त चुनाव के लिए किसी अन्य उम्मीदवार को नामित करने के लिए कहता है। राजनीतिक दल को सात दिनों के भीतर नामांकन करना होगा।
भारतीय रूपये की विनिमय दर तुलना
संदर्भ
पिछले 10 वर्षों में भारतीय मुद्रा में डॉलर की तुलना में अधिक गिरावट देखी गई है। लेकिन यदि सभी प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के साथ इसकी विनिमय दर को देखा जाए तो रुपया 'वास्तविक' रूप में मजबूत हुआ है।
भारतीय रूपये की स्थिति
- अप्रैल 2014 से 202 4 तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 27.6% की गिरावट आई है, जो 60.34 रुपये से घटकर 83.38 रुपये हो गया है।
- पिछले 20 वर्षों में भारत के सभी प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की मुद्राओं के मुकाबले रुपये का 32.2-40.2% का “प्रभावी” अवमूल्यन, अमेरिकी डॉलर के 45.7% के अवमूल्यन से कम रहा है।
रुपये की स्थिति निर्धारित करने के कारक
- भारत अमेरिका के अलावा अन्य देशों को भी वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात-आयात करता है। इसलिए, रुपये की मजबूती या कमजोरी न केवल अमेरिकी डॉलर, बल्कि अन्य वैश्विक मुद्राओं के साथ इसकी विनिमय दर पर भी निर्भर करती है।
- विनिमय दर की गणना रुपये की प्रभावी विनिमय दर (EER) के आधार पर की जाती है।
प्रभावी विनिमय दर (EER)
- ईईआर(EER) को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के समान एक सूचकांक द्वारा मापा जाता है।
- यह भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की मुद्राओं की तुलना में रुपये की विनिमय दरों के भारित औसत का एक सूचकांक है।
- मुद्रा भार भारत के कुल विदेशी व्यापार में अलग-अलग देशों के हिस्से से प्राप्त होते हैं,ठीक उसी तरह जैसे सीपीआई(CPI) में प्रत्येक वस्तु के लिए भार समग्र उपभोग बास्केट में उनके सापेक्ष महत्व पर आधारित होते हैं।
प्रभावी विनिमय दर के दो माप हैं
नाममात्र प्रभावी विनिमय दर
- भारतीय रिजर्व बैंक ने छह मुद्राओं के साथ-साथ 40 मुद्राओं के बास्केट की तुलना के आधार पर रुपये का एनईईआर(NEER) सूचकांक तैयार किया है।
- यह सूचकांक वैश्विक मुद्राओं की एक टोकरी के मुकाबले रुपये के बाहरी मूल्य में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है।
- पहला सूचकांक व्यापार-भारित औसत दर है, जिस पर रुपया एक बुनियादी मुद्रा टोकरी के साथ विनिमय योग्य है, जिसमें अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी युआन, ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और हांगकांग डॉलर शामिल हैं।
- दूसरा सूचकांक उन देशों की 40 मुद्राओं की एक बड़ी टोकरी को कवर करता है जो भारत के वार्षिक व्यापार प्रवाह का लगभग 88% हिस्सा हैं।
वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER)
- आरईईआर(REER) मूल रूप से एनईईआर है जिसे घरेलू देश और उसके व्यापारिक भागीदारों के बीच मुद्रास्फीति के अंतर के लिए समायोजित किया जाता है।
- यदि किसी देश की नाममात्र विनिमय दर उसकी घरेलू मुद्रास्फीति दर से कम हो जाती है तो मुद्रा वास्तव में "वास्तविक" शर्तों में बढ़ गई है।
- आरईईआर(REER) में किसी भी वृद्धि का तात्पर्य है कि भारत से निर्यात किए जा रहे उत्पादों की लागत देश में आयात की कीमतों से अधिक बढ़ रही है, जो कि व्यापार प्रतिस्पर्धा में कमी को दर्शाती है।
भारत में बढ़ता मृत्युदंड की स्थिति
संदर्भ
- वर्ष 2023 के अंत में 561 कैदियों को मृत्युदंड दिए जाने के साथ भारत में मृत्युदंड की सजा पाने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2004 के बाद से यह संख्या अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है। साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2023 में सुने गए मामलों में मृत्युदंड पाए लगभग 55% अर्थात छह कैदियों को बरी कर दिया। मृत्युदंड की सजा पर विचार के लिए न्यायालय ने संविधान पीठ बुलाने की पहल की।
- अधीनस्थ न्यायालयों में मृत्युदंड की सजा पाने वाले और सर्वोच्च न्यायालय से बरी होने वाले कैदियों की बढ़ती संख्या भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली के भीतर प्रणालीगत चुनौतियों को उजागर करती है।
भारत में मृत्युदंड की वर्तमान स्थिति
- डेथ पेनल्टी इंडिया रिपोर्ट, 2016 के अनुसार, वर्ष 2000-15 के बीच निचली अदालतों द्वारा दिए गए मृत्युदंड में से अपीलीय स्तर पर अंतत: 4.9% मृत्युदंड की ही पुष्टि की गई।
- मृत्युदंड पर प्रोजेक्ट 39A के वर्ष 2023 के वार्षिक आंकड़ों से पता चलता है कि मनोज बनाम मध्य प्रदेश राज्य (मई 2022) में अपने निर्देशों के माध्यम से सजा में सुधार करने के न्यायालय के प्रयास ट्रायल अदालतों तक पहुंचने में विफल रहे हैं।
- वर्ष 2023 में ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्तों से संबंधित जानकारी के अभाव में 86.96% मौत की सज़ाएँ दीं।
- विगत कुछ वर्षों में न्यायालय के समक्ष मृत्युदंड के अधिकांश मामलों में न्यायालय ने दोषसिद्धि को बरकरार रखा है किंतु मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया है।
मृत्युदंड प्राप्त कैदी की अवस्था
- मृत्युदंड की सजा पाए कैदी फांसी के डर से मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। जेलों के भीतर उन्हें हिंसा, उपहास व अपमान का शिकार होना पड़ता है।
- इन कैदियों को कार्य, शिक्षा एवं आराम से अलग करने वाली जेल नीतियां अमानवीय परिस्थितियों से निपटने के लिए उनके पास उपलब्ध छोटे साधनों को समाप्त कर देती हैं।
- मृत्युदंड का अनुभव जीवन भर के लिए व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित करता है जो किसी कैदी के बरी होने या सजा में परिवर्तन के बाद भी जारी रहता है।
- मृत्युदंड पाने वाले अधिकांश कैदियों को बरी किए जाने या सजा कम करने से पहले अनावश्यक रूप से मौत की सजा की भयावहता का सामना करना पड़ता है।
मृत्युदंड की आवश्यकता
पक्ष में तर्क
- मृत्युदंड से समाज में कानून के भय का स्तर कायम रहता है। ऐसा माना जाता है कि यदि मृत्युदंड की सज़ा दी जाए तो कोई व्यक्ति हत्या जैसे जघन्य अपराध करने से स्वयं को रोक सकता है।
- राज्य के विरुद्ध युद्ध छेड़ना, आतंकवाद, बलात्कार जैसे जघन्य अपराध राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे के लिए खतरनाक हैं। इस तरह के कृत्यों से देश और उसके लोगों के अस्तित्व को खतरा है।
- यह पीड़ितों के परिवारों को न्यायिक व आत्मिक संतुष्टि प्रदान करता है और संभावित अपराधियों के लिए निवारक के रूप में कार्य करता है।
विपक्ष में तर्क
- डेथ पेनल्टी इंडिया रिपोर्ट, 2016 (DPIR) के अनुसार, भारत में मृत्युदंड पाए सभी दोषियों में से लगभग 75% दलित, ओ.बी.सी. एवं धार्मिक अल्पसंख्यक जैसे सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित श्रेणियों से संबद्ध हैं।
- मृत्युदंड मौलिक रूप से अमानवीय व अपमानजनक है। ऐसे कानून व प्रक्रियाएं बनाना संभव है जो वास्तव में मौत के हकदार लोगों को ही फांसी दिया जाना सुनिश्चित करें।
- मृत्युदंड के लिए अपीलीय प्रक्रिया लंबी है, जिससे मौत की सजा पाने वाले अपराधियों को प्राय: क्रूरतापूर्वक व्यवहार व दीर्घकालीन अनिश्चितता सहन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
- मृत्युदंड पर न्यायापालिका के विभिन्न निर्णय
- मोफ़िल ख़ान बनाम झारखंड राज्य (2021) : सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य इस बात की पुष्टि करने के लिए साक्ष्य एकत्र करने के लिए बाध्य है कि अभियुक्त के सुधार व पुनर्वास की कोई संभावना नहीं है।
- बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य (1980) : सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केवल दुर्लभतम एवं क्रूर मामलों में ही मृत्युदंड दिया जाना चाहिए।
- डिगा अनम्मा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (1974) : सर्वोच्च न्यायालय ने यह सिद्धांत दिया कि हत्या के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा है और कुछ मामलों में ही मृत्युदंड अपवाद है।
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आगे की राह
- अभियुक्तों को पर्याप्त कानूनी प्रतिनिधित्त्व, सबूतों का समय पर खुलासा और पारदर्शी निर्णयन प्रक्रिया के माध्यम से मुकदमे की कार्यवाही में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- संशोधित वैधानिक प्रावधानों, विचाराधीन कैदियों के अधिकारों, गिरफ्तारी व जमानत देने के संबंध में न्यायिक निर्णयों एवं जेल सुधारों पर विभिन्न समितियों की सिफारिशों को लागू करके विचाराधीन कैदियों की संख्या कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
- मृत्युदंड देने में चूक व त्रुटि को रोकने के लिए पुलिस सुधार, गवाह सुरक्षा योजना एवं पीड़ित मुआवजा योजना जैसे उपायों के साथ आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के सबसे पुराने साक्ष्य वाली चट्टानें
चर्चा में क्यों
एमआईटी(MIT) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूविज्ञानियों ने दक्षिण-पश्चिमी ग्रीनलैंड के इसुआ सुप्राक्रस्टल बेल्ट में प्राचीन चट्टान संरचनाओं में की खोज की हैं, जिन पर पृथ्वी के प्रारंभिक चुंबकीय क्षेत्र के सबसे पुराने अवशेष मौजूद हैं।
प्राचीन चट्टानों के बारे में
- जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन के परिणाम पृथ्वी के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र के कुछ शुरुआती साक्ष्यों को दर्शाते हैं।
- शोधकर्ताओं का उद्देश्य उन चट्टानों को खोजना था, जिन चट्टानों के पहली बार बनने के समय उनमे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के लक्षण मौजूद थे।
- शोधकर्ताओं ने निर्धारित किया है कि चट्टानें लगभग 3.7 बिलियन वर्ष पुरानी हैं और इनमें कम से कम 15 माइक्रोटेस्ला की ताकत वाले चुंबकीय क्षेत्र के निशान मौजूद हैं।
- पिछले अध्ययनों ने पृथ्वी पर कम से कम 3.5 अरब साल पुराने चुंबकीय क्षेत्र के सख्श्य प्रस्तुत किये हैं लेकिन नया अध्ययन चुंबकीय क्षेत्र के जीवनकाल को 200 मिलियन साल और बढ़ा रहा है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार,विकास के आरंभिक दौर में पृथ्वी पर जीवन संभव हो सका, जिसका एक कारण प्रारंभिक चुंबकीय क्षेत्र भी था, यह इतना शक्तिशाली था कि इससे जीवन को बनाए रखने वाला वातावरण बना रहा और साथ ही ग्रह को हानिकारक सौर विकिरण से भी बचा सका।
- यह चुंबकीय ढाल कितनी पुरानी और कितनी मजबूत थी, यह अभी तक ज्ञात नहीं है, हालांकि इसके अस्तित्व के बारे में लगभग 3.5 बिलियन वर्ष पहले के साक्ष्य मौजूद हैं।
वोट फ्रॉम होम सुविधा
संदर्भ
समावेशी निर्वाचन को बढ़ावा देने के क्रम में भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India : ECI) ने ‘वोट फ्रॉम होम’ सुविधा की शुरुआत की है।
नवीनतम पहल
- ई.सी.आई. ने लोकसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार विकलांग व्यक्तियों एवं 85 वर्ष व उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए ‘वोट फ्रॉम होम’ सुविधा का विस्तार किया है।
- इससे 85 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों और 88.4 लाख विकलांग व्यक्तियों को डाक मतपत्रों के माध्यम से वोट डालने की अनुमति मिलेगी।
किसको मिलेगा वोट फ्रॉम होम सुविधा का लाभ
- 85 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक
- 40% से अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्ति
- चुनावी गतिविधियों का प्रसारण करने वाले मीडियाकर्मी
- आवश्यक सेवाओं के कर्मचारी
- सेवा मतदाता
- अपने गृहनगर से दूर तैनात सशस्त्र बलों के कर्मी
- घर से दूर तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मी
- चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मी
नरसिंह यादव - भारतीय कुश्ती महासंघ के एथलीट आयोग के अध्यक्ष
हाल ही में नरसिंह यादव को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के एथलीट आयोग का अध्यक्ष चुना गया।
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- WFI के एथलीट आयोग का गठन यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के निर्देश पर किया गया।
- यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW)
- यह कुश्ती के लिए अंतरराष्ट्रीय शासी निकाय है।
- मुख्यालय - स्विट्जरलैंड
- भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI)
- यह भारत में कुश्ती का शासी निकाय है।
- मुख्यालय - नई दिल्ली
- इसे भारत सरकार और भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त है।
- यह ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले भारतीय पहलवानों को प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- यह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कुश्ती प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है।
NABARD और RBI इनोवेशन हब
- हाल ही में NABARD और RBI ने डिजिटल कृषि ऋण में तेजी लाने के लिए इनोवेशन हब विकसित किया।
डिजिटल कृषि ऋण में तेजी लाने के लिए इनोवेशन हब
- यह प्लेटफॉर्म सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए उपलब्ध होगा।
- इसका उद्देश्य ऋण प्रक्रिया को डिजिटल बनाना बनाना है; ताकि
- किसान कम समय में ऋण प्राप्त कर सके
- बैंक अधिक कुशलता से काम कर सकें
- यह बैंकों को डिजिटल राज्य भूमि रिकॉर्ड, उपग्रह डेटा, KYC, क्रेडिट इतिहास आदि सूचना सेवाएं प्रदान करेगा।
- ये सेवाएँ बैंकों को अधिक प्रभावी ढंग से साख का आकलन करने में मदद करेंगी।
- ये ऋण प्रसंस्करण के समय को 3 से 4 सप्ताह से घटाकर केवल पाँच मिनट कर देंगी।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD)
- इसका गठन वर्ष 1982 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के तहत किया गया।
- मुख्यालय - मुंबई
- यह वित्त मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए निवेश और उत्पादन ऋण प्रदान करने वाले संस्थानों के लिए एक शीर्ष वित्तपोषण एजेंसी के रूप में कार्य करता है
- उद्देश्य - एक सशक्त और वित्तीय रूप से समावेशी ग्रामीण भारत का निर्माण करना
प्रश्न - राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) का मुख्यालय कहाँ है ? (a) मुंबई (b) नई दिल्ली (c) हैदराबाद (d) लखनऊ |
लघु वित्त बैंक के लिए ऑन टैप लाइसेंसिंग
- भारतीय रिजर्व बैंक ने लघु वित्त बैंकों को ऑन टैप लाइसेंसिंग मानदंडों के अनुसार सार्वभौमिक बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन करने की अनुमति प्रदान कर दी है।
- सार्वभौमिक बैंक ऐसे बैंक होते हैं जो वाणिज्यिक बैंक और निवेश बैंक दोनों की वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं और साथ ही बीमा जैसी अन्य वित्तीय सेवाएं भी प्रदान करते हैं
- ऑन टैप नीति के तहत कोई भी पात्र लघु वित्त बैंक, सार्वभौमिक बैंक लाइसेंस के लिए RBI में किसी भी समय आवेदन कर सकती है।
लघु वित्त बैंक को सार्वभौमिक बैंक बनाने के लिए निर्धारित मानदंड
- न्यूनतम पांच वर्ष का संतोषजनक प्रदर्शन
- किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना
- पिछली तिमाही के अंत में न्यूनतम शुद्ध संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये होना
- जोखिम भारित अनुपात (CRAR) के लिए निर्धारित पूंजी होना
- पिछले दो वित्तीय वर्षों में बैंक शुद्ध लाभ होना
- पिछले दो वित्तीय वर्षों में सकल गैर-निष्पादित संपत्ति 3 प्रतिशत से कम या उसके बराबर हो
- पिछले दो वित्तीय वर्षों में शुद्ध गैर-निष्पादित संपत्ति 1 प्रतिशत से कम या उसके बराबर हो
लघु वित्त बैंक
- रघुराम राजन समिति ने वर्ष 2008 में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए लघु वित्त बैंक की स्थापना की सिफारिश की थी।
- ये छोटे व्यवसायियों, सूक्ष्म और लघु उद्योगों, किसानों तथा वंचित वर्गों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएँ एवं ऋण सुविधाएँ प्रदान करते हैं
- भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इनका विनियमन किया जाता है
- भारत में स्थापित होने वाला पहला लघु वित्त बैंक कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक था।
- इसकी स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी
- वर्तमान में देश में 12 लघु वित्त बैंक हैं।
ICC T20 विश्व कप 2024 के ब्रांड एंबेसडर
- हाल ही में भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने 9वें ICC पुरुष T-20 विश्व कप के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में नामित किया है।
- इससे पहले क्रिस गेल और उसैन बोल्ट को भी ICC पुरुष T-20 विश्व कप कप 2024 का ब्रांड एंबेसडर बनाया जा चुका है
9वां ICC पुरुष T-20 विश्व कप
- यह प्रतियोगिता 1 से 29 जून 2024 के बीच आयोजित होगी।
- इसकी मेजबानी वेस्टइंडीज और संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त रूप से करेंगे।
- पहली बार इसमें 20 टीमें हिस्सा ले रही हैं।
- कनाडा, युगांडा और संयुक्त राज्य अमेरिका की टीम पहली बार T-20 विश्व कप में भाग ले रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC)
- यह विश्व भर में क्रिकेट की प्रतियोगिताओं की नियन्त्रक तथा नियामक संस्था है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1909 में इंपीरियल क्रिकेट सम्मेलन के रूप में हुई थी।
- वर्ष 1987 में इसका नाम बदलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद कर दिया गया।
- इसका मुख्यालय संयुक्त अरब अमीरात, दुबई में है।
विझिंजम पोर्ट - भारत का पहला ट्रांसशिपमेंट हब
- हाल ही में केंद्र सरकार ने केरल के विझिंजम पोर्ट को ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के रूप में संचालित करने की अनुमति प्रदान कर दी।
- यह भारत का पहला पूर्ण विकसित गहरे पानी का ट्रांसशिपमेंट पोर्ट होगा।
ट्रांसशिपमेंट पोर्ट
- ट्रांसशिपमेंट पोर्ट एक ऐसा पारगमन केंद्र होता है, जहाँ माल को उसके अंतिम स्थान तक पहुँचाने के लिए एक जहाज से कई छोटे जहाजों में स्थानांतरित किया जाता है।
- सिंगापुर, शंघाई, बुसान और हांगकांग दुनिया के सबसे बड़े ट्रांसशिपमेंट बंदरगाहों में से हैं।
विझिंजम पोर्ट
- विझिंजम पोर्ट केरल राज्य में है
- अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड द्वारा इसे भारत के पहले मेगा ट्रांसशिपमेंट कंटेनर टर्मिनल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- वर्ष 2015 में विझिंजम में अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट परियोजना शुरू की गई थी।
भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्रोजेक्ट
- हिमाचल प्रदेश के नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पॉवर स्टेशन में भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्रोजेक्ट स्थापित किया गया
- इसकी स्थापना सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा की जा रही है
- इसकी क्षमता 1,500 मेगावाट है
- इस परियोजना में बनने वाली हरित हाइड्रोजन का उपयोग नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन की उच्च वेग ऑक्सीजन ईंधन की कोटिंग सुविधा में उसकी दहन ईंधन आवश्यकताओं के लिये किया जायेगा।
- इसके साथ ही यह 25 किलोवॉट क्षमता के ईंधन सेल के जरिये बिजली भी पैदा करेगा।
- यह परियोजना प्रतिदिन आठ घंटे में 14 किलोग्राम हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करेगी
- यह हरित हाइड्रोजन पायलट परियोजना विद्युत क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन उत्पादन की बुनियादी सुविधाओं के विकास में तेजी लायेगी
सतलुज जल विद्युत निगम
- यह विद्युत मंत्रालय के नियंत्रण में मिनी रत्न श्रेणी-। सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
- स्थापना - 24 मई, 1988 को भारत सरकार तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम के रूप में की गई
- यह हिमाचल प्रदेश में भारत के सबसे बड़े 1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन को संचालित कर रहा है।