शॉर्ट न्यूज़ : 05 जुलाई , 2024
स्टील स्लैग
जेनोफ्रीज अपातानी
धीरेंद्र ओझा पत्र सूचना कार्यालय के महानिदेशक नियुक्त
रुद्रम-1 मिसाइल
यूनाइटेड किंगडम चुनाव परिणाम
हेमंत सोरेन फिर बने झारखंड के मुख्यमंत्री
बेलारूस शंघाई सहयोग संगठन में 10वें सदस्य देश के रूप में शामिल
मार्स ओडिसी मिशन
स्टील स्लैग
नई दिल्ली में आयोजित पहले अंतर्राष्ट्रीय स्टील स्लैग रोड सम्मेलन में सड़क निर्माण में प्रसंस्कृत स्टील स्लैग एग्रीगेट के रूप में स्टील स्लैग के उपयोग एवं प्रसंस्करण के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
स्टील स्लैग के बारे में
- स्टील स्लैग एक ठोस अवशेष है जो स्टील निर्माण प्रक्रिया के दौरान एक उपोत्पाद के रूप में उत्पन्न होता है। इसकी जटिल रासायनिक संरचना और उच्च परिवर्तनशीलता इसकी विशेषता है।
- स्टील स्लैग का निर्माण बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस (BOF) या इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (EAF) में पिघले हुए स्टील से अशुद्धियों को अलग करके किया जाता है। इसकी उपयोगिता दर आयरन स्लैग की तुलना में काफी कम है।
- कच्चे माल या उत्पादन प्रक्रिया के आधार पर स्टील स्लैग को ‘बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस स्लैग’, ‘इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस स्लैग’ और ‘लैडल फर्नेस स्लैग’ में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- मुख्यत: स्लैग में विभिन्न संयोजनों में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज एवं एल्यूमीनियम सिलिकेट व ऑक्साइड होते हैं।
- इसका उपयोग तटबंधों, सड़क निर्माण एवं डामर में किया जाता है। आयरन स्लैग के विपरीत स्टील स्लैग का उपयोग कार्बन खनिजीकरण के लिए किया जा सकता है, इसलिए कार्बिक्रेट प्रौद्योगिकी (सीमेंट रहित कंक्रीट तकनीक) में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
- कार्बन खनिजीकरण (Carbon Mineralization) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड एक ठोस खनिज बन जाता है, जैसे कार्बोनेट।
- सीमेंट की तुलना में स्टील स्लैग में सीमित हाइड्रोलिक गुण होते हैं। इसलिए स्टील स्लैग में CO2 के साथ खनिजीकरण प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।
इसे भी जानिए!
- आम तौर पर ‘स्लैग’ शब्द का उपयोग लोहे या इस्पात निर्माण प्रक्रियाओं के दौरान उत्पन्न उपोत्पाद को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
- यह धातु ऑक्साइड और अन्य उपयोगी खनिजों से समृद्ध होता है जिन्हें अंतिम उत्पादों के रूप में पुनर्चक्रित किया जा सकता है और अपशिष्ट को कम किया जा सकता है।
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जेनोफ्रीज अपातानी
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के शोधकर्ताओं ने अरुणाचल प्रदेश के टेल वन्यजीव अभयारण्य में सींग वाले मेढक की एक नई प्रजाति की खोज की गई है।
- राज्य की अपातानी जनजाति के नाम पर मेंढक की इस प्रजाति का नामकरण ‘जेनोफ्रीस अपातानी’ (Xenophrys apatani) किया गया है।
- जंगली वनस्पतियों एवं जीवों के संरक्षण में इनके योगदान को मान्यता देते हुए यह नाम रखा गया है।
- हाल के दिनों में टेल वन्यजीव अभयारण्य में शोधकर्ताओं द्वारा खोजी गई मेंढकों की यह पांचवीं नई प्रजाति है।
- वर्ष 2017 में ओडोराना अरुणाचलेंसिस की खोज
- वर्ष 2019 में लिउराना मेंढकों की तीन नई प्रजातियों की खोज : लिउराना हिमालयाना, लिउराना इंडिका व लिउराना मिनुटा
- टेल के अलावा शोधकर्ताओं ने वर्ष 2022 में पश्चिमी अरुणाचल से कैस्केड मेंढकों की तीन नई प्रजातियों की खोज की थी। इनके नाम अमोलोप्स टेराओर्किस, अमोलोप्स चाणक्य एवं अमोलोप्स तवांग हैं।
- शोधकर्ताओं के अनुसार, भारत में जेनोफ्रीस प्रजातियों का जैव-भौगोलिक वितरण पूर्वी हिमालय और इंडो-बर्मा जैव-विविधता हॉटस्पॉट में है।
- यह खोज भारत में माओसन सींग वाले मेंढक (जेनोफ्रीस माओसोनेसिस) के बारे में वर्ष 2019 में ZSI, शिलांग के शोधकर्ताओं द्वारा दी गई एक गलत रिपोर्ट में सुधार करती है।
अपतानी जनजाति के बारे में
- निवास स्थान : अरुणाचल प्रदेश के निचले सुबनसिरी जिले में जीरो घाटी क्षेत्र में
- सांस्कृतिक विशेषता : विभिन्न त्यौहारों, जटिल हथकरघा डिजाइनों, बेंत व बांस शिल्प में कौशल और बुल्यान नामक जीवंत पारंपरिक ग्राम परिषदों के लिए प्रसिद्ध
- प्रमुख त्योहार :
- ड्री : अत्यधिक फसल पैदावार और सभी मानव जाति की समृद्धि के उद्देश्य से प्रार्थना के लिए
- म्योको : मित्रता को त्योहार
- विशिष्ट कृषि : चावल एवं मछली दोनों को एक साथ उगाने की परंपरा
- संरक्षण : यूनेस्को द्वारा अपाटानी घाटी को इसकी ‘अत्यधिक उच्च उत्पादकता’ और पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के अनूठे तरीके के लिए विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव
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टेल वन्यजीव अभयारण्य
- टेल वन्यजीव अभयारण्य का नाम ‘टेल’ (Tale) से लिया गया है, जो जंगली प्याज (एलियम हुकरी) की एक किस्म है। यह अभयारण्य के भीतर स्थित टेल घाटी में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।
- यह अभयारण्य निचले सुबनसिरी जिले में निचले सुबनसिरी एवं कामले जिले के बीच में स्थित है। यह सुबनसिरी, सिपु एवं पंगे नदियों के बीच स्थित है। यह पक्षी विज्ञानियों (Ornithologists) और तितली प्रेमियों के लिए प्रसिद्ध है।
रुद्रम-1 मिसाइल
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में भारत ने अपनी पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल, रुद्रम-1 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया ।
रुद्रम-1 मिसाइल
- यह भारत की पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल है ।
- इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भारतीय वायु सेना के लिए विकसित किया है।
- यह हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है।
- इसे भारतीय वायुसेना के सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों के साथ एकीकृत किया गया है , जो प्रक्षेपण प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है।
- इसमें जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम-जीपीएस नेविगेशन और अंतिम हमले के लिए एक निष्क्रिय होमिंग हेड की सुविधा है, जिससे यह विकिरण उत्सर्जित करने वाले लक्ष्यों पर सटीकता से प्रहार कर सकता है।
- इस मिसाइल को 500 मीटर से लेकर 15 किलोमीटर तक की अलग-अलग ऊंचाई से प्रक्षेपित किया जा सकता है तथा प्रक्षेपण स्थितियों के आधार पर इसकी रेंज 250 किलोमीटर तक है।
- इसकी गति मैक 2 तक है ।
यूनाइटेड किंगडम चुनाव परिणाम
चर्चा में क्यों ?
- यूनाइटेड किंगडम में चुनाव के बाद वोटों की गिनती जारी है।
- मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी प्रचंड जीत की ओर बढ़ रही है।
- अभी तक 650 में से 454 सीटों पर नतीजों का ऐलान किया जा चुका है।
- शुरुआती नतीजों मे लेबर पार्टी 318 सीटें जीत चुकी हैं जबकि सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी अभी तक सिर्फ 67 सीटें ही जीत पाई है।
- लिबरल डेमोक्रेट्स ने अभी तक 32 सीटों, स्कॉटिश नेशनल पार्टी ने चार सीटों और रिफॉर्म यूके ने चार सीटों पर जीत दर्ज की है।
- प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने आम चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बीच अपनी हार स्वीकार कर ली है
- लेबर पार्टी के नेता किएर स्टार्मर का प्रधानमंत्री बनना तय नजर आ रहा है।
- कंजर्वेटिव पार्टी पिछले 14 वर्षों से सत्ता में काबिज है।
- इस दौरान यूनाइटेड किंगडम में 5 प्रधानमंत्री बने।
- वर्ष 2010 में डेविड कैमरन पीएम बने थे
- वर्ष 2015 में कंजर्वेटिव पार्टी को लगातार दूसरी बार जीत मिली और कैमरन फिर पीएम बने।
- वर्ष 2016 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। उनकी जगह टेरेसा मे को प्रधानमंत्री बनाया गया। वह 2019 तक इस पद पर रहीं।
- वर्ष 2019 में बोरिस जॉनसन यूके के प्रधानमंत्री बने। फिर बीच में उन्हें पद छोड़ना पड़ा और लिज ट्रस प्रधानमंत्री बनीं। लेकिन वह सिर्फ 50 दिन ही पद पर रह सकीं। उनकी जगह ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने।
बहुमत के लिए क्या है आंकड़ा ?
- यूनाइटेड किंगडम- इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड से मिलकर बनता है और आम चुनाव इन सभी देशों पर लागू होते हैं।
- यूके में कुल 650 निर्वाचन क्षेत्र हैं, इनमें से 533 सीटें इंग्लैंड, 59 सीटें स्कॉटलैंड, 40 सीटों वेल्स और 18 सीटें उत्तरी आयरलैंड में पड़ती हैं।
- हालांकि, यूके के भीतर आने वाले प्रत्येक देश की अपनी सरकार भी होती है और वहां चुनाव होते हैं।
- 650 सांसदों वाले सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) में बहुमत की सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को 326 सीटों की आवश्यकता होती है।
हेमंत सोरेन फिर बने झारखंड के मुख्यमंत्री
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में हेमंत सोरेन ने तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
- वह झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री बने।
- इनको 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था।
- उससे पहले ही इनके द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया गया था।
- इन्हें 28 जून को जेल से रिहा किया गया
हेमंत सोरेन
- येझारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन के बेटे है।
- वर्ष 2009 में विधानसभा चुनाव में वे दुमका सीट से विधायक चुने गए।
- वह पहली बार 13 जुलाई 2013 को मुख्यमंत्री बने थे।
- दूसरी बार 29 दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री बने।
बेलारूस शंघाई सहयोग संगठन में 10वें सदस्य देश के रूप में शामिल
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 24वीं बैठक कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित की गई ।
- इस बैठक में बेलारूस को शंघाई सहयोग संगठन के 10वें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
- बेलारूस वर्ष 2010 में शंघाई सहयोग संगठन में एक संवाद साझेदार और वर्ष 2015 में एक पर्यवेक्षक राज्य बन गया।
- भारतीय प्रधानमंत्री इस बैठक में शामिल नहीं हुए और भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने किया।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
- इसका गठन जून 2001 में शंघाई(चीन) में किया गया था।
- SCO के गठन से पहले शंघाई फाइव नाम का एक संगठन था। कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
- वर्ष 2001 में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया।
- वर्ष 2017 में भारत तथा पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्य बनाया गया।
- दुशांबे में आयोजित वर्ष 2021 की शिखर वार्ता में ईरान को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
- रूसी तथा मंडारिन, SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं।
- यह शंघाई स्पिरिट नामक दर्शन से संचालित होता है, जो कि सद्भाव, सर्वसम्मति से काम करने, दूसरों की संस्कृति का सम्मान करने तथा दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने एवं गुटनिरपेक्षता पर बल देता है।
- SCO की अध्यक्षता सदस्य देशों द्वारा रोटेशन के आधार पर एक-एक वर्ष के लिए की जाती है।
- यह संगठन दुनिया की लगभग 42% आबादी, 22% भूमि क्षेत्र और 20% सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है।
बेलारूस
- बेलारूस एक यूरोपीय देश है
- यह एक भूमि से घिरा हुआ(landlocked) देश है।
- इसकी सीमा पोलैंड, रूस, लिथुआनिया, लातविया और यूक्रेन से लगती है।
- राजधानी – मिन्स्क
- मुद्रा - बेलारूसी रूबल
प्रश्न - शंघाई सहयोग संगठन का गठन कब हुआ था ?
(a) वर्ष 2000
(b) वर्ष 2001
(c) वर्ष 2011
(d) वर्ष 2010
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मार्स ओडिसी मिशन
- नासा ने मार्स ओडिसी ऑर्बिटर से हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ज्वालामुखी ‘ओलंपस मॉन्स’ (Olympus Mons) का एक दृश्य कैप्चर किया है।
- वर्ष 2001 का मार्स ओडिसी मिशन (Mars Odyssey Mission) मंगल ग्रह की सतह के रासायनिक तत्वों एवं खनिजों का वैश्विक मानचित्र बनाने वाला पहला अंतरिक्ष यान था।
- इस अंतरिक्ष यान के पास पृथ्वी के अतिरिक्त किसी अन्य ग्रह की कक्षा (Orbit) में सबसे लंबे समय तक लगातार सक्रिय रहने का भी रिकॉर्ड है।
- इसने फरवरी 2002 से अगस्त 2004 तक अपने प्राथमिक विज्ञान मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
- ओडिसी वर्तमान में भी सक्रिय है और बादलों, कोहरे व ठंढ का अध्ययन कर रहा है। यह भविष्य में मंगल पर यानों के उतरने (लैंडिंग) को सुरक्षित बनाने के लिए सतह की चट्टानों का मानचित्रण कर रहा है और ऑर्बिटर इस ग्रह के चारों ओर 100,000वें चक्कर के करीब है।
- ओडिसी की दूरसंचार उपप्रणाली में एक्स-बैंड माइक्रोवेव फ्रीक्वेंसी रेंज में संचालित एक रेडियो प्रणाली और अल्ट्रा हाई फ़्रीक्वेंसी (UHF) रेंज में संचालित एक प्रणाली शामिल हैं।
- एक्स-बैंड प्रणाली का उपयोग पृथ्वी एवं ऑर्बिटर के बीच संचार के लिए किया जाता है जबकि यू.एच.एफ. प्रणाली का उपयोग ओडिसी व किसी भी समय मंगल ग्रह की सतह पर मौजूद किसी भी लैंडर के बीच संचार के लिए किया जाता है।
मंगल ऑर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission : MOM)
- क्या है : मंगल ग्रह पर भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन
- प्रक्षेपण : 05 नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 (PSLV-C25) से
- जीवनकाल : निर्धारित जीवनकाल 6 माह
- हालाँकि, इसने 24 सितंबर, 2021 को अपनी कक्षा में 7 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
- शामिल पेलोड : मंगल की सतह की विशेषताओं, आकृति विज्ञान, खनिज विज्ञान एवं मंगल के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए पाँच वैज्ञानिक पेलोड से सुसज्जित
- विशिष्टता : इसरो मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी
- मिशन के उद्देश्य : मुख्यत: तकनीकी उद्देश्य में यात्रा चरण के दौरान पर्याप्त स्वायत्तता के साथ संचालन करने में सक्षम मंगल ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान का डिज़ाइन, निर्माण व प्रक्षेपण शामिल
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