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शॉर्ट न्यूज़ : 08 जून , 2024

शॉर्ट न्यूज़ : 08 जून , 2024


समुद्री साइनोबैक्टीरिया में संचार

मुसांकवा सैनियाटिएंसिस

अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन विश्व कप

विशेष राज्य का दर्जा

किसान उत्पादक संगठनों को सामान्य सेवा केंद्र में बदला जाएगा

बायोफार्मास्युटिकल गठबंधन

फाइव आइज़ एलायंस

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य

अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब द्वीप


समुद्री साइनोबैक्टीरिया में संचार

कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, समुद्री साइनोबैक्टीरिया (Marine Cyanobacteria) संचार में सक्षम होते हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष

  • इस अध्ययन के अनुसार, ये एक प्रकार के नेटवर्क के रूप में कार्य कर सकते हैं जिसमें ये परस्पर क्रिया करते हैं।
  • ये जीव पृथक होने की स्थिति में कार्य नहीं करते हैं बल्कि मेम्ब्रंस-नैनोट्यूब (Membrane-Nanotubes) के माध्यम से शारीरिक रूप से संवाद करते हैं, जो कोशिकाओं के बीच विनिमय पुल के रूप में कार्य करते हैं।

समुद्री साइनो बैक्टीरिया के बारे में 

  • समुद्री साइनोबैक्टीरिया 3.5 मिलियन वर्ष पूर्व के प्रकाश संश्लेषक सूक्ष्म जीवाणुओं का एक प्राचीन समूह है। ये बायोएक्टिव सेकेंडरी मेटाबोलाइट्स (Bioactive Secondary Metabolites) के विपुल उत्पादक होते हैं।
    • बायोएक्टिव पौधों एवं कुछ खाद्य पदार्थों (जैसे- फल, सब्जियाँ, मेवे, तेल व साबुत अनाज) में थोड़ी मात्रा में पाया जाने वाला एक प्रकार का रसायन है। बायोएक्टिव यौगिकों से शरीर में होने वाली क्रियाएँ अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकती हैं।
    • सामान्यत: द्वितीयक या सेकेंडरी मेटाबोलाइट्स प्राइमरी मेटाबोलाइट्स के उत्पाद होते हैं और मिथाइलेशन, ग्लाइकोसिलेशन एवं हाइड्रॉक्सिलेशन सहित जैवसंश्लेषण संशोधनों से उत्पन्न होते हैं। ये सीधे वृद्धि एवं विकास में शामिल नहीं होते हैं। 
  • इनमें कई प्राकृतिक गुण होते हैं जो इन्हें कई जैव-प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। सायनोबैक्टीरिया (नील-हरित शैवाल) ग्राम-निगेटिव यूबैक्टेरिया (Gram-negative Eubacteria) हैं। 
    • यूबैक्टीरिया बैक्टीरिया का एक वृहत समूह है जिसमें कठोर कोशिका भित्ति, फ्लैगला, डी.एन.ए. (एकल गोलाकार गुणसूत्र) और केंद्रक के बिना एक कोशिका होती है। यूबैक्टीरिया के अंतर्गत आर्कबैक्टीरिया को छोड़कर सभी प्रकार के बैक्टीरिया (ग्राम-पॉजिटिव एवं ग्राम-नेगेटिव) शामिल हैं।
  • ये अपनी विशाल आकृति एवं शारीरिक विविधता के कारण स्थलीय, ताजे पानी, अपशिष्ट जल व समुद्री आवासों में व्यापक रूप से पाए जाते हैं।
  • पृथ्वी पर मौजूद जैविक कार्बन का अनुमानित 20-30% सायनोबैक्टीरिया से प्रकाश संश्लेषक कार्बन स्थिरीकरण से प्राप्त होता है।
  • साइनोबैक्टीरिया समुद्री वातावरण में प्राथमिक नाइट्रोजन- स्थिरीकरण सूक्ष्मजीवों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। 

समुद्री साइनो बैक्टीरिया की भूमिका 

  • समुद्री सायनोबैक्टीरिया कार्बन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिनसे फसल एवं पौधों के क्लोरोप्लास्ट में प्रकाश संश्लेषक CO2 स्थिरीकरण की दक्षता में सुधार करके उनकी उपज में वृद्धि हुई।
  • ये जीव ग्रह पर सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले प्रकाश संश्लेषक जीव हैं जो महासागरों के लिए एक वास्तविक ‘फेफड़े’ का प्रतिनिधित्व करते हैं और जीवन निर्वाह के लिए अपरिहार्य हैं।
  • समुद्री साइनोबैक्टीरिया में मूल्यवान शक्तिशाली मेटाबोलाइट्स होते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण औषधीय गतिविधियाँ होती हैं। 


मुसांकवा सैनियाटिएंसिस

MUSHANK

DAINASOR

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में जिम्बाब्वे में डायनासोर की एक नई प्रजाति के जीवाश्म पाए
  • डायनासोर की एक नई प्रजाति का नाम मुसांकवा सैनियाटिएंसिस रखा गया है। 
    • "मुसांकवा", उस हाउसबोट का नाम था जिसका प्रयोग वैज्ञानिकों ने अनुसंधान स्थल पर अपने अभियानों के दौरान किया था।
    • "सनयातिएन्सिस", सनयाती नदी को दर्शाता है जो करीबा झील में बहती है।
  • इसकी पहचान जिम्बाब्वे में करीबा झील के तट पर पाए गए जीवाश्मों से की गई है
  • इन जीवाश्मों को प्राप्त करने वाली चट्टानें लेट ट्राइऐसिक काल की हैं , जो लगभग 210 मिलियन वर्ष पुरानी हैं।
  • यह डायनासोर, सॉरोपोडोमोर्फा का सदस्य था
  • सॉरोपोडोमोर्फा दो पैरों तथा लंबी गर्दन वाले डायनासोरों का एक समूह था
  • इसका वजन लगभग 390 किलोग्राम था 
  • मुसांकवा सैनियाटिएंसिस अपने युग के सबसे बड़े डायनासोरों में से एक था और ज्यादातर दलदली क्षेत्रों में रहता था।

ZIMBABWAY

करीबा झील

  • यह आयतन की दृष्टि से विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील और जलाशय है
  • यह जाम्बिया और जिम्बाब्वे की सीमा पर स्थित है। 
  • इसका निर्माण वर्ष 1955 और 1959 के बीच ज़म्बेजी नदी पर बांध बनाकर किया गया था।
  • यह जाम्बिया और जिम्बाब्वे दोनों को पर्याप्त विद्युत शक्ति प्रदान करता है तथा वाणिज्यिक मत्स्य उद्योग को भी बढ़ावा देता है 

अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन विश्व कप

SHOOTER

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में सरबजोत सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता।
  • सरबजोत ने यह स्वर्ण पदक 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में जीता 
  • अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन विश्व कप का आयोजन 31 मई से 8 जून 2024 तक जर्मनी के म्यूनिख में हो रहा है 

अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन 

  • यह ओलंपिक शूटिंग स्पर्धाओं का शासी निकाय है।
  • इसका गठन वर्ष 1907 में हुआ था। 
  • इसका मुख्यालय म्यूनिख, जर्मनी में है।

विशेष राज्य का दर्जा

चर्चा में क्यों ?

  • बिहार के यूनाइटेड जनता दल और आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी की मदद से केंद्र सरकार का गठन होने जा रहा है 
  • आंध्र प्रदेश और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग बहुत अधिक समय से की जा रही है.
  • अब ये राज्य फिर से यह मांग कर सकते हैं 

विशेष राज्य का दर्जा

  • भारत के संविधान में किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है.
  • वर्ष 1969 में पांचवें वित्त आयोग द्वारा जम्मू और कश्मीर असम तथा नगालैंड को विशेष श्रेणी के राज्यों का दर्जा दिया गया था।
  • गाडगिल कमेटी ने विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्य के लिए केंद्र सरकार की सहायता और टैक्स छूट में प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया था.
  • ऐसे राज्यों के लिए एक्साइज ड्यूटी में भी महत्वपूर्ण छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया ताकि वहां बड़ी संख्या में कंपनियां मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटीज़ स्थापित कर सकें.
  • विशेष राज्य का दर्जा, सामाजिक और आर्थिक, भौगोलिक कठिनाइयों वाले राज्यों को विकास में मदद के लिए दिया जाता है. 
  • इसके लिए अलग-अलग मापदंड निर्धारित किए गए हैं, जैसे - 
    • पहाड़ी और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्र
    • कम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र
    • पर्याप्त जनजातीय आबादी वाले क्षेत्र
    • अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगने वाले राज्य 
    • आर्थिक एवं ढांचागत दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ क्षेत्र
    • ख़राब वित्तीय स्थिति वाले राज्य

विशेष राज्य का दर्जा मिलने से क्या फायदा होता है?

  • अन्य राज्यों की तुलना में विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र से मिलने वाली सहायता में कई लाभ मिलते हैं.
  • केंद्र प्रायोजित योजनाओं के मामले में विशेष दर्जा रखने वाले राज्यों को 90 फ़ीसदी धनराशि मिलती है जबकि अन्य राज्यों के मामले में यह अनुपात 60 से 70 फीसदी है.
  • इन राज्यों द्वारा एक वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं किया गया धन समाप्त नहीं होता है और आगामी वर्ष  के लिये संरक्षित कर लिया जाता है ।
  • इसके अलावा विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर में छूट मिलती हैं.
  • वर्तमान में भारत में 11 राज्यों को इस तरह की विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है.
  • इनमें असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल हैं.

प्रश्न - निम्नलिखित में से किस राज्य को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा नहीं प्राप्त है?

(a) हिमाचल प्रदेश

(b) उत्तराखंड 

(c) तेलंगाना 

(d) गोवा 


किसान उत्पादक संगठनों को सामान्य सेवा केंद्र में बदला जाएगा

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में सामान्य सेवा केंद्र विशेष प्रयोजन वाहन और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • इस समझौते के तहत ‘10,000 किसान उत्पादक संगठनों को सामान्य सेवा केंद्र (CSC) में बदला जायेगा 
  • इस समझौते के तहत ऐसे किसान उत्पादक संगठन, नागरिकों को वे सभी सेवाएं प्रदान कर सकेंगे, जो CSC योजना के डिजिटल सेवा पोर्टल पर उपलब्ध हैं।

किसान उत्पादक संगठन

  • किसान उत्पादक संगठन मुख्यतः छोटे एवं सीमांत किसानों के हितों के संरक्षण के लिये एक प्रकार का संगठन है। 
  • इनका मुख्य कार्य किसानों को बीज, उर्वरक, मशीन, नेटवर्किंग और बाज़ार आदि के संदर्भ में परामर्श एवं तकनीकी सहायता देना है। 
  • ये स्वैच्छिक संगठन होते हैं जो अपने किसान-सदस्यों द्वारा नियंत्रित होते हैं

सामान्य सेवा केंद्र 

  • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक पहल है।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य डिजिटल कनेक्टिविटी के माध्यम से विभिन्न ई-गवर्नेंस सेवाओं तक पहुँच प्रदान करना है। 
  • इसके साथ ही यह  शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सरकारी और निजी सेवाओं तक भी पहुँच प्रदान करते हैं

बायोफार्मास्युटिकल गठबंधन

 चर्चा में क्यों ?

  • भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान और यूरोपीय संघ ने एक बायोफार्मास्यूटिकल्स गठबंधन शुरू किया है। 
  • इसका उद्देश्य बायोफार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना है।
  • इसकी पहली बैठक बायो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2024 के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित की गई
  • कोविड-19 महामारी के दौरान, दवा आपूर्ति में गंभीर व्यवधान के कारण दुनिया के कई हिस्सों में दवा की कमी हो गई थी। 
  • दवाओं के लिए आवश्यक कच्चे माल का उत्पादन कुछ देशों में केंद्रित था, जो महामारी के दौरान बुरी तरह बाधित हुआ था 
  • इससे विभिन्न देशो में स्वास्थ्य संबंधी कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गईं थी 
  • बायोफार्मास्यूटिकल्स  गठबंधन का लक्ष्य भविष्य में ऐसी स्थिति को  रोकना है। 

बायोफार्मास्यूटिकल्स 

  • बायोफार्मास्यूटिकल्स एक प्रकार की दवा है
  • इसका निर्माण किसी जीवित प्राणी के अंगों और ऊतकों, सूक्ष्मजीवों, जानवरों के तरल पदार्थ, या आनुवंशिक रूप से संशोधित कोशिकाओं और जीवों का उपयोग करके किया जाता है। 
  • ऐसी दवाओं का उत्पादन करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है  

फाइव आइज़ एलायंस

  • हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया सरकार ने सशस्त्र बलों की कमी से निपटने के लिए फ़ाइव आइज़ एलायंस (Five Eyes Alliance) देशों के नागरिकों को अपने सशस्त्र बलों में शामिल होने की अनुमति देने की बात कही है।
  • हाल के वर्षों में चीन के प्रभाव को संतुलित करने जैसे साझा हितों ने फाइव आइज़ देशों के बीच घनिष्ठता को बढ़ावा दिया है।

FIVE

फाइव आइज़ एलायंस के बारे में 

  • क्या है : पांच अंग्रेजी भाषी देशों- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका एक बहुपक्षीय खुफिया-साझाकरण नेटवर्क
    • यह 20 से अधिक विभिन्न एजेंसियों द्वारा साझा किया जाता है।
    • इसमें फाइव आइज़ देशों की गैर-राजनीतिक खुफिया निगरानी, समीक्षा एवं सुरक्षा संस्थाएँ शामिल हैं। 
  • कार्यप्रणाली : सदस्य देशों द्वारा आपसी हितों वाले विचारों का आदान-प्रदान करते हुए सर्वोत्तम प्रथाओं की तुलना करना। 
    • ये पूरे साल कॉन्फ्रेंस कॉल करते हैं और वार्षिक तौर पर व्यक्तिगत रूप से भी मिलते हैं।

पृष्ठभूमि

  • इस गठबंधन की उत्पत्ति द्वितीय विश्व युद्ध में हुई जब ब्रिटेन एवं अमेरिका ने जर्मन व जापानी गुप्त कोड को सफलतापूर्वक तोड़ने के बाद खुफिया जानकारी साझा करने का फैसला किया। 
  • फाइव आइज़ एलायंस की शुरुआत ब्रिटेन-अमेरिका (Britain-USA : BRUSA) समझौते के रूप में हुई, जो बाद में UK-USA (UKUSA) समझौते में विकसित हुआ। 
    • वर्ष 1949 इसमें कनाडा तथा वर्ष 1956 में न्यूजीलैंड एवं ऑस्ट्रेलिया शामिल हुए। 
  • UKUSA का उद्देश्य यूरोप में अमेरिकी बलों का समर्थन करने, कर्मियों का आदान-प्रदान करने, अत्यधिक संवेदनशील सामग्री के संचालन एवं वितरण के लिए संयुक्त नियम विकसित करने के लिए दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करना था।

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य

  • विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बिहार के नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर स्थल में शामिल करने की घोषणा की है।
  • इस प्रकार देश में रामसर स्थल के रूप में चिन्हित आर्द्रभूमियों की संख्या अब 82 हो गई है।
  • रामसर स्थल में शामिल किए बिहार के दोनों ही अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 544.37 हेक्टेयर है। इसके साथ ही देश में रामसर स्थल का कुल क्षेत्रफल 13.32 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है।

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नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य के बारे में 

  • नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य बिहार के जमुई जिले में स्थित है। नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को भारत में क्रमशः 81वें व 82वें रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया है।
  • ये दोनों अभयारण्य मानव निर्मित आर्द्रभूमि हैं, जिन्हें मुख्यत: सिंचाई के लिए बांध बनाकर विकसित किया गया था। 
    • सिंचाई योजना के रूप में नागी और नकटी जलाशय का शिलान्यास वर्ष 1955-56 में किया गया।
  • 25 फरवरी, 1984 को सरकार ने पक्षी अभयारण के रूप में नागी और नकटी बांध को स्वीकृति दी थी। इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल ने महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) के रूप में भी नामित किया है।
  • शीतकाल के दौरान यहां प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें इंडो-गंगा के मैदान पर लाल-क्रेस्टेड पोचार्ड (नेट्टा रूफिना) का सबसे बड़ा समूह भी शामिल है।
  • इन दोनों के साथ बिहार में कुल रामसर स्थलों की संख्या तीन हो गई है। बिहार का पहला रामसर स्थल बेगूसराय में स्थित कांवर झील है, जिसे वर्ष 2020 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। 

इसे भी जानिए!

  • वर्ष 1981 में चिल्का झील को रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की पहली भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था। 
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी आर्द्रभूमि सुंदरवन संरक्षित वन क्षेत्र है।
  • 82 रामसर आर्द्रभूमियों के साथ एशिया में सर्वाधिक रामसर स्थलों की संख्या के मामले में भारत ने चीन की बराबरी कर ली है।
  • भारत में सर्वाधिक रामसर स्थल (16) तमिलनाडु में हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश (10) का स्थान है।

क्या है रामसर स्थल 

  • रामसर स्थल रामसर अभिसमय के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि होती है। 
    • रामसर अभिसमय वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित ‘कन्वेंशन ऑन वेटलैंड्स’ के रूप में भी जाना जाता है। 
  • इस अभिसमय पर ईरान के रामसर शहर में सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए थे। 
  • रामसर स्थल की पहचान दुनिया में नम यानी आर्द्र भूमि के रूप में होती है। इसमें ऐसी आर्द्र भूमि शामिल की जाती है, जहां जलीय पक्षी भी बड़ी संख्या में रहते है।
  • किसी भी आर्द्रभूमि के रामसर साइट में शामिल होने से उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर से सहयोग भी प्रदान किया जाता है। 


अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब द्वीप

ईरान ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा दावा किए गए तीन द्वीपों पर ईरान की संप्रभुता से संबंधित चीन-यूएई के बयान के विरोध में चीनी राजदूत से विरोध जताया है।

विवाद से संबंधित बिंदु 

  • इन तीन द्वीपों के नाम अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब हैं। ईरान इन द्वीपों को अपना बताता है, जबकि यू.ए.ई. भी इन पर अपना दावा करता है। 
  • चीन ने इसको ईरान व यू.ए.ई. के मध्य हल किए जाने वाला मामला बताया है जिसका ईरान ने विरोध किया है। चीन ने इस मुद्दे के ‘शांतिपूर्ण समाधान’ के लिए यू.ए.ई. के प्रयासों का समर्थन किया है।

अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब से संबंधित विवाद 

  • 30 नवंबर, 1971 को अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब से ब्रिटिश सेना के वापस जाने के बाद शाही ईरानी नौसेना ने इन द्वीपों पर कब्ज़ा कर लिया। 
  • ईरान ने इन तीनों द्वीपों पर दावा किया जबकि यू.ए.ई. के प्रांत (अमीरात) ‘रस अल-खैमाह’ एवं ‘शारजाह’ ने क्रमशः टुनब्स व अबू मूसा पर दावा किया।
  • यू.ए.ई. में शामिल होने के बाद इन दोनों अमीरात के विवाद को यू.ए.ई. संबोधित करने लगा।
  • यू.ए.ई. के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद ईरान ने वर्ष 1971 से इन द्वीपों पर नियंत्रण बनाए रखा है और विवादित मुद्दा है।

अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब के बारे में 

  • ग्रेटर टुनब, लेसर टुनब एवं अबू मूसा द्वीप पूर्वी फ़ारसी की खाड़ी में होर्मुज जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार के पास स्थित है। 
  • समुद्र की गहराई के कारण तेल टैंकरों व बड़े जहाजों को अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब के बीच से गुजरना पड़ता है
  • ये तीनों द्वीप फ़ारस की खाड़ी में सबसे रणनीतिक बिंदुओं के रूप में जाने जाते है। ईरान इन द्वीपों को होर्मोज़गन प्रांत के हिस्से के रूप में प्रशासित करता है।

UAE

फारस की खाड़ी के बारे में 

  • यह पश्चिमी एशिया में स्थित हिंद महासागर का हिस्सा है जो पूर्व में होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से हिंद महासागर से जुड़ता है।
  • इसे अरब की खाड़ी या ईरान की खाड़ी भी कहा जाता है। इसकी तटरेखा की लंबाई में ईरान की तटरेखा सबसे लंबी है।
  • यह अरब प्रायद्वीप और ईरान के बीच क्रमशः दक्षिण-पश्चिम एवं उत्तर-पूर्व में स्थित है।
  • यह ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, इराक व कुवैत जैसे देशों से घिरा हैं।

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