शॉर्ट न्यूज़ : 13 जून , 2024
बेला प्रिंटिंग
AIM-ICDK वाटर चैलेंज एवं इनोवेशन फॉर यू
चौसिंगा
बेला प्रिंटिंग
गुजरात के कच्छ में स्थित बेला गाँव की पारंपरिक शिल्प कला बेला ब्लॉक प्रिंटिंग पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
बेला ब्लाक प्रिंटिंग के बारे में
- क्या है : कपड़ों पर बोल्ड एवं सटीक डिजाइन के साथ प्रदर्शित की जाने वाली एक पारंपरिक और दीर्घकालिक व सम्मानित कपड़ा कला
- ऐतिहासिक विरासत : गुजरात के कच्छ जिला में इस कला रूप का समृद्ध इतिहास
- अविभाजित भारत में कच्छ और वर्तमान पाकिस्तान में सिंध के बीच बेला का अत्यधिक व्यापार होता था।
![DARI](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//DARI.jpg)
- संबंधित समुदाय : इस शिल्प में महारत के लिए खत्री समुदाय प्रसिद्ध
- प्रिंटिंग तकनीक : इस तकनीक में प्रतिरोधी प्रिंटिंग का समावेश
- प्रतिरोधी प्रतिरोधी में कपड़े के विशिष्ट क्षेत्रों को डाई का प्रतिरोध करने के लिए मिट्टी या फिटकरी जैसे पदार्थों से उपचारित किया जाता है, जिसके बाद जटिल पैटर्न और डिज़ाइन बनाए जाते हैं।
- प्राकृतिक रंग संयोजन : आकर्षक रंग संयोजनों और ग्राफिक रूपांकनों के लिए प्रसिद्ध
- इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले रंग पूर्णतया प्राकृतिक एवं वनस्पति स्रोतों से निर्मित होते हैं।
- विशेषताएँ : हाथी व घोड़े जैसे रूपांकनों को दर्शाने के साथ रेखाओं का व्यापक उपयोग
- लुप्तप्राय शिल्प : बेला को हस्तशिल्प विकास आयुक्त कार्यालय से लुप्तप्राय शिल्प के रूप में मान्यता प्राप्त
- हस्तशिल्प विकास आयुक्त कार्यालय एक राष्ट्रीय एजेंसी है, जो भारतीय हस्तशिल्प की उन्नति, संवर्द्धन एवं निर्यात के लिए समर्पित है।
- यह भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करती है।
इसे भी जानिए!
- गुजरात के कच्छ क्षेत्र के 'कच्छ अजरख' के पारंपरिक कारीगरों को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) प्रमाण पत्र प्रदान किया है।
- अजरख कपड़े पर रंगाई की एक शिल्पकला है। गुजरात के सिंध एवं कच्छ और बाड़मेर क्षेत्रों में इसका विशेष सांस्कृतिक महत्त्व है।
- रबारी, मालधारी एवं अहीर जैसे खानाबदोश पशुपालक व कृषि समुदाय अजरख मुद्रित कपड़े को पगड़ी, लुंगी या स्टोल के रूप में पहनते हैं।
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AIM-ICDK वाटर चैलेंज एवं इनोवेशन फॉर यू
नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन (AIM) ने भारत में नवाचार एवं वहनीयता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो महत्वपूर्ण पहलों की शुरूआत की घोषणा की। इनके नाम 'AIM-ICDK वाटर चैलेंज 4.0' और 'इनोवेशन फॉर यू' हैं।
AIM-ICDK वाटर चैलेंज 4.0 के बारे में
- इसकी शुरुआत अटल इनोवेशन मिशन (AIM) के अंतर्गत एक पहल के रूप में की गयी है। इसका उद्देश्य नवीन समाधानों के माध्यम से जल संबंधी विभिन्न चुनौतियों का समाधान करना है।
- यह नीति आयोग एवं भारत स्थित रॉयल डेनिश दूतावास में इनोवेशन सेंटर डेनमार्क (ICDK) के साथ एक सहयोगात्मक प्रयास है।
इनोवेशन फॉर यू का पांचवां संस्करण
- इनोवेशन फॉर यू पुस्तिका का पांचवां संस्करण भारत के सतत विकास लक्ष्य (SDG) उद्यमियों पर प्रकाश डालती है।
- ये स्टार्टअप पुनर्चक्रणीय और नवीकरणीय सामग्रियों, हरित ऊर्जा, समावेशी शिक्षा तथा कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों और स्थानीय कारीगरों पर फोकस करते हैं।
चौसिंगा
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में पहली बार एक दुर्लभ ‘चार सींग वाला मृग’ (चौसिंगा) देखा गया है।
चौसिंगा (Four-Horned Antelope) के बारे में
- क्या है : चार सींग वाला एक छोटा बोविड मृग
- यह एशिया में पाया जाने वाला सबसे छोटा मृग हैं।
- दो खुर वाले तथा जुगाली करने वाले स्तनधारियों को बोविड (Bovid) कहा जाता है।
- वैज्ञानिक नाम : टेट्रासेरस क्वाड्रिकोर्निस (Tetracerus Quadricornis)
- भौगोलिक व्याप्ति : भारत एवं नेपाल में स्थानिक प्रजाति के रूप में
- भारत में उत्तर में हिमालय की तराई से लेकर दक्षिण में दक्कन के पठार तक प्राकृतिक आवासों में पाए जाते हैं।
- परिवेश : अधिकांशत: पहाड़ी क्षेत्रों में खुले, शुष्क व पर्णपाती जंगल
- जल निकायों के निकट ऐसे क्षेत्रों के आसपास रहते हैं जहां पर्याप्त घास या झाड़ियाँ होती हैं।
- शारीरिक विशिष्टता : दो सींग वाले अन्य बोविड्स की अपेक्षा चार सींग वाले मृग
- इस प्रजाति में सींग केवल नर में ही होते हैं। सींगों का एक जोड़ा कानों के बीच और दूसरा माथे पर स्थित होता है।
- ये सामान्यतः दिनचर एवं एकांतप्रिय होते हैं। हालांकि, इन्हें तीन-चार के समूह में भी देखा जा सकता है।
- संरक्षण स्थिति
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम : अनुसूची I शामिल
- IUCN लाल सूची : संवेदनशील (Vulnerable)
- प्रमुख खतरा : कृषि के लिए झाड़ियों व जंगलों की सफाई के कारण आवास क्षति और संरक्षित क्षेत्रों के बीच संपर्क में कमी के साथ-साथ शिकार एवं पशुधन के साथ प्रतिस्पर्धा का प्रभाव
![DEER](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//DEER.jpg)
वीरांगना दुर्गावती बाघ अभयारण्य
- यह मध्य प्रदेश के सागर, दमोह एवं नरसिंहपुर जिलों में विस्तृत है।
- यह मध्य प्रदेश का सातवां बाघ अभयारण्य है।
- मध्य प्रदेश के छह अन्य बाघ अभयारण्य : कान्हा, बांधवगढ़, सतपुड़ा, पेंच, पन्ना एवं संजय-डुबरी।
- नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य को एक साथ मिलाकर बाघ अभयारण्य का दर्जा दिया गया है।
- बाघों की प्राकृतिक आवागमन के लिए पन्ना बाघ अभयारण्य को दुर्गावती बाघ अभयारण्य से जोड़ने वाला एक हरित गलियारा भी विकसित किया जा रहा है।
- सिंगौरगढ़ का किला इस बाघ अभयारण्य में स्थित है। यह बाघ अभयारण्य नर्मदा एवं यमुना नदी घाटियों के बीच में स्थित है।
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