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शॉर्ट न्यूज़ : 14 जून , 2024

शॉर्ट न्यूज़ : 14 जून , 2024


अंतर्राष्ट्रीय लिनेक्स दिवस, 2024

शेंगेन वीज़ा

भारतीय कौवे की प्रजाति को समाप्त करने की घोषणा

डोनानेमब : अल्जाइमर की नई दवा

एंटरोबैक्टर बुगांडेंसिस


अंतर्राष्ट्रीय लिनेक्स दिवस, 2024

  • अंतर्राष्ट्रीय लिनेक्स दिवस प्रतिवर्ष 11 जून को मनाया जाता है। यह दिवस पहली बार 11 जून, 2019 को मनाया गया था।
  • अंतर्राष्ट्रीय लिनेक्स दिवस ‘3लिनेक्स-ट्रांसबाउन्ड्री परियोजना’ (3Lynx-Transboundary Project) की एक सहयोगात्मक पहल है।
  • इस दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में लिनेक्स के बारे में जनता को शिक्षित करना, संरक्षण प्रयासों को प्रेरित करना और इन राजसी जीवों की सुरक्षा में सफलताओं को उजागर करना है। 

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लिनेक्स के बारे में 

  • लिनेक्स बड़ी बिल्ली (Big Cat) परिवार का एक सदस्य है, जो उत्तरी अमेरिका, एशिया एवं यूरोप में पाया जाता है। 
  • यह अपने कानों के गुच्छे, लंबे फर एवं असाधारण शिकार कौशल के लिए जाना जाता है। 
  • लिनेक्स के अंतर्गत बिल्ली की चार प्रजातियाँ आती हैं :  
    1. यूरेशियन लिनेक्स (Lynx lynx)
    2. कनाडा लिनेक्स (Lynx canadensis)
    3. इबेरियन लिनेक्स (Lynx pardinus)
    4. बॉबकैट (Lynx rufus)
  • बॉबकैट, कनाडा लिनेक्स तथा यूरेशियन लिनेक्स IUCN की लाल सूची में संकटमुक्त (Least Concern) के रूप में सूचीबद्ध हैं जबकि इबेरियन लिनेक्स लुप्तप्राय (Endangered) के रूप में सूचीबद्ध है। 

पारिस्थितिकी तंत्र में लिनेक्स का महत्व

  • लिनेक्स अपने प्राकृतिक आवासों में शीर्ष शिकारियों के रूप में कार्य करते हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • ये हिरण एवं छोटे स्तनधारियों जैसे शाकाहारी जानवरों का शिकार करके इनकी आबादी को नियंत्रित करते हैं, अतिचारण को रोकते हैं और वनस्पति विकास को बढ़ावा देते हैं।

लिनेक्स के समक्ष चुनौतियाँ

  • लिनेक्स को मुख्यत: आवास हानि एवं विखंडन की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 
  • लिनेक्स को उनके फर एवं शारीरिक अंगों के लिए अवैध शिकार से भी गंभीर खतरा है। 
  • जलवायु परिवर्तन उनके आवासों में परिवर्तन करके और शिकार की उपलब्धता को प्रभावित करके लिनेक्स को प्रभावित करता है। 

भारत में लिनेक्स की स्थिति 

  • चार लिनेक्स प्रजातियों में से यूरेशियन लिनेक्स भारत में पाई जाती है। 
  • भारत में इनके निवास स्थान लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और देश के उत्तर-पूर्वी भागों में सीमित क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • भारत में यूरेशियन लिनेक्स को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-I के अंतर्गत रखा गया है। 
  • एशियाई यूरेशियन लिनेक्स को प्रवासी प्रजाति संरक्षण अभिसमय (Convention on the Conservation of Migratory Species) के परिशिष्ट II में सूचीबद्ध किया गया है, जो प्रवासी जानवरों और उनके आवासों के संरक्षण एवं सतत उपयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक संधि है।

शेंगेन वीज़ा

यूरोपीय संघ ने शॉर्ट-स्टे शेंगेन वीज़ा की लागत में 12% की वृद्धि की है। 

क्या है शेंगेन वीज़ा 

  • शेंगेन वीज़ा धारक को 29 यूरोपीय देशों वाले शेंगेन क्षेत्र में किसी भी 180 दिन की अवधि में अधिकतम 90 दिनों के लिए स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की अनुमति होती है। 
    • यह वीज़ा कार्य करने का अधिकार नहीं प्रदान करता है।
  • शेंगेन देश भारतीय यात्रियों के लिए सबसे लोकप्रिय गंतव्यों में से हैं, जिनमें फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, इटली व स्विट्जरलैंड जैसे गंतव्यों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
  • शेंगेन वीज़ा कोड प्रत्येक तीन वर्ष में समीक्षा को अनिवार्य करता है। यूरोपीय संघ ने इस वृद्धि के लिए मुद्रास्फीति एवं बढ़ते सिविल कर्मचारी वेतन को उत्तरदायी माना है।

भारतीयों के लिए विशेष रियायतें 

  • यूरोपीय संघ ने यूरोप में भारतीयों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की थी, जिसमें लंबी वैधता के साथ मल्टिपल एंट्री शेंगेन वीज़ा की पेशकश की गई थी। 
  • बार-बार यात्रा करने वाले भारतीय यात्री अब पाँच वर्ष के मल्टिपल एंट्री वीज़ा के लिए आवेदन कर सकते हैं जो उन्हें ‘वीज़ा-मुक्त नागरिकों’ के समान सुविधा उपलब्ध कराता है। 
  • भारतीय नागरिकों को अब पिछले तीन वर्षों में दो वीज़ा प्राप्त करने और उनका उपयोग करने के बाद दो साल के लिए वैध दीर्घकालिक मल्टिपल एंट्री शेंगेन वीज़ा जारी किया जा सकता है। 

शेंगेन क्षेत्र के बारे में 

शेंगेन क्षेत्र में यूरोपीय संघ के 25 सदस्य देशों सहित कुल 29 यूरोपीय देश शामिल हैं : बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, जर्मनी, एस्टोनिया, ग्रीस, स्पेन, फ्रांस, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, हंगरी, माल्टा, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवेनिया, स्लोवाकिया, फिनलैंड, स्वीडन, आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे एवं स्विट्जरलैंड।


भारतीय कौवे की प्रजाति को समाप्त करने की घोषणा

  • केन्या सरकार ने आक्रामक प्रकृति एवं स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र पर हानिकारक प्रभाव के कारण वर्ष 2024 के अंत तक दस लाख भारतीय घरेलू कौवे (Corvus splendens) को समाप्त करने की योजना शुरू की है।
  • केन्या में भारतीय घरेलू कौवे को आक्रामक विदेशी पक्षी माना जाता है। ये मूल रूप से भारत एवं एशिया के अन्य हिस्सों पाए जाते हैं और शिपिंग गतिविधियों के माध्यम से विश्व में फैल गए हैं। 
  • ये वर्ष 1940 के आसपास पूर्वी अफ्रीका में पहुंचे हैं।

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कौवे की संख्या में वृद्धि का प्रभाव 

स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

  • इन कौवों द्वारा छोटे स्थानीय पक्षियों के घोंसलों को नष्ट करने तथा उनके अंडों व चूज़ों का शिकार करने से उनकी संख्या में उल्लेखनीय कमी आ गयी है।
    • प्रभावित स्थानीय पक्षी प्रजातियों में स्केली बैबलर, पाइड कौवे, माउस-कलर्ड सनबर्ड, वीवर बर्ड, कॉमन वैक्सबिल एवं विभिन्न जलीय पक्षी शामिल हैं।
  • ये विशेष आवासों एवं संरक्षित अभयारण्यों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं, जिससे सोकोके स्कॉप्स उल्लू जैसी प्रजातियां खतरे में पड़ रही हैं।

आर्थिक एवं सामाजिक चिंताएँ

  • केन्या में विदेशी मुद्रा अर्जन का तीसरा सबसे बड़े साधन के रूप में पर्यटन व्यवसाय कौवों के कारण बाधित हो रहा है क्योंकि वे पर्यटकों व होटल व्यवसायियों को असुविधा पहुंचा रहे हैं।
  • इनके द्वारा अंकुरित फसलों को नुकसान पहुंचाने एवं चूज़ों का शिकार करने के कारण किसानों व मुर्गीपालकों को नुकसान उठाना पड़ता है।

भारतीय घरेलू कौवे से संबंधित प्रमुख तथ्य

  • प्रजाति : कॉर्विडे परिवार के अंतर्गत कॉर्वस स्प्लेंडेंस (Corvus splendens)
  • चर्चित नाम : भारतीय घरेलू कौवा, घरेलू कौवा, भारतीय कौवा, ग्रे-नेक्ड कौवा, सीलोन कौवा, कोलंबो कौवा
  • प्राप्ति स्थान : कॉर्वस स्प्लेंडेंस प्रजाति के कौवे सामान्यतः भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश में पाए जाते हैं।
  • संरक्षण स्थिति : 
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम : अनुसूची-II में शामिल 
    • IUCN स्थिति : संकट मुक्त (Least Concerned)

केन्या : महत्वपूर्ण तथ्य 

  • पूर्वी अफ्रीका के भ्रंश घाटी में स्थित इस देश की राजधानी नैरोबी है।
  • भूमध्य रेखा पर स्थित यह देश हिंद महासागर के पश्चिमी तट से सटा हुआ है।
  • इसकी सीमा उत्तर में इथियोपिया, उत्तर-पूर्व में सोमालिया, दक्षिण में तंजानिया, पश्चिम में युगांडा एवं उत्तर-पश्चिम में सूडान से मिलती है।
  • विक्टोरिया झील केन्या, युगांडा एवं तंजानिया देशों के मध्य स्थित है। इसके अतिरिक्त इस देश में तुरकाना झील भी पायी जाती है।
  • इस देश का नाम माउंट केन्या पर रखा गया है। यह अफ्रीका महाद्वीप की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। 
  • माउंट किलिमंजारो (तंजानिया) अफ़्रीका का सबसे ऊँचा  पर्वत है। 
  • समुद्र तटीय क्षेत्र हिंद महासागर के किनारे पर स्थित होने के कारण यह देश जैव-विविधता से संपन्न देश है। 
  • इसके उत्तरी हिस्से में लामू द्वीप (Lamu Archipelago) चापाकार रूप में स्थित है, जिस पर समुद्र जल स्तर में वृद्धि के परिणामस्वरूप डूबने का खतरा बना हुआ है।
  • केन्या की प्रमुख नदी ‘ताना’ है जो केन्या पर्वत से निकलकर ताना मैदान में प्रवाहित होते हुए हिंद महासागर में विलीन हो जाती है।

डोनानेमब : अल्जाइमर की नई दवा

अमेरिकी विशेषज्ञ पैनल ने अल्जाइमर की नई दवा डोनानेमब (Donanemab) के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) की मंजूरी को हरी झंडी दे दी है।

डोनानेमब के बारे में

  • क्या है : मस्तिष्क में एमाइलॉइड बीटा प्रोटीन प्लेक को लक्षित करने वाला एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी 
    • अल्जाइमर रोग की एक विशेषता है। 
  • निर्माण : एली लिली कंपनी द्वारा
  • क्लिनिकल परीक्षण के निष्कर्ष : अल्जाइमर के शुरुआती रोगियों में संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा करने में सक्षम किंतु पूरी तरह से बीमारी का इलाज नहीं करती है।
  • संभावित दुष्प्रभाव : मस्तिष्क में सूजन या रक्तस्राव
  • अल्जाइमर की अन्य दवा : एमाइलॉइड को लक्षित करने वाली लेकेम्बी एवं बायोजेन 

क्या है अल्जाइमर (Alzheimer)

  • अल्जाइमर एक प्रकार का डिमेंशिया है जो स्मृति, सोच एवं व्यवहार को प्रभावित करता है और अंततः लक्षण इतने गंभीर हो जाते हैं कि दैनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होने लगती है।
  • अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे सामान्य कारण है। यह स्मृति एवं अन्य संज्ञानात्मक क्षमताओं की हानि के लिए एक सामान्य शब्द है। 
    • डिमेंशिया के 60-80% मामलों में अल्जाइमर रोग होता है।

क्या है डिमेंशिया (Dementia)

  • डिमेंशिया या मनोभ्रंश एक व्यापक शब्द है जिसका उपयोग ऐसे कई प्रकार के सिंड्रोम का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क में गिरावट के कारण स्मृति, सोच और/या व्यवहार में परिवर्तन होते हैं।
  • यह 100 से अधिक दुर्लभ आनुवंशिक विकारों से जुड़े मस्तिष्क क्षति में वृद्धि के कारण होता है। 
    • यह किसी भी आयु के व्यक्ति में हो सकता है।

एंटरोबैक्टर बुगांडेंसिस

वैज्ञानिकों ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर विभिन्न स्थानों पर एंटरोबैक्टर बुगंडेंसिस (Enterobacter bugandensis) नामक बैक्टीरिया के उत्परिवर्तित उपभेदों (Mutated Strains) की खोज की है। 

विशेषताएँ

  • एंटरोबैक्टर बुगंडेंसिस बैक्टीरिया सामान्यत: मिट्टी, सीवेज एवं मनुष्यों व जानवरों के जठरांत्र संबंधी मार्ग में पाए जाते हैं। ये मुख्यत: मनुष्यों में अस्पताल से होने वाले संक्रमणों से संचारित होते हैं।
  • ये बैक्टीरिया (रक्त में बैक्टीरिया), एंडोकार्डिटिस, सेप्टिक गठिया, ऑस्टियोमाइलाइटिस, त्वचा व कोमल ऊतक संक्रमण, निचले श्वसन मार्ग, मूत्र मार्ग और पेट के अंदर के संक्रमण का कारण बन सकते हैं। 
  • आई.एस.एस. के अलग-थलग वातावरण में ये स्ट्रेन समय के साथ उत्परिवर्तित हुए हैं और पृथ्वी पर अपने समकक्षों से आनुवंशिक रूप से भिन्न हो गए हैं।
  • श्वसन प्रणाली को संक्रमित करने वाले इस बग को प्राय: 'सुपरबग' के रूप में वर्णित किया जाता है क्योंकि यह कई दवाओं के लिए प्रतिरोधी है।
  • स्पेसबग अंतरिक्ष यात्रियों या रॉकेट पर सह-यात्री के साथ आई.एस.एस. पर पहुंचते हैं।
    • हालाँकि, कुछ सूक्ष्मजीव निवासी अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य एवं कल्याण को सकारात्मक रूप से भी प्रभावित करते हैं।

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