New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

शॉर्ट न्यूज़ : 19 जून , 2024

शॉर्ट न्यूज़ : 19 जून , 2024


पशुधन पर 'बर्प टैक्स'

ऊर्जा प्रगति रिपोर्ट 2024

ई-फ्लो पारिस्थितिक निगरानी प्रणाली

कृषि सखी


पशुधन पर 'बर्प टैक्स'

चर्चा में क्यों

न्यूजीलैंड की सरकार ने पशुधन से होने वाले ग्रीनहाउस गैस (GHGs) उत्सर्जन पर कर लगाने की योजना 'बर्प टैक्स' (burp tax) को समाप्त करने की घोषणा की है। 

क्या है बर्प टैक्स योजना

  • अक्टूबर 2022 में न्यूजीलैंड की तत्कालीन प्रधानमंत्री जैसिंडा एडर्न के नेतृत्व में बर्प टैक्स योजना को पेश किया गया था।
  • उद्देश्य : इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य “डेयरी उद्योग पर कर लगाकर जुगाली करने वाले जानवरों की प्रजातियों से मीथेन उत्सर्जन को कम करना था”।

पशुधन से GHGs उत्सर्जन 

  • गाय, भेड़, बकरी और भैंस जैसे जुगाली करने वाले जानवरों में एक विशेष प्रकार का पाचन तंत्र होता है जो उन्हें भोजन को तोड़ने और पचाने की अनुमति देता है जिसे गैर-जुगाली करने वाली प्रजातियाँ पचाने में असमर्थ होती हैं।
  • जुगाली करने वाले जानवरों के पेट में चार कोष्ठ (four blocks) होते हैं, जिनमें से एक, रुमेन(rumen), उन्हें आंशिक रूप से पचने वाले भोजन को संग्रहीत करने और उसे किण्वित करने में मदद करता है। 
  • आंशिक रूप से पचा हुआ और किण्वित भोजन जानवरों द्वारा फिर से चबाया जाता है और पाचन प्रक्रिया को पूरा करता है।
  • हालांकि, जब घास और अन्य वनस्पतियां रूमेन में किण्वित होती हैं, तो यह मीथेन उत्पन्न करती है, जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है। 
  • गाय और भेड़ जैसे जुगाली करने वाले जानवर मुख्य रूप से डकार (Burp) के माध्यम से इस गैस को छोड़ते हैं।

ऊर्जा प्रगति रिपोर्ट 2024

संदर्भ

हाल ही में जारी ऊर्जा प्रगति रिपोर्ट, 2024 के अनुसार, दुनिया वर्ष 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा के लिए सतत विकास लक्ष्य (SDG) 7 को प्राप्त करने के रास्ते से दूर है। SDG 7 का उद्देश्य किफायती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना है।

ऊर्जा प्रगति रिपोर्ट, 2024 के बारे में 

  • जारीकर्ता :  यह रिपोर्ट लक्ष्य की दिशा में प्रगति पर नज़र रखने के लिए जिम्मेदार पाँच संरक्षक एजेंसियों द्वारा प्रतिवर्ष तैयार की जाती है, जिनमें शामिल हैं: 
      • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)
      • अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA)
      • संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (UNSD)
      • विश्व बैंक (WB) 
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
  • रिपोर्ट में चेतावनी
      • मौजूदा नीतियों के कारण वर्ष 2030 तक 660 मिलियन लोग बिजली की पहुँच से वंचित रह सकते हैं और लगभग 1.8 बिलियन लोगों के पास स्वच्छ खाना पकाने की तकनीक और ईंधन तक पहुंच नहीं होगी।
      • ऊर्जा दक्षता दर की प्रगति भी धीमी है, जो केवल 2.3% ही है। यह एसडीजी 7 की प्राप्ति के लिए आवश्यक स्तर से काफी नीचे है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • विद्युत अनुपलब्धता में वृद्धि : विद्युत ऊर्जा के बिना रहने वाले लोगों की संख्या में एक दशक से भी ज़्यादा समय में पहली बार वृद्धि हुई है।
      • वर्तमान में 685 मिलियन लोग विद्युत ऊर्जा के बिना रह रहे हैं, जो वर्ष 2021 की तुलना में 10 मिलियन ज़्यादा है।
      • वर्ष 2022 में, उप-सहारा अफ़्रीका में 570 मिलियन लोगों तक विद्युत ऊर्जा की पहुँच नहीं थी, जो विद्युत ऊर्जा के बिना रहने वाली वैश्विक आबादी का 80% से ज़्यादा हिस्सा है।
      • वस्तुतः इस क्षेत्र में विद्युत ऊर्जा की कमी में वर्ष 2010 के स्तर की तुलना में वृद्धि देखी गई है।
  • भोजन पकाने में प्रदूषणकारी ईंधन का प्रयोग : 2.1 बिलियन लोग अभी भी खाना पकाने के लिए प्रदूषणकारी ईंधन और तकनीकों का उपयोग करते हैं, मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका और एशिया में।
      • खाना पकाने के लिए प्रदूषित ईंधन और प्रौद्योगिकियों के उपयोग से उत्पन्न घरेलू वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप हर साल 3.2 मिलियन लोगों की समय से पहले ही मृत्यु हो जाती है।
  • नवीकरणीय विद्युत ऊर्जा की खपत में वृद्धि : नवीकरणीय विद्युत ऊर्जा की खपत वर्ष 2021 में साल-दर-साल 6% से अधिक बढ़ी, जिससे वैश्विक विद्युत ऊर्जा खपत में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 28.2% हो गई।
      • प्रति व्यक्ति स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर 424 वाट प्रति व्यक्ति के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई।
      • हालांकि, काफी असमानताएं मौजूद हैं, जैसे विकसित देशों में विकासशील देशों की तुलना में 3.7 गुना अधिक स्थापित क्षमता है।
  • ऊर्जा गहनता सुधार की दर में मामूली वृद्धि : ऊर्जा गहनता सुधार की दर में 2021 में 0.8% की मामूली वृद्धि देखी गई। 
      • रिपोर्ट के अनुसार, SDG 7.3 लक्ष्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2030 तक औसत वार्षिक सुधार अब 3.8 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए।
  • वित्तीय प्रवाह में वृद्धि : विकासशील देशों में स्वच्छ ऊर्जा के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्तीय प्रवाह वर्ष 2022 में बढ़कर 15.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो वर्ष 2021 की तुलना में 25% अधिक है। 
      • हालाँकि, यह अभी भी वर्ष 2016 के 28.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के शिखर का लगभग आधा है। 

भारत की स्थिति

  • वर्ष 2010 और 2021 के बीच, भारत ने चीन और इंडोनेशिया के साथ मिलकर आधुनिक नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है।
      • इस अवधि के दौरान, भारत में कुल अंतिम ऊर्जा खपत (TFEC) में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • भारत के नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन को पर्याप्त अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहायता से बल मिला है।
  • वर्ष 2022 में, देश को 47 नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए उल्लेखनीय 627 मिलियन अमरीकी डॉलर मिले।
      • इस फंडिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जर्मनी और अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) से आया है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की भूमिका परिवहन क्षेत्र तक फैली हुई है, जहाँ यह संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राज़ील, यूरोप और चीन के साथ मिलकर अक्षय ऊर्जा के उपयोग का 85 प्रतिशत हिस्सा है।

ई-फ्लो पारिस्थितिक निगरानी प्रणाली

चर्चा में क्यों

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गंगा नदी के जल की गुणवत्ता के वास्तविक समय विश्लेषण के लिए ई-फ्लो पारिस्थितिक निगरानी प्रणाली का शुभारंभ किया गया।

क्या है ई-फ्लो पारिस्थितिक निगरानी प्रणाली

  • ई-फ्लो पारिस्थितिक निगरानी प्रणाली को जल शक्ति मंत्रालय की एक शाखा, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह प्रणाली गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियों की जल गुणवत्ता का वास्तविक समय विश्लेषण करने की अनुमति देती है।
  • इस प्रणाली द्वारा विभिन्न स्थानों पर नदी के जल की गुणवत्ता की भी निगरानी की जाती है।

उपयोगिता 

  • ई-फ्लो पारिस्थितिक निगरानी प्रणाली की शुरुआत गंगा नदी के निरंतर और टिकाऊ प्रवाह को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • इस प्रणाली से परियोजनाओं की योजना बनाने एवं नदी के पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने और अन्य प्रमुख मापदंडों में मदद मिलेगी।
  • यह केंद्रीय स्तर पर नमामि गंगे कार्यक्रम की गतिविधियों की निगरानी करेगा, जिसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के प्रदर्शन की निगरानी और वे अपनी निर्धारित क्षमता पर काम करें, सुनिश्चित करना शामिल हैं।  
  • इस प्रणाली द्वारा केंद्रीय जल आयोग की तिमाही रिपोर्टों के आंकड़ों का उपयोग करते हुए, गंगा की मुख्य धारा के साथ 11 अन्य परियोजनाओं में इन-फ्लो, आउट-फ्लो और अनिवार्य ई-फ्लो जैसे प्रमुख मापदंडों की निगरानी की जा सकेगी।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन 

  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत अगस्त, 2011 में एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
  • मिशन का कार्यान्वयन “गंगा नदी के कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय परिषद” द्वारा किया जाता है, जिसे ‘राष्ट्रीय गंगा परिषद’ भी कहा जाता है।  
  • NMCG के लक्ष्य और उद्देश्य राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण के कार्यक्रमों को क्रियान्वित करना है:-
    • समन्वय अंतर क्षेत्रीय व्यापक योजना और प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए एक नदी बेसिन दृष्टिकोण अपनाकर गंगा नदी के संरक्षरण के लिए प्रदूषण में प्रभावी कमी सुनिश्चित करना।
    • पानी की गुणवत्ता और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाउ विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से गंगा नदी में न्यूनतम पारिस्थितिक प्रवाह बनाए रखना।
  • दृष्टिकोण: गंगा नदी में कोई गैर-उपचारित नगरपालिका मल-व्ययन अथवा औद्योगिक बहि:स्राव प्रवाहित न किया जाए। 

कृषि सखी

चर्चा में क्यों 

हाल ही में प्रधानमंत्री जी के द्वारा वाराणसी में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को कृषि सखी  प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। 

कृषि सखी के बारे में 

  • कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को देखते हुए ग्रामीण महिलाओं के कौशल को बढ़ावा देने के लिए, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक MOU पर हस्ताक्षर किए। 
    • इस MOU के तहत कृषि सखी प्रमाणन कार्यक्रम एक महत्वाकांक्षी पहल है।
  • उद्देश्य : इस प्रमाणन कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि सखियों को प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट प्रदान करने के साथ-साथ ‘कृषि सखी’ को ‘कृषि पैरा-एक्सटेंशन सहायक’ बनाना है।
  • यह ‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण आयाम है और ‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम के उद्देश्यों को भी पूरा करता है।
  • इस कार्यक्रम  का पहला चरण 12 राज्यों में शुरू किया गया है जिसमे गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय शामिल हैं।

कृषि सखी प्रशिक्षण के विभिन्न आयाम

  1. भूमि की तैयारी से लेकर फसल काटने तक कृषि पारिस्थितिक अभ्यास
  2. किसान फील्ड स्कूलों का आयोजन
  3. बीज बैंक की स्थापना एवं प्रबंधन
  4. मृदा स्वास्थ्य, मृदा और नमी संरक्षण प्रथाएं
  5. एकीकृत कृषि प्रणाली
  6. पशुधन प्रबंधन की मूल बातें
  7. बायो इनपुट की तैयारी, उपयोग एवं बायो इनपुट दुकानों की स्थापना
  8. बुनियादी संचार कौशल

लखपति दीदी योजना

  • इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को की थी।
  • इस योजना के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 3 करोड़ महिलाओं को स्‍वरोजगार शुरू करने के लिए 1-5 लाख रुपये तक की ब्‍याज मुक्‍त आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।
  • साथ ही महिलाओं को वित्‍तीय और कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जिसमें एलईडी बल्ब बनाने से लेकर प्लंबिंग, ड्रोन रिपेयरिंग जैसे तकनीकी काम सिखाए जाते हैं। 

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR