शॉर्ट न्यूज़ : 22 जून , 2024
अंबुबाची मेला
भारत-अमेरिका के बीच iCET पर द्वितीय वार्षिक बैठक
सूर्य का दुर्लभ दोहरा प्रभामंडल
विदेशी भारतीय नागरिक कार्ड धारक
पूर्वी घाट में डायटम की एक नई प्रजाति की खोज
फिलोबोलेटस मैनिपुलरिस
अंबुबाची मेला
चर्चा में क्यों
गुवाहटी के कामख्या मन्दिर में वार्षिक अंबुबाची मेले का आयोजन 22 जून से 26 जून तक किया जायेगा।
अंबुबाची मेला के बारे में
- अंबुबाची मेला पूर्वी भारत के सबसे बड़े मेलों में से एक है। यह कामाख्या मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है और हर साल जून के महीने में मनाया जाता है।
- यह तपस्या का एक अनुष्ठान है और शक्ति अनुष्ठानों के साथ मनाया जाने वाला एक त्यौहार है।
- मान्यता है कि कामाख्या माँ शाक्त पंथ का प्रतीक हैं। हिंदू माह ‘आषाढ़’ के सातवें से दसवें दिन तक अंबुबाची की अवधि के दौरान, मंदिर के दरवाजे सभी के लिए बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि देवी कामाख्या मासिक धर्म के वार्षिक चक्र से गुज़रती हैं।
- बारहवें दिन, दरवाजे औपचारिक रूप से खोले जाते हैं और उस दिन मंदिर परिसर में एक बड़ा मेला लगता है।
- ‘अंबुबाची’ का अर्थ है पानी से बोला गया शब्द और इसका यह भी अर्थ है कि इस महीने में होने वाली बारिश धरती को उपजाऊ और प्रजनन के लिए तैयार करती है।
- इस अवधि के दौरान दैनिक पूजा-पाठ बंद कर दिए जाते हैं और सभी कृषि कार्य जैसे खुदाई, जुताई, बुवाई और फसलों की रोपाई वर्जित है।
भारत-अमेरिका के बीच iCET पर द्वितीय वार्षिक बैठक
संदर्भ
17 जून 2024 को नई दिल्ली में भारत-अमेरिका के बीच “महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल” (initiative on Critical and Emerging Technology: iCET) पर दूसरी वार्षिक बैठक संपन्न हुई।
iCET क्या है
- महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल (iCET) कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, अर्धचालक और वायरलेस दूरसंचार सहित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग के लिए भारत और अमेरिका द्वारा सहमत एक रूपरेखा है।
- इसकी घोषणा पहली बार भारत के पीएम और अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2022 में टोक्यो में क्वाड बैठक के मौके पर की थी।
- इसे भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और प्रौद्योगिकी एवं रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2023 में लॉन्च किया गया था।
पहल की प्राथमिकता और प्रगति
- यह पहल भारत और अमेरिका को आपूर्ति श्रृंखला बनाने और वस्तुओं के सह-उत्पादन एवं सह-विकास का समर्थन करने के लिए एक विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में स्थापित करने पर केंद्रित है।
- iCET में शामिल प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सामान्य मानक विकसित करना;
- रक्षा स्टार्टअप्स को जोड़ने के लिए 'इनोवेशन ब्रिज' का विकास;
- अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का समर्थन करना;
- मानव अंतरिक्ष उड़ान पर सहयोग को मजबूत करना;
- 5जी और 6जी में विकास पर सहयोग को आगे बढ़ाना;
- भारत में OpenRAN नेटवर्क प्रौद्योगिकी को अपनाना।
- iCET के लॉन्च के बाद से भारत और अमेरिका ने सहयोग के लिए पहचाने गए कई प्रमुख क्षेत्रों में "महत्वपूर्ण प्रगति" की है।
- दोनों देशों ने क्वांटम समन्वय तंत्र स्थापित कर लिया है।
- OpenRAN नेटवर्क प्रौद्योगिकी, 5जी और 6जी में सहयोग बढ़ाने के लिए दूरसंचार पर एक सार्वजनिक-निजी संवाद (पीडीडी) शुरू किया गया है।
- सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
- अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक नई पहल के रूप में भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र (INDUS-X) को 21 जून 2023 को वाशिंगटन डी.सी., यूएसए में लॉन्च किया गया।
सूर्य का दुर्लभ दोहरा प्रभामंडल
चर्चा में क्यों
हाल ही में लद्दाख के आसमान पर एक दुर्लभ खगोलीय घटना "दोहरा सूर्य प्रभामंडल" (Double Sun Halo) देखा गया।
क्या होता है दोहरा सूर्य प्रभामंडल
- दोहरा सूर्य प्रभामंडल जिसे ‘22 डिग्री सन हेलो’ या ‘पैरी हेलीओ’ भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक प्रकाशिकीय घटना है जिसमें सूर्य के चारों ओर दो चमकदार सफेद या रंगीन छल्ले दिखाई देते है।
- यह एक प्रकार का प्रकाशकीय भ्रम है, जो सूर्य से आने वाला प्रकाश के सिरस (cirrus) बादलों के बीच मौजूद बर्फ के क्रिस्टलों से होकर गुजरने के कारण बनता है।
- ये क्रिस्टल, आमतौर पर षट्कोणीय आकार के होते हैं, जो प्राकृतिक प्रिज्म की तरह काम करते हैं।
- सूर्य का प्रकाश बर्फ के क्रिस्टल से होकर गुजरता है, बर्फ के क्रिस्टल सूर्य के प्रकाश को अपवर्तित कर देते हैं।
- भारत के कई हिस्सों में सूर्य प्रभामंडल (सूर्य के चारों ओर इस वृत्ताकार इंद्रधनुष रुपी रचना) एक सामान्य घटना रही है, हालांकि, दोहरा प्रभामंडल एक दुर्लभ घटना है।
- आंतरिक छल्ला : यह छल्ला सबसे छोटा और सबसे चमकीला होता है। यह 22 डिग्री के कोण पर दिखाई देता है, इसलिए इसे 22 डिग्री सन हेलो कहा जाता है।
- बाहरी छल्ला : यह छल्ला बड़ा और कम चमकीला होता है। यह 46 डिग्री के कोण पर दिखाई देता है।
महत्व
- खगोलविद और वायुमंडलीय वैज्ञानिक इन प्रभामंडलों का अध्ययन करके वायुमंडलीय स्थितियों और उनके निर्माण के लिए जिम्मेदार बर्फ के क्रिस्टल के गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
- ये अवलोकन मौसम पूर्वानुमान मॉडल और वायुमंडलीय प्रकाशिकी की हमारी समझ को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकते हैं।
- यदि कहीं पर भी दोहरा सूर्य प्रभामंडल दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि ऊंचाई में बर्फ के क्रिस्टल हैं, जो बारिश या बर्फबारी का संकेत हो सकते हैं।
विदेशी भारतीय नागरिक कार्ड धारक
संदर्भ
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फ्रांसीसी पत्रकार सेबेस्टियन फ़ार्सिस के पत्रकार परमिट को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया। गैरतलब है कि सेबेस्टियन फ़ार्सिस ओ.सी.आई. कार्ड धारक हैं।
कौन होते हैं विदेशी भारतीय नागरिक कार्ड धारक ?
- ओ.सी.आई. (Overseas Citizen of India) कार्डधारकों को भारत में दीर्घ अवधि के लिए वीजा मुक्त यात्रा और ठहरने की सुविधा के साथ उन्हें कई विशेषाधिकार प्रदान करता है जो आमतौर पर किसी विदेशी नागरिक को नहीं दिए जाते है।
- ओ.सी.आई. कार्ड के लिए पात्रता : गृहमंत्रालय के अनुसार, कोई विदेशी नागरिक निम्नलिखित परिस्थितियों में ओ.सी.आई. कार्ड धारक के रूप में पंजीकरण के लिए पात्र है, जो –
- 26 जनवरी, 1950 के समय या उसके बाद किसी भी समय भारत का नागरिक था; या
- 26 जनवरी, 1950 को भारत का नागरिक बनने के योग्य था; या
- ऐसे क्षेत्र से संबंधित था, जो 15 अगस्त, 1947 के बाद भारत का हिस्सा बना; या; ऐसे नागरिक का बच्चा, पोता या परपोता है; या
- जो ऊपर वर्णित ऐसे व्यक्तियों का नाबालिग बच्चा है; या
- कोई विदेशी नाबालिग बच्चा जिसके दोनों माता-पिता भारत के नागरिक हैं या माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक है।
- इसके अतिरिक्त, भारत के नागरिक का विदेशी मूल का जीवनसाथी अथवा ओ.सी.आई. कार्ड धारक का विदेशी मूल का जीवनसाथी, जिसका विवाह पंजीकृत हो चुका हो तथा आवेदन प्रस्तुत करने से ठीक पहले कम से कम दो वर्ष की निरंतर अवधि तक जीवित रहा हो, भी ओ.सी.आई. कार्ड धारक के रूप में पंजीकरण के लिए पात्र है।
ओ.सी.आई. कार्ड के लिए कौन पात्र नहीं हैं?
- ऐसा व्यक्ति जिसके माता-पिता या दादा-दादी या परदादा-परदादी पाकिस्तान, बांग्लादेश के नागरिक हैं या रहे हैं।
- ऐसे किसी अन्य देश जिसके बारे में केंद्र सरकार ने विशिष्ट निर्देश दिया हो, वहां के नागरिक ओ.सी.आई. कार्ड धारक के रूप में पंजीकरण के लिए पात्र नहीं हैं।
ओ.सी.आई. कार्ड धारक को प्राप्त अधिकार
- ओ.सी.आई. कार्ड धारक को भारत आने के लिए बहु-प्रवेश, बहु-उद्देश्यीय आजीवन वीज़ा मिलता है।
- हालांकि इन्हें भारत में शोधकार्य के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी।
- कृषि अथवा बागान परिसम्पत्तियों के अधिग्रहण के मामलों को छोड़कर आर्थिक, वित्तीय तथा शैक्षिक क्षेत्र में उपलब्ध हर सुविधाओं में बराबरी।
- ओ.सी.आई. कार्ड धारक भारतीय बच्चों के अंतरदेशीय दत्तकग्रहण के मामले में अप्रवासी भारतीयों (NRI) के समान समझे जाएंगे।
- भारत में घरेलू उड़ानों के किराए के मामले में भारतीय नागरिक के समान या भारत सरकार की अधिसूचना के अनुरूप।
- भारत से राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्य जीव अभ्यारण्यों में वही प्रवेश शुल्क लिया जाएगा जो घरेलू आंगतुकों से लिया जाता है।
पूर्वी घाट में डायटम की एक नई प्रजाति की खोज
चर्चा में क्यों
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पुणे स्थित स्वायत्त संस्थान अगारकर अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं ने पूर्वी घाट की स्वच्छ जल नदी में पाए जाने वाले गोम्फोनमॉइड डायटम की एक नई प्रजाति ‘इंडिकोनेमा’ की खोज की है।
डायटम के बारे में
- डायटम फाइटोप्लांकटन समूह से संबंधित एककोशिकीय शैवाल होते हैं।
- ये एकमात्र ऐसे जीव हैं जिनकी कोशिका दीवारें पारदर्शी, ओपलीन सिलिका से बनी होती हैं।
- डायटम की कोशिका भित्ति में सिलिका के जटिल और आकर्षक पैटर्न विद्यमान होते हैं।
- विविध जैवभौगोलिक क्षेत्र मीठे पानी से लेकर समुद्री, समुद्र तल से लेकर ऊंचे पहाड़ों और क्षारीय झीलों से लेकर अम्लीय दलदलों तक के आवास विविधता के साथ डायटम की विभिन्न प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
डायटम की उपयोगिता
- डायटम में प्रकाश-अवशोषित अणु (क्लोरोफिल ए और सी) पाए जाते हैं जो सूर्य से ऊर्जा एकत्र करते हैं और प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से इसे रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं। देते हैं।
- वातावरण में उपलब्ध वैश्विक ऑक्सीजन का लगभग 25 प्रतिशत उत्पादन के लिए डायटम ही उत्तरदायी हैं।
- कार्बन स्थिरीकरण के माध्यम से, डायटम वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को हटाते हैं।
- डायटम महासागरों, झीलों और नदियों में अन्य जीवों को पोषण देते हैं।
- डायटम ऊर्जा समृद्ध लंबी श्रृंखला वाले फैटी एसिड अणुओं का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं जो ज़ूप्लांकटन से लेकर जलीय कीड़ों, मछलिओं से लेकर व्हेल तक, संपूर्ण खाद्य जाल के लिए भोजन हैं।
- डायटम में पोषक तत्वों की सघनता, निलंबित तलछट, प्रवाह व्यवस्था, ऊंचाई और विभिन्न प्रकार की मानवीय गड़बड़ी सहित अन्य पर्यावरणीय चर के लिए सीमाएं और सहनशीलताएं भी होती हैं।
- परिणामस्वरूप, पानी की जैविक स्थिति के आकलन और निगरानी के लिए डायटम महत्वपूर्ण हैं।
‘इंडिकोनेमा’ डायटम के बारे में
- शोधकर्ताओं ने पूर्वी घाट की स्वच्छ जल नदी में पाए जाने वाले गोम्फोनमॉइड डायटम की एक नई प्रजाति की खोज की है।
- यह प्रजाति वाल्व समरूपता और अन्य कुछ वाल्व विशेषताओं के मामले में गोम्फोनमॉइड समूह के अन्य सदस्यों से भिन्न हैं।
- इस इंडिकोनेमा में केवल पैर के ध्रुव पर छिद्र क्षेत्र होने के बजाय सिर और पैर के दोनों ध्रुव पर एक छिद्र क्षेत्र है।
- इस समूह की रूपात्मक विशेषताओं के आधार पर शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि इंडिकोनेमा पूर्वी अफ्रीका में स्थानिक प्रजाति एफ्रोसिमबेला के समान है।
फिलोबोलेटस मैनिपुलरिस
चर्चा में क्यों
शोधकर्ताओं ने केरल के कासरगोड के जंगलों में बायोल्यूमिनसेंट (Bioluminescent) मशरूम की एक दुर्लभ प्रजाति ‘फिलोबोलेटस मैनिपुलरिस’ की खोज की है।
फिलोबोलेटस मैनिपुलरिस की विशेषताएँ
प्रकाश उत्सर्जक के रूप में
- मशरूम की यह प्रजाति रात के अंधेरे में जैव रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से हरे रंग का प्रकाश उत्सर्जित करने में सक्षम हैं।
- फिलोबोलेटस मैनिपुलरिस में चमक ल्यूसिफेरिन (एक वर्णक) और ल्यूसिफेरेज़ (एक एंजाइम) से जुड़ी एक रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण है, जिसमें ऑक्सीजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अनुकूल दशाएँ
- बायोल्यूमिनसेंट कवक मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय, आर्द्र वातावरण में पनपते हैं और सामान्यत: घने जंगलों में पाए जाते हैं।
- घने जंगलों में जैव-कार्बनिक समृद्ध एवं नम वातावरण उनके विकास और विशिष्ट चमक के लिए आवश्यक पोषक तत्व और परिस्थितियाँ प्रदान करता है।
महत्त्व
- कवक में बायोल्यूमिनसेंट तंत्र का कीटों को आकर्षित करने के लिए विशेष महत्त्व है, जो इसके बीजाणुओं को फैलाने में मदद करते हैं।
- ये बायोल्यूमिनसेंट जीव कार्बनिक पदार्थों को तोड़कर पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान करते हैं।
- कई जंगली मशरूम में विषाक्त होते हैं। जो रसायन उन्हें चमकाते हैं वे जहरीले हो सकते हैं, जिससे गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं।