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शॉर्ट न्यूज़ : 24 जून , 2024

शॉर्ट न्यूज़ : 24 जून , 2024


वस्तु एवं सेवा कर परिषद

ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2024

रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट

बिटुमेन और बायो-बिटुमेन

EAGLE एक्ट एवं भारतीय प्रवासियों पर इसका प्रभाव


वस्तु एवं सेवा कर परिषद

संदर्भ

केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में दिल्ली में  वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 53वीं बैठक सम्पन्न हुई है।

COUCIL

जीएसटी परिषद क्या है?

  • जीएसटी परिषद एक संवैधानिक निकाय है, जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें करने के लिए जिम्मेदार है। 
  • 2016 में संसद के दोनों सदनों द्वारा संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पारित होने के परिणामस्वरूप जीएसटी व्यवस्था लागू की गई। 
  • राष्ट्रपति ने संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279A के तहत केंद्र और राज्यों के संयुक्त मंच के रूप में जीएसटी परिषद की स्थापना की। 
  • यह कानून 2017 में लागू हुआ और इसे भारत में मौजूदा कर ढांचे को सरल बनाने तथा इसे एक समान बनाने के प्रयास के रूप में देखा गया, जहां केंद्र और राज्य दोनों विभिन्न प्रकार के कर लगाते हैं।

परिषद की संरचना 

  • संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279A के अनुसार, जीएसटी परिषद, जो केंद्र और राज्यों का एक संयुक्त मंच होगा, में निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे: -
    • अध्यक्ष : केंद्रीय वित्त मंत्री - 
    • केंद्रीय सदस्य : केंद्रीय राज्य मंत्री, राजस्व या वित्त के प्रभारी 
    • राज्यों से सदस्य : सभी राज्यों के वित्त या कराधान प्रभारी मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित कोई अन्य मंत्री

निर्णय प्रक्रिया 

  • अपनी बैठकों के दौरान, जीएसटी परिषद सर्वसम्मति आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से निर्णय लेती है। 
  • जीएसटी परिषद का प्रत्येक निर्णय उपस्थित सदस्यों के भारित मतों के कम से कम तीन-चौथाई बहुमत से लिया जाता है। 
  • जिसमें केंद्र को डाले गए कुल मतों का एक-तिहाई और राज्यों को डाले गए कुल मतों का दो-तिहाई भार दिया जाता है।

जीएसटी परिषद के कार्य 

  • जीएसटी मुद्दों पर सिफारिशें : परिषद वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित मामलों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देती है। अनुच्छेद 279A (4) के अनुसार, परिषद जीएसटी से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर संघ और राज्यों को सिफारिशें करती है-
    • वे वस्तुएं और सेवाएं जिन्हें जीएसटी में शामिल किया जा सकता है या छूट दी जा सकती है।
    • मॉडल जीएसटी कानून, 
    • आपूर्ति के स्थान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत, सीमा, जीएसटी दरें निर्धारित करना,
    • प्राकृतिक आपदाओं/विपत्तियों के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए विशेष दरें, कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान आदि।
  • कर दरों का निर्धारण: यह किसी भी संशोधन या छूट सहित वस्तुओं और सेवाओं पर लागू जीएसटी की दरों पर निर्णय लेता है। 
  • विवाद समाधान : यह उन विवादों को संबोधित करता है, जो जीएसटी के संबंध में संघ और राज्यों के बीच या राज्यों के बीच उत्पन्न हो सकते हैं। 
  • प्रशासनिक परिवर्तन : परिषद जीएसटी कार्यान्वयन की दक्षता में सुधार के लिए प्रशासनिक परिवर्तनों की सिफारिश कर सकती है। 
  • समीक्षा और संशोधन : आर्थिक वास्तविकताओं और नीतिगत उद्देश्यों के अनुरूप जीएसटी दरों और प्रावधानों की समय-समय पर समीक्षा करना। 







ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2024

संदर्भ

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2024  जारी किया गया है।

SAUR

वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक के बारे में 

  • यह सूचकांक प्रतिवर्ष एक्सेंचर के सहयोग से विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा जारी किया जाता है।
  • इस सूचकांक को एक न्यायसंगत, सुरक्षित और टिकाऊ ऊर्जा भविष्य के लिए प्रगति और तैयारियों को ट्रैक करने के लिए विकसित किया गया है। 

सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष 

  • शीर्ष प्रदर्शन : स्वीडन वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर है, उसके बाद डेनमार्क और फ़िनलैंड का स्थान है।
  • भारत का स्थान : भारत को 63वां स्थान दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि देश ने ऊर्जा इक्विटी, सुरक्षा और स्थिरता में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।
  • सबसे तेज सुधार वाले देश : एस्टोनिया, इथियोपिया और लेबनान में पिछले पांच वर्षों में सबसे तेज़ सुधार देखा गया है।
  • सर्वेक्षण में शामिल 120 देशों में से 107 ने पिछले दशक में अपनी ऊर्जा परिवर्तन यात्रा पर प्रगति प्रदर्शित की है।
  • शीर्ष 10 देश ऊर्जा-संबंधी CO2 उत्सर्जन का केवल 1%, कुल ऊर्जा आपूर्ति का 3%, ऊर्जा मांग का 3% और वैश्विक जनसंख्या का 2% हिस्सा हैं।

ENERGY

ऊर्जा परिवर्तन की धीमी प्रगति

  • ई.टी.आई. पर स्कोर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर प्रगति जारी रखने के बावजूद, 2024 की रिपोर्ट में संक्रमण की गति धीमी हो गई, तीन साल की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) धीमी होकर 0.22% हो गई।
  • मुद्रास्फीति और उच्च ब्याज दरों के कारण ऊर्जा बाजार अधिक सख्त हो गया है और कीमतें भी बढ़ गई हैं, जिससे निम्न आय वाले समुदायों और विकासशील देशों के लिए टिकाऊ ऊर्जा समाधानों में निवेश करना कठिन हो गया है।
  • इसके अलावा, भू-राजनीतिक तनावों ने कुछ देशों के लिए संक्रमण की गति को प्रभावित किया है, कुछ राष्ट्र समानता और स्थिरता की कीमत पर सुरक्षा झटकों को संबोधित कर रहे हैं। 
    • उदाहरण के लिए, जर्मनी ने रूसी गैस पर अपनी कम निर्भरता की भरपाई के लिए 2020 की तुलना में 2022 में अपने कोयला-आधारित उत्पादन में 35% की वृद्धि की।
  • रिपोर्ट के अनुसार जनरेटिव एआई जैसे डिजिटल नवाचार सरकारों और ऊर्जा कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करते हैं।
    • एक्सेंचर रिसर्च के अनुसार, ये नवाचार सालाना 500 बिलियन डॉलर से अधिक की बचत कर सकते हैं।
    •  हालाँकि इन तकनीकों के लिए बिजली की मांग में भी वृद्धि की आवश्यकता होगी, लेकिन वे तेजी से जटिल मैक्रोइकॉनोमिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद नए निवेश अवसरों के माध्यम से वैश्विक ऊर्जा और सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं।

रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट

संदर्भ 

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस ने तिब्बत-चीन विवाद समाधान अधिनियम पारित किया, जिसे रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट कहा जा रहा है। यह अधिनियम तिब्बती नीति अधिनियम या TPA , 2002 तथा तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम या TPSA , 2020 के बाद, तिब्बत के संबंध में अमेरिका द्वारा लिया गया तीसरा उल्लेखनीय कानून है।

रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट के प्रावधान क्या हैं?

  • चीन के दुष्प्रचार का मुकाबला :  रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट तिब्बत के बारे में चीनी दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए धन के उपयोग को अधिकृत करता है। 
    • चीन के दुष्प्रचारों में तिब्बत के इतिहास, तिब्बती लोगों और दलाई लामा सहित तिब्बती संस्थानों के बारे में दुष्प्रचार आदि शामिल है।
  • तिब्बत पर चीन के दावे को चुनौती : यह अधिनियम तिब्बत पर चीन के इस दावे को चुनौती देता है। 
    • चीन का मानना है कि तिब्बत प्राचीन काल से ही चीन का हिस्सा रहा है। 
  • चीन और तिब्बत के बीच बातचीत : यह चीन से दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ-साथ तिब्बती समुदाय के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं के साथ सार्थक और सीधी बातचीत करने का आग्रह करता है, ताकि “बिना किसी पूर्व शर्त के, मतभेदों को दूर करने वाला समझौता किया जा सके।”
  • तिब्बती लोगों के आत्मनिर्णय और मानवाधिकारों पर बल : तिब्बती लोगों के आत्मनिर्णय और मानवाधिकारों को रेखांकित करते हुए निम्नलिखित दो अनुबंधों के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में चीन के कर्तव्य पर ध्यान आकर्षित करता है : 
    • नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध 
    • आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध
  • तिब्बती लोगों की पहचान को मान्यता :  रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट तिब्बती लोगों की बहुआयामी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को मान्यता देने और संबोधित करने का प्रयास करता है, विशेष रूप से उनकी “विशिष्ट ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई पहचान” के संदर्भ में। 
  • TPA में संशोधन : यह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के सटीक भौगोलिक क्षेत्रों को परिभाषित करने के लिए TPA में संशोधन करता है।

अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित पूर्व कानूनों से भिन्नता

  • TPA , 2002 :  इसमें तिब्बत पर अमेरिकी नीति को परिभाषित करने में सतर्क रुख अपनाया गया था और चीन के इस दावे को मान्यता दी कि तिब्बत चीन का अभिन्न अंग है। 
    • जबकि 2024 के अधिनियम में तिब्बतियों के साथ दुर्व्यवहार को चिन्हित किया गया है। 
    • टीपीए ने यह भी स्पष्ट था कि अमेरिकी सरकार निर्वासित तिब्बती सरकार के साथ कोई आधिकारिक संबंध स्थापित नहीं करेगी बनाए रखा है।
  • TPSA , 2020 :  इस अधिनियम ने चीन और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों या तिब्बत के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं के बीच रचनात्मक बातचीत पर जोर दिया, जिसके परिणामस्वरूप एक “बातचीत समझौता” हुआ।
    • इस समझौते के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समर्थन को बढ़ावा मिला।
    • TPSA ने यह भी कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकार का मामला चीन की चिंता का विषय नहीं है और इसे तिब्बती बौद्धों पर छोड़ देना बेहतर होगा।

बिटुमेन और बायो-बिटुमेन

संदर्भ

भारत में बायोमास या कृषि अपशिष्ट से बायो-बिटुमेन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। यह सड़कों के डामरीकरण के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री के आयात को कम करने में मदद करेगा, साथ ही पराली जलाने की लगातार समस्या का भी समाधान करेगा।

क्या है बिटुमेन 

  • बिटुमेन एक चिपचिपा पदार्थ है जो तरल से लेकर अर्ध-ठोस अवस्था में पाया जाता है। सामान्यत: इसका रंग काला-भूरा होता है।
  • यह आमतौर पर एस्फाल्टीन राल और अन्य पेट्रोलियम यौगिकों से बना होता है। बिटुमेन में इनकी प्रकृति के अनुसार राख की मात्रा अलग-अलग होती है।
  • उत्पादन : बिटुमेन पहाड़ियों और तेल झीलों में पाया जाता है। अधिकांश बिटुमेन संसाधन कनाडा, वेनेजुएला और ओमान में हैं। 
    • ईरान के पश्चिम में प्राकृतिक बिटुमेन खदानें भी हैं।
  • उपयोग : बिटुमेन एक लाभदायक सामग्री है जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है। 
    • दुनिया के 85% से अधिक बिटुमेन उत्पादन का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया जाता है, 10% का उपयोग अन्य निर्माणों में किया जाता है और 5% का उपयोग इन्सुलेशन सहित कई अन्य उद्योगों में किया जाता है।
  • वर्तमान में भारत अपनी वार्षिक बिटुमेन आवश्यकता का लगभग आधा हिस्सा आयात करता है, लेकिन अगले दशक के भीतर इस आयात को पूरी तरह से बायो-बिटुमेन से बदलने का लक्ष्य रखा गया है। 

BUTUMIN

क्या है बायो-बिटुमेन 

  • बायो -बिटुमेन पारंपरिक जीवाश्म ईंधन आधारित बिटुमेन का एक स्थायी विकल्प है। यह पेट्रोलियम से मुक्त होता है। 
    • इसे बायो-डामर के नाम से भी जाना जाता है।
  • उत्पादन : यह जैव-चार, जैव-तेल और इसी तरह के पदार्थों जैसे कार्बनिक पदार्थों से निर्मित है। 
  • उपयोगिता : 
    • कम कार्बन पदचिह्न: स्रोत सामग्री और उत्पादन विधियों के आधार पर, पारंपरिक बिटुमेन की तुलना में जैव-बिटुमेन का पर्यावरणीय प्रभाव कम हो सकता है।
    • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम: जैव-बिटुमेन उत्पादन नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करता है, जिससे सड़क निर्माण के लिए अधिक नवीकरणय संसाधनों को बढ़ावा मिलता है।

EAGLE एक्ट एवं भारतीय प्रवासियों पर इसका प्रभाव

चर्चा में क्यों

अमेरिका में इस वर्ष चुनावी माहौल के बीच, भारतीय-अमेरिकी सांसदो ने ग्रीन कार्ड और एच-1बी सुधारों के लिए प्रस्तावित EAGLE एक्ट पर वर्तमान अमेरिकी सरकार के रुख को ‘निराशाजनक’ बताया है।

क्या है प्रस्तावित EAGLE एक्ट

  • EAGLE (The Equal Access to Green cards for Legal Employment) Act, 2022 प्रत्येक देश के लिए ‘रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड’ की सीमा को समाप्त करने के लिए लाया गया एक कानून है।
  • अधिनियम का उद्देश्य : अमेरिकी नियोक्ताओं को रोज़गार-आधारित अप्रवासी वीज़ा (ग्रीन कार्ड) पर ‘प्रति देश’ सीमा को समाप्त करके, उनकी जन्मभूमि के बजाय योग्यता के आधार पर अप्रवासियों को नियुक्त करने पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देना।
    • इस एक्ट का एक और लक्ष्य एच-1बी स्पेशलिटी ऑक्यूपेशन वीज़ा कार्यक्रम में सुधार करना है।
    • यह सुधार भर्ती आवश्यकताओं को मजबूत करके, अमेरिकी श्रमिकों के लिए सुरक्षा को मजबूत करके और पारदर्शिता को बढ़ावा देकर किया जाएगा।
  • प्रमुख प्रावधान : 
    • विधेयक में रोजगार आधारित आप्रवासी वीज़ा पर प्रति देश 7% की सीमा को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रस्ताव है।
    • विधेयक में परिवार प्रायोजित वीज़ा पर प्रति देश 7% की सीमा को बढ़ाकर 15% करने का भी प्रस्ताव है।
    • नए विधेयक के पास होने के बाद कंपनियां प्रवासियों को उनके देश के आधार (जन्मस्थान) पर नहीं बल्कि उनकी योग्यता के आधार पर भर्ती करेंगी, और इसी के आधार पर ग्रीन कार्ड भी जारी होगा।

क्या है अमेरिका का ग्रीन कार्ड

  • ग्रीन कार्ड अमेरिका में प्रवासियों को स्थायी रूप से रहने का विशेषाधिकार देता है, इसे अधिकारिक तौर पर एक स्थायी निवास प्रमाण पत्र के रूप में भी जाना जाता है।
  • अमेरिका में एक ग्रीन कार्ड रखने वाला व्यक्ति पांच साल के स्थायी निवास (PR) के बाद अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। 
  • नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले उन्हें अपने ग्रीन कार्ड को छह महीने से कम समय में समाप्त होने से पहले रिन्यू करने की आवश्यकता होती है।

भारतीय प्रवासियों पर नए विधेयक का प्रभाव 

  • यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (USCIS) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 370,000 भारतीय वीजा उपलब्धता का इंतजार कर रहे हैं। 
  • इन आवेदनकर्ताओं में ज्यादातर पेशेवर और स्किल कर्मचारियों की श्रेणी के है और ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के लिए योग्य हैं।
  • CATO इंस्टीट्यूट की 2020 की रिपोर्ट कहती है, वर्तमान में ग्रीन कार्ड पाने के लिए भारतीय प्रवासियों की वेटिंग बहुत ज्यादा है।
  • अमेरिका में 75% तक भारतीय स्किल्ड स्टाफ ग्रीन कार्ड पाने की वेटिंग में है, अगर पुराना नियम ही जारी रहा तो इन्हें ग्रीन कार्ड पाने में 9 दशक लग जाएंगे। 
  • ऐसे में नए कानून की मदद से भारतीयों को देश के आधार पर नहीं, उनकी योग्यता के आधार पर ग्रीन कार्ड जारी किया जाएगा, इससे अधिक संख्या को भारतीयों को अवसर मिल सकता है।
  • ग्रीन कार्ड मिलने में देरी के मुख्य कारणों में से एक अमेरिका में रोजगार आधारित इमिग्रेशन वीजा पर प्रति देश सात प्रतिशत का कोटा ही है। 
    • यह चीन और भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देशों के स्किल कर्मचारियों को अमेरिका में स्थायी कार्ड प्राप्त करने में परेशानी पैदा करता है। 
    • इन दोनों देशों के अप्रवासियों को कम आबादी वाले देशों की तुलना में 20 से 30 गुना अधिक प्रतीक्षा अवधि का सामना करना पड़ता है।

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