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शॉर्ट न्यूज़ : 27 जून , 2024

शॉर्ट न्यूज़ : 27 जून , 2024


अफ्रीकी स्वाइन फीवर

मार्क रूटे नाटो के महासचिव नियुक्त

DRDO ने भारतीय नौसेना को चैफ रॉकेट सौंपा

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 'मिनी रत्न' (श्रेणी-1) का दर्जा

देश के 61 रेलवे स्टेशनों पर खुलेंगे जनऔषधि केंद्र

भारतीय सेना का त्वचा बैंक

केरल राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने की मांग

विपक्ष का नेता


अफ्रीकी स्वाइन फीवर

SWINE

चर्चा में क्यों ?

  • पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में अब तक मिजोरम में अफ्रीकी स्वाइन बुखार से 3,350 से अधिक सूअर मर चुके हैं 

अफ्रीकी स्वाइन फीवर रोग

  • यह रोग घरेलू और जंगली सूअरों में होने वाली एक संक्रामक बीमारी है।
  • इसे रक्तस्रावी वायरल बीमारी भी कहते है
  • यह पहली बार वर्ष 1920 में अफ्रीका में देखा गया था।
  • लक्षण 
    • बुखार
    • भूख की कमी 
    • आंखों की श्लेष्म झिल्ली में सूजन 
    • लाल त्वचा 
    • दस्त और उल्टी 
  • यह निम्नलिखित माध्यमों से फैल सकता है:
    • संक्रमित जानवरों के साथ सीधा संपर्क
    • संक्रमित पशुओं से प्राप्त उत्पादों के सेवन, दूषित कपड़ों, वाहनों या उपकरणों के संपर्क के माध्यम से अप्रत्यक्ष संपर्क
  • इसमें मृत्यु दर लगभग 95-100% है।
  • इसमे बुखार का कोई इलाज़ नहीं है, इसलिये इसके प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है।
  • भारत में इसकी पुष्टि सबसे पहले वर्ष 2020 में अरुणाचल प्रदेश और असम में हुई थी 
  • यह मानव स्वास्थ्य के लिए कोई ख़तरा नहीं है।

मार्क रूटे नाटो के महासचिव नियुक्त

MARKRUTE

चर्चा में क्यों ?

  • नीदरलैंड के निवर्तमान प्रधानमंत्री मार्क रूटे, नाटो का महासचिव नियुक्त किया गया 
  • ये 1 अक्टूबर 2024 को वर्तमान महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग से कार्यभार ग्रहण करेंगे।
  • नाटो का महासचिव बैठकों की अध्यक्षता करता है और संगठन की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सदस्य देशों के बीच अक्सर गहन विचार-विमर्श का मार्गदर्शन करते हैं।

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)

  • यह संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाला एक रक्षात्मक सैन्य गठबंधन है 
  • मुख्यालय – ब्रुसेल्स(बेल्जियम) 
  • गठन - 4 अप्रैल, 1949 
  • इसके अनुच्छेद 5 के अनुसार सदस्य देशों में से किसी एक या एक से अधिक के खिलाफ सशस्त्र हमले को समस्त नाटो सदस्यों के खिलाफ हमला माना जाएगा। 
  • वर्तमान में, नाटो के 32 सदस्य देश हैं।

प्रश्न - उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का मुख्यालय कहाँ स्थित है ?

(a) ब्रुसेल्स 

(b) न्यूयॉर्क 

(c) लंदन

(d) जेनेवा 


DRDO ने भारतीय नौसेना को चैफ रॉकेट सौंपा

CHEFF

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में DRDO ने भारतीय नौसेना को मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट सौंपा गया 

मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट 

  • इसमें ऐसी तकनीक शामिल की गई है, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ने वाले उपकरणों से बचने हेतु एक कवच के रूप में काम करती है 
  • इस तकनीक को जोधपुर में स्थित रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की रक्षा प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया गया था 
  • मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट की विशेषता -
    • इसमें विशेष प्रकार के रेशों का संयोजन किया गया है
    • यह रॉकेट दागे जाने पर अंतरिक्ष में माइक्रोवेव अस्पष्ट बादलों का निर्माण होता है, जो आस-पास के पर्याप्त क्षेत्र में फैल जाता है
    • यह विशिष्ट तकनीक रॉकेट के चारों ओर एक माइक्रोवेव ढाल बनाती है जो इसे रडार की पकड़ में आने की संभावना को कम करती है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन 

  • यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की एक अनुसंधान एवं विकास विंग है।
  • इसका गठन वर्ष 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान और रक्षा विज्ञान संगठन के साथ तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय को मिला कर किया गया था। 
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है 
  • इसका उद्देश्य अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ भारतीय सेना को सशक्त बनाना है  

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 'मिनी रत्न' (श्रेणी-1) का दर्जा

चर्चा में क्यों ?

  • केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज गाजियाबाद परिसर में आयोजित सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) के स्वर्ण जयंती समारोह में कंपनी को "मिनी रत्न" (श्रेणी-1) का दर्जा देने की घोषणा की।

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड

  • यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के अंतर्गत आता है।
  • स्थापना -  वर्ष 1974 
  • इसकी स्थापना देश में राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों द्वारा विकसित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का व्यावसायिक रूप से दोहन करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • इसने अनुसंधान एवं विकास प्रयासों और रक्षा प्रयोगशालाओं सहित प्रमुख राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ घनिष्ठ सहयोग से कई उत्पाद विकसित किए हैं। 
  • सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने एक्सल काउंटर सिस्टम भी विकसित किया है जिसका उपयोग ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम में किया जा रहा है। 

महारत्‍न, नवरत्‍न तथा मिनीरत्‍न

  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) को उन्हें होने वाले लाभ और नेट वर्थ के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है –
    1. महारत्‍न
    2. नवरत्‍न
    3. मिनीरत्‍न
      • मिनीरत्न को मिनीरत्न श्रेणी-I तथा मिनीरत्न श्रेणी-II में वर्गीकृत किया गया है। 

महारत्‍न दर्जा प्राप्त करने के मानदंड

  • पहले से नवरत्‍न का दर्जा प्राप्त का प्राप्त हो। 
  • विगत तीन वर्ष का औसत वार्षिक लाभ 5,000 करोड से अधिक हो। 
  • विगत तीन वर्ष की औसत वार्षिक नेट वर्थ 15,000 करोड से अधिक हो।
  • विगत तीन वर्ष का औसत वार्षिक टर्न ओवर 25,000 करोड से अधिक हो।
  • महत्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति/अंतर्राष्ट्रीय संचालन होना चाहिए। 
  • SEBI के नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो।

नवरत्‍न दर्जा प्राप्त करने के मानदंड

  • पहले से मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा प्राप्त हो। 
  • विगत पाँच वर्षों में से तीन में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत बहुत अच्छी या उत्कृष्ट रेटिंग प्राप्त की हो।
  •  निम्नलिखित छह प्रदर्शन मापदंडों में 60 अंक या उससे अधिक का स्कोर प्राप्त किया हो –
    1. प्रति शेयर कमाई-10 अंक
    2. शुद्ध पूंजी और शुद्ध लाभ- 25 अंक
    3. उत्पादन की कुल लागत के सापेक्ष जनशक्ति(Manpower) पर आने वाली लागत-15 अंक
    4. कारोबार पर ब्याज और करों से पहले अर्जित लाभ - 15 अंक
    5. नियोजित पूंजी के लिए मूल्यह्रास, ब्याज और करों से पहले अर्जित लाभ - 15 अंक
    6. अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन- 20 अंक

मिनीरत्न श्रेणी-I दर्जा प्राप्त करने के मानदंड

  • विगत तीन वर्षों में निरंतर लाभ अर्जित किया हो। 
  • विगत तीन वर्षों में कम-से-कम एक वर्ष में कर पूर्व 30 करोड़ रूपए या अधिक का लाभ अर्जित किया हो। 
  • सकारात्मक निवल मूल्य हो।

मिनीरत्न श्रेणी-II दर्जा प्राप्त करने के मानदंड

  • विगत तीन वर्षो में निरंतर लाभ अर्जित किया हो।
  • सकारात्मक निवल मूल्य हो।

देश के 61 रेलवे स्टेशनों पर खुलेंगे जनऔषधि केंद्र

चर्चा में क्यों ?

  • भारतीय रेलवे ने 61 स्टेशनों पर प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र के स्टॉल खोलने का निर्णय लिया है 
  • इससे लोगों को कम कीमत में अच्छी दवाइयां मिल सकेंगी. 

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र

  • प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों के माध्यम से नागरिकों को जेनेरिक दवाइयाँ कम मूल्य पर उपलब्ध करवाई जाती हैं, यह दवाइयाँ ब्रांडेड दवाइयों जितनी ही प्रभावी होती हैं।
  • इनका उद्देश्य सभी के लिए सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाओं, उपभोग्य सामग्रियों और शल्य चिकित्सा वस्तुओं को उपलब्ध कराना और उपभोक्ताओं / रोगियों के खर्च को कम करना है।  
  • राज्य सरकारें या कोई भी संगठन/प्रतिष्ठित एनजीओ/ट्रस्ट/निजी अस्पताल/धर्मार्थ संस्थान/डॉक्टर/फार्मासिस्ट/व्यक्तिगत उद्यमी नए जन औषधि स्टोर के लिए आवेदन करने के लिए पात्र हैं।
  • प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने के लिए पात्रता मानदंड के तहत व्यक्तिगत आवेदकों को डी. फार्मा/बी. फार्मा होना चाहिए।
  • प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के लिए प्रोत्साहन राशि 5 लाख रुपये (मासिक खरीद का 15% या अधिकतम 15,000 रुपये प्रति माह) है। 

भारतीय सेना का त्वचा बैंक

संदर्भ 

हाल ही में भारतीय सेना ने सेवा कर्मियों व उनके परिवारों के लिए त्वचा के गंभीर रूप से जलने या त्वचा से संबंधित अन्य स्थितियों के इलाज में मदद के लिए एक त्वचा बैंक सुविधा शुरू की है।

भारतीय सेना के त्वचा बैंक के बारे में

  • सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं में स्थापित यह त्वचा बैंक अपनी तरह की पहली सुविधा है, जिसमें प्लास्टिक सर्जन, ऊतक इंजीनियर और विशेष तकनीकी सहायता प्रदाता सहित प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवर शामिल होंगे।
  • यह बैंक त्वचा ग्राफ्ट के संग्रह, प्रसंस्करण, भंडारण और वितरण के लिए एक केंद्रीकृत संस्था के रूप में काम करेगा, जो देश भर के सैन्य चिकित्सा केंद्रों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करेगा।

त्वचा बैंक क्या है?

  • त्वचा बैंक एक ऐसी सुविधा है जहां मृत व्यक्तियों की त्वचा दान की जाती है। 
  • दाता से एकत्र किए जाने के बाद, त्वचा को संक्रमण के लिए परीक्षण किया जाता है व संसाधित किया जाता है और आवश्यकता पड़ने तक फ्रीज़ करके रखा जाता है।
  • जब किसी जले हुए पीड़ित को त्वचा की आवश्यकता होती है, तो त्वचा ग्राफ्टिंग नामक एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया द्वारा पीड़ित का उपचार किया जाता  है।
  • वर्ष 2023 में, उत्तर भारत का पहला त्वचा बैंक नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में स्थापित किया गया था। 
  • इसके अलावा, देश में अन्य 16 त्वचा बैंक केंद्र महाराष्ट्र, चेन्नई, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और ओडिशा में हैं।

त्वचा ग्राफ्टिंग क्या है?

  • त्वचा ग्राफ्टिंग एक सरल चिकित्सीय प्रक्रिया है, जिसमें स्वस्थ त्वचा का एक टुकड़ा शरीर के किसी दूसरे हिस्से में प्रत्यारोपित किया जाता है, जहाँ की त्वचा क्षतिग्रस्त या गायब है। 
  • त्वचा ग्राफ्ट के दो मुख्य प्रकार हैं: 
    • ऑटोग्राफ्ट - रोगी के अपने शरीर के दूसरे हिस्से से त्वचा ली जाती है। 
    • एलोग्राफ्ट - त्वचा किसी डोनर से ली जाती है, जिसे अक्सर स्किन बैंक से प्राप्त किया जाता है।

त्वचा दान कौन कर सकता है ?

  • कोई भी व्यक्ति लिंग और रक्त समूह की परवाह किए बिना त्वचा दान कर सकता है। 
    • हालांकि, दानकर्ता की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
  • किसी मृत व्यक्ति की त्वचा मृत्यु के छह घंटे के भीतर दान की जा सकती है। 

त्वचा दान कौन नहीं कर सकता है?

  • एड्स, हेपेटाइटिस B और C, यौन संचारित रोग (STD), त्वचा कैंसर, सक्रिय त्वचा रोग और सेप्टीसीमिया से पीड़ित व्यक्तियों की त्वचा दान के लिए अनुपयुक्त मानी जाती है।
  • वस्तुतः त्वचा निकालने से पहले, HIV, वायरल मार्कर और हेपेटाइटिस जैसे संक्रमणों की जांच के लिए मृत व्यक्ति का रक्त नमूना लिया जाता है।

केरल राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने की मांग

संदर्भ

हाल ही में, केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें केंद्र सरकार से केरल राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने का आग्रह किया गया है। 

क्या है भारत में किसी राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया

  • किसी राज्य का नाम बदलने के लिए,  वर्ष 1953 के दिशा-निर्देशों में निर्धारित प्रावधानों के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) से मंजूरी की आवश्यकता होती है। 
  • प्रस्ताव पहले राज्य सरकार से आना चाहिए और इसके बाद MHA रेल मंत्रालय, खुफिया ब्यूरो, डाक विभाग, भारतीय सर्वेक्षण विभाग और भारत के महापंजीयक जैसी कई एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने के बाद अपनी सहमति देता है।
  • यदि प्रस्ताव MHA द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है, तो इसे संसद में संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया जाता है, जिसके माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 3 में संशोधन किया जाता है।
  • सविधान संशोधन विधेयक पारित होने के साथ ही प्रस्ताव कानून बन जाता है और उसके बाद राज्य का नाम बदल दिया जाता है।
  • संविधान के अनुच्छेद तीन के प्रावधान : राज्यों के संबंध में संसद के पास निम्नलिखित अधिकार होते हैं :
    • संसद किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकती है।
    • किसी राज्य के क्षेत्र को बढ़ा या घटा सकती है।
    • किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है।
    • किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकती है।
  • इस संबंध में अनुच्छेद 3 में दो शर्तों का उल्लेख किया गया है- 
    • उपरोक्त परिवर्तन से संबंधित कोई अध्यादेश राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बाद ही संसद में पेश किया जा सकता है। 
    • संस्तुति से पूर्व राष्ट्रपति उस अध्यादेश को संबंधित राज्य के विधानमंडल का मत जानने के लिए भेजता है। राज्यों द्वारा एक निश्चित सीमा के भीतर मत दिया जाना चाहिए और राष्ट्रपति राज्य विधानमंडल के मत को मानने के लिए बाध्य नहीं है। 
  • अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन आवश्यक नहीं
    • संविधान के अनुच्छेद 4 में यह घोषित किया गया है कि नए राज्यों का प्रवेश या गठन (अनुच्छेद 2 के अंतर्गत), नये राज्यों के निर्माण, सीमाओं, क्षेत्रों और नामों में परिवर्तन (अनुच्छेद 3 के अंतर्गत) को संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन नहीं माना जाएगा।
    • इस तरह का कानून एक सामान्य बहुमत और साधारण विधायी प्रक्रिया के जरिए पारित किया जा सकता है।
  • स्वतंत्र भारत में नाम बदलने वाला पहला राज्य पूर्वी पंजाब था, जो वर्ष 1950 में ‘पंजाब’ बन गया।

केरल का नामकेरलम’ क्यों?

  • भाषाई दृष्टिकोण : मलयाली शब्द ‘केरलम’ को अंग्रेजी के ‘केरल’ शब्द से प्रतिस्थापित किया जाता है। 
  • ऐतिहासिक दृष्टिकोण : केरलम शब्द का सबसे पहला उल्लेख 257 ईसा पूर्व के सम्राट अशोक के दूसरे शिलालेख में मिलता है। 
    • शिलालेख में स्थानीय शासक को ‘केरलपुत्र’ और चेर वंश का संदर्भ देते हुए “चेर का पुत्र” भी कहा गया है।
    • केरलपुत्र, जिसका शाब्दिक अर्थ संस्कृत में “केरल का पुत्र” है, दक्षिण भारत के तीन मुख्य राज्यों में से एक चेरों के राजवंश को संदर्भित करता है। 

केरल राज्य का गठन

  • स्वतंत्रता पूर्व :  संयुक्त मलयालम भाषी लोगों के लिए राज्य की मांग पहली बार वर्ष 1920 के दशक मजबूत हुई। 
    • इस राज्य के अंतर्गत त्रावणकोर और कोचीन की रियासतों तथा मद्रास प्रेसीडेंसी के मालाबार जिले को एकीकृत करने की योजना थी।
  • स्वतंत्रता के पश्चात :  1 जुलाई, 1949 को दो मलयालम भाषी रियासतों को मिलाकर त्रावणकोर-कोचीन राज्य बनाया गया।
  • सैयद फजल अली आयोग (वर्ष 1953) : आयोग ने मलयालम भाषी लोगों के राज्य में मालाबार जिले और कासरगोड के कुछ तालुकों को शामिल करने की सिफारिश की।
    • इसी क्रम में, भाषाई आधार पर राज्यों के निर्माण की सिफारिश के बाद आखिरकार 1 नवंबर, 1956 को केरल राज्य अस्तित्व  में आया।

विपक्ष का नेता

संदर्भ  

हाल ही में 10 साल के अंतराल के पश्चात् पहली बार कांग्रेस पार्टी के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से सांसद राहुल गाँधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता के रूप में नियुक्त किया गया है। 

विपक्ष का नेता के बारे में 

  • संसद के प्रत्येक सदन में प्रमुख विपक्षी दल के किसी एक संदस्य को विपक्ष का नेता नियुक्त किया जाता है।
    • हालाँकि, संविधान में कहीं भी विपक्ष के नेता के पद का उल्लेख नहीं किया गया है। 
    • विपक्ष के नेता के पद को संसद में “संसद में विपक्षी नेता वेतन और भत्ता अधिनियम, 1977” के माध्यम से वैधानिक मान्यता प्राप्त है।
  • सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को, जिसके पास लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के दसवें हिस्से से कम सीटें नहीं हों, विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी जाती है।
    • उदाहरण- लोकसभा में वह पार्टी दावा कर सकती है जो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और जिसे कम से कम 55 सीटें प्राप्त हैं।
  • विपक्ष का नेता कैबिनेट मंत्री के समान वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं का हकदार होता है।

विपक्ष के नेता का महत्व 

  • विपक्ष का नेता लोक लेखा समिति, सार्वजनिक उपक्रम समिति, प्राक्कलन समिति जैसी महत्वपूर्ण समितियों सहित कई अन्य संयुक्त संसदीय समितियों का सदस्य भी हो सकता है। 
  • वह केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, सी.बी.आई., एन.एच.आर.सी. और लोकपाल जैसे वैधानिक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार विभिन्न चयन समितियों का सदस्य बनने की योग्यता रखता है। 
  • वह सरकारी नीतियों की रचनात्मक आलोचना करता है और एक वैकल्पिक सरकार के प्रमुख के रूप में कार्य करता है।

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