शॉर्ट न्यूज़ : 04 मई , 2024
राज्यपाल को प्राप्त संवैधानिक प्रतिरक्षा
भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी का विस्तार
जेरेमिया मानेले- सोलोमन द्वीप के नए प्रधानमंत्री
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024
व्हिटली गोल्ड अवार्ड 2024
इलेक्ट्रोलाइज़र
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में स्वास्थ्य आपातकाल
यौन अपराधों से बच्चों की संरक्षण
सी-295 विमान
शक्सगाम घाटी
राज्यपाल को प्राप्त संवैधानिक प्रतिरक्षा
संदर्भ
हाल ही में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज की गई है। हालाँकि, संवैधानिक प्रतिरक्षा पुलिस को राज्यपाल को आरोपी के रूप में नामित करने या मामले की जांच करने से रोकती है।
क्या है संवैधानिक प्रावधान
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 361 भारत के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल को दी गई छूट से संबंधित है, जो उन्हें आपराधिक कार्यवाही और गिरफ्तारी से बचाता है।
- अनुच्छेद में कहा गया है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल "अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए या उन शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन में उनके द्वारा किए गए या किए जाने वाले किसी कार्य के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे"।
- इस प्रकार पुलिस केवल राज्यपाल के पद से हटने के बाद ही उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
- उच्चतम न्यायालय का निर्णय :
- शीर्ष न्यायालय ने ऐतिहासिक रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ मामले (2006) में संविधान के अनुच्छेद 361 के द्वारा राष्ट्रपति व राज्यपालों को प्रदान की गई प्रतिरक्षा को बरकरार रखा है।
अनुच्छेद 361 के उप-खण्ड
- राष्ट्रपति, या किसी राज्य के राज्यपाल या राजप्रमुख, अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग व प्रदर्शन के लिए या अभ्यास व प्रदर्शन में उनके द्वारा किए गए या किए जाने वाले किसी कार्य के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।
- राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू या जारी नहीं रखी जाएगी।
- राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल की गिरफ्तारी या कारावास की कोई प्रक्रिया उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत से जारी नहीं की जाएगी।
- राष्ट्रपति या राज्यपाल पर उनके कार्यकाल के दौरान व्यक्तिगत सामर्थ्य से किये गये किसी कार्य के लिये किसी भी न्यायालय में दीवानी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। हालाँकि, यदि इस प्रकार का कोई मुकदमा चलाया जाता है तो उन्हें इसकी सूचना देने के दो माह बाद ही ऐसा किया जा सकता है।
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- उदहारण : वर्ष 2017 में, उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती के खिलाफ आपराधिक साजिश के नए आरोपों की अनुमति दी थी।
- हालाँकि, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए सुनवाई नहीं हुई क्योंकि वह उस समय राजस्थान के राज्यपाल थे।
भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी का विस्तार
(प्रारम्भिक परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र; राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम)
- 03 मई, 2024 को नई दिल्ली में 7वीं भारत-इंडोनेशिया संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (जेडीसीसी) की बैठक संपन्न हुई।
- इस सप्ताह की शुरुआत में, दोनों देशों द्वारा राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75वें वर्ष को चिह्नित करते हुए जकार्ता में पहली बार "भारत-इंडोनेशिया रक्षा उद्योग प्रदर्शनी-सह-सेमिनार" का आयोजन भी किया गया था।
रक्षा सहयोग का विस्तार
- संयुक्त समिति की बैठक में रक्षा उद्योग, समुद्री सुरक्षा और बहुपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई है।
- बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के बढ़ते दायरे पर संतोष व्यक्त किया।
- रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि "रक्षा सहयोग और रक्षा उद्योग सहयोग पर कार्य समूहों की बैठकों में विचार-विमर्श की गई विभिन्न द्विपक्षीय पहलों पर हुई प्रगति की भी सह-अध्यक्षों द्वारा समीक्षा की गई"।
- इंडोनेशिया के महासचिव ने अपनी भारत यात्रा में भारत फोर्ज, महिंद्रा डिफेंस और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड जैसे अन्य भारतीय रक्षा उद्योग भागीदारों के साथ भी विचार-विमर्श किया और अनुसंधान और संयुक्त उत्पादन में सहयोग के माध्यम से रक्षा औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की है।
- भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है और वे भारत-प्रशांत(Indo-Pacific) के साझा दृष्टिकोण पर पहुंचे हैं।
- वर्तमान समय में, इस साझेदारी की विशेषता द्विपक्षीय और बहुपक्षीय क्षेत्र में बंद सहयोग है, जिसमें लगातार उच्च-स्तरीय बातचीत भी शामिल है। इंडोनेशिया भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार है।
जेरेमिया मानेले- सोलोमन द्वीप के नए प्रधानमंत्री
- हाल ही में जेरेमिया मानेले को सोलोमन द्वीप का प्रधानमंत्री चुना गया
- ये इससे पहले सोलोमन द्वीप के विदेश मंत्री रहे चुके हैं।
सोलोमन द्वीप
- यह दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर में पापुआ न्यू गिनी के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है।
- इसमें 990 से अधिक द्वीप शामिल हैं।
- राजधानी - होनियारा (ग्वाडलकैनाल द्वीप पर स्थित)
- मुद्रा - सोलोमन द्वीप डॉलर
स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलर
- RBI ने स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलरों (SPD) को विदेशी मुद्रा में वित्त पोषण की अनुमति प्रदान कर दी।
- अब ये अपनी मूल कंपनियों और उसके द्वारा अधिकृत संस्थाओं से विदेशी मुद्रा में उधार ले सकते हैं।
स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलर(SPD)
- ये भारतीय सरकारी प्रतिभूति बाजार में प्रमुख मध्यस्थ हैं।
- ये भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ पंजीकृत होते हैं
- इनके पास सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने का लाइसेंस होता है।
- ये अभी तक कॉल/नोटिस/टर्म मनी मार्केट, रेपो बाजार, अंतर-कॉर्पोरेट जमा, वाणिज्यिक पत्र और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर से धन उधार ले सकते थे।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024
- 3 मई को प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया गया
- इसका आयोजन प्रत्येक वर्ष 3 मई को ही किया जाता है
- इसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की शुरुआत वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024 की थीम - "ए प्रेस फॉर द प्लैनेट: जर्नलिज्म इन द फेस ऑफ द एनवायर्नमेंटल क्राइसिस" है।
प्रश्न - विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है ?
(a) 3 मई
(b) 3 अप्रैल
(c) 3 जून
(d)3 जुलाई
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व्हिटली गोल्ड अवार्ड 2024
- हाल ही में असम की वन्यजीव जीवविज्ञानी पूर्णिमा देवी बर्मन को व्हिटली गोल्ड अवार्ड 2024 प्राप्त हुआ
- इन्हें यह पुरस्कार लुप्तप्राय ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क और उसके आर्द्रभूमि आवास के संरक्षण प्रयासों के लिए दिया गया
- स्टॉर्क को असम में स्थानीय रूप से "हरगिला" कहा जाता है।
- यह पक्षी पूर्वोत्तर भारत में विशेष रूप से असम के आर्द्रभूमि क्षेत्रों में पाया जाता है।
- पूर्णिमा देवी बर्मन को इससे पहले वर्ष 2017 में भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है
व्हिटली गोल्ड पुरस्कार
- यह पुरस्कार व्हिटली फंड फॉर नेचर संस्था द्वारा दिया जाता है।
- इस संस्था ने वर्ष 2007 में इस पुरस्कार की स्थापना की थी।
- यह पुरस्कार जैव विविधता को बचाने के प्रयासों के लिए विकाशसील देशों के संरक्षण नेताओं को दिया जाता है।
- इसे 'ग्रीन ऑस्कर' के नाम से भी जाना जाता है।
- यह पुरस्कार लंदन में रॉयल ज्योग्राफिकल सोसाइटी पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाता है।
इलेक्ट्रोलाइज़र
संदर्भ
- जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था ऊपर की ओर बढ़ रही है, उत्सर्जन-सघन क्षेत्रों का उदय बड़े पैमाने पर हो रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रोलाइज़र का घरेलू विनिर्माण औद्योगिक उत्सर्जन के लिए क्रन्तिकारी साबित हो सकता है।
- क्या है इलेक्ट्रोलाइजर
- यह एक ऐसा उपकरण है जो रासायनिक प्रक्रिया (इलेक्ट्रोलिसिस) के माध्यम से हाइड्रोजन का उत्पादन करता है। यह बिजली का उपयोग करके पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अणुओं में विभाजित करने में सक्षम है।
- परंपरागत रूप से, हाइड्रोजन का उत्पादन प्राकृतिक गैस या कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है।
- मुख्य रूप से उर्वरक उद्योग के अमोनिया उत्पादन में अनुप्रयोगों के लिए, मीथेन भाप और कोयला गैसीकरण, हाइड्रोजन उत्पादन की क्रमशः प्राकृतिक गैस और कोयले का उपयोग करने की प्रमुख विधियाँ हैं।
- इलेक्ट्रोलाइजर कार्यप्रणाली :
- इसमें एक झिल्ली द्वारा अलग किए गए संवाहक इलेक्ट्रोड कक्ष होते हैं जिनमें कैथोड और एनोड लगे होते हैं, जिसके बीच उच्च वोल्टेज और धारा प्रवाहित की जाती है।
- इसप्रकार, उच्च विद्युत प्रवाह के कारण पानी अपने घटकों हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में टूट जाता है।
- हाइड्रोजन के साथ-साथ उत्पन्न ऑक्सीजन को या तो वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है या चिकित्सा और औद्योगिक गैस के रूप में उपयोग के लिए संग्रहीत कर लिया जाता है।
- उत्पादित हाइड्रोजन को ईंधन सेल में उपयोग करने के लिए संपीड़ित गैस या तरलीकृत रूप में संग्रहित किया जाता है। इसका औद्योगिक कार्यों, ट्रेनों, जहाजों और वायुयानों को विमानों जैसे परिवहन वाहनों को ऊर्जा प्रदान करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- इलेक्ट्रोलाइजर के प्रकार : इलेक्ट्रोलाइट सामग्री और संचालित आयनिक प्रक्रियाओं के आधार पर इलेक्ट्रोलाइज़र विभिन्न प्रकार हो सकते हैं। कुछ प्रमुख इलेक्ट्रोलाइज़र निम्नलिखित हैं:-
- क्षारीय इलेक्ट्रोलाइज़र : क्षारीय इलेक्ट्रोलिसिस एक परिपक्व और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध तकनीक है जिसका उपयोग मुख्य रूप से उर्वरक और क्लोरीन उद्योगों द्वारा किया जाता है।
- इसमें मोटी झिल्लियों और निकल-आधारित इलेक्ट्रोड का उपयोग किया जाता है।
- इसमें कैथोड से एनोड तक इलेक्ट्रोलाइट के माध्यम से हाइड्रॉक्साइड आयनों (OH-) का परिवहन होता है जबकि कैथोड कक्ष पर हाइड्रोजन उत्पन्न होता है।
- पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट झिल्ली (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर : इसमें इलेक्ट्रोलाइट के रूप में विशेष ठोस प्लास्टिक सामग्री का उपयोग किया जाता है।
- पानी एनोड पर प्रतिक्रिया करके ऑक्सीजन और धनावेशित हाइड्रोजन आयन (प्रोटॉन) बनाता है।
- इलेक्ट्रॉन एक बाहरी सर्किट के माध्यम से प्रवाहित होते हैं और हाइड्रोजन आयन चुनिंदा रूप से PEM से कैथोड तक चले जाते हैं।
- कैथोड पर, हाइड्रोजन आयन बाहरी सर्किट से इलेक्ट्रॉनों के साथ मिलकर हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
- ठोस ऑक्साइड इलेक्ट्रोलाइज़र : ठोस ऑक्साइड इलेक्ट्रोलाइजर (SOE) तकनीक में क्षारीय इलेक्ट्रोलाइज़र और PEM की तुलना में कम बिजली की खपत करती है लेकिन यह एक महंगा विकल्प है।
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में स्वास्थ्य आपातकाल
- एमपॉक्स के बढ़ते मामलों के कारण कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य ने पूरे देश में स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया।
- एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था
- यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है।
- इसका संक्रमण पहली बार वर्ष 1958 में शोध के लिये रखे गए बंदरों में देखा गया था जिसके कारण इसका नाम 'मंकीपॉक्स' रखा गया।
- मनुष्यों में इसका पहला मामला वर्ष 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में ही पाया गया था।
- मनुष्य में मंकीपॉक्स का प्रसार संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क से होता है
- यह एक जूनोटिक बीमारी है।
- गिलहरी, चूहे, और बंदरों की कुछ प्रजातियाँ इस विषाणु के वाहक के रूप में कार्य करते हैं।
- इसके प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।
- इस बीमारी में शरीर पर दाने उभर जाते हैं
- मंकीपॉक्स की अभी तक कोई सुरक्षित, प्रमाणिक चिकित्सा उपलब्ध नहीं है।
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य एक मध्य अफ़्रीकी देश है।
- यह अल्जीरिया के बाद अफ़्रीका का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
- इसकी सीमा मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, दक्षिणी सूडान, यूगांडा, रवांडा,बुरुंडी, अंगोला, ज़ाम्बिया और कांगो गणराज्य से लगती है
- इसे 30 जून 1960 को बेल्जियम से स्वतंत्रता मिली
- राजधानी - किंशासा, कांगो नदी के किनारे स्थित
- नील नदी के बाद कांगो नदी अफ़्रीका की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
- कांगो नदी विश्व की एकमात्र नदी है जो भूमध्य रेखा को दो बार काटती है।
- मुद्रा - कांगो फ़्रैंक
यौन अपराधों से बच्चों की संरक्षण
संदर्भ
हाल हे में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के उद्देश्य को केवल इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि अपराधी सजा से बचने के लिए अपने नाबालिग पीड़ितों से विवाह कर लेते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी
- सर्वोच्च न्यायालय पश्चिम बंगाल में 14 वर्षीय लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले की सुनवाई कर रही थी।
- वर्तमान में वह अपने बच्चे और आरोपी के साथ रह रही है, जिसे ट्रायल कोर्ट ने POCSO अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था।
- दोषसिद्धि के खिलाफ उसकी अपील पर फैसला करते हुए, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में 20 वर्षीय व्यक्ति को बरी कर दिया था।
- उच्च न्यायालय ने तब अपने आदेश में किशोरियों को "अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रित करने" की "सलाह" देते हुए कई टिप्पणियाँ की थीं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए कि न्यायाधीश का काम उपदेश देना नहीं है, इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।
- न्यायालय का मानना है कि यह “स्टॉकहोम सिंड्रोम” (Stockholm syndrome) के समान है और उच्च न्यायालय फैसला इसे बढ़ावा देने के समान है।
- साथ ही, न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को उसे संस्थागत सुरक्षा और परामर्श प्रदान करने का निर्देश भी दिया है।
स्टॉकहोम सिंड्रोम
स्टॉकहोम सिंड्रोम एक प्रस्तावित स्थिति या सिद्धांत है जिसके अनुसार, एक बंधक कभी-कभी अपने अपहरणकर्ताओं के साथ मनोवैज्ञानिक बंधन विकसित कर लेते हैं। बंधक अपमानजनक रिश्ते को स्वीकार कर लेता है और/या अपने साथ दुर्व्यवहार करने वाले के प्रति सहानुभूति, प्रेम या समर्थन भी दिखा सकता है। इस मनोवैज्ञानिक संबंध के पीछे कई परिस्थितियाँ एक साथ शामिल होकर बंधक को ऐसा करने के लिए मानसिक रूप से ऐसा करने के लिए बाध्य कर देती हैं।
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क्या है POCSO अधिनियम
- यह विशेष रूप से बच्चों के यौन शोषण से निपटने वाला भारत का पहला व्यापक कानून है, जिसे 2012 में लागू किया गया था।
- इस कानून के संचालन लिए “महिला एवं बाल विकास मंत्रालय” नोडल मंत्रालय के रूप में काम करता है।
- उद्देश्य: यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यौन उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी अपराधों से संरक्षण प्रदान करता है।
- ऐसे अपराधों और संबंधित मामलों एवं घटनाओं की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान करता है।
POCSO अधिनियम मुख्य विशेषताएं
- लिंग-तटस्थ कानून : यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को "कोई भी व्यक्ति" के रूप में परिभाषित करता है, इससे बाल यौन शोषण पीड़ित की उपलब्ध कानूनी ढांचे में लिंग-तटस्थ पहचान स्थापित होती है।
- यह प्रवेशक और गैर-प्रवेशक हमले के साथ-साथ यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी जैसे यौन शोषण के विभिन्न प्रकारों को परिभाषित करता है।
- यह अधिनियम कुछ परिस्थितियों, जैसे- मानसिक रूप से बीमार बच्चे के साथ या बच्चे के विश्वासपात्र या उस पर अधिकार की स्थिति में किसी व्यक्ति द्वारा किए गए यौन दुर्व्यवहार को गंभीर श्रेणी का यौन उत्पीड़न मानता है।
- यौन उद्देश्यों के लिए बच्चों की तस्करी : इस अधिनियम में यौन उद्देश्यों के लिए बच्चों की तस्करी को अपराध मन गया है और यदि कोई व्यक्ति ऐसे करता है तो यह यौन अपराध के उकसावे से संबंधित प्रावधानों के तहत दंडनीय हैं।
- अधिनियम के तहत यौन अपराध करने का प्रयास करने पर अपराध करने के लिए निर्धारित सजा की आधी सजा तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
- कभी भी शिकायत दर्ज की जा सकती है : पीड़ित किसी भी समय अपराध की शिकायत दर्ज करवा सकता है, यहां तक कि दुर्व्यवहार होने के कई साल बाद भी।
- अधिनियम में ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज कराने को भी अनिवार्य बनाया गया है। यौन शोषण का संज्ञान होने पर व्यक्ति का कानूनी कर्तव्य है कि वह इसकी शिकायत कराये। यदि वह ऐसा करने में विफल रहता है, तो छह महीने की कैद या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
- पीड़ितों की सुरक्षा के उपाय: अधिनियम में यौन अपराधों की रिपोर्टिंग, साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग, जांच और सुनवाई की प्रक्रिया को बाल-अनुकूल बनाने का प्रयास किया गया है। जैसे:
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- बच्चे का बयान बच्चे के निवास स्थान पर या उसकी पसंद के स्थान पर दर्ज करना, अधिमानतः बिना वर्दी के उप-निरीक्षक या उसके ऊपर के पद वाली एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा।
- बच्चे की चिकित्सीय जांच बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में की जानी चाहिए जिस पर बच्चे को भरोसा हो।
- किसी भी बच्चे को किसी भी कारण से रात में पुलिस स्टेशन में हिरासत में नहीं रखा जा सकता है।
- अधिनियम में विशेष रूप से कहा गया है कि पीड़ित बच्चे की गवाही के समय आरोपी उसे दिखना नहीं चाहिए और सुनवाई बंद कमरे में होनी चाहिए।
- न्याय प्रक्रिया से पहले, उसके दौरान और बाद में पीड़ित बच्चे की सुरक्षा की जानी चाहिए।
सी-295 विमान
संदर्भ
हाल ही में भारतीय वायु सेना (IAF) को 56 सी-295 विमानों में से दूसरे विमान की डिलीवरी मिली है।
सी-295 विमान के बारे में
- एयरबस की नई पीढ़ी का C-295 विमान एक अत्यधिक बहुमुखी सामरिक परिवहन विमान है जो उन मिशनों के लिए तैयार किया गया है जिनमें सैनिकों और कार्गो को ले जाने से लेकर समुद्री गश्त, सिग्नल इंटेलिजेंस और चिकित्सा निकासी तक शामिल हैं।
- सितंबर 2021 में, भारत ने 21,935 करोड़ रुपये की लागत से IAF के पुराने एवरो बेड़े (Avro-748 fleet) को बदलने के लिए 56 एयरबस C-295 विमानों को खरीदने के लिए “एयरबस डिफेंस एंड स्पेस” के साथ सौदा किया था।
- भारत में निर्माण:
- कुल 56 C-295 विमानों में से 16 का निर्माण ‘एयरबस’ द्वारा स्पेन के सेविले में किया जाएगा।
- जबकि शेष 40 विमानों का निर्माण टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड’ (TASL) और एयरबस के संयुक्त साझेदारी द्वारा गुजरात के वडोदरा में फाइनल असेंबली लाइन (FAL) में किया जाएगा।
- भारत में बनाए जा रहे 40 विमानों की आपूर्ति 2031 तक की जाएगी। हालाँकि, पहले विमान के सितंबर 2026 के आसपास हैंगर से बाहर आने की संभावना है।
- भारत के इस पहले निजी क्षेत्र के विमान का निर्माण 'मेक इन इंडिया' एयरोस्पेस कार्यक्रम के तहत किया जाएगा।
- विमान की विशेषताएँ
- C-295 दो प्रैट एंड व्हिटनी कनाडा PW127G टर्बोप्रॉप इंजन द्वारा संचालित है।
- इसमें शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग (STOL) विशेषताएं और अप्रयुक्त हवाई पट्टियों का उपयोग करने की भी क्षमता है।
- इस विमान की परिवहन क्षमता 5-10 टन की है, जो 260 समुद्री मील की अधिकतम क्रूज़ गति पर 71 सैनिकों या 49 पैरा-ट्रूपर्स को ले जा सकता है।
- C-295 को सामरिक मिशनों के लिए उत्कृष्ट निम्न-स्तरीय उड़ान विशेषताएँ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो 110 समुद्री मील जितनी धीमी गति से भी उड़ान भर सकता है।
- सभी 56 विमानों को एक स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के साथ स्थापित किया जाएगा जिसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है।
- C-295 में 24 स्ट्रेचर और सात मेडिकल अटेंडेंट लगाए जा सकते हैं।
शक्सगाम घाटी
संदर्भ
हाल ही में भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित ‘शक्सगाम घाटी’ में चीन द्वारा सड़क निर्माण का विरोध किया है।
शक्सगाम घाटी के बारें में:
- शक्सगाम घाटी ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा होने के साथ-साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है।
- यह चीन के शिनजियांग प्रांत और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करती है।
- इसकी सीमा उत्तर में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) के झिंजियांग प्रांत, दक्षिण और पश्चिम में PoK के उत्तरी क्षेत्रों और पूर्व में सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र से लगती है।
- 5000 वर्ग किलोमीटर में फैली यह घाटी PoK के हुंजा-गिलगित क्षेत्र का हिस्सा है। जिसे वर्ष 1963 में पाकिस्तान ने चीन के साथ एक समझौते के तहत चीन को सौंप दिया था।
- इस समझौते ने काराकोरम राजमार्ग की नींव रखी, जिसे वर्ष 1970 के दशक में चीनी और पाकिस्तानी इंजीनियरों ने संयुक्त रूप से बनाया था।
भारत के लिए चिंता
- शक्सगाम घाटी, विशेष रूप से अघिल दर्रे के पास चीन के सड़क बनाने के हालिया प्रयास, भारत की सुरक्षा के लिए चिंताएँ बढ़ाते हैं।
- ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस द्वारा प्रकशित सैटेलाइट तस्वीरों में चीन द्वारा शक्सगाम घाटी के अघिल दर्रे पर सड़क बनाने प्रयासों की पुष्टि हुई है।