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शॉर्ट न्यूज़ : 10 मई , 2024

शॉर्ट न्यूज़ : 10 मई , 2024


भारत सौर ऊर्जा का विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश

एशियन ओपन पिकलबॉल चैंपियनशिप

पिरुल लाओ-पैसे पाओ अभियान

टेलीकॉम डिज़ाइन सहयोग स्प्रिंट

त्रि-सेवा सम्मेलन 'परिवर्तन चिंतन'

बांबी बकेट ऑपरेशन

आतंकवाद रोधी ट्रस्ट फंड

स्पर्म व्हेल

ट्राइकोडर्मा एस्परेलम


भारत सौर ऊर्जा का विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश

  • हाल ही में ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रहे थिंकटैंक एम्बर ने ‘ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यु रिपोर्ट: 2024’ जारी की
    • इसके अनुसार वर्ष 2023 में भारत सौर ऊर्जा में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया।
    • भारत सिर्फ चीन (584.15 टेरावाट-घंटे) और अमेरिका (238.12 टेरावाट-घंटे) से पीछे है
    • वर्ष 2015 में भारत 6.57 टेरावाट-घंटे के साथ सौर ऊर्जा उत्पादन में 9वें स्थान पर था।
    • वर्ष 2015 से2023 के बीच विश्व की सौर ऊर्जा 6 गुना से अधिक बढ़ गई।
  • वर्ष 2023 में भारत की 5.8% बिजली सौर ऊर्जा से उत्पादित हुई।
    • वर्ष 2015 में यह हिस्सेदारी 0.5% थी।

एशियन ओपन पिकलबॉल चैंपियनशिप

  • एशियन ओपन पिकलबॉल चैंपियनशिप में भारत ने पांच पदक जीते।
  • इसका आयोजन वियतनाम में किया गया है।
  • भारत ने चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीते।
  • मिश्रित युगल वर्ग के फाइनल में सचिन पाहवा और प्रियंका छाबड़ा ने स्वर्ण पदक जीता।
  • महिला युगल ओपन वर्ग में ईशा लखानी और पेई चुआन काओ ने स्वर्ण पदक जीता।
  • पुरुष डबल्स में अनिकेत पटेल और रोहित पाटिल ने स्वर्ण पदक जीता।
  • पुरुष सिंगल्‍स में विजय मेनन ने और महिला सिंगल्‍स में प्रियंका छाबड़ा ने कांस्य पदक जीता।

पिरुल लाओ-पैसे पाओ अभियान

PERULAU

  • उत्तराखंड सरकार ने पिरुल लाओ-पैसे पाओ अभियान शुरू किया है।
  • इसको राज्य में जंगल की आग पर काबू पाने के लिए चलाया गया है।
  • इसकी शुरुआत रुद्रप्रयाग जिले से की गई।
  • उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस अभियान की देखरेख करेगा।
  • इस अभियान के तहत स्थानीय युवा और ग्रामीण जंगल में सूखा पिरूल (चीड़ के पेड़ की पत्ती) एकत्र करेंगे।
    • इसके बदले इन्हें 50 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से भुगतान किया जाएगा।
  • पिरूल का उपयोग -   
    • घरेलू पशुओं के लिए बिस्तर बनाने
    • गाय के गोबर में मिलाकर उर्वरक के रूप में 
    • फलों की पैकेजिंग के लिए किया जाता है 

प्रश्न – किस राज्य ने पिरुल लाओ-पैसे पाओ अभियान शुरू किया है ?

(a) उतराखंड 

(b) हिमाचल प्रदेश 

(c) उत्तर प्रदेश 

(d) असम


टेलीकॉम डिज़ाइन सहयोग स्प्रिंट

  • हाल ही में दूरसंचार विभाग द्वारा ‘टेलीकॉम डिज़ाइन सहयोग स्प्रिंट’ का आयोजन किया गया 
  • इसके तहत स्टार्टअप, शिक्षा जगत और शोध संस्‍थानों को एक मंच पर लाया गया 
  • इस स्प्रिंट का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, बैंगलोर में किया गया।
  • इसमें रेडियो एक्सेस नेटवर्क में शामिल स्टार्टअप, IIT मद्रास, टेलीमैटिक्स विकास केंद्र, IIT दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने भाग लिया। 
  • इस स्प्रिंट का लक्ष्य 5G समाधान को शामिल करते हुए 6G में भविष्य की प्रगति के लिए मंच तैयार करना है।
  • इसमें भारतीय दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र में कमियों को दूर करने और 6जी प्रौद्योगिकी के लिए समूहों का गठन किया गया। 
  • यह स्प्रिंट तीन मुख्‍य उद्देश्यों से प्रेरित है -
    • स्टार्टअप्स को 5जी अवसंरचना क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देना।
    • उद्योग की आवश्‍यकताओं पर ध्यान देते हुए सहयोग के माध्यम से व्यापक 5जी समाधान तैयार करना।
    • दूरसंचार परिदृश्य में बाज़ार के लिए अवसर पैदा करना

त्रि-सेवा सम्मेलन 'परिवर्तन चिंतन'

  • 9 और 10 मई को तीनों सेनाओं के सम्‍मेलन 'परिवर्तन चिंतन' के दूसरे संस्करण का आयोजन नई दिल्ली में किया गया।
    • पहला परिवर्तन चिंतन सम्मेलन 8 अप्रैल 2024 को आयोजित किया गया था।
  • इसका आयोजन इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ द्वारा किया गया
  •  इसकी अध्यक्षता सीडीएस अनिल चौहान द्वारा की गई 
  • यह सभी त्रि-सेवा संस्थानों, सैन्य मामलों के विभाग, मुख्यालय एकीकृत रक्षा कर्मचारियों और तीनों सेवाओं के प्रमुखों का सम्मेलन है।

सम्मेलन का उद्देश्य -

    • सशस्‍त्र बलों में संयुक्तता और एकीकरण को आगे बढ़ाने तथा नए एवं ताजा विचारों, पहलों और सुधारों का सृजन करना 
    • सिविल और सैन्य दोनों क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले राष्ट्रीय सामरिक मुद्दों पर विचार-विमर्श
    • उभरती और नवाचारी प्रौद्योगिकियों को अपनाते हुए अगली पीढ़ी के सुधारों को शुरू करने की दिशा में विचारों का आदान-प्रदान

बांबी बकेट ऑपरेशन

  • उत्तराखंड में जंगल की आग से निपटने के लिए भारतीय वायु सेना ने बांबी बकेट ऑपरेशन शुरू किया 
  • इसके तहत वायुसेना, हेलीकॉप्टर के माध्यम से पानी का छिड़काव करके आग को बुझाने में सहायता कर रही है 
  • इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने एमआई 17 वी 5 हेलीकॉप्टरों का प्रयोग किया 

बांबी बकेट

  • बांबी बकेट को हेलीकॉप्टर बाल्टी भी कहा जाता है
  • यह एक विशेष कंटेनर होता है जिसे हेलिकॉप्टर के नीचे लटकाकर नदी या तालाब से इसमें पानी भरा जाता है फिर कंटेनर के तल पर लगे एक वाल्व की सहायता से आग से प्रभावित क्षेत्र के उपर पानी का छिड़काव करते हैं।
  • ऐसे क्षेत्र जहाँ थल मार्ग द्वारा पहुँचना मुश्किल है, उन क्षेत्रों में बांबी बकेट विशेष रूप से फायदेमंद है

आतंकवाद रोधी ट्रस्ट फंड

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष के लिए प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी ट्रस्ट फंड में 5 लाख डॉलर का योगदान दिया है।

आतंकवाद रोधी ट्रस्ट फंड के बारे में 

  • इसकी स्थापना वर्ष 2009 में हुई थी। हालाँकि, वर्ष 2017 में इसे महासभा के प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT) में स्थानांतरित कर दिया गया। 
  • संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT) को संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति के रूप में पहला प्रमुख संस्थागत सुधार माना जाता है। 
  • UNOCT अपने वार्षिक बजट के 91% के लिए अपने वित्त पोषण भागीदारों से स्वैच्छिक योगदान पर निर्भर है, जिसमें सदस्य राज्यों के समर्थन से सभी क्षमता विकास गतिविधियां शामिल हैं।
  • यह कोष सरकारों, अंतर-सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों, निजी संस्थानों व व्यक्तियों से योगदान स्वीकार करता है। 

स्पर्म व्हेल

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण पारिस्तिथिकी, सामान्य विज्ञान)

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के माध्यम से स्पर्म व्हेल में 'ध्वन्यात्मक वर्णमाला' (Phonetic Alphabet) की खोज की। 

प्रमुख बिंदु 

  • शोधकर्ताओं ने क्लिक्स (Clicks) के समूहों का विश्लेषण करके ध्वन्यात्मक वर्णमाला बनाने वाले बुनियादी घटकों को खोजने का दावा किया। क्लिक्स समूहों को कोडा (Codas) के नाम से जाना जाता है। 
    • वर्णमाला का उपयोग व्हेल द्वारा असीमित संख्या में संयोजनों में किया जा सकता है, जैसे मनुष्य शब्द निर्माण के लिए ध्वनियों का संयोजन और वाक्य निर्माण के लिए शब्दों का सयोजन करते हैं।
  • व्हेल अपने बड़े सिर में स्थित नासिका मार्ग के माध्यम से हवा पर दवाब डालकर ये क्लिक्स उत्पन्न करते हैं। 
    • ये ध्वनि तरंगें निर्मित करती हैं जो पानी के माध्यम से गमन करती हैं। यह मुख्य रूप से इकोलोकेशन का एक रूप है जिसका उपयोग जीवों द्वारा समुद्र की गहराई में शिकार का पता लगाने और नेविगेट करने के लिए किया जाता है। 
    • हालाँकि, कभी-कभी इन क्लिक्स का उपयोग सामाजिक संदर्भों में भी किया जाता है।

स्पर्म व्हेल (Sperm Whale) के बारे में 

  • स्पर्म व्हेल (फिसेटर कैटोडोन) को कैचलोट भी कहा जाता है जो दांतेदार व्हेल्स में सबसे बड़ी है। 
  • स्पर्म व्हेल अत्यधिक सामाजिक जानवर हैं और उनकी आवाज़ें इनका एक अभिन्न अंग हैं।
  • वर्ग : स्तनधारी 
  • वैज्ञानिक नाम : फ़िसेटर मैक्रोसेफालस (Physeter macrocephalus) 
  • संरक्षण स्थिति 
    • IUCN : संवेदनशील (Vulnerable : Vu)
    • CITES : परिशिष्ट I
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : अनुसूची I
  • जीवनकाल : लगभग 60 वर्ष तक
  • खतरे : जलवायु परिवर्तन, मछली पकड़ने के गियर में फंसना, समुद्री मलबा, महासागरीय शोर, तेल रिसाव एवं प्रदूषक, जहाज से टकराना
  • प्रसार क्षेत्र : अलास्का, न्यू इंग्लैंड/मध्य-अटलांटिक, प्रशांत द्वीप समूह, दक्षिण-पूर्व, पश्चिमी तट।

इकोलोकेशन तकनीक के बारे में 

  • कुछ जीव (जैसे- चमगादड़, मछली) या उपकरण (जैसे- पनडुब्बियाँ) अपने परिवेश को समझने के लिए ‘इकोलोकेशन तकनीक’ का उपयोग करते हैं। इसे ‘बायो सोनार’ भी कहते हैं।
  • इस तकनीक में जीव या उपकरण ध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है और अपने आसपास की वस्तुओं से उनके प्रतिबिंबों को सुनता है। 
    • अर्थात् परावर्तित तरंगों या प्रतिध्वनियों के आधार पर जीव या उपकरण अपने वातावरण को समझता है।
  • इसका उपयोग करने वाले जीव उच्च आवृत्ति वाले ध्वनि स्पंदन उत्सर्जित करते हैं जो प्राय: मानव श्रवण की सीमा से परे होते हैं। 

इकोलोकेट करने वाली प्रजातियाँ 

  • 1000 से अधिक प्रजातियाँ इकोलोकेट करती हैं। इनमें चमगादड़, व्हेल, छोटे स्तनधारी और कुछ पक्षी (जैसे- टैनी ऑयलबर्ड, स्विफ्टलेट्स एवं मेडागास्कर की टेनरेक) शामिल हैं।
  • कई रात्रिचर जीव, बिल खोदने वाले जीव एवं समुद्र में रहने वाले जीव बहुत कम या बिना रोशनी वाले वातावरण में भोजन/शिकार के लिए इकोलोकेशन पर निर्भर रहते हैं।
    • कमज़ोर दृष्टि वाली चमगादड़ अंधेरे में शिकार करने और नेविगेट करने के लिए इकोलोकेशन का उपयोग करते हैं।
    • डॉल्फ़िन इसका उपयोग वस्तुओं का पता लगाने और जल के भीतर संचार के लिए करती हैं। 
  • जीवों में इकोलोकेशन के कई तरीके (जैसे- गला हिलाना, पंख फड़फड़ाना, ध्वनि उत्पन्न करना) होते हैं।

ट्राइकोडर्मा एस्परेलम

  • लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने बासमती चावल की किस्मों में व्याप्त ‘फुट रॉट’ रोग से निपटने के लिए जैव नियंत्रण एजेंट ट्राइकोडर्मा एस्परेलम विकसित किया है।

ट्राइकोडर्मा एस्परेलम के बारे में 

  • ट्राइकोडर्मा एस्परेलम एक जैव नियंत्रण कवक है, जो मृदा में व्यापक रूप से वितरित होता है और पौधों की बीमारी नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है। 
  • यह उच्च तापमान एवं उच्च लवणता के प्रति प्रतिरोधी है और कई तरीकों से रोगजनक बैक्टीरिया के विकास को रोक सकता है। 
  • यह बायोकंट्रोल एजेंट पारंपरिक कीटनाशकों के लिए एक गैर-रासायनिक विकल्प प्रदान करता है, जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करते हुए रोग प्रबंधन में सहायक है।

फुट रॉट रोग के बारे में 

  • फुट रॉट एक फफूंदजनित बीमारी है, जो बासमती चावल की फसलों को, विशेष रूप से अंकुरण अवस्था में प्रभावित करती है, हालाँकि संक्रमित पौधों को रोपने के बाद भी यह संक्रमण का कारण बन सकता है।
  • यह फफूंद फ्यूजेरियम वर्टिसिलिओइड्स के कारण होता है, जो मृदा में बीज से पैदा होने वाला रोगाणु है।
  • यह संक्रमण पौधे की जड़ के माध्यम से फैलते हुए अंततः तने के आधार तक पहुंच जाता है।

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