शॉर्ट न्यूज़ : 13 मई , 2024
बटागाय क्रेटर
3-D प्रिंटेड रॉकेट इंजन
माउंट इबू
कार्बोक्सीसोम
वोडू धर्म
ओलियंडर फूल
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस-2024
दिलीप संघानी - IFFCO के अध्यक्ष
मिखाइल मिशुस्टिन - रूस के प्रधान मंत्री
वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम
बटागाय क्रेटर
- ‘अधोलोक का प्रवेश द्वार’ (Gateway to the Underworld) के रूप में प्रसिद्ध दुनिया के विशाल क्रेटरों में से एक बटागाय क्रेटर (Batagay Crater) प्रतिवर्ष 35 मिलियन क्यूबिक फीट बढ़ रहा है।
- एक नए अध्ययन के अनुसार, साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट में स्थित विशाल गड्ढा जमीन के पिघलने के कारण फैल रहा है।
- यह क्रेटर आधिकारिक तौर पर बटागाय (बटागाइका) के नाम से जाना जाता है।
- गोलाकार खड़ी चट्टानों (Cliff) वाले इस क्रेटर को पहली बार वर्ष 1991 में उपग्रह चित्रों के माध्यम से खोजा गया था।
- इस क्रेटर का निर्माण रूस में उत्तरी याकुटिया के याना उच्चभूमि के एक हिस्से के ढह जाने के बाद हुआ था।
- उच्चभूमि के ढहने से लगभग 650,000 वर्षों से जमी हुई पर्माफ्रॉस्ट की परतें उद्घाटित होने से पिघलने लगीं।
पर्माफ्रॉस्ट
- पर्माफ्रॉस्ट को बर्फीले क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह के नीचे जमी हुई ऐसी आधार भूमि, बजरी, रेत, बर्फ या कार्बनिक पदार्थ के रूप में परिभाषित किया गया है, जो लगातार कम-से-कम दो वर्षों तक शून्य डिग्री सेल्सियस पर या उससे नीचे जमी हुई अवस्था में रही हो।
- यह 32 °F (0 °C) से कम तापमान वाले क्षेत्रों में (उत्तरी गोलार्ध) भूमि एवं समुद्र तल के नीचे पाया जाता है।
- आर्कटिक क्षेत्रों, जैसे- ग्रीनलैंड, अमेरिका के अलास्का, रूस, उत्तरी चीन एवं पूर्वी यूरोप में पर्माफ्रॉस्ट पाए जाते हैं।
- यह पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में लगभग 22.8 मिलियन वर्ग किमी. (8.8 मिलियन वर्ग मील) क्षेत्र में स्थित है।
- पर्माफ्रॉस्ट का महत्व : यह जलवायु परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण संकेतक हैं। आर्कटिक में बढ़ते तापमान के कारण पर्माफ्रॉस्ट का गलन प्रारंभ होने से कार्बनिक पदार्थ विघटित होकर कार्बन को ग्रीनहाउस गैसों (जैसे- कार्बन-डाइऑक्साइड एवं मीथेन) के रूप में वायुमंडल में उत्सर्जित कर देते है।
- जमी हुई अवस्था वाली भूमि हमेशा पर्माफ्रॉस्ट नहीं होती है। वह मृदा परत जो प्रतिवर्ष 15 दिनों से अधिक समय तक जमी अवस्था में रहता है, उसे ‘मौसमी रूप से जमी हुई भूमि’ कहा जाता है।
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3-D प्रिंटेड रॉकेट इंजन
(प्रारंभिक परीक्षा: सामान्य विज्ञान) |
- हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग तकनीक’ की मदद से निर्मित तरल रॉकेट इंजन (PS4) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (AM) को प्राय: 3-D प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है।
- PS4 इंजन का उपयोग ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के चौथे चरण में किया जाता है।
क्या है 3-D प्रिंटिंग
- 3-D प्रिंटिंग निर्माण की एक प्रक्रिया है जिसके तहत किसी त्रि-विमीय (3-D) वस्तु को डिज़ाइन किया जाता है और उसे बनाने के लिये रंग या आकार के आधार पर आवश्यक पदार्थों को 3-D प्रिंटर में डाला जाता है, फिर इसे भौतिक या वास्तविक रूप में प्राप्त किया जाता है।
- ये प्रिंटर लेयरिंग विधि (परत-दर-परत जमा करके नीचे से ऊपर की ओर) का उपयोग करके वांछित वस्तु का निर्माण करते हैं, जो कि सबट्रेक्टिव विनिर्माण प्रक्रियाओं के पूर्ण विपरीत है।
- महान इतालवी मूर्तिकार माइकल एंजेलो की उत्कृष्ट कृति डेविड (संगमरमर के एक ही खंड से विशाल मूर्ति) सबट्रेक्टिव निर्माण विधि का एक आदर्श उदाहरण है।
- इसमें तरल, अर्द्ध-तरल या पाउडर के रूप में पदार्थ को कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन ड्रॉइंग (CAD Drawing) की सहायता से सटीक रूप से स्रावित किया जाता है या एक इलेक्ट्रॉन या लेज़र बीम का उपयोग करके निर्धारित रूप से तराशा जाता है।
इसरो के 3-D PS4 इंजन के लाभ
- इंजन के भागों की संख्या में कमी : 3-D प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी ने इसरो को इस इंजन में घटकों (पार्ट्स) की संख्या को 14 से कम करके एक घटक तक लाने में मदद की।
- कच्चे माल की बचत : इसके मध्यम से 19 वेल्डिंग जोड़ या रॉकेट जॉइंट्स खत्म हो गए। इससे इंजन के वजन में कमी आई।
- इस तकनीक की सहायता से 97% कच्चे माल की बचत हुई। साथ ही, वजन कम होने से ईंधन दक्षता में भी वृद्धि हुई है।
- समय की बचत : इस प्रिंटिंग पद्धति से कुल उत्पादन समय में 60% की कमी आई।
माउंट इबू
- इंडोनेशिया के माउंट इबू (Mount Ibu) में ज्वालामुखी उद्गार उत्पन्न हुआ। यह इंडोनेशिया के हल्माहेरा (Halmahera) द्वीप पर स्थित है।
- यह एक प्रकार का स्ट्रैटो या परतदार सक्रिय ज्वालामुखी है। इंडोनेशिया प्रशांत अग्नि वलय (पैसिफिक रिंग ऑफ फायर) क्षेत्र में स्थित है जिसमें लगभग 127 सक्रिय ज्वालामुखी हैं।
- अप्रैल महीने की शुरुआत में उत्तरी सुलावेसी में माउंट रुआंग में ज्वालामुखी उद्गार हुआ था।
कार्बोक्सीसोम
हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (HKUST) के नेतृत्व में एक शोध दल ने कार्बोक्सीसोम की क्रियाविधि का पता लगाया है।
कार्बोक्सीसोम के बारे में
- ये सायनोबैक्टीरिया, नॉलगैसबैक्टीरिया, नाइट्रोसो- और नाइट्रोबैक्टीरिया सहित कई ऑटोट्रॉफ़िक बैक्टीरिया में पाई जाने वाली इंट्रासेल्युलर संरचनाएं हैं।
- ये संरचनाएं प्रोटीनयुक्त होती हैं जिनमें जीवों में कार्बन डाइऑक्साइड स्थिरीकरण के एंजाइम होते हैं।
कार्बोक्सीसोम के कार्य
- ये कार्बन स्थिरीकरण करते हैं, जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है जिसका उपयोग कोशिका द्वारा विकास एवं ऊर्जा के लिए किया जा सकता है।
- ये लगभग 80 से 140 नैनोमीटर व्यास वाले पॉलीहेड्रल प्रोटीन कोष्ठ से बने होते हैं। इन कोष्ठकों में अत्यधिक सांद्र राइबुलोज बिस्फोस्फेट कार्बोक्सिलेज/ऑक्सीजिनेज (RuBisCo) एंजाइम पाया जाता है।
- ये एंजाइम बाइकार्बोनेट के कार्बन डाइऑक्साइड का त्वरित रूपांतरण करके साइटोप्लाज्म के अंदर संभव से अधिक तेज़ एवं अधिक कुशल कार्बन डाइऑक्साइड स्थरीकरण करते हैं।
उपयोगिता
- इस सफलता से वैज्ञानिकों को संरचनाओं को पुन: डिज़ाइन करने और पुन: उपयोग करने में मदद मिल सकती है ताकि पौधों को सूरज की रोशनी को अधिक ऊर्जा में परिवर्तित करने में सक्षम बनाया जा सके।
- इससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण दक्षता को बेहतर किया जा सकता है। इससे संभावित रूप से वैश्विक खाद्य आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है और ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकता है।
वोडू धर्म
सदियों से राजनेताओं एवं बुद्धिजीवियों द्वारा सार्वजनिक रूप से परित्यक्त ‘वोडू (Vodou)’ पूरे हैती में एक अधिक शक्तिशाली व स्वीकृत धर्म में परिवर्तित हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हैती में हाल के वर्षों में इस धर्म के अनुयायी धार्मिक अत्याचार से प्रताड़ित हुए हैं।
वोडू धर्म के बारे में
- वोडू एक अफ्रीकी प्रवासी धर्म है जो 16वीं से 19वीं शताब्दी के बीच हैती में विकसित हुआ।
- यह पश्चिम अफ़्रीकी दाहोमियन, कोंगो, योरूबा व अन्य जातीय समूहों के वोडू धर्म एवं रोमन कैथोलिकवाद का समन्वय है।
- इन जातीय समूह के लोगों को दासों के रूप में औपनिवेशिक सेंट-डोमिंगु (हैती का पुराना नाम) में बसाया गया था और 16वीं-17वीं सदी में रोमन कैथोलिक मिशनरियों ने इन्हें आंशिक रूप से ईसाई बना दिया था।
- अफ़्रीकी राज्य दाहोमी (बेनिन का पुराना नाम) की फ़ॉन भाषा में वोडू शब्द का अर्थ ‘आत्मा’ या ‘देवता’ होता है।
विशेषताएँ
- वोडू एक वैश्विक दृष्टिकोण है जिसमें दर्शन, चिकित्सा, न्याय एवं धर्म शामिल हैं। इसका मूल सिद्धांत यह है कि सब कुछ आत्मा है। मनुष्य आत्माएं हैं जो दृश्य जगत में निवास करती हैं।
- वोडू का प्राथमिक लक्ष्य एवं गतिविधि इसी आत्मा की सेवा (मानवता की सेवा) करना है।
- इसमें लोग स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं अनुग्रह की प्राप्ति के लिए देवताओं व विशेष आत्माओं की प्रार्थना एवं विभिन्न भक्ति अनुष्ठान करते हैं।
- वोडू धार्मिक परंपरा रोमन कैथोलिक धर्म के समान किसी पुस्तक पर आधारित न होकर एक मौखिक परंपरा है।
- इसका प्रसार पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवार के बुजुर्ग सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिसमें भक्ति प्रथाओं के साथ-साथ पारिवारिक भावनाएँ भी एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी को प्राप्त होती हैं।
ओलियंडर फूल
केरल सरकार द्वारा नियंत्रित दो मंदिर बोर्डों ने ओलियंडर (Oleander) फूलों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
ओलियंडर फूल
- नाम : नेरियम ओलियंडर (Nerium oleander) को प्राय: ओलियंडर या रोज़बे नाम से
- अन्य नाम : केरल में अराली एवं कनवीराम
- प्रसार : प्रमुखतया उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय एवं समशीतोष्ण क्षेत्रों में
- प्रयोग : प्राय: सजावट एवं प्राकृतिक छटाओं के लिए
- विशेषता :
- सूखे के प्रति सहनशील
- विभिन्न किस्मों के फूलों का रंग भिन्न
- फूल व पतियाँ विषैली
ओलियंडर के विषैले होने का कारण
- इसमें विषैलेपन का कारण ओलिएन्ड्रिन, फोलिनेरिन एवं डिजिटॉक्सिजेनिन सहित कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स (एक प्रकार का रसायन) के गुणों का पाया जाना है, जो इस पौधे के सभी भागों में मौजूद होता हैं।
- कार्डिएक ग्लाइकोसाइड्स स्टेरायडल यौगिक हैं जो हृदय की मांसपेशियों पर औषधीय प्रभाव डालने में सक्षम होते हैं।
क्या आप जानतें हैं?
- आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया (API) के अनुसार, इसकी जड़ की छाल से तैयार तेल का उपयोग चर्म रोगों के उपचार में किया जा सकता है।
- API आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता, शुद्धता एवं शक्ति का वर्णन करने वाला एक सरकारी दस्तावेज़ है।
- बृहत्त्रयी, चरक संहिता एवं भावप्रकाश जैसे ग्रंथों में इस पौधें का उल्लेख मिलता है।
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प्रश्न - हाल ही में किस राज्य में मंदिरों में ओलियंडर फूलों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया ?
(a) केरल
(b) असम
(c) बिहार
(d) नागालैंड
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अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस-2024
- प्रत्येक वर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है।
- इसका उद्देश्य है -
- समाज और स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्सों के योगदान को याद करना
- नर्सिंग के प्रोफेशन को बढ़ावा और सम्मान देना।
- वर्ष 1974 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस द्वारा इसे मनाने की घोषणा की गई।
- इसके लिए 12 मई को इसलिए चुना गया क्योंकि नर्सिंग की जन्मदाता फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म वर्ष 1820 में 12 मई को हुआ था।
- अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस-2024 की थीम ‘हमारी नर्सें- हमारा भविष्य: देखभाल की आर्थिक शक्ति’ है।
दिलीप संघानी - IFFCO के अध्यक्ष
- हाल ही में दिलीप संघानी को IFFCO का 17वां अध्यक्ष चुना गया।
- यह अध्यक्ष के रूप में बलविंदर सिंह नकई का स्थान ग्रहण करेंगे।
- दिलीप संघानी वर्ष 2019 से IFFCO के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (IFFCO)
- यह भारत की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक है
- स्थापना - वर्ष 1967
- मुख्यालय - नई दिल्ली
- कार्य -
- उर्वरकों का सतत उत्पादन और निर्माण करना।
- देश भर के किसानों को शीघ्रता और कुशलता से उच्च गुणवत्ता वाले उर्वरक वितरित करना
मिखाइल मिशुस्टिन - रूस के प्रधान मंत्री
- हाल ही में मिखाइल मिशुस्टिन को रूस का प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया।
- ये वर्ष 2020 से रूस के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।
- रूस में, प्रधान मंत्री राष्ट्रपति की इच्छा तक पद धारण करता है।
- प्रधानमंत्री का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
रूस
- रूस की सीमा जॉर्जिया, अजरबैजान, कजाकिस्तान, मंगोलिया, चीन, उत्तर कोरिया, बेलारूस, यूक्रेन, लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया, पोलैंड, फ़िनलैंड और नॉर्वे से लगती है
- राजधानी- मास्को
- मुद्रा- रूसी रूबल
- रूस की संसद का नाम फेडरलनो सोब्रानी है
प्रश्न – निम्नलिखित देशों में से किस देश की सीमा रूस से नहीं लगती है ?
(a) जॉर्जिया
(b) लातविया
(c) एस्टोनिया
(d) सर्बिया
उत्तर – d
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वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम
- हाल ही में वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम के 19वें सत्र का आयोजन हुआ।
- इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में किया गया
- इसमें भारत ने वन संरक्षण और टिकाऊ वन प्रबंधन में देश की प्रगति को रेखांकित किया।
- पिछले 15 वर्षों में देश के वन क्षेत्र में लगातार वृद्धि हुई है।
- भारत वर्ष 2010 से 2020 के बीच औसत वार्षिक वन क्षेत्र में शुद्ध वृद्धि के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर रहा है।
वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम
- इसकी स्थापना वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद द्वारा की गई थी।
- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसमें शामिल हैं
- इसका उद्देश्य है -
- सभी प्रकार के वनों के प्रबंधन करना
- वनों के संरक्षण और सतत् विकास को बढ़ावा देना
- वनों के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता को मज़बूत करना