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शॉर्ट न्यूज़ : 30 मई , 2024

शॉर्ट न्यूज़ : 30 मई , 2024


सोनकुत्ता (Dhole)

1999 लाहौर घोषणापत्र

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना

GSAP स्किल्स प्लेटफ़ॉर्म

सरकारी प्रतिभूतियों के लिए विनियमन तंत्र


सोनकुत्ता (Dhole)

चर्चा में क्यों 

प्रत्येक वर्ष 28 मई को विश्व सोनकुत्ता (Dhole) दिवस मनाया जाता है।

SONU

ढोल के बारे में

  • ढोल एक मध्यम आकार का कुत्ता है जो अधिकतर दक्षिण एशियाई देशों में पाया है।
  • ये सामाजिक जानवर हैं, जो झुंड में रहते हैं और शिकार करते हैं। 
  • ढोल आँख की बजाए सूंघने की (घ्राण) शक्ति से शिकार का पीछा करते हैं।
  • वैज्ञानिक नाम :  कुओन अल्पाइनस (Cuon Alpinus) । 
  • यह कुओन प्रजाति का एकमात्र मौजूदा सदस्य है।
  • अन्य नाम : एशियाई जंगली कुत्ता, भारतीय जंगली कुत्ता, ढोल, लाल कुत्ता, जंगली कुत्ता आदि।
  • संरक्षण की स्थिति :
    • IUCN स्थिति- लुप्तप्राय 
    • CITES- परिशिष्ट II
    • भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA) 1972- अनुसूची II में।
  • परिवेश 
    • भारत में वितरण : संपूर्ण भारत में; हिमालय की ऊँचाई से लेकर मैदानी इलाकों तक।
    • वैश्विक वितरण : भारत, मध्य एवं पूर्वी एशिया, चीन और मलेशिया।
  • खतरा
    • निवास स्थान की हानि
    • शिकार आधार की कमी
    • पशु-मानव संघर्ष
    • बीमारी व संक्रमण

1999 लाहौर घोषणापत्र

चर्चा में क्यों

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने यह स्वीकार किया है कि पकिस्तान ने भारत के साथ 1999 लाहौर घोषणापत्र का उल्लंघन किया है।

KABULNAMA

क्या है 1999 लाहौर घोषणापत्र 

पृष्ठभूमि 

  • घरेलू दबाव और बदलती भूराजनीति ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद 11 व 13 मई 1998 को परमाणु परीक्षण (ऑपरेशन शक्ति) करने के लिए मजबूर किया था। 
  • भारत के परीक्षण के जवाब में, 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण किए थे, जिसके बाद से भारत एवं पाकिस्तान के मध्य तनाव की स्थिति बन गई थी।
  • इस तनाव को दूर करने के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मध्य लाहौर में एक शांति समझौता हुआ था। 
  • शांति समझौते के अंतर्गत, 21 फरवरी, 1999 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए थे।
  • उसी वर्ष दोनों देशों की संसदों द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी।

उद्देश्य 

  • इस समझौते का उद्देश्य “दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता लाना” था।

समझौते की शर्तें 

  • समझौते की शर्तों के तहत, परमाणु शस्त्रागार के विकास और परमाणु हथियारों के आकस्मिक और अनधिकृत परिचालन उपयोग से बचने की दिशा में एक आपसी सहमती बनी थी। 
  • लाहौर घोषणा ने दोनों देशों के नेतृत्व को परमाणु दौड़, साथ ही गैर-पारंपरिक और पारंपरिक दोनों संघर्षों से बचने की जिम्मेदारी दी थी।

शर्तों का उल्लंघन 

  • शांति समझौते के कुछ ही महीनों बाद, पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ की, जिसके कारण कारगिल युद्ध हुआ।
  • कारगिल युद्ध, लाहौर घोषणापत्र की शान्ति शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन था। 
  • वर्तमान में, कारगिल युद्ध के 25 वर्षों बाद पाकिस्तान ने अपनी गलती स्वीकार की है।

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, अरब लीग ने बहरीन में एक शिखर सम्मेलन के दौरान जारी मनामा घोषणापत्र  के माध्यम से फिलिस्तीनी क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की तैनाती की मांग की।

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना 

  • संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक प्रयास प्रयास को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के नाम से जाना जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को अक्सर ब्लू बेरेट्स या ब्लू हेलमेट्स के नाम से जाना जाता है, क्योंकि ये हल्के नीले रंग की बेरेट या हेलमेट पहनते हैं। 
    • इसमें सैनिक, पुलिस अधिकारी और नागरिक कर्मी शामिल हो सकते हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति का इतिहास : संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन की अवधारणा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के साथ उभरी।
    • पहला संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन 1948 में अरब-इजरायल युद्ध के बाद, इज़राइल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच युद्धविराम की निगरानी के लिए स्थापित किया गया था।
    • संयुक्त राष्ट्र संघर्ष विराम पर्यवेक्षण संगठन (UNTSO) के नाम से जाने जाने वाले इस मिशन ने भविष्य के शांति अभियानों के लिए मिसाल कायम की। 
    • इसके बाद से, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के दायरे और जटिलताएँ काफी हद तक विकसित हो गई हैं, दुनिया भर में संघर्ष, गृहयुद्ध और मानवीय संकटों से प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चलाए जा रहे हैं।
  • शांति अभियानों की कार्यप्रणाली : संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन तीन बुनियादी सिद्धांतों द्वारा निर्देशित हैं:
    1. संघर्षरत पक्षों की सहमित 
    2. निष्पक्षता 
    3. आत्मरक्षा और जनादेश की रक्षा के अलावा बल का प्रयोग न करना
  • संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियान संघर्ष के मुख्य पक्षों की सहमति से तैनात किए जाते हैं। इसे किसी संघर्ष में शामिल पक्षों के अनुरोध पर या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनुमति से तैनात किया जा सकता है।
  • उद्देश्य : इसके उद्देश्य विशिष्ट संदर्भ के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सामान्यतः निम्नलिखित उद्देश्य शामिल होते हैं : 
    • युद्ध विराम की निगरानी, 
    • ​​संघर्षरत पक्षों को निरस्त्रीकरण के लिए प्रोत्साहित करना 
    • मानवीय सहायता की डिलीवरी को सुविधाजनक बनाना 
    • मानवाधिकारों को बढ़ावा देना 
    • लोकतांत्रिक शासन संरचनाओं की स्थापना का समर्थन करना 
  • भारत की भूमिका : 
    • भारत अपनी स्थापना के बाद से संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक रहा है।
    • भारत ने लगभग 195,000 सैनिकों को संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भेज चुका है, जो किसी भी देश से सबसे बड़ी संख्या है। 
    • भारत सैनिकों ने संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सेवा करते हुए 49 से अधिक मिशनों और 168 सर्वोच्च बलिदानों में भाग लिया है।

अरब लीग (Arab League)

  • यह मध्य-पूर्व और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में अरब राज्यों का एक क्षेत्रीय संगठन है।
  • गठन : 22 मार्च, 1945 
  • उद्देश्य :
    • अरब हितों को बढ़ावा देना और अपने सदस्यों के बीच राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक कार्यक्रमों को समन्वय प्रदान करना 
    • संघ सदस्य राज्यों के बीच विवादों को निपटाने और आपसी सैन्य सहायता प्रदान करना  
  • मुख्यालय : काहिरा, मिस्र  
  • आधिकारिक भाषा :  अरबी 
  • इस लीग के 22 सदस्य हैं, जिनमें मिस्र, सीरिया और इराक जैसे संस्थापक सदस्य शामिल हैं। चार देशों को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है : ब्राज़ील, इरिट्रिया, भारत और वेनेजुएला


GSAP स्किल्स प्लेटफ़ॉर्म

चर्चा में क्यों 

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने जैव विविधता पर कार्यान्वयन सम्मेलन की सहायक संस्था की चौथी बैठक में GSAP स्किल्स प्लेटफ़ॉर्म  लॉन्च किया।

GSAP स्किल्स प्लेटफ़ॉर्म के बारे में

  • जीएसएपी स्किल प्लेटफ़ॉर्म एक व्यापक ऑनलाइन संसाधन केंद्र है, जिसे वैश्विक प्रजाति कार्य योजना (GSAP) को कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (GBF) के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
  • यह प्रजाति संरक्षण ज्ञान, सूचना, सीखना, उत्तोलन और साझाकरण (Species Conservation Knowledge, Information, Learning, Leverage and Sharing : SKILLS) प्लेटफ़ॉर्म है। 
  • यह प्लेटफ़ॉर्म  वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (GBF) के मुख्य प्रजातियों के परिणामों को प्रभावी ढंग से लागू करने, विलुप्त होने को रोकने, विलुप्त होने के जोखिम को कम करने, देशी जंगली प्रजातियों की प्रचुरता को बनाए रखने और बढ़ाने में दुनिया भर में सरकारों एवं हितधारकों की सहायता के लिए उपकरण, प्रशिक्षण सहायता व तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करता है। 
  • उद्देश्य :
    • वैश्विक सहयोग और भागीदारी को सुविधाजनक बनाना  
    • निर्णय निर्माताओं, प्रजाति संरक्षण चिकित्सकों और सभी स्तरों पर विशेषज्ञों को जोड़ना 
    • पहुंच और प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी उपकरणों और संसाधनों पर वास्तविक समय में अपडेट प्रदान करना  
  • जीएसएपी एक जीवंत दस्तावेज है जिसकी प्रारंभिक समयसीमा 2030 है, जो  वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (GBF) के अनुरूप है।
  • जीएसएपी स्किल्स प्लेटफॉर्म को आईयूसीएन द्वारा सक्रिय रूप से प्रबंधित किया जाता है, ताकि प्रजातियों के लिए कार्रवाई करने हेतु सरकारों और सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
  • जीएसएपी स्किल्स प्लेटफॉर्म के विकास को मुख्य रूप से कोरिया गणराज्य के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा समर्थित किया गया है। 
    • इसमें अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) और हुआवेई द्वारा शुरू की गई टेक4नेचर पहल (Tech4Nature Initiative) जैसे अतिरिक्त संसाधन भी शामिल हैं।
    • टेक4नेचर डिजिटल प्रौद्योगिकी नवाचार के माध्यम से प्रकृति संरक्षण में सफलता बढ़ाने के लिए एक वैश्विक साझेदारी है। 

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढाँचा 

  • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (GBF) को दिसंबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (CoP15) में 196 देशों द्वारा अपनाया गया था। 
    • यह प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने वाले विश्व के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार करता है।
  • इस रूपरेखा में 2050 के लिए चार लक्ष्य तथा 2030 के लिए 23 लक्ष्य शामिल हैं।
  • प्रमुख लक्ष्य :
    • जैव-विविधता के लिए खतरों को कम करना
    • टिकाऊ उपयोग और लाभ-साझाकरण के माध्यम से लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करना
    • कार्यान्वयन और मुख्यधारा में लाने के लिए उपकरण को जोड़ना और समाधान करना 

सरकारी प्रतिभूतियों के लिए विनियमन तंत्र

प्रवाह ऐप (PRAVAAH) 

  • भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री के लिए प्रवाह ऐप लॉन्च किया। 
  • प्रवाह (Platform for Regulatory Applications, Verifications and Clearances) पोर्टल सुरक्षित और केंद्रीकृत वेब-आधारित मंच है। 
  • यह किसी भी व्यक्ति या इकाई के लिए रिजर्व बैंक से जुड़े मामलों में मंजूरी, लाइसेंस या नियामकीय अनुमोदन प्राप्त करने का मंच है।
  • मोबाइल ऐप के जरिये खुदरा निवेशक अब अपने स्मार्टफोन पर इस ऐप का उपयोग करके सरकारी सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री कर सकते हैं।

फिनटेक रिपोजिटरी (FinTecch repository)

  • भारतीय रिजर्व बैंक ने फिनटेक संस्थाओं, उनकी गतिविधियों, प्रौद्योगिकी उपयोग आदि के बारे में आवश्यक जानकारी एकत्र करने के लिए फिनटेक रिपॉजिटरी भी लॉन्च की है।
    • एमटेक रिपोजिटरी : केवल आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं (बैंकों और एनबीएफसी) के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों (जैसे- एआई AI, एमएल ML, क्लाउड कंप्यूटिंग Cloud Computing, डीएलटी DLT, क्वांटम आदि) को अपनाने पर एक संबंधित रिपोजिटरी भी लॉन्च की जा रही है।
  • फिनटेक और एमटेक रिपॉजिटरी सुरक्षित वेब-आधारित अनुप्रयोग हैं और इनका प्रबंधन रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) द्वारा किया जाता है, जो RBI की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। 
  • रिपॉजिटरी समग्र क्षेत्रीय स्तर के डाटा, रुझान, विश्लेषण आदि की उपलब्धता को सक्षम करेगी, जो नीति निर्माताओं और भाग लेने वाले उद्योग सदस्यों दोनों के लिए उपयोगी होगी। 
  • भारतीय रिजर्व बैंक फिनटेक और विनियमित संस्थाओं को रिपॉजिटरी में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

रिटेल डायरेक्ट पोर्टल (Retail Direct Portal)

  • खुदरा निवेशकों को आरबीआई के साथ खुदरा प्रत्यक्ष सरकारी प्रतिभूति खाते खोलने की सुविधा प्रदान करता है।
  • खुदरा प्रत्यक्ष योजना के तहत यह सुविधा दी गयी है।
  • पोर्टल नवंबर, 2021 में शुरू किया गया था।
  • यह खुदरा निवेशकों को प्राथमिक नीलामी में सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने के साथ-साथ द्वितीयक बाजार में उसे खरीदने और बेचने की सुविधा देता है।
  • जी-सेक ऐप (G-sec App) : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी रिटेल डायरेक्ट स्कीम के तहत एक मोबाइल एप्लीकेशन भी लॉन्च किया है। 
    • उद्देश्य : खुदरा निवेशकों के लिए सरकारी प्रतिभूतियों (G-SEC) में निवेश की प्रक्रिया को सरल बनाना।
  • सरकारी प्रतिभूतियाँ : सरकारी प्रतिभूतियाँ, जिन्हें जी-सेक (G-SEC) के रूप में भी जाना जाता है, सरकारों द्वारा धन जुटाने के लिए जारी किए गए निवेश उपकरण हैं। 
    • सरकार निश्चित ब्याज दरों के साथ कम जोखिम वाला निवेश विकल्प प्रदान करते हैं। 
  • ट्रेजरी बिल 12 महीने से कम समय के लिए जारी की जाने वाली अल्पकालिक प्रतिभूतियाँ हैं, जबकि बॉन्ड दीर्घकालिक अवधि के लिए जारी किए जाते हैं।

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