शॉर्ट न्यूज़ : 31 मई , 2024
लघु वनोपज
KAZA सम्मेलन 2024
लिग्नोसैट (LignoSat)
गोल्डन राइस
ड्रोन वॉल (Drone Wall)
भारत पहली बार बना कोलंबो प्रोसेस का अध्यक्ष
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम को 'सस्टेनेबिलिटी चैंपियन - एडिटर्स च्वाइस अवार्ड'
गितानस नौसेदा बने लिथुआनिया के राष्ट्रपति
सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा में वृद्धि
ई-माइग्रेट परियोजना
फ़िलाडेल्फ़ी कॉरिडोर
लघु वनोपज
संदर्भ
वर्तमान में ओडिशा में आदिवासी लोग केंदू पत्ता, जो एक लघु वन उपज है, को बेचने के लिए वन विभाग से मंजूरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
क्या है लघु वनोपज
- अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, या वन अधिकार अधिनियम (FRA), 'लघु वन उपज' को वनों से उत्पादित किसी भी गैर-काष्ठीय वन उत्पाद के रूप में परिभाषित करता है।
- इसमें बांस बेंत, टसर, कोकून, शहद, मोम, लाख, केंदू के पत्ते, औषधीय पौधे, जड़ी-बूटियां, जड़ें, कंद और इसी तरह की विभिन्न वस्तुएं शामिल हैं।
- सरल शब्दों में, इसमें लकड़ी को छोड़कर अन्य सभी वन उत्पाद शामिल हैं।
- वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 वन में रहने वाले आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों को ऐसे वन संसाधनों पर अधिकारों को मान्यता देता है, जिस पर ये समुदाय आजीविका, आवास और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक आवश्यकताओं सहित विभिन्न आवश्यकताओं के लिए निर्भर थे।
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केंडू के पत्ते के बारे में
- केंदू पत्ता (तेंदू पत्ता, डायोस्पायरोस मेलानोक्सिलॉन) बांस और साल के बीज की तरह एक राष्ट्रीयकृत उत्पाद है और यह ओडिशा के सबसे महत्वपूर्ण गैर-काष्ठीय वन उत्पादों में से एक है।
- उपयोग : इसकी अनूठी विशेषताओं, जैसे तंबाकू के साथ सुगंध का मेल, सूखी पत्तियों की नमीरोधी प्रकृति, पतलापन और लचीलापन, धीरे-धीरे जलना, फंगस के हमले के प्रति प्रतिरोध आदि के कारण इन मूल्यवान पत्तियों का उपयोग तम्बाखू लपेटने (बीड़ी) के लिए किया जाता है।
- उत्पादन : मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा केंदू पत्ता का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। ओडिशा में बीड़ी पत्ता का वार्षिक उत्पादन लगभग 4.5 से 5 लाख क्विंटल है, जो देश के वार्षिक उत्पादन का लगभग 20% है।
- ओडिसा के बलांगीर जिले के केंदू पत्ते को पूरे भारत में सबसे अच्छे केंदू पत्ते के रूप में माना जाता है।
KAZA सम्मेलन 2024
चर्चा में क्यों
लिविंगस्टोन, जाम्बिया में संपन्न KAZA 2024 शिखर सम्मेलन के प्रतिनिधियों ने वन्य जीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) से बाहर निकलने का आह्वान किया है।
KAZA क्या है
- KAZA से तात्पर्य कावांगो-ज़ाम्बेजी ट्रांस-फ़्रंटियर संरक्षण क्षेत्र (Kavango-Zambezi Trans-Frontier Conservation Area : KAZA-TFCA) से है।
- यह 520,000 वर्ग किलोमीटर में फैला एक वन्यजीव अभयारण्य है।
- यह पांच दक्षिणी अफ़्रीका के देशों- अंगोला, बोत्सवाना, नामीबिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे में फैला है एवं ओकावांगो तथा ज़ाम्बेजी नदी घाटियों के साथ सीमाएँ साझा करता है।
- ये पांच देश दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर कुल अफ़्रीकी हाथियों की आबादी (लगभग 450,000) के दो-तिहाई से ज़्यादा का आवास स्थल हैं।
- ये देश 19 अफ़्रीकी हाथी रेंज राज्यों का हिस्सा हैं, जिनमें से अकेले बोत्सवाना में हाथियों की आबादी 132,000 है, उसके बाद ज़िम्बाब्वे में 100,000 है।
CITES के साथ विवाद क्या है?
- CITES द्वारा हाथियों के अवैध शिकार को रोकने एवं उनके संरक्षण के लिए सभी प्रकार के हाथी उत्पादों के व्यापार पर वैश्विक प्रतिबंध लगाया गया है।
- KAZA सम्मलेन में सदस्य देशों द्वारा हाथी दांत के व्यापार पर CITES द्वारा पूर्ण प्रतिबंध लगाने को एक अनुचित कदम बताया है।
- इन देशों की मांग है कि इन्हें अपने देश में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले हाथी दांत और अन्य वन्यजीव उत्पादों को बेचने की अनुमति दी जाए।
- हाथी उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण इन देशों को अपने विशाल हाथी संसाधनों के मौद्रीकरण के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।
- पहले भी कई बार दक्षिणी अफ्रीकी देशों ने तर्क दिया है कि उनके वन्यजीव संसाधनों का मुद्रीकरण करने से उन्हें अपने संरक्षण प्रयासों को निधि देने में मदद मिलेगी, लेकिन CITES प्रतिनिधियों द्वारा इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया है।
- अफ्रीका के कुछ देशों में हाथियों की भारी संख्या को आवास क्षति तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
- इसीलिए इन देशों कि मांग है कि उन्हें इन हिंसक वन्यजीवों के अधिक शिकार करने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि इन मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने का प्रबंधन कर सकें।
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CITES के बारे में
- CITES लुप्तप्राय पौधों और जानवरों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के खतरों से बचाने के लिए एक बहुपक्षीय संधि है।
- इसे प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) के प्रस्ताव (1963) के परिणामस्वरूप तैयार किया गया था।
- इस कन्वेंशन को 1973 में हस्ताक्षर के लिए खोला गया और 1 जुलाई 1975 को इसे लागू हुआ।
- इसे वाशिंगटन कन्वेंशन के रूप में भी जाना जाता है।
- उद्देश्य : यह सुनिश्चित करना है कि CITES के अंतर्गत शामिल जानवरों और पौधों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से जंगली प्रजातियों के अस्तित्व को कोई खतरा न हो।
- CITES 38,000 से अधिक प्रजातियों को अलग-अलग स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है।
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लिग्नोसैट (LignoSat)
चर्चा में क्यों
अंतरिक्ष मलबे की चुनौती से निपटने के लिए जापान ने विश्व का पहला लकड़ी का उपग्रह ‘लिग्नोसैट’ का निर्माण किया है।
लिग्नोसैट की विशेषताएँ
- लिग्नोसैट क्योटो विश्वविद्यालय और काष्ठीय उत्पादों से जुड़ी कंपनी सुमितोमो फ़ॉरेस्ट्री के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
- इस उपग्रह को कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स रॉकेट द्वारा इसी वर्ष सितंबर में प्रक्षेपित किया जाएगा।
- मैगनोलिया लकड़ी के ज्वलनशील गुणों के कारण लैग्नोसैट के निर्माण में इसका उपयोग किया गया है।
- इस अभिनव परियोजना का उद्देश्य उपग्रह के पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने पर पूरी तरह से जलकर अंतरिक्ष मलबे को कम करना है।
- पारंपरिक रूप से उपग्रहों का निर्माण धातु से किया जाता है, जो वायुमंडल में जलने के बाद हानिकारक मलबे का निर्माण करते हैं।
- यह मलबा क्रियाशील उपग्रहों और अंतरिक्ष यान के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकता है।
- लिग्नोसैट को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में इसकी ताकत और अत्यधिक तापमान में उतार-चढ़ाव को झेलने की क्षमता का आकलन करने के लिए कई परीक्षणों के लिए तैनात किया जाएगा।
- इस उपग्रह से डाटा शोधकर्ताओं को भेजा जाएगा जो तापीय तनाव के संकेतों की जाँच कर सकते हैं।
- भविष्य में लिग्नोसैट पर्यावरण के अनुकूल उपग्रहों की एक नई पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
गोल्डन राइस
चर्चा में क्यों
हाल ही में, फिलीपींस की एक अदालत ने आनुवंशिक रूप से संशोधित गोल्डन राइस और बीटी बैंगन के व्यावसायिक प्रसार के लिए जैव सुरक्षा परमिट को तब तक के लिए रद्द कर दिया है जब तक कि सभी सुरक्षा, स्वास्थ्य व कानूनी मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता।
क्या है गोल्डन राइस?
- गोल्डन राइस आनुवंशिक रूप से परिवर्तित की गई चावल का किस्म है, इसके गहरे पीले रंग के कारण यह नाम दिया गया है, जो बीटा-कैरोटीन के कारण होता है।
- गोल्डन राइस को फिलीपीन राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (PhilRice) द्वारा विकसित किया गया था।
- आनुवंशिक रूप से इंजीनियर की जाने का मुख्य उद्देश्य, अनाज में सूक्ष्म पोषक तत्वों आयरन और जिंक के उच्च स्तर को शामिल करना तथा बीटा-कैरोटीन को पैदा करना है, जो विटामिन A के पूरक हैं।
- विटामिन A की कमी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर करता है, अंधापन का कारण बनता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो मृत्यु भी का भी कारण बन सकता है।
गोल्डन राइस के लाभ
- साधारण चावल की तरह, गोल्डन राइस को किसी विशेष खेती की आवश्यकता नहीं होती है, और आम तौर पर इसकी उपज व कृषि संबंधी प्रदर्शन साधारण चावल के समान ही होता है।
- गोल्डन राइस सामान्य चावल का एक उन्नत संस्करण है, जिसे बिना किसी अतिरिक्त लागत या स्वाद में अंतर के, विशिष्ट पोषण संबंधी समस्या से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- एशिया में विटामिन A की कमी वाले कई समुदायों में चावल एक मुख्य भोजन है। अतः सार्वजनिक उपभोग के लिए उपलब्ध होने के बाद गोल्डन राइस इन क्षेत्रों की विटामिन A स्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
बीटी बैंगन
- यह आनुवंशिक रूप से परिवर्तित की गई बैंगन का एक किस्म है, जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ फिलीपींस लॉस बानोस (UPLB) द्वारा विकसित किया गया था।
- इसको एक प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया है, जो बैंगन फल को खराब करने वाले कीड़े के खतरे को समाप्त करता है।
- बीटी बैंगन में "बीटी" का मतलब ‘बैसिलस थुरिंजिएन्सिस’ है।
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ड्रोन वॉल (Drone Wall)
चर्चा में क्यों
रूस के साथ बढ़ते तनाव के जवाब में छह नाटो देशों ने रूस के साथ अपनी सीमाओं पर एक ड्रोन दीवार बनाने की घोषणा की है।
उद्देश्य
- इस हाई-टेक पहल का उद्देश्य निरंतर निगरानी के लिए मानव रहित हवाई वाहनों और खतरों का मुकाबला करने के लिए ड्रोन-रोधी प्रणालियों का उपयोग करके सीमा सुरक्षा को बढ़ाना है।
- ड्रोन वॉल की तैनाती करने वाले छह नाटो देश हैं :
- लिथुआनिया
- लातविया
- एस्टोनिया
- पोलैंड
- फ़िनलैंड
- नॉर्वे
ड्रोन वॉल की विशेषताएँ
- ड्रोन दीवार का निर्माण मानव रहित हवाई वाहनों और उन्नत निगरानी प्रौद्योगिकियों के संयोजन का उपयोग करके किया जाएगा।
- सीमा गतिविधियों पर लगातार नजर रखने के लिए सेंसर और कैमरों से यक्त विभिन्न ड्रोन्स का उपयोग।
- किसी भी विरोधी ड्रोन का मुकाबला करने के लिए ये एंटी-ड्रोन सिस्टम से सुसज्जित होंगे।
ड्रोन वॉल की आवश्यकता
- यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों तथा उसके व्यापक भू-राजनीतिक रुख के कारण तनाव एवं सुरक्षा चिंताओं के बीच ड्रोन दीवार का प्रस्ताव आया है। इसके प्राथमिक कारणों में शामिल हैं:
- निवारक क्षमता (Deterrence)
- निगरानी और सीमा सुरक्षा को बढ़ाकर नाटो का उद्देश्य रूस द्वारा संभावित आक्रामकता को नियंत्रित करना है।
- कई नाटो देशों का मानना है कि रूस अगले पाँच से दस वर्षों में नाटो की सीमाओं का परीक्षण कर सकता है।
- उकसावे का जवाब
- हालिया कुछ वर्षों में सभी छह नाटो देशों ने रूस से हाइब्रिड हमलों का अनुभव किया है।
- इन हमलों में गैर-सैन्य उपाय शामिल हैं जिन्हें प्राय: अस्वीकार किया जा सकता है।
- रूस के ड्रोन और हवाई क्षेत्र में घुसपैठ में वृद्धि ने मजबूत रक्षात्मक उपायों की आवश्यकता को प्रेरित किया है।
तस्करी और अवैध गतिविधियों को रोकना
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- ड्रोन वॉल से तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों पर भी अंकुश लगने की संभावना है।
- इस प्रणाली का उद्देश्य तस्करी और आगे की उकसावेबाजी को रोकना तथा रक्षा में सहायता करना होगा।
ड्रोन वॉल के निर्माण में चुनौतियाँ
- तकनीकी एकीकरण : विभिन्न राष्ट्रीय प्रणालियों व प्रौद्योगिकियों का निर्बाध एकीकरण प्राप्त करना जटिल हो सकता है। इसके लिए महत्वपूर्ण समन्वय की आवश्यकता होती है।
- वित्तीय बाधाएँ : ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम प्राप्त करने, तैनात करने और उसके रखरखाव की लागत अधिक हो सकती है। ऐसे में तैनाती के लिए यूरोपीय संघ से पर्याप्त धन प्राप्त करना महत्वपूर्ण होगा।
- भौगोलिक और पर्यावरणीय कारक : व्यापक सीमाओं के साथ विविध भूभाग और मौसम की स्थिति ड्रोन निगरानी के लिए परिचालन संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती हैं।
- राजनीतिक और कूटनीतिक बाधाएँ : विभिन्न राजनीतिक परिदृश्यों और प्राथमिकताओं वाले कई देशों के बीच इतने बड़े पैमाने पर परियोजना का समन्वय करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
ड्रोन वॉल स्थापना के पूर्व के प्रयास
- ड्रोन वॉल की अवधारणा अपेक्षाकृत नई है लेकिन सीमा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का पूर्व में भी उपयोग किया गया है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने अवैध आव्रजन और तस्करी से निपटने के लिए अपनी दक्षिणी सीमा पर निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग किया है।
- इज़रायल ने भी घुसपैठ की निगरानी एवं रोकथाम के लिए अपनी सीमाओं पर ड्रोन सहित उन्नत निगरानी प्रणाली तैनात की है।
भारत पहली बार बना कोलंबो प्रोसेस का अध्यक्ष
- हाल ही में भारत ने वर्ष 2024-26 के लिए "कोलंबो प्रोसेस" के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया
- कोलंबो प्रोसेस दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रवासी श्रमिक मूल देशों की एक क्षेत्रीय परामर्श प्रक्रिया है।
कोलंबो प्रोसेस
- इसकी स्थापना वर्ष 2003 में हुई थी।
- इसे श्रीलंका के कोलंबो में लॉन्च किया गया था।
- इसलिए इसका नाम कोलंबो प्रोसेस रखा गया।
- यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को एक मंच प्रदान करता है।
- इसमें श्रमिकों को विदेशों में भेजने के संबंध बातचीत होती है।
- कोलंबो प्रोसेस में एशिया के 12 सदस्य देश शामिल हैं -
- अफगानिस्तान
- बांग्लादेश,
- चीन
- भारत
- इंडोनेशिया
- नेपाल
- पाकिस्तान
- फिलीपींस
- श्रीलंका,
- थाईलैंड
- वियतनाम
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम को 'सस्टेनेबिलिटी चैंपियन - एडिटर्स च्वाइस अवार्ड'
- हाल ही में आउटलुक प्लैनेट सस्टेनेबिलिटी समिट एंड अवार्ड्स 2024 का आयोजन किया गया।
- इस पुरस्कार समारोह का आयोजन IIT गोवा के सहयोग से आउटलुक ग्रुप द्वारा किया गया।
- इस कार्यक्रम में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम को 'सस्टेनेबिलिटी चैंपियन - एडिटर्स च्वाइस अवार्ड' से सम्मानित किया गया है।
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम
- स्थापना - वर्ष 1969
- मुख्यालय - नई दिल्ली
- यह विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत 'महारत्न' श्रेणी का केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम है
- यह भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC), सार्वजनिक वित्तीय संस्थान (PFI) और इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (IFC) के रूप में पंजीकृत है।
- यह पूरे भारत में बिजली क्षेत्र के वित्तपोषण और विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
- यह देश में विद्युत-अवसंरचना क्षेत्र को वित्तपोषित करता है जिसमें उत्पादन, पारेषण, वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी भंडारण, हरित हाइड्रोजन इत्यादि शामिल हैं।
- यह प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, राष्ट्रीय विद्युत निधि योजना के लिए नोडल एजेंसी है।
आउटलुक प्लैनेट सस्टेनेबिलिटी समिट एंड अवार्ड्स
- यह एक ऐसा मंच है, जो टिकाऊ प्रथाओं में उत्कृष्टता के बढ़ाने के लिए उद्योग के प्रमुखों, नीति निर्माताओं और स्थिरता समर्थकों को एक साथ लाता है।
- यह नवोन्मेषी विचार और संधारणीयता के लिए समर्पित संगठनों की उल्लेखनीय उपलब्धियों को मान्यता देता है।
गितानस नौसेदा बने लिथुआनिया के राष्ट्रपति
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में गितानस नौसेदा को दूसरे कार्यकाल के लिए लिथुआनिया का राष्ट्रपति चुना गया
- इन्हें पहली बार वर्ष 2019 में लिथुआनिया का राष्ट्रपति चुना गया था
लिथुआनिया
- लिथुआनिया यूरोप में बाल्टिक सागर के तट पर स्थित एक देश है।
- इसकी सीमा लातविया, बेलारूस, पोलैंड और रूस से लगती है
- राजधानी – विनियस
- मुद्रा - यूरो
प्रश्न - लिथुआनिया की सीमा निम्नलिखित में से किस देश के साथ नहीं लगती है ?
(a) लातविया
(b) यूक्रेन
(c) बेलारूस
(d) रूस
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सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा में वृद्धि
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ता को 4% बढ़ाने की घोषणा की।
- अब 7वें वेतन आयोग के तहत महंगाई भत्ता 46% से बढ़कर 50% हो गया है।
- नियमों के अनुसार, जब भी महंगाई भत्ता बढ़ता है, तो ग्रेच्युटी सीमा और अन्य भत्ते अपने आप संशोधित हो जाते हैं।
- महंगाई भत्ते के बढ़ने के साथ सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी 25% हो गई
- अब इन ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख से बढ़कर 25 लाख रुपये हो गई
- ग्रेच्युटी सीमा में यह वृद्धि 1 जनवरी, 2024 से प्रभावी मानी जाएगी
ग्रेच्युटी
- ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत, कोई कर्मचारी ग्रेच्युटी के लिए पात्र होता है।
- यह एक ऐसा लाभ है, जो नियोक्ता द्वारा किसी कर्मचारी को कम से कम 5 वर्षों तक लगातार काम करने पर ही दिया जाता है।
- अपवाद स्वरूप मृत्यु या विकलांगता जैसे मामलों में 5 वर्ष की शर्त लागू नहीं होती है।
- इसका भुगतान तब किया जाता है; जब वह कर्मचारी सेवानिवृत्त होता है या इस्तीफा देता है।
- सरकारी कर्मचारियों को प्राप्त ग्रेच्युटी राशि आयकर से मुक्त होती है
- आयकर से यह छूट केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ राज्य सरकार के कर्मचारियों, स्थानीय निकाय कर्मचारियों और अन्य सरकारी क्षेत्र के श्रमिकों को भी प्राप्त है।
ई-माइग्रेट परियोजना
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में विदेश मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच ई-माइग्रेट सेवाएं प्रदान करने के लिए एक समझौता हुआ
- इस समझौते के तहत, विदेश मंत्रालय के ई-माइग्रेट पोर्टल को सीएससी के पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाएगा
- सीएससी के माध्यम से नागरिकों को निम्नलिखित ई-माइग्रेट सेवाएं प्रदान की जायेंगी -
- ई-माइग्रेट पोर्टल पर आवेदकों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान
- ई-माइग्रेट पोर्टल पर आवेदकों के लिए आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड करने और संसाधित करने की सुविधा।
- ई-माइग्रेट पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों या आवेदकों द्वारा आवश्यक चिकित्सा और अन्य सेवाओं के लिए बुकिंग की सुविधा
- पूरे भारत में नागरिकों के बीच ई-माइग्रेट सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना।
ई-माइग्रेट परियोजना
- ई-माइग्रेट परियोजना की शुरुआत उत्प्रवास प्रक्रिया को ऑनलाइन सहज बनाकर प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करने और सुरक्षित व कानूनी प्रवास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विदेशी नियोक्ताओं और पंजीकृत भर्ती एजेंटों तथा बीमा कंपनियों को एक मंच पर लाने के लिए की गई थी।
- यह परियोजना मुख्य रूप से उत्प्रवास जांच अपेक्षित देशों में जाने वाले श्रमिकों की सहायता के लिए शुरू की गई है।
उत्प्रवास जांच अपेक्षित देश
- ऐसे देश जहां विदेशियों के लिए प्रवेश और रोजगार संबंधी कड़े कानून नहीं है और वो देश शिकायत निवारण के उपाय प्रदान नहीं करते हैं उन्हें उत्प्रवास जांच अपेक्षित देश कहा जाता है।
- ऐसे देशों में रोजगार के लिए जाने वाले लोगों को उत्प्रवास संबंधी मंजूरी लेनी होती है
फ़िलाडेल्फ़ी कॉरिडोर
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में इसराइल ने 'फ़िलाडेल्फ़ी कॉरिडोर' पर नियंत्रण कर लिया
- फ़िलाडेल्फ़ी कॉरिडोर पर नियंत्रण होने से ग़ज़ा पर इसराइल का पूर्ण रूप से कब्जा हो गया है
फिलाडेल्फी कॉरिडोर
- इसे फिलाडेल्फी रूट के नाम से भी जाना जाता है
- यह ग़ज़ा और मिस्र के बीच सीमा क्षेत्र पर 14 किमी लंबी पट्टी है
- इसके उत्तर में भूमध्य सागर, दक्षिण में इसराइल, पूर्व में ग़ज़ा और पश्चिम में मिस्र है
- इसे मिस्र के साथ वर्ष 1979 की शांति संधि के हिस्से के रूप में इजरायली सशस्त्र बलों द्वारा नियंत्रित और गश्त वाले बफर जोन के रूप में स्थापित किया गया था
- वर्ष 2005 में, अंतर्राष्ट्रीय दबाव में इज़राइल ग़ज़ा पट्टी से हट गया
- इजरायली सेना के हटने के बाद एक समझौते के तहत मिस्र को इस गलियारे के मिस्र वाले हिस्से में गश्त और सुरक्षा के लिए सैनिकों को तैनात करने की अनुमति दी गई, जबकि ग़ज़ा वाले हिस्से की जिम्मेदारी फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंप दी गई।
- वर्ष 2007 में हमास ने ग़ज़ा की व्यवस्था अपने हाथ में ली और सीमा के फ़लस्तीनी क्षेत्र का नियंत्रण संभाल लिया
- ग़ज़ा पर इसराइल की सख़्ती बढ़ने के साथ फिलिस्तीन के लोगों का फिलाडेल्फी कॉरिडोर पार करके मिस्र की ओर आना-जाना बढ़ गया.
- इसके बाद से मिस्र ने इस कॉरिडोर पर सुरक्षा सख़्त कर दी
- इस कॉरिडोर की ज़मीन के नीचे सैंकड़ों सुरंगें बनाई गई हैं
- ग़ज़ा के लिए यह सुरंगें लाइफ़ लाइन की तरह हैं, जिनकी मदद से वहाँ के लोग मिस्र में जा पाते हैं.
- इसराइल के अनुसार इन सुरंगों का इस्तेमाल हमास ग़ज़ा में हथियारों की तस्करी के लिए करता था.